12 हफ्तों तक चले इस ट्रायल में सप्लिमेंट बनाने वाली एक कंपनी ने आंशिक रूप से इसमें पैसा लगाया था। इस ट्रायल के लिए रेंडम तरीके से 60 पुरुषों का चयन किया, जिन्हें प्रतिदिन 14 ग्राम लाइकोपीन या इसकी गोलियां लेनी थीं। शुरुआत के छह हफ्ते और शोध के अंत पर पुरुषों के स्पर्म की जांच की गई। जांच में पता चला कि स्पर्म कॉनसेंट्रेशन में कोई अंतर नहीं था। जांच में पाया गया कि जो पुरुष लाइकोपीन का सेवन कर रहे थे उनके स्पर्म का आकार और मोटिलिटी (स्पर्म की तेजी) ज्यादा थी।
शेफफील्ड यूनिवर्सिटी के ह्यूमन न्यूट्रिशन की एक्सपर्ट डॉक्टर लिज विलियम्स की अगुवाई में यह शोध किया गया। इस शोध को यूरोपीय जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित किया गया। डॉक्टर लिज ने कहा, ‘इस समय हम पुरुषों को एक छोटी सलाह दे सकते हैं।’
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बड़े ट्रायल की जरूरत
हम उन्हें एलकोहॉल को कम करने और हेल्दी डायट लेने की सलाह देते हैं लेकिन, यह बेहद ही समान्य सलाह है। वो कहती हैं, ‘यह एक छोटा शोध था और इसे हमें बड़े ट्रायल में दोहराने की आवश्यकता है। लेकिन, इसके नतीजे काफी प्रोत्साहित करने वाले हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अगला कदम इस शोध को उन पुरुषों में दोहराने का है, जिन्हें फर्टिलिटी की समस्या है। यह देखना होगा कि क्या लाइकोपीन उन पुरुषों के स्पर्म गुणवत्ता में सुधार कर सकता है और यह उन्हें फर्टिलिटी के बड़े ट्रीटमेंट से बचा सकता है।’
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भविष्य में होगा फायदा
ग्वेंडा बर्न्स नामक एक चेरिटी नेटवर्क ने इस शोध पर कहा, ‘यह एक शुरुआती चरण है। यह शोध स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार को लेकर एक उम्मीद जगाता है। साथ ही यह भविष्य में पुरुष की फर्टिलिटी के संबंध में एक विस्तृत समझ को पेश करता है।’
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