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किशोरों में दिखाई दे रहे हैं ये लक्षण, तो हो सकता है जुवेनाइल पार्किंसन

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/04/2021

    किशोरों में दिखाई दे रहे हैं ये लक्षण, तो हो सकता है जुवेनाइल पार्किंसन

    ट्विंकल को कुछ दिनों से अपनी टीनएजर बेटी में कुछ बदलाव नजर आ रहे थे। उसका हाथ अचानक कांपने लगता था तो कभी वो बहुत जल्दी थक जाती थी। ट्विंकल ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया उसको लगा कि यह भी बेटी की कोई नई शरारत होगी या ज्यादा खेलने की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन यहां ट्विंकल गलत थी। दरअसल यह जुवेनाइल पार्किंसन (Juvenile Parkinson’s) के लक्षण थे जिन्हें वह समझ नहीं पा रही थी। जब पार्किंसन डिजीज की बात होती है तो दिमाग में बुजुर्ग या व्यस्कों का ही ख्याल आता है, लेकिन कई बार बच्चे भी कम उम्र में इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं जिसे जुवेनाइल पार्किंसन (Juvenile Parkinson’s) कहा जाता है। हालांकि, यह बीमारी रेयर होती है।

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    जुवेनाइल पार्किंसन क्या है? (Juvenile Parkinson’s)

    पार्किंसन एक न्यूरोलॉजिकल डिजीज (neurological disease) है। क्योंकि यह शरीर के मूवमेंट जैसे कि बात करना, चलना आदि को प्रभावित करती है, और शरीर के कांपने का कारण बनती है इसलिए इसे मूवमेंट डिसऑर्डर (Movement Disorder) माना जाता है। पार्किंसन सामान्यत: 40-50 साल की उम्र के बाद डायग्नोस होता है। वहीं यंग ऑनसेट पार्किंसन (Young Onset Parkinson) 21-40 साल की उम्र में डायग्नोस किया जाता है और जुवेनाइल पार्किंसन के बारे में 21 साल की उम्र में पता चलता है। जुवेनाइल पार्किंसन का शिकार लड़के और लड़कियां दोनों होते हैं। हालांकि लड़कों में इस जुवेनाइल पार्किंसन ((Juvenile Parkinson’s)) होने का रिस्क थोड़ा ज्यादा होता है। जिन बच्चों के भाई-बहन या पेरेंट्स को पार्किंसन है उनमें यह बीमारी होने का रिस्क ज्यादा होता है। जेनेटिक्स कुछ केसेज में बड़ा रोल प्ले करते हैं। वायरल इंफेक्शन (Viral Infection) और एनवायरमेंटल टॉक्सिन्स (Environmental Toxins) का एक्सपोजर भी इसका कारण बन सकते हैं।

    और पढ़ें: Parkinson Disease: पार्किंसंस रोग क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार

    जुवेनाइल पार्किंसन के कारण क्या हैं? (Juvenile Parkinson’s Causes)

    जुवेनाइल पार्किंसन की शुरुआत ब्रेन में मौजूद नर्व सेल्स के लॉस से होती है जो कैमिकल जिसे डोपामाइन (Dopamine) कहते हैं प्रोड्यूस करती हैं। डोपामाइन एक कैमिकल मैसेंजर या न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) है जो आवेगों को बच्चे की नर्व सेल्स में ले जाते हैं ताकि बॉडी मूवमेंट्स को कंट्रोल किया जा सके। जब डोपामाइन का निमार्ण नहीं होगा तो नर्व तक मसल्स को कंट्रोल का मैसेज नहीं पहुंच पाएगा। जब मसल्स को मैसेज नहीं मिलेगा तो वे ये नहीं समझ पाएगी कि उन्हें करना क्या है। नर्व लॉस जारी रहने पर जुवेनाइल पार्किंसन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं और कुछ समय के बाद यह और बिगड़ने लगते हैं।

    जुवेनाइल पार्किंसन के लक्षण (Juvenile Parkinson’s Symptoms)

    जुवेनाइल पार्किंसन के लक्षण कम होते हैं क्योंकि ये बीमारी बच्चों, टीनएजर्स और युवाओं में धीरे-धीरे डेवलप होती है। यहां तक कि कुछ रिसर्चर्स का मत है कि कई लोग जिनमें व्यस्क होने तक पार्किंसन के बारे में पता नहीं चलता उनमें यंगर एज में ही लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाते हैं, लेकिन वे लक्षण बहुत माइल्ड होते हैं इसलिए नोटिस नहीं हो पाते। जुवेनाइल पार्किंसन के कुछ कॉमन लक्षण निम्न हैं।

    • एब्नॉर्मल पॉश्चर
    • कंपन जो कि हाथों से शुरू होता है। जिस पर कंट्रोल नहीं रहता
    • स्टिफ और टेंस मसल्स बच्चे तेज दर्द की शिकायत कर सकते हैं
    • स्लो मूवमेंट या अचानक से मूव ना कर पाना
    • संतुलन में कमी
    • कॉर्डिनेशन ना कर पाना
    • जल्दी थक जाना
    • हाथों के कांपने या नॉनरिस्पॉन्सिव मसल्स के चलते हाथ से लिखना मुश्किल हो जाना
    • बात करने में कठिनाई
    • फेशियल एक्प्रेशन में बदलाव
    • चबाने या निगलने में कठिनाई होना

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    जुवेनाइल पार्किंसन के बारे में पता कैसे लगाया जाता है? (Juvenile Parkinson’s Diagnosis)

    क्योंकि जुवेनाइल पार्किंसन दुलर्भ है इसलिए डॉक्टर को इसके बारे में पता लगाने के लिए बेहद ध्यान से डायग्नोसिस करना पड़ता है। डॉक्टर पेरेंट्स से पूछेंगे कि कब उन्होंने बच्चों में इन लक्षणों को नोटिस किया। ये कब दिखाई देते हैं और कितनी देर के लिए रहते हैं। इसके साथ ही बच्चे का फिजिकल एग्जामिनेशन किया जाएगा। बच्चे का न्यूरोलॉजिकल एग्जामिनेशन (Neurological examination) भी किया जा सकता है। डॉक्टर का मुख्य फोकस इसके कारण और लक्षणों के कारण का पता लगाना होगा। अगर कोई अंडरलाइन कंडिशन (Underline Condition) के बारे में पता चलता है तो उसके आधार पर इलाज शुरू किया जाएगा।

    जुवेनाइल पार्किंसन का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Juvenile Parkinson’s)

    जुवेनाइल पार्किंसन का इलाज इसका कारण और बच्चे के लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। ट्रीटमेंट निम्न प्रकार से किया जाता है।

    • मेडिकेशन
    • न्यूरोसर्जरी (Neurosurgery)
    • फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरिपी (Occupational Therapy)
    • स्पीच थेरिपी (Speech Therapy)
    • सर्पोटिव केयर जैसे कि न्यूरोसाइकोलॉजी (Neuropsychology)
    • क्लिनिकल ट्रायल्स

    जुवेनाइल पार्किंसन की तरह ही अर्ली ऑनसेट पार्किंसन भी रेयर है, लेकिन इसको भी समझना जरूरी है। यह 40-50 की उम्र में होता है। अमेरिका में दस लाख लोगों को 50 साल के पहले पार्किंसन डायग्नोस होता है। अर्ली ऑनसेट पार्किंसन डिजीज के लक्षण पार्किंसन डिजीज की तरह ही होते हैं। हाल ही की रिचर्स में यंग पेशेंट में पार्किंसन डिजीज के निम्न लक्षण सामने आए हैं।

    • गंध का एहसास कम होना
    • कब्ज
    • रेम बिहेवियर डिसऑर्डर (REM Behavior Disorder)
    • मूड डिसऑर्डर (Mood Disorders) जैसे कि डिप्रेशन और एंजायटी
    • खड़े होने पर ब्लड प्रेशर कम होना
    • नींद आने में कठिनाई
    • दिन में अधिक सोना, रात में नींद ना आना
    • ब्लैडर में परेशानी
    • सेक्स ड्राइव में परिवर्तन
    • लार (Saliva) का अधिक बनना
    • वजन का बढ़ना या घटना
    • थकान
    • बातों का याद रखने में कठिनाई होना
    • बार-बार भ्रम होना

    अर्ली ऑनसेट पार्किंसन (Early Onset Parkinson) पार्किंसन डिजीज से कैसे अलग है?

    जुवेनाइल पार्किंसन

    लोग जो अर्ली ऑनसेट पार्किंसन डिजीज से ग्रसित होते हैं उनकी फैमिली हिस्ट्री में पार्किंसन बीमारी ज्यादा होती है। यंग ऑनसेट पीडी से पीड़ित निम्न बातों का अनुभव कर सकते हैं।

    • पार्किंसन के लक्षणों का धीमा विकास
    • डिस्टोनिया (Dystonia’s) की प्रॉब्लम बार-बार होना। जिसमें क्रैम्पिंग और एब्नॉर्मल पॉश्चर जैसी तकलीफें होना शामिल है।

    अर्ली ऑनसेट पार्किंसन डिजीज के कारण क्या हैं? (Early Onset Parkinson’s Disease Causes)

    अब तक इस बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है कि किसी भी उम्र में पार्किंसन डिजीज होने के कारण क्या हैं। जेनेटिक फैक्टर्स, एनवायरमेंटल फैक्टर्स मिलकर इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। यह स्थिति तब होती है जब मस्तिष्क के उस भाग की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं जो डोपामाइन का उत्पादन करता है। डोपामाइन मस्तिष्क के संकेतों को भेजने के लिए जिम्मेदार है जो मूवमेंट को नियंत्रित करता है।

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    पार्किंसन डिजीज के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (Risk factors of Parkinson’s Disease)

    आपको पार्किंसन डिजीज होने के चांसेज बेहद बढ़ जाते हैं अगर आप :

    • पुरुष हैं
    • किसी ऐसे एरिया में रहते हैं जहां पर ऑर्गैनिक और इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन होता है
    • आप किसी ऐसी जगह पर काम करते हैं जहां पर आपका सामना टॉक्सिक कैमिकल जैसे कि मैग्नीज या लेड से होता है
    • आपकी कोई हेड इंजरी हुई है

    अर्ली ऑनसेट पार्किंसन (Early Onset Parkinson’s) डिजीज को रोकने के लिए क्या करें?

    पार्किंसन से बचने के लिए कोई निणार्यक तरीका नहीं है। कुछ ऐसे कदम हैं जिन्हें उठाकर आप इस बीमारी से बच सकते हैं।

    कैफीन का उपयोग

    जर्नल ऑफ अल्जाइमर डिजीज में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार कैफीन अर्ली मोटर और नॉनमोटर (Early Motor and Nonmotor ) लक्षणों को रिस्टोर करने में मदद कर सकती है, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।

    एंटी इंफ्लामेट्री ड्रग का उपयोग

    अमेरिकन एकेडेमी ऑफ न्यूरोलॉजी में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक एंटी इंफ्लामेट्री ड्रग (Anti-inflammatory Drugs) पार्किंसन को रोकने में मदद कर सकती हैं। किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।

    विटामिन डी

    पार्किंसन डिजीज से पीड़ित कई लोगों में विटामिन डी (Vitamin D) की पर्याप्त मात्रा नहीं पाई जाती। विटामिन डी सप्लिमेंट्स इस रिस्क को कम कर सकते हैं। किसी भी सप्लिमेंट का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।

    एक्टिव रहें

    एक्सरसाइज मसल्स स्टिफनेस और मोबेलिटी को इम्प्रूव करती है। यह डिप्रेशन (Depression) को कम करने का भी काम करती है। एक्टिव रहना पार्किंसन के रिस्क को भी कम कर सकता है। इसलिए नियमित एक्सरसाइज जरूर करें। चाहे तो वॉक ही कर लें।

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    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और जुवेनाइल पार्किंसन और अर्ली ऑनसेट पार्किंसन से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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