विकास और व्यवहार
मेरे 3 सप्ताह के शिशु का विकास कैसा होना चाहिए?
3 सप्ताह के शिशु की देखभाल करते हुए आप नोटिस करेंगी कि आपका शिशु 20-35 सेमी की दूरी की वस्तुओं को आसानी से देख सकता है। यह दूरी उतनी है, जितनी कि स्तनपान करते समय आपके और शिशु के बीच होती है। इस उम्र में शिशु चेहरे पर थोड़े—थोड़े हावभाव के साथ अपनी रुचि व्यक्त करना शुरू कर देता है। इसलिए शिशु को स्तनपान कराते समय आप उससे बातें करें, इससे आप उसे ध्यान केंद्रित करना सीखा सकती हैं। बाते करते-करते अपना चेहरा आजु—बाजू घुमाएं और देखें कि आपका शिशु आपको देख रहा है या नहीं। इससे शिशु की मांसपेशियों मजबूत होने के साथ आँखों की हल्की एक्सरसाइज भी होगी। यह तीसरा सप्ताह है, जहां आपका शिशु दोनों हाथों और पैरों से लचीले ढंग से आगे बढ़ सकता है।
मुझे 3 सप्ताह के शिशु के विकास के लिए क्या करना चाहिए?
आपका शिशु संवाद करने यानी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक ही माध्यम जानता है और वे है रोना। आप उससे बात करने की कोशिश करें और उसके भावों को समझें। तब आप अनुभव कर पाएंगी कि आपके शिशु को आपका पकड़ना, सहलाना, चूमना, मालिश करना और आपका स्पर्श करना पसंद है। जब वे आपकी आवाज़ सुनेंगे या आपका चेहरा देखेंगे तो वे प्रतिक्रिया में अपनी आवाजें निकलने की कोशिश करेंगे।
और पढ़ें : Hifenac P : हिफेनेक पी क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां
स्वास्थ्य और सुरक्षा
मुझे डॉक्टर से क्या बात करनी चाहिए?
आमतौर पर, अगर आपका शिशु सामान्य रूप से विकसित हो रहे हैं, तो आपको शिशु को डॉक्टर के पास ले जाने की ज़रूरत नहीं है। हालांकि, आपको अपने बच्चे को अपनी निगरानी में रखना चाहिए और इस चीज़ों का निरिक्षण करते रेहना चाहिए, जैसे कि—
- पेशाब कराते समय यूरीन के रंग पर ध्यान दें साथ ही वे दिनभर में कितनी बार पेशाब करता है, इस पर भी ध्यान दें।
- यदि ब्लड क्लॉटिंग को लेकर कोई परेशानी है, तो आप डॉक्टर से मिलें वे विटामिन के के कुछ इंजेक्शन का परामर्श दे सकता है।
मुझ किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
एक माँ के रूप में आपको ये जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) क्या है, और इसे कैसे रोका जा सकता है। सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम में नींद के दौरान शिशु की अचानक मृत्यु हो सकती है। साल भर से कम उम्र के शिशुओं में इसके जोखिम की संभावना अधिक होती है। लेकिन एक अच्छी खबर ये भी है कि ये बीमारी काफी दुर्लभ है। इस बीमारी का कोई मुख्य कारण नहीं है। लेकिन हां, कुछ जोखिम जरूर हो सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं—
- अभिभावक का धूम्रपान करना।
- चेहरे के बल सोना।
- समय से पहले जन्म लेना।
- जन्म के वक़्त, शिशु के वजन मे कमी होना।
- बहुत नरम सतह पर सोना।
- सोते समय बहुत अधिक गर्म होना।
और पढ़ें : Ibugesic Plus : इबूगेसिक प्लस क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां
शिशुओं में सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम के जोखिम को रोकने के लिए, आपको निम्नलिखित कार्य करने चाहिए, जैसे कि—
- हमेशा अपने बच्चे को पीठ के बल लेटाएं। कई अध्ययन ये बताते हैं कि शिशु को पीठ के बल सुलाने से सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम का खतरा 50 प्रतिशत कम हुआ है। शिशु के आसपास कोई मुलायम तकिया या खिलौना हो तो हटा दें, प्रत्याशित रूप से आपके बच्चे के मुंह को ढंक सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। सर को खुला रखें और कमरे के तापमान को 24 डिग्री सेल्सियस के आस— पास रखें।
- इसके अलावा सुलाते समय शिशु को बहुत ज्यादा कपड़ों से न लादें।
- अपने बच्चे के आसपास कभी भी धूम्रपान न करें और धूम्रपान करने वालों से उन्हें दूर रखें।
महत्वपूर्ण बातें
मुझे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मातृत्व के शुरूआती दिनों में, आप काफी तनावग्रस्त महसूस कर सकती हैं, क्योंकि इस दौरान बच्चे अधिक रोते भी हैं। लेकिन, आप इस बात को भी समझें कि शिशु का रोना उसके संवाद करने का एक माध्यम है। तो ऐसे में तनाव महसूस करने की जगह आप यह पता लगाने की कोशिश करें कि उसके रोने का कारण क्या है। हालांकि, यदि वे दिनभर में तीन घंटे से अधिक रो रहा है और ऐसा तीन सप्ताह तक है, तो उन्हें कोलिक की समस्या भी हो सकती है। शिशुओं में ये समस्या लंबे समय तक नहीं बनी रहती है। 60% शिशुओं को लगभग तीन महीने के भीतर इस स्थिति से छुटकारा मिल जाता है, और 90% शिशु चार महीने के होने तक कोलिक से छुटकारा पा जाते हैं। आप अपने डॉक्टर से भी परामर्श ले सकती हैं, क्या उन्हें शिशु में कोई असाधारण लक्षण नजर आते हैं। क्योंकि जांच के बाद डॉक्टर ही आपको सही सलाह दे पाएंगे।
[embed-health-tool-vaccination-tool]