छह महीने या इससे अधिक उम्र के बच्चे की फीडिंग ठीक है या नहीं, यह जानना थोड़ा मुश्किल होता है। स्तनपान करने वाले शिशु की फीडिंग की स्थिति का पता कुछ संकेतों से लगाया जा सकता है। छोटे बच्चे का खानपान ठीक ना होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। बच्चा ठीक से खाना खा रहा है या नहीं, इसका पता कैसे लगाया जाए? आज हम इस आर्टिकल में आपको इसके बारे में बताएंगे।
इस बारे में हमने मध्य प्रदेश के भोपाल की न्यूट्रिशनिस्ट एंड प्रैक्टिसिंग डाइटीशियन डॉक्टर ज्योति शर्मा से खास बातचीत की। उन्होंने हमें बच्चों और शिशुओं की फीडिंग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया।
छह महीने के शिशु की फीडिंग
छह महीने तक शिशु ब्रेस्टफीडिंग पर रहता है। डायरिया या पेट से संबंधित किसी प्रकार की समस्या ना होने पर यदि शिशु रोता या चिड़चिड़ा रहता है तो वह ठीक से ब्रेस्टफीडिंग नहीं कर रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि उसे पर्याप्त डायट नहीं मिल रही है। बीमार होने पर उसका रोना या चिड़चिड़ाना एक सामान्य बात है।
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छह महीने के बाद शिशु का खान-पान
पर्याप्त पोषण (खाना) ना मिलने की स्थिति में शिशु दिनभर रोता रहता है। वहीं ओवर न्यूट्रिशन देने पर बच्चा सुस्त या चिड़चिड़ा हो जाता है। शिशु का खानपान ठीक है या नहीं? इसका पता फिजिकल एग्जामिनेशन के जरिए लगाया जा सकता है। कुछ मामलों में बच्चे के पेट में दिक्कत होती है, जिसकी वजह से वह पर्याप्त भोजन नहीं लेता।
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छोटे बच्चे का खानपान सही है या नहीं? जानने के तरीके
छोटे बच्चे का खानपान सही होने पर वह कम रोता है। इसके अलावा, फीडिंग ठीक रहने पर उनका व्यवहार शांत होता है। शिशु का खानपान ठीक रहने का यह मतलब नहीं कि सभी बच्चे ज्यादा एक्टिव रहें। कुछ बच्चे फीडिंग ठीक रहने पर भी बिस्तर पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहते हैं। इसके अतिरिक्त, छोटे बच्चे का खानपान सही रहने पर उसके दो से तीन बार बॉवेल मूवमेंट होंगे। वहीं, एक वर्ष के बच्चे बिस्तर पर ज्यादा नहीं खेलते हैं लेकिन, फिर भी वह रोते नही हैं। फीडिंग ठीक रहने की स्थिति में शिशु मां या अन्य के पुकारने पर किलकारी मारेगा या हंसेगा।
छोटे बच्चे का खानपान ठीक रहे इसके लिए क्या करना चाहिए?
छोटे बच्चे का खानपान ठीक रहे इसके लिए उनकी डायट पर ध्यान देना जरूरी है। बच्चों को किनवा और कीवी जैसे एग्जॉटिक्स फूड या बाहर की चीजें ना खिलाएं। सीजनल और लोकल फूड ही दें। बच्चे की खाने की टाइमिंग का खासतौर पर ध्यान रखें। कम समय में एक बार में दो समय का खाना ना खिलाएं। बच्चे के हर मील के बीच में अंतराल होना चाहिए। शिशु और बच्चे को संतुलित मात्रा में ही खाना खिलाएं।
किसी दिन बच्चा कम भी खा सकता है। इसकी पूर्ति अगले दिन की जा सकती है। बच्चे पर हमेशा ज्यादा खाने का दबाव ना डालें। बच्चे को खाने में हमेशा ताजी चीजें ही दें। फ्रोजन फूड प्रोडक्ट्स बिलकुल ना दें। इनमें न्यूट्रिएंट वैल्यू कम हो जाती है। इन्हें स्टोर करने के लिए कुछ कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह बच्चे की इम्युनिटी के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं क्योंकि, बड़ों के मुकाबले बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। छोटे बच्चे का खानपान इन बातों से काफी प्रभावित होता है।
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छोटे बच्चे के खानपान में इन बाताें का रखें ध्यान
मानसून सीजन में छोटे बच्चे के खाने में दलिया, खिचड़ी में हरी पत्तेदारी सब्जियां बिलकुल ना मिलाएं। इससे इंफेक्शन हो सकता है। बाकी मौसम में इन्हें जरूर डालें। छोटे बच्चे के खानपान में इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
छोटे बच्चे का खानपान ठीक ना होने पर कैसे पहचानें?
- छोटे बच्चे का खानपान ठीक न होने पर वे रोते ज्यादा हैं।
- छोटे बच्चे का खानपान ठीक न होने पर उन्हें कब्ज या डायरिया और पेट दर्द की शिकायत हो सकती है।
- छोटे बच्चे का खानपान ठीक न होने पर बच्चे को गहरी नींद नहीं आती।
- छोटे बच्चे का खानपान ठीक न होने पर उनकी नींद बार-बार टूटती है।
हम यही कहेंगे कि आप भी ऊपर बताए गए तरीकों से छोटे बच्चे के खानपान पर नजर रख सकती हैं। यदि आपको लगता है कि बच्चे में ये लक्षण नजर आ रहे हैं तो संभवतः उसकी फीडिंग ठीक नहीं चल रही है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। ताकि वे छोटे बच्चे के खानपान से संबंधित उचित टिप्स आपको दे सकें।
यहां बताई गई टिप्स के बाद आप यह जान सकते हैं कि छोटे बच्चे का खानपान ठीक है या नहीं। अब हम आपको कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जिनसे आप पता कर सकते हैं कि आपका बच्चा स्वस्थ है या नहीं?
छोटे बच्चे का सोना और सांस लेने का तरीका
छोटे बच्चे के खानपान से तो उसके स्वस्थ होने के बारे में पता चलता ही है। उसके सोने और सांस लेने से तरीके से भी इसके बारे में पता लगाया जा सकता है। नवजात शिशु जन्म के कुछ समय बाद यानी लगभग एक हफ्ते तक ज्यादातर समय सोने में गुजार देते हैं। जिन नवजात शिशु की माओं को लेबर के दौरान मेडिकेशन दिया जाता है, उनके बच्चों में नींद ज्यादा देखने को मिलती है। 60 ब्रीथ पर मिनट यानी एक मिनट में 60 बार सांस लेना नवजात शिशु के लिए आम बात होती है। कुछ लोग बच्चों के तेजी से सांस लेने से घबरा भी जाते हैं। कई बार बच्चे 2 से 3 सेकेंड के लिए ब्रीथ रोककर फिर से लेना भी शुरू कर सकते हैं। अगर आपका बच्चा देखने में नीला लग रहा हो और उसकी सांसें भी कम मालूम पड़ रही हो तो तुरंत बच्चे को हॉस्पिटल ले जाए। ये एक एमरजेंसी केस है।
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नवजात शिशु की पॉटी
अगर आप नई मां बनने वाली हैं तो आपको नहीं पता होगा कि बच्चा एक दिन में कितनी बार पॉटी और सुसू करता है। नवजात शिशु एक दिन में छह बार सूसू और चार बार पॉटी कर सकता है। पहले हफ्ते में बच्चे को थिक और ब्लैक या फिर डार्क ग्रीन पॉटी आ सकती है। इसे मैकोनियम कहते हैं। नवजात शिशु के पैदा होने के पहले उसकी आंत में ब्लैक सबस्टेंस भरा होता है, जो मैकोनियम के रूप में बाहर निकलता है। ब्रेस्टफीड के बाद बच्चे के यलोइश पॉटी होने लगती है। साथ ही फॉर्मुला मिल्क पीने वाले नवजात शिशु टैन या यलो रंग की पॉटी करते हैं। कुछ दिनों बाद बच्चा दिन में एक से दो बार पॉटी करेगा।
ऊपर बताई गई बातों से आप समझ सकती हैं कि आपका बच्चा स्वस्थ है या नहीं। किसी प्रकार की अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।
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