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बच्चों का टाइम टेबल बनाते समय गैजेट्स के उपयोग के लिए भी करें समय निर्धारित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे · आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/06/2021

    बच्चों का टाइम टेबल बनाते समय गैजेट्स के उपयोग के लिए भी करें समय निर्धारित

    बच्चों का टाइम-टेबल (Children’s time table) से पढ़ाई करना एक अच्छे स्टूडेंट की पहचान मानी जाती है। कई बच्चे सिर्फ एग्जाम में पास आते ही पढ़ाई का रूटीन तो बना लेते हैं। लेकिन, कुछ समय बाद ही इसे फॉलो नहीं कर पाते और साथ ही सारा पढ़ा-लिखा भी भूल जाते हैं। क्योंकि, बच्चे किताब या नोट्स में बताई गई बातों को रट लेते हैं, जो ज्यादा समय तक दिमाग में नहीं रह पाती है। ऐसे में यह जरूरी है कि पेरेंट्स पूरे साल की पढ़ाई के लिए बच्चों का टाइम-टेबल बना दें। यह बिलकुल न सोचें कि स्कूल में एग्जाम कब से हैं या फिर कब छुट्टियां हैं? बच्चों का रूटीन आप इस तरह बनाएं कि बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बिलकुल न पड़े और बच्चे हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके नई चीजें सीखते रहें।      

    हर सेशन के लिए नई योजना बनाएं (Create a new plan for each session)

    टाइम-टू-टाइम अपने बच्चों के साथ बैठें और स्कूल और क्लास के करिकुलम के मुताबिक, पूरे साल की पढ़ाई के लिए टाइम-टेबल निर्धारित करें और उसी के अनुसार बच्चों के लिए इयर-प्लान करें। जिससे आप और बच्चे दोनों के पास भरपूर टाइम रहे। इयर-प्लान में अपने बच्चों की कमजोर कड़ी को हाईलाइट करें ताकि उसे किसी विषय पर ज्यादा गाइड कर सकें। इसके लिए पिछले साल का उनके रिपोर्ट कार्ड की मदद लें।

    फन-एक्टिविटी को शामिल करें (Incorporate Fun-Activity)

     कई बार बच्चे घर पर पढ़ने में रूचि नहीं लेते, ऐसी स्थिति में बच्चे को खेल-खेल में पढ़ाने की कोशिश करें। अपने बच्चे को माता-पिता ही सबसे अधिक जानते हैं। ऐसे नए तरीके खोजने की कोशिश करें, जिसमें बच्चे को पढ़ाने में आप भी परेशान न हो। इसके लिए आप उसकी पसंद की एक्टिविटी कराते हुए होम-वर्क भी आसानी से करा सकते हैं।

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    बच्चों का टाइम टेबल समय-समय पर एनालिसिस करें (Analyze children’s time table time to time)

     सेशन की शुरुआत में बनाया गया इयर-प्लान या टाइम-टेबल हो सकता है कि कुछ महीनों बाद उतना हेल्पफुल न हो। इससे बचने का आसान सा तरीका यह है कि बीच-बीच में प्लान का एनालिसिस करते रहें। सभी प्रोब्लम्स पर अपने बच्चे से बात करें और जरूरी लगे, तो इसमें बदलाव भी करें। 

     टाइम-टेबल कभी मिस न हो (Never miss time table)

    अगर सही टाइमटेबल मेंटेन नहीं किया जाए, तो बच्चों का ढेर सारा काम इकट्ठा हो जाता है और समस्या बहुत बढ़ जाती है। होमवर्क सही तरीके से होता रहे इसके लिए जरूरी है कि आप टाइम टेबल फॉलो होने पर ध्यान दें।

    छुट्टी के दिन को एंजॉय करने दें (Enjoy the day off)

    लगातार छह दिनों तक क्लास करने से बच्चे मानसिक रूप से बहुत थक जाते हैं। जैसे आप ऑफिस से एक दिन की छुट्टी पर होते हैं, ठीक उसी तरह बच्चों को भी ब्रेक की जरूरत होती है। बच्चे भी चाहते हैं कि छुट्टी के दिन फ्री रहें। ऐसे में टाइम टेबल के हिसाब से चलना नामुमकिन है। आप छुट्टी के दिन के लिए अलग से टाइम टेबल बनाएं, जिससे होमवर्क न रह जाए और बच्चे छुट्टी का मजा भी मिले।

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    बच्चों का टाइम टेबल (Children’s Time table) इस तरह बनाएं कि उन्हें ब्रेक मिले

    बच्चे के स्कूल से लौटने के बाद उसे समय का ब्रेक दें। यह भी ध्यान दें कि इस ब्रेक में बच्चा न तो टीवी, इंटरनेट या वीडियो गेम्स में न लग जाए। यह सब करने पर भी बच्चे को ब्रेक नहीं मिलेगा और उसका दिमाग शांत नहीं रहेगा। जरूरी है कि बच्चा कुछ समय के लिए अपने दिमाग को शांत रखे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि बच्चा अपना होमवर्क शाम से पहले ही खत्म कर ले। इसके लिए वह रात होने का इंतजार न करें उस समय घर के बाकी सदस्य भी घर पर होते हैं और ऐसे में बच्चे का अकेले बैठकर काम करने में मन भी लगेगा। बच्चे के लिए टाइम टेबल को इस तरह से बनाएं कि बह इस समय घर के बाकी सदस्यों के साथ समय बिता सके।

    छुट्टी वाले दिन कहीं पढ़ाई न रह जाएं

    बड़ों की ही तरह बच्चों को भी ब्रेक की जरूरत होती है। बच्चे भी चाहते हैं कि उनके पास एक दिन हो जब उनके ऊपर पढाई से लेकर किसी और एक्टिविटी का कोई दबाव न हो। साथ ही बच्चे इस दिन अपनी मर्जी से सोना और ऊठना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें एक दिन का ब्रेक देना जरूरी होता है। लेकिन साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि इस दिन उनकी पढ़ाई के लिए थोड़ा समय उन्हें उनकी सहुलियत के लिहाज से ही निकालने को कहें। इससे वे छुट्टी का मजा भी ले पाएंगे और होमवर्क भी नहीं छुटेगा।

    बच्चों का टाइम टेबल (Children’s time table) सभी विषयों का ख्याल रखकर बनाएं

    अपने बच्चे के सभी विषयों की सही तैयारी कराएं। हो सकता है कि बच्चा किसी एक विषय में कमजोर हो या फिर किसी और विषय में उसकी ज्यादा रुचि हो। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि बच्चे सारा समय अपने कमजोर विषय का ही होमवर्क करता रहें या जिस विषय में मजबूत हैं उसी को और पढ़ता रहे। पेरेंट्स को देखना होगा कि बच्चा सभी विषयों पर बराबर मेहनत करें।

    बच्चों की नींद और डायट (Diet) का भी ख्याल रखें

    बच्चों का टाइम टेबल बनाते समय इस बात का भी ख्याल रखें कि उनके लिए नींद और डायट ठीक से मिल रही है कि नहीं। बच्चों के आज शेड्यूल इतने टफ होते हैं कि उन्हें ठीक से खाने और सोने तक का ख्याल नहीं रहता है। ऐसे में इस बात का ख्याल रखें कि इतने दबाव के बीच बच्चे ठीक से नींद ले पाएं। साथ ही एकाग्रता के लिए सही डायट की भी जरूरत होती है। बच्चे ठीक के पढ़ाई करें इसके लिए उन्हें बैलेंस डायट की जरूरत होती है। साथ ही बच्चों को फास्टफूड बहुत पसंद होते हैं लेकिन पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे कैसे अपने बच्चे को इन सब से दूर रखते हैं। साथ ही मैदे से बनी चीजों के सेवन से बच्चों को रोकना जरूरी होता है।

    बच्चों का टाइम टेबल (Children’s time table) बनाते समय गैजेट के लिए निर्धारित करें समय

    पढ़ाई से लेकर एंटरटेनमेंट तक बच्चे आज गैजेट्स या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सहारा लेते हैं। लेकिन, जब पेरेंट्स बच्चों का टाइम टेबल बनाएं, तो इस बात का भी ख्याल रखें कि आप उनके लिए डिजिटल डिटॉक्स का भी समय निर्धारित करें। इस दौरान वे इन सभी गैजेट्स से दूरी बनाकर रखें। ऐसा करने से बच्चों का सोशल स्किल बढ़ती है। वे लोगों से सीधे बात करना सीखते हैं।

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    नए संशोधन की समीक्षा डॉ. प्रणाली पाटिल द्वारा की गई

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