बच्चों में आजकल थायरॉइड की समस्या अधिक देखने को मिल रही है, जोकि एक चिंता का विषय है। बच्चों में इसके पीछे जेनेटिक के अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं। लेकिन बच्चाें में होने वाली थॉयराइड की समस्या उनके शरीर के अंगों और विकास को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए समय रहते इसका इलाज बहुत जरूरी है। आज हम बात करेंगे कि बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment for thyroid in children) क्या है? और बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment for thyroid in children), उन्हें किस तरह राहत दे सकता है, जानिए यहां….
और पढ़ें: बढ़े वजन से चाहिए छुटकारा, तो अपनाएं हायपोथायरॉइडिज्म के लिए वेट लॉस टिप्स
थायरॉइड क्या है? (Thyroid)
थायराॅइड तितली के आकार की ग्रंथी होती है, जोकि हमारे शरीर में ठीक कॉलरबोन के उपर स्थित होती है। यह ग्रंथी हाॅर्मोन से बनाती है। बच्चों और सभी में प्रमुख रूप से थायराॅइड दो प्रकार के देखे जाते हैं, पहला हायपरथायराइड, इसमें अधिक मात्रा में थायराॅइड हाॅर्मोन बनते हैं, जबकि दूसरे प्रकार के हायपोथायराइड में हाॅर्मोन का उत्पादन कम होता है। बच्चों में यह दोनों प्रकार ज्यादा देखने को मिलते हैं। संतुलित आहार आर फाइबरयुक्त भोजन और उचित उपचार से थायराइड ग्रंथी ठीक तरह से काम कर सकती है।
बच्चों में होने वाले थाॅयराइड के लक्षण (Thyroid Symptoms in children)
थायरॉइड ग्रंथि, जो गर्दन के सामने हंसली के पास स्थित होती है, हमारे शरीर में, हर कोशिका, ऊतक और अंग में सभी चयापचय और अन्य शरीरिक फंक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। थायरॉइड ग्रंथि के विकारों का प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है। जब थायरॉयड ग्रंथि बहुत अधिक थायराॅइड हाॅर्मोन का निमार्ण करती है, तो इस स्थिति को हायपरथायराॅइडिज्म (Hyperthyroidism) कहा जाता है। जब थायरॉयड ग्रंथि बहुत कम थायराइड हाॅर्मोन का उत्पादन करती है, तो स्थिति को हायपोथायरायडिज्म कहा जाता है। थायराइड की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है; आज हम यहां बात कर रहें हैं, बच्चों में होने वाले थायराॅइड की।
हायपरथायरायडिज्म के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- शरीरिक विकास की धीमी गति (Physical growth)
- देर से दांत निकलना (Late teething)
- शरीर या हाथों का कापना (Shaking hands)
- तेजी से दिल धड़कना (Fast heartbeat)
- बढ़ा हुआ थायराॅइड (Enlarged thyroid)
- पसीना अधिक आना (Excess sweating)
- नींद की समस्या होना (Sleep problem)
- वजन घटाने (Weight loss)के साथ-साथ भूख का बढ़ना
- कभी-कभी बेहोश हो जाना (Fainted)
बच्चों और किशोरों में हायपरथायराॅइडिज्म का सबसे आम कारण एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसे ग्रेव्स रोग कहा जाता है, जिसके कारण शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है, जो थायरॉयड ग्रंथि को अनियंत्रित रूप से उत्तेजित करता है, जिससे बहुत अधिक थायराॅइड हाॅर्मोन का निमार्ण होता है।
हायपोथायरायडिज्म के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- शरीर में ऊर्जा की कमी (Lack of energy)
- गले में सूजन (Sore throat)
- अचानक से वजन बढ़ना (Increase weight)
- मांसपेशियों में दर्द (Muscle pain)
- कब्ज की दिक्कत होना (Constipation)
बच्चों और किशोरों में हायपोथायराॅइडिज्म का सबसे आम और बड़ा कारण है, एक ऑटोइम्यून स्थिति का होना, जिसे हाशिमोटो थायरॉयडिटिस कहा जाता है। जो शरीर को एंटीबॉडी का उत्पादन करने करता है। लेकिन यह कई बार थायरॉयड ग्रंथि को नुकसान पहुंचा सकता है, तब बहुत कम थायराइॅड हाॅर्मोन बनाता है।
और पढ़ें: बढ़े वजन से चाहिए छुटकारा, तो अपनाएं हायपोथायरॉइडिज्म के लिए वेट लॉस टिप्स
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment for thyroid in children)
यदि बच्चे में थॉयराइड की समस्या है, तो बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार काफी प्रभावकारी पाया गया है। आयुर्वेद में इस्तेमाल कि जाने वाली समाग्रियों में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: एप्पल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar)
एप्पल साइडर विनेगर के कई हेल्थ बेनेफिट्स होते हैं, यह हाॅर्मोन के उत्पादन और संतुलन में मदद करता है। यह शरीर के वसा को रेग्युलेट करने के लिए, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। एप्पल साइडर विनेगर को शहद और पानी में मिलाकर लिया जा सकता है।
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: अदरक (Ginger)
अदरका के भी कई हेल्थ बेनेफिट्स होते हैं। अदरक को आयुर्वेद में रामबाण मानते हैं। इसमें पौटेशियम और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक मिनरल्स पाए जाते हैं। यह इन्फ्लेमेशन से बचने में भी मददगार है। बच्चे को अदरक का रस शहद के साथ मिलाकर दे सकते हैं।
और पढ़ें: बिहेवियर चार्ट्स : छोटे बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने का मजेदार तरीका!
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: विटामिन बी (Vitamin B)
बच्चे को थाॅयराइड की समस्या से बचाने में विटामिन का सेवन भी काफी मददगार है। इसलिए आप बच्चे के डायट में विटामिन की मात्रा को शामिल करें। थायराॅइड फंक्शन के लिए विटामिन बी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। विटामिन बी 12 हायपोथायराॅइडिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। विटामिन बी के लिए आप बच्चे को मछली, अंडे, मांस, दूूध और फलियां आदि दे सकते हैं। विटामिन बी का सेवन बच्चे के लिए अच्छे ब्रेन फंक्शन के लिए प्रभावकारी माना जाता है। इसके और भी कई हेल्थ बेनेफिट्स हैं।
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: नारियल का तेल (Coconut oil)
नारियल के तेल का सेवन बच्चे के लिए कई प्रकार से फायदेमंद है। इसमें फैटी एसिड होते हैं, जो थायराॅइड ग्रंथि के सही फंक्शन में मदद करते हैं। कोकोनट ऑयल ओबेसिटी के शिकार बच्चों में वेट लॉस के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसी के साथ ही यह बच्चे के मेटाबॉलिज्म को भी अच्छा बनाता है। लेकिन इसका अर्थ नहीं है कि आप उसे अधिक ऑयल फूड दें। लिमिटिड मात्रा में ही दें।
और पढ़ें: बिहेवियर चार्ट्स : छोटे बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने का मजेदार तरीका!
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: विटामिन डी (Vitamin D)
विटामिन डी की कमी के कारण भी बच्चे को थायराॅइड की समस्या हो सकती है। नैचुरल रूप से बच्चे में विटामिन डी की कमी (Vitamin D)को पूरा करने के लिए उसे रोजाना 15 मिनट की धूप लेने दें। कुछ खाद्य पदार्थ में भी विटामिन डी की उच्च मात्रा पायी जाती है,जैसे कि कई डेयरी उत्पाद में, सफेद तिल में, संतरे के जूस में और अंडे की जर्दी में। यदि शरीर में विटामिन डी का स्तर बहुत कम है, तो आप डॉक्टर की सलाह पर बच्चे को विटािमिन डी के सप्लिमेंट्स भी दे सकते हैं।
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: बादाम (Almond)
थायराॅइड की समस्या के अलावा अन्य लिए बादाम सबसे उपयुक्त हैं। यह प्रोटीन (Protein), फाइबर और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। बादाम में सेलेनियम होता है जो थायराॅइड हेल्दी न्यूट्रिएंट है। यह मैग्नीशियम में भी बहुत समृद्ध है जो थायरायड ग्रंथि को आराम से काम करने में मदद कर सकता है।
दूध और इससे बने पदार्थ (Milk Product)
दूध, पनीर और दही थायराॅइड के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं क्योंकि ये आयोडीन में हाई होते हैं जो थायराॅइड के सही तरह से काम के लिए आवश्यक है। यह विटामिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करेंगे।
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: बीन्स (Beans)
बीन्स फाइबर, प्रोटीन, आवश्यक खनिज और विटामिन से भरपूर होते हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट और जटिल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं। फाइबर अधिक होने से यह कब्ज से निपटने में मदद करता है जो हाइपोथायरायडिज्म का एक आम दुष्प्रभाव है।
बच्चों में थायराॅइड का आयुर्वेदिक उपचार: अलसी का बीज (Flax seeds)
अलसी का बीज अच्छे फैटी एसिड से भरपूर होते हैं जो दिल और थायरायड के लिए अच्छे होते हैं। मैग्नीशियम और विटामिन बी 12 से भरपूर, अलसी का बीज हाइपोथायरायडिज्म से लड़ते हैं।
और पढ़ें: बच्चों के लिए छाछ फायदे : एक नहीं, दो नहीं, बल्कि हैं अनगिनत!
थायराइड फंक्शनिंग को अच्छा बनाए रखने के सबसे महत्वपूर्ण है नियमित व्यायाम। दवाएं और प्राकृतिक उपचार ठीक हैं, लेकिन इसे उचित व्यायाम के साथ जोड़ा जाना चाहिए। नियमित व्यायाम हार्मोनल संतुलन में मदद करता है और बेहतर वजन के नियंत्रण में काम आता है जो थायराइड की समस्याओं से निपटने में मदद करता है।
[embed-health-tool-vaccination-tool]