“प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के द्वारा पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड का सेवन, स्तनपान, बचपन की पर्याप्त शारीरिक गतिविधियां बच्चों में कैंसर के रिस्क को कम कर सकती हैं और बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) कर सकती हैं”। ये कहना है सीडीसी यानी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for disease control and prevention) का। आपको बता दें कि 2008-2018 की इंडियन पेडियाट्रिक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 5 से 14 साल के बच्चों की मौत का नौवां कारण कैंसर है। 0-14 वर्ष की आयु के 148000 बच्चे 2008 के दौरान कैंसर से पीड़ित हुए। इंडियन कैंसर रजिस्ट्री (Indian cancer registries ) के अनुसार चाइल्डहुड कैंसर का अनुपात लड़कों में कैंसर 0.8% से 5.8% वहीं लड़कियों में कैंसर 0.5% to 3.4% प्रतिशत है। इन आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि बच्चों में कैंसर के मामले व्यस्कों में कैंसर जितने ही खतरनाक हो चुके हैं। बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) करना बेहद जरूरी है। इसकी शुरुआत गर्भावस्था से ही हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण, रेडिएशन से कम एक्सपोजर बच्चों में कैंसर से बचाव करने में मदद करता है। बचाव से पहले जान लेते हैं कि बच्चों में होने वाले कैंसर के बारे में।
और पढ़ें: बच्चों को टीकाकरण के बाद दर्द या सूजन की हो समस्या, तो अपनाएं ये उपाय
बच्चों में होने वाले कैंसर (Cancers in children’s)
बच्चों में जो कैंसर डेवलप होते हैं वे व्यस्कों को होने वाले कैंसर से अलग होते हैं। बच्चों में होने वाले कैंसर के प्रकार निम्न हैं।
- ल्यूकेमिया (Leukemia)
- ब्रेन और स्पाइनल कोर्ड ट्यूमर्स (Brain and spinal cord tumors)
- न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma)
- विल्स ट्यूमर (Wilms tumor)
- लिम्फोमा (Lymphoma)
- बोन कैंसर (Bone cancer)
- रेब्डोमायोसर्कोमा (Rhabdomyosarcoma)
- रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma)
और पढ़ें: बच्चों को निमोनिया की वैक्सीन लगाना है जरूरी
बच्चों में कैंसर के लक्षण (Childhood Cancer Symptoms)
बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) कर सकें इसके लिए उनमें कैंसर की पहचान समय पर करने की विशेष आवश्यकता है। बच्चे के शरीर में होने वाले बदलावों से इसके बारे में पता चलेगा। आपको बता दें कि बच्चों में कैंसर को डिटेक्ट करना मुश्किल होता है। कुछ लक्षण सामान्य बीमारियों के लक्षणों की तरह होते हैं। कभी-कभी बच्चों में यहां बताए गए लक्षण भी दिखाई नहीं देते हैं। बच्चों में कैंसर के लक्षण निम्न हैं।
- लगातार बिना किसी कारण से वजन का कम होना
- सिर दर्द
- सुबह-सुबह उल्टी होना
- हड्डियों, जॉइंट्स, बैक और लेग पर स्वेलिंग और पेन
- एब्डोमिन, नेक, चेस्ट, पेल्विस और आर्मपिट में मास या लंप होना
- लगातार और बार बार इंफेक्शन होना ब्लीडिंग या फिर रैशेज आना
- लगातार उल्टियां आना
- बहुत ज्यादा थकान लगना
बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइए जानते हैं।
बच्चों का कैंसर से बचाव करने के लिए तंबाकू के उपयोग को कह दें ना
बच्चों का कैंसर से बचाव करने के लिए आपको तंबाकू को ना कहना होगा। इसके साथ ही किसी को अपने बच्चे के आसपास स्मोक करने से मना करें। यह आसान नहीं है, लेकिन आपको ऐसा करना होगा क्योंकि शायद आप ना जानते हों कि 5 में से 4 कैंसर तंबाकू के कारण होते हैं। तंबाकू डीएनए को डैमेज कर देती है। इससे लंग, गला, लिवर, किडनी और कछु प्रकार के ल्यूकेमिया कैंसर हो सकते हैं। यहां तक कि सेकेंडहेंड स्मोकिंग कैंसर के रिस्क को 25 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। एक सिगरेट के जलते धुएं से तीन गुना कार्बनमोनोऑक्साइड, 10 गुना नाइट्रोसेमाइंस और कई गुना अमोनिया निकलता है। अगर आप स्मोक करते हैं तो आपके बच्चे की एडिक्टेड होने के चांसेज 25 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। जिससे कैंसर के प्रति उनका जोखिम हो भी बढ़ जाता है। बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) करने के लिए आपको स्मोकिंग से दूरी बनानी ही होगी।
बच्चों को सनबर्न (Sunburn) से बचाएं
बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) करना चाहते हैं तो उन्हें सनबर्न से बचाएं क्योंकि यह स्किन कैंसर का कारण बनता है। उन्हें धूप से बचाने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार सनस्क्रीन या स्किन केयर प्रोडक्ट का यूज करें। धूप में निकलने पर बच्चों के सिर को टोपी और आंखों को सनग्लासेस से ढंककर रखें।
और पढ़ें: बच्चों के लिए ओमेगा-3 (Omega-3) फैटी एसिड सप्लिमेंट्स का उपयोग करना चाहिए या नहीं?
बच्चों का कैंसर से बचाव करने के लिए जरूरी है हेल्दी डायट (Healthy diet is necessary to protect children from cancer)
बच्चों की डायट में ताजे और मौसमी फलों और सब्जियों को शामिल करना बेहद जरूरी है। उन्हें जंक फूड और ड्रिंक्स से दूर रखें। इसके साथ ही प्रोसेस्ड फूड भी बच्चों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। हेल्दी डायट बॉडी में से हानिकारक कैमिकल्स को हटाने और डीनए डैमेज को रोकती है और डीएनए रिपेयर का काम करती है। जिससे कैंसर का कारण बनने वाले कैमिकल्स का फॉर्मेशन ब्लॉक हो जाता है। अनहेल्दी डायट ब्रेस्ट, माउथ, इसोफेगस और जीआई के कैंसर का कारण बनती है।
मोटापे से करें बचाव (Prevent obesity)
अगर बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) करना चाहते हैं तो उन्हें ओबेसिटी से बचाएं। WHO के अनुसार ओबेसिटी बच्चों में कई प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ा देती है। जिसमें इसोफेगस (Oesophagus) कोलोरेक्टम (colorectum) कैंसर शामिल हैं। हेल्दी फूड और फिजिकल एक्सरसाइज बचपन से बच्चों के रूटीन में शामिल करना चाहिए। फिजिकल एक्टिविटी ना करना दुनियाभर के बच्चों में ओवरवेट और ओबेसिटी का कारण बनता है जो कई प्रकार के कैंसर के रिस्क को बढ़ाता है। बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए उनके एनर्जी इंटेक से फैट को कम करें और सैचुरेटैड फैट की जगह अनसैचुरेड फैट का उपयोग करें। उनको बहुत ज्यादा मीठा ना खिलाएं। साथ ही बहुत ज्यादा नमक वाली चीजें जैसे कि वेफर्स, अचार आदि सीमित मात्रा में दें। बच्चों को आयोडीन युक्त नमक ही खिलाएं।
और पढ़ें: सिकल सेल डिजीज से ग्रस्त बच्चों की पेरेंट्स ऐसे करें मदद
बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) करने के लिए उन्हें इंफेक्शन से बचाएं
कुछ इंफेक्शन कैंसर के रिस्क को बढ़ा देते हैं क्योंकि इनसे क्रोनिक इंफ्लामेशन होता है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। हेपेटाइटिस बी कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकता है। इसलिए बच्चे को वैक्सीन लगवाएं और उन्हें आईवी ड्रग्स और सेफ सेक्स के बारे में जागरूक करें। हेपेटाइटिस सी भी रिस्क को बढ़ाता है और 41 प्रतिशत इसका कारण टैटूज होते हैं। हेलिकोबेक्टर पायलोरी भी रिस्क को बढ़ाता है। इसके साथ ही एचपीवी से भी ओरल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। सीडीसी के अनुसार एचपीवी वैक्सीन से इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है। इसलिए बच्चों को 11-12 साल की उम्र में एचपीवी वैक्सीन देना चाहिए।
एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटीज के लिए करें प्रोत्साहित (Encourage exercise and physical activities)
बच्चों को एक्सरसाइज और आउटडोर एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करना उन्हें कैंसर के रिस्क से बचा सकता है। ऐसा आपने कभी नहीं सोचा होगा, लेकिन यह सच है। एक्ससाइज इस्ट्रोजन, इंसुलिन हॉर्मोन के लेवल को रेगुलेट रखती है जो कि सीधे-सीधे कैंसर से लिंक करते हैं। एक्टिव लाइफस्टाइल ब्रेस्ट, बॉवेल और यूटेराइन कैंसर से बचाने का काम करती है। इसलिए बच्चों का खेलना कूदना बेहद जरूरी है।
कैमिकल्स के एक्सपोजर को कम करें (Minimize Exposure to Chemicals)
इंडोर पेस्टिसाइड्स बच्चों में ल्यूकेमिया कैंसर का रिस्क बढ़ा रहे हैं। अब बाहर काम पर जाते हुए किन कैमिकल्स के संपर्क में आ रहे हैं इसके प्रति जागरूक रहें। घर में इन टॉक्सिन पदार्थों जो कैंसर का कारण बनते हैं जैसे कि अर्सेनिक, बेंजीन, एस्बेस्टॉस को लेकर ना आएं। घर पर उपयोग किए जाने वाले प्रोडक्ट्स के इंग्रीडिएंट्स को जरूर चेक करें।
इस तरह आप बच्चों का कैंसर से बचाव (Child cancer prevention) कर सकते हैं। याद रखें बच्चों की सुरक्षा करना पेरेंट्स की जिम्मेदारी है। अगर आप इसे अच्छी तरह निभाते हैं तो बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचा सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और बच्चों का कैंसर से बचाव कैसे करें से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
[embed-health-tool-vaccination-tool]