परिचय
प्राडर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) क्या है?
प्राडर विलि सिंड्रोम जन्म के वक्त मौजूद एक दुर्लभ विकार है, जिसके परिमामस्वरूप कई शारीरिक (Physical), मानसिक (Mental) और व्यवहार से संबंधी समस्याएं होती हैं।
प्राडर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें भूख लगातर लगती रहती है। इसकी शुरुआत दो वर्ष की आयु से हो जाती है। प्राडर विलि सिंड्रोम से पीढ़ित लोग लगातार खाते रहते हैं, क्योंकि उन्हें कभी भी पेट के भरे हुए होने का अहसास हाइपरफेगिया (Hyperphagia)) नहीं होता है। आमतौर पर उन्हें अपने वजन को नियंत्रित करने में समस्या आती है। मोटापे की वजह से प्रेशर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) में अनेकों समस्याएं आती हैं।
प्राडर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) कितना सामान्य है?
प्राडर विलि सिंड्रोम किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। प्राडर विलि सिंड्रोम का प्रबंधंन इसके जोखिम के कारकों को कम करके किया जा सकता है। इसकी अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
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लक्षण
प्राडर विलि सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? (Symptoms Prader-Willi syndrome)
प्राडर विलि सिंड्रोम के लक्षण कई चरणों में सामने आते हैं। जन्म के वक्त इसके निम्नलिखित लक्षण मौजूद हो सकते हैं:
- मांसपेशियों की खराब दशा: शैशव अवस्था के दौरान मांसपेशियों की खराब दशा (Hypotonia) प्राडर विलि सिंड्रोम का प्राथमिक लक्षण है। इससे पीढ़ित शिशु अपनी कोहनी और घुटनों को स्थिर करने के बजाय उनसे रेस्ट करते हैं। उन्हें लटकते हुए का अहसास होता है या वो एक रेग डॉल की तरह लटके हुए नजर आते हैं।
- चेहरे की विशिष्ट विशेषताएं: इस बीमारी से पीढ़ित बच्चों की आंखों का आकार बादाम जैसा दिखता है। साथ ही उनका सिर मंदिर की आकृति के जैसा होता है। उनका मुंह मुड़ा हुआ होता है और ऊपरी होठ पतला होता है।
- प्राडर विलि सिंड्रोम से पीढ़ित बच्चों की मांसपेशियों की टोन खराब होती है, जिसकी वजह से वह दूध पीना या स्तनों को चूस नहीं पाते हैं। मां के स्तन को ठीक से न चूस पाने की वजह से उन्हें ब्रेस्टफीडिंग में समस्या आती है। इसके चलते धीरे-धीरे उनका वजन बढ़ने लगता है।
- कॉर्डिनेशन की कमी (स्ट्रेबिसमुस [Strabismus]): प्राडर विलि सिंड्रोम से पीढ़ित बच्चों की आंखे एक साथ मूव नहीं कर पाती हैं। ऐसे में उनकी आंखों में भैंगापन हो सकता है।
- सही प्रतिक्रिया न देना: इस बीमारी से पीढ़ित बच्चा असामान्य रूप से थका हुआ नजर आ सकता है। स्टिमुलेशन के प्रति वह ठीक ढंग से प्रतिक्रिया नहीं देता है। उसे उठने में समस्या होती है या धीरे रोता है।
प्राडर विलि सिंड्रोम के अन्य लक्षण बचपन के शुरुआती दिनों में नजर आते हैं और आजीवन रहते हैं। इनमें काफी सतर्कता और इलाज की आवश्यकता होती है।
इसके अन्य लक्षण (Other symptoms of Prader-Willi syndrome) निम्नलिखित हैं:
- भोजन की लालसा और वजन बढ़ना (Weight gain)
- अविकसित सेक्स अंग
- खराब ग्रोथ और शारीरिक विकास (Physical growth)
- बौद्धिक अक्षमता
- मोटर के विकास में देरी होना
- बोलने (Speaking) से संबंधित समस्याएं
- व्यवहारिक समस्याएं
- नींद (Sleep) की समस्या
- स्क्लोइओसिस (Scoliosis)
- एंडोक्राइन की अन्य समस्याएं
प्राडर विलि सिंड्रोम के अन्य लक्षण:
- निकटदृष्टि दोष और विजन की अन्य समस्याएं
- परिवार के अन्य सदस्यों के मुकाबले हल्के बाल और त्वचा
- दर्द सहने की उच्च क्षमता, जिससे चोट (Injury) या बीमारी का पता लगाना मुश्किल हो
- बुखार (Fever) के वक्त तापमान (Temperature) को नियमित करने की समस्या या गर्म और ठंडे इलाकों में समान समस्या
उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी कुछ ऐसे संकेत या लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यदि आप प्राडर विलि सिंड्रोम (Syndrom) को लेकर चिंतित हैं तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यदि उपरोक्त लक्षणों में से आपको किसी एक का अनुभव होता है या आपका कोई सवाल है तो डॉक्टर से परामर्श लें। हालांकि, हर व्यक्ति की बॉडी इस बीमारी में अलग ढंग से प्रतिक्रिया देती है। अपनी स्थिति की सही जानकारी के लिए बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
कारण
प्राडर विलि सिंड्रोम का क्या कारण है? (Cause of Prader-Willi syndrome)
प्राडर विलि सिंड्रोम एक जेनेटिक समस्या (Genetic problem) है, जो एक या इससे अधिक जीन में दोष आने पर होती है। प्राडर विलि सिंड्रोम दिमाग में स्थित हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) हिस्से के सामान्य कार्यों में खलल पैदा करता है। हाइपोथैलेमस भूख और प्यास को नियंत्रित करता है। साथ ही यह उन हार्मोन्स को तुरंत रिलीज करता है, जो विकास और सेक्सुअल विकास (Sexual growth) के लिए जिम्मेदार होते हैं।
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जोखिम
किन कारकों से प्राडर विलि सिंड्रोम का खतरा बढ़ता है? (Risk factor of Prader-Willi syndrome)
प्राडर विलि सिंड्रोम के ज्यादातर मामले औचक सामने आते हैं, जिनके परिवार में यह बीमारी नहीं होती है। दुर्लभ मामलों में प्राडर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) एक वंशानुगत बीमारी हो सकती है या परिवार के जरिए अन्य सदस्यों में आ जाती है। इसलिए प्राडर विलि सिंड्रोम की हिस्ट्री वाले परिवार में इस बीमारी के होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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प्राडर विलि सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Prader-Willi syndrome)
नवजात में शिशुओं में लक्षण नजर आने पर डॉक्टर तुरंत एक ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देता है, जिसमें इस बीमारी के निम्नलिखित लक्षण शामिल होते हैं:
- मांसपेशियों की खराब टोन और धीरे रोना
- शिशु के स्तनों को चूसने में परेशानी और फीडिंग की समस्याएं
- बादाम के आकार की आंखें और सिर का मंदिर के जैसा ऊपर से संकरा होना
- शिशु के विकास से संबंधि समस्याएं आना
बड़े बच्चों में डॉक्टर के जांच करने पर प्राडर विलि सिंड्रोम के निम्नलिखित लक्षणों का शक हो सकता है:
- अधिक खाना और वजन बढ़ना (Weight gain)
- अविकसित सेक्स (Sex) अंग
- छोटी लंबाई (Hight) और छोटे हाथ-पैर
- विकास में देरी
- बौद्धिक अक्षमता
- मोटा और चिपचिपा साल्विया
एक निश्चित निदान हमेशा प्रयोगशाला में जांच के साथ किया जाता है। बच्चे के गुणसूत्र में असमानता का पता लगाने के लिए एक विशेष जेनेटिक टेस्ट भी किया जा सकता है। यह टेस्ट प्राडर विलि सिंड्रोम का संकेत देता है।
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प्राडर विलि सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Prader-Willi syndrome)
प्राडर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) का शुरुआती दिनों में इलाज जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकता है। डॉक्टर का एक समूह प्राडर विलि सिंड्रोम का इलाज करने के लिए कार्य करती है। प्राडर विलि सिंड्रोम से पीढ़ित ज्यादातर बच्चों को निम्नलिखित देखभाल और इलाज की जरूरत पड़ती है:
- नवजात के लिए अच्छा पोषण (Nutrition)
- ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन (HGH) इलाज
- सेक्स हार्मोन ट्रीटमेंट
- हेल्दी डायट (Healthy diet)
- नींद (Sleep) में खलल का इलाज
- संपूर्ण विकास का इलाज
- मेंटल हेल्थ (Mental health) केयर
बच्चे में विशेष लक्षण या जटिलताओं के पैदा होने पर अन्य इलाज के तरीके आवश्यक हो सकते हैं।
प्राडर विलि सिंड्रोम से पीढ़ित ज्यादातर लोगों को विशेष देखभाल और आजीवन निगरानी की जरूरत होती है। कई व्यस्क घरेलू देखभाल सेवा में रहते हैं, जिससे उन्हें हेल्दी खाने, हेल्दी रहने, कार्य और सैरसपाटे का मजा लेने में सहायता मिलती है। बच्चे के प्रौढ़ावस्था में प्रवेश करने पर उन्हें निम्नलिखित तरीकों से इलाज मुहैया कराया जा सकता है:
- स्थानीय संशाधनों का पता लगाना और संगठन के जरिए सेवाओं को लेना
- अडल्ट मेडिकल केयर के लिए बच्चे को डॉक्टर के पास सुझावों के लिए लेकर जाना
घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे प्राडर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
निम्नलिखित उपायों से आप प्राडर विलि सिंड्रोम का सामना कर सकते हैं:
- बच्चे को सावधानी पूर्वक उठाएं: प्राडर विलि सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome) से पीड़ित शिशु और बच्चों की मसल टोन खराब रहती है, जिससे उनका आपके हाथों के बीच से फिसलने का खतरा रहता है। यह घटना बच्चों को जब होती है तब आप उन्हें बगलों से पकड़कर उठाते हैं।
- एक सख्त डायट अपनाएं: कम कैलोरी वाली डायट (Calorie diet) आपके बच्चो का वजन बढ़ने से रोकने के लिए जरूरी है। भोजन का समय और भोजन के प्रकार दिनचर्या को विकसित करने और अपने बच्चे की अपेक्षाओं को समझने में मदद करते हैं।
- बच्चे को ज्यादा खाने से बचाने के लिए कदम उठाएं। ज्यादा कैलोरी वाले स्नैक्स (Snacks) न खरीदें। भोजन को बच्चे की पहुंच से दूर रखें। पैंट्री, फ्रिज और कपबोर्ड्स में ताला लगाकर रखें। भोजन परोसने के लिए छोटे बर्तनों का इस्तेमाल करें।
- बच्चे की डायट (Kids diet) के लिए डॉक्टर से सप्लिमेंट्स (Supplements) की जानकारी मांगे। यदि आपका बच्चा सख्त कैलोरी डायट पर है तो पोषक तत्वों को संतुलित करने के लिए विटामिन्स (Vitamins) या मिनरल्स (Minerals) देना जरूरी है या नहीं, इसकी जानकारी डॉक्टर से मांगे।
- प्रतिदिन की दिनचर्या को प्रोत्साहित करें। प्रतिदिन फिजिकल एक्टिविटी और एक्सरसाइज (Workout) करने से वजन को नियंत्रित किया जा सकता है और शारीरिक कार्यों में सुधार भी होता है।
- सीमा तय करें। एक अच्छा शेड्यूल बनाएं और व्यवहार संबंधि समस्याओं पर कार्य करें। जरूरत पड़ने पर समस्याओं के संबंधोन के लिए मदद अवश्य मांगे।
- जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट (Screening test) को तय करें। प्राडर मिलि सिंड्रोम की जटिलताओं के लिए आपको कब-कब स्क्रीनिंग टेस्ट कराने हैं, इसकी जानकारी मांगे। इन स्क्रीनिंग टेस्ट में डायबिटीज (Diabetes), ऑस्टोपोरियासिस (Osteoporosis) या असामान्य स्पाइन कर्व (scoliosis) शामिल है
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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