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ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis) में फिजियोथेरिपी का क्या होता है अहम रोल?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/12/2021

    ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis) में फिजियोथेरिपी का क्या होता है अहम रोल?

    क्रॉनिक लिवर डिजीज एडल्ड्स के साथ बच्चों में पाए जाने वाली एक कॉमन डिजीज है। इस बीमारी का कारण अधिक मात्रा में तंबाकू का अधिक सेवन करना, पॉल्यूशन या प्रदूषित वातावरण, इंडस्ट्रियल एक्सपोजर आदी कारण हो सकते हैं। कुल बच्चों में करीब 18 परसेंट बचे क्रॉनिक रेस्पिरेट्री डिस्फंक्शन से प्रभावित होते हैं। ऐसे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) अपना असर दिखाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही उससे जुड़ी सावधानियों के बारे में भी बताएंगे। आइए पहले जानते हैं कि क्या होती है ब्रोन्किइक्टेसिस की समस्या।

     बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी से पहले जानिए  ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis) के बारे में!

    ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis) की बीमारी किसी भी बच्चे को हो सकती है। इस बीमारी के कारण फेफड़ों में घाव हो जाता है। इन घाव में धीरे धीरे म्यूकस इकट्ठा होने लगता है। ये म्यूकस इंफेक्शन का कारण भी बनता है। इस बीमारी के कारण बच्चों को कफ की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक बार बच्चे को अगर यह बीमारी हो जाए, तो जीवन भर उसे समस्या बनी रहती है। अगर बीमारी का शुरुआत में ही निदान कर लिया जाए और उपचार किया जाए, तो इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। अच्छी देखभाल से बच्चे इस बीमारी के साथ भी रह सकते हैं। ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis) की बीमारी के कारण एयरबेस में समस्या पैदा हो जाती है। इस कारण से धीरे-धीरे ये धीरे-धीरे डैमेज होने लगता है। बच्चों को सांस लेने में भी समस्या होती है। कफ के लंबे समय तक बने रहने के कारण इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ता जाता है। समय पर ट्रीटमेंट और बचाव के लिए किए गए उपाय से बीमारी की गंभीरता से बचा जा सकता है

    सांस संबंधी बीमारी होने पर निम्मलिखत समस्याएं हो सकती हैं

  • थकान (fatigue)
  • छाती में संक्रमण
  • खांसी (Cough)
  • सहनशीलता में कमी
  • सांस लेने में समस्या
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    बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children)

    बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी

    क्रॉनिक लंग डिजीज या फिर ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis) की समस्या से जूझ रहे बच्चे का केवल रेस्पायरेट्री इवोल्यूशन नहीं किया जाता है बल्कि बच्चे की सामान्य फिजिकल कंडीशन भी देखी जाती है। इसमें ब्रीथिंग के पैटर्न, श्वसन की ताकत, छाती और कंधों की गतिशीलता आदि के बारे में जानकारी ली जाती है। हमारे श्वसन तंत्र में नाक, गला, विंडपाइप और फेफड़े शामिल हैं। बच्चों में कंडीशन क्रॉनिक या जन्मजात जैसे अस्थमा या सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis) आदि हो सकती है, जिसे लाइफलॉन्ग मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है।

    समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को सांस संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है क्योंकि उनके लंग्स सही से विकसित नहीं हो पाते हैं। वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसे कि ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis) की समस्या बच्चों को कुछ समय के लिए हो सकती है।बच्चे संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनके एयरवेज छोटे होते हैं। एडवांस ट्रीटमेंट की मदद से बच्चों की समस्या को ठीक किया जाता है और इससे जीवन को किसी भी तरह का खतरा नहीं रहता है।

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    चेस्ट फिजियोथेरिपी (Chest physiotherapy)

    आपके बच्चे को दिन में एक या दो बार चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी।। चेस्ट फिजियोथेरेपी (Chest physiotherapy) करने के विभिन्न तरीके हैं। थेरेपिस्ट या तो सांस लेने और टक्कर के साथ या फिजियोथेरेपी ब्रीदिंग डिवाइस (पीईपी, एकैपला, बबल) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपके बच्चे के फेफड़ों में अधिक मात्रा में बनने वाले कफ को साफ करने के लिए होता है। ऐसा करने से बच्चे को बहुत राहत मिलती है। फिजियोथेरेपिस्ट बच्चे की उम्र और बीमारी की गंभीरता के हिसाब से थेरिपी देते हैं।

    फिजियोथेरिपी के दौरान किन बातों का रखा जाता है ध्यान?

    कॉम्प्लेक्स या क्रॉनिक कंडीशन में बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) का फायदा पहुंचता है। यहां हम आपको कुछ बिंदुओं की सहायता से ट्रीटमेंट के बारे में बताएंगे।

    • पुजिशनिंग एडवाइज के अंतर्गत ब्रीथिंग कंट्रोल किया जाता है साथ ही ड्रेनेज सिकरीशन संबंधी जानकारी दी जाती है।
    • फेफड़े की निकासी तकनीक जैसे परकशन या वाइब्रेशन (percussion or vibrations) अपनाया जाता है।
    • सांस की तकलीफ को कम करने और सिकरीशन को हटाने में सहायता के लिए ब्रीथिंग एक्सरसाइज (Breathing exercises) की मदद ली जाती है।
    • बच्चों और माता-पिता को क्रॉनिक कंडीशन (Chronic condition) के लंबे समय तक मैनेजमेंट के लिए सलाह दी जाती है।
    • इनहेलर टेक्नीक के बारे में पेरेंट्स को जानकारी दी जाती है।
    • बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) के दौरान न केवल सांस संबंधी समस्याओं को दूर किया जाता है बल्कि ओवरऑल हेल्थ का भी ख्याल रखा जाता है।
    • पेरेंट्स को समय-समय पर बच्चों में बदलने वाले लक्षणों के बारे में नोटिस करने के लिए भी कहा जाता है।

    अगर बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) की मदद ली जा रही है, तो डॉक्टर से रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए। डॉक्टर या थेरेपिस्ट ब्रोंक्रियल हाइजीन पर भी ध्यान देते हैं। अगर फिजियोथेरिपी के बाद भी बच्चे के स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार का परिवर्तन महसूस न हो रहा हो, तो डॉक्टर को इस बारे में जानकारी जरूर दें और साथ ही जरूरी सलाह भी मानें।

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    बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) के साथ ही इन बातों पर भी दें ध्यान!

    बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) या क्रॉनिक लंग डिजीज में फिजियोथेरिपी तब दी जाती है, जब बच्चे में बीमारी की जानकारी मिल जाती है।अगर बच्चे को बुरी तरह से जुकाम है और साथ ही नाक बह रही है (हरे रंग का पदार्थ के साथ), तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जब बच्चे नॉर्मल से ज्यादा खांसते हैं, तो ये आम जुकाम की समस्या नहीं होती है। ऐसे में बच्चों को अधिक मात्रा में कफ भी आता है, जिसका रंग गहरा होता है। ब्रोन्किइक्टेसिस की समस्या होने पर बच्चा तेजी से सांस लेने लगता है। बच्चों को छाती में दर्द का एहसास भी होता है। बच्चों को भूख न लगने के साथ ही थकावट का भी एहसास होता है। अगर बच्चों को दिए गए लक्षण नजर आएं, तो बच्चों का ट्रीटमेंट घर में करने के बारे में न सोचें। ऐसे में बच्चों को खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। कुछ बच्चों को कफ के साथ ही ब्लड भी आ सकता है। डॉक्टर बच्चे की जांच के दौरान चेस्ट एक्स-रे, सीटी स्कैन, ब्लड टेस्ट आदि कराने की सलाह भी दे सकते हैं। अगर फेफड़ों को अधिक नुकसान पहुंचा है, तो ऐसे में डॉक्टर लंग फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं। आपको बिना देरी किए ट्रीटमेंट कराना चाहिए और साथ ही फिजियोथेरिपी के बारे में भी जानकारी लें।

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    इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) या क्रॉनिक लंग डिजीज में फिजियोथेरिपी के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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