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चेस्ट फिजियोथेरिपी (Chest physiotherapy)
आपके बच्चे को दिन में एक या दो बार चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी।। चेस्ट फिजियोथेरेपी (Chest physiotherapy) करने के विभिन्न तरीके हैं। थेरेपिस्ट या तो सांस लेने और टक्कर के साथ या फिजियोथेरेपी ब्रीदिंग डिवाइस (पीईपी, एकैपला, बबल) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपके बच्चे के फेफड़ों में अधिक मात्रा में बनने वाले कफ को साफ करने के लिए होता है। ऐसा करने से बच्चे को बहुत राहत मिलती है। फिजियोथेरेपिस्ट बच्चे की उम्र और बीमारी की गंभीरता के हिसाब से थेरिपी देते हैं।
फिजियोथेरिपी के दौरान किन बातों का रखा जाता है ध्यान?
कॉम्प्लेक्स या क्रॉनिक कंडीशन में बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) का फायदा पहुंचता है। यहां हम आपको कुछ बिंदुओं की सहायता से ट्रीटमेंट के बारे में बताएंगे।
- पुजिशनिंग एडवाइज के अंतर्गत ब्रीथिंग कंट्रोल किया जाता है साथ ही ड्रेनेज सिकरीशन संबंधी जानकारी दी जाती है।
- फेफड़े की निकासी तकनीक जैसे परकशन या वाइब्रेशन (percussion or vibrations) अपनाया जाता है।
- सांस की तकलीफ को कम करने और सिकरीशन को हटाने में सहायता के लिए ब्रीथिंग एक्सरसाइज (Breathing exercises) की मदद ली जाती है।
- बच्चों और माता-पिता को क्रॉनिक कंडीशन (Chronic condition) के लंबे समय तक मैनेजमेंट के लिए सलाह दी जाती है।
- इनहेलर टेक्नीक के बारे में पेरेंट्स को जानकारी दी जाती है।
- बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) के दौरान न केवल सांस संबंधी समस्याओं को दूर किया जाता है बल्कि ओवरऑल हेल्थ का भी ख्याल रखा जाता है।
- पेरेंट्स को समय-समय पर बच्चों में बदलने वाले लक्षणों के बारे में नोटिस करने के लिए भी कहा जाता है।
अगर बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) की मदद ली जा रही है, तो डॉक्टर से रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए। डॉक्टर या थेरेपिस्ट ब्रोंक्रियल हाइजीन पर भी ध्यान देते हैं। अगर फिजियोथेरिपी के बाद भी बच्चे के स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार का परिवर्तन महसूस न हो रहा हो, तो डॉक्टर को इस बारे में जानकारी जरूर दें और साथ ही जरूरी सलाह भी मानें।
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बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) के साथ ही इन बातों पर भी दें ध्यान!
बच्चों में ब्रोन्किइक्टेसिस में फिजियोथेरिपी (Physiotherapy for Bronchiectasis in children) या क्रॉनिक लंग डिजीज में फिजियोथेरिपी तब दी जाती है, जब बच्चे में बीमारी की जानकारी मिल जाती है।अगर बच्चे को बुरी तरह से जुकाम है और साथ ही नाक बह रही है (हरे रंग का पदार्थ के साथ), तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जब बच्चे नॉर्मल से ज्यादा खांसते हैं, तो ये आम जुकाम की समस्या नहीं होती है। ऐसे में बच्चों को अधिक मात्रा में कफ भी आता है, जिसका रंग गहरा होता है। ब्रोन्किइक्टेसिस की समस्या होने पर बच्चा तेजी से सांस लेने लगता है। बच्चों को छाती में दर्द का एहसास भी होता है। बच्चों को भूख न लगने के साथ ही थकावट का भी एहसास होता है। अगर बच्चों को दिए गए लक्षण नजर आएं, तो बच्चों का ट्रीटमेंट घर में करने के बारे में न सोचें। ऐसे में बच्चों को खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। कुछ बच्चों को कफ के साथ ही ब्लड भी आ सकता है। डॉक्टर बच्चे की जांच के दौरान चेस्ट एक्स-रे, सीटी स्कैन, ब्लड टेस्ट आदि कराने की सलाह भी दे सकते हैं। अगर फेफड़ों को अधिक नुकसान पहुंचा है, तो ऐसे में डॉक्टर लंग फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं। आपको बिना देरी किए ट्रीटमेंट कराना चाहिए और साथ ही फिजियोथेरिपी के बारे में भी जानकारी लें।