backup og meta

पोलियो का लेट इफेक्ट क्या है और बचाव के लिए क्या करें?

पोलियो का लेट इफेक्ट क्या है और बचाव के लिए क्या करें?

पोलियो का लेट इफेक्ट’ क्या होता है, आपके मन में ये प्रश्न जरूर होगा। पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और खरनाक बीमारी है। यह बीमारी पोलियो वायरस के कारण होती है और यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तक में फैल भी सकता है। जिससे लकवा हो सकता है यानि आगे जाकर इसके शिकार मरीजों को शरीर हिलाने में भी कठनाई हो सकती है। कुछ लोगों को नॉन पैरालिटिक पोलियो होता है। जिसके लक्षण आमतौर पर हलके फ्लू जैसे महसूस होते हैं। नॉन-पैरालिटिक पोलियो के लक्षण प्रभावित होने पर एक से दस दिन तक के लिए ही नजर आते हैं। 1% से भी कम मामलों में पोलियो, हाथ और पैर या सांस लेने में कठनाई का कारण बनता है। पहले पोलियो संक्रमण के 15 साल या उससे अधिक समय बाद शारीरिक लक्षण उभर सकते हैं। इन नए लक्षणों को ‘पोलियो का लेट इफेक्ट’ (Late Effects of Polio) कहा जाता है। उनमें नई मांसपेशियों की कमजोरी, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं। जानिए पोलियो का लेट इफेक्ट क्या है?

और पढ़ें: World Polio Day: पोलियो क्या है? जानें इसके लक्षण और इलाज

पोलियो का लेट इफेक्ट: जानिए पोलियो के खिलाफ टीकाकरण (Polio Vaccination) के बारे में

पोलियो के खिलाफ बचाव के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा उपाय है। इसलिए शिशुओं, बच्चों और वयस्कों के लिए टीकाकरण की सिफारिश की जाती है। पोलियो का टीका 2, 4 और 6 महीने और 4 साल की उम्र में बच्चों को दिया जाता है। इस टीके को अन्य संक्रामक रोगों के टीकों के साथ जोड़ा जाता है।राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए पोलियो से बचाव नि:शुल्क उपलब्ध है। अगर बच्चों के पोलियो वैक्सीन के उम्र की बात करें, ताे वो है:

  • 2, 4 और 6 महीने के बच्चों में डिप्थीरिया, टेटिनस (Tetanus), काली खांसी, हेपेटाइटिस बी, पोलियो और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी) वैक्सीन की सलाह दी जाती है। इस उम्र में पोलियो के अलावा यह जरूरी वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए।
  • 4 साल के बच्चे को पोलियो वैक्सीन (4-इन-1 वैक्सीन) Polio Vaccine (4-in-1 Vaccine), डिप्थीरिया, टेटिनस और काली खांसी का बूस्टर दिया जाना जरूरी है।
  • 9 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए संयोजन टीकों के साथ टीकाकरण उपलब्ध है।

और पढ़ें: बच्चों के लिए पोलियो वैक्सीन : इस्तेमाल करने से पहले जान लें इससे जुड़ी जानकारी

पोलियो का लेट इफेक्ट: जानिए क्या होते हैं पोलियो के लक्षण (Symptoms of polio)

पोलियो के लक्षण आमतौर पर संक्रमण से प्रभावित होने के 3 से 21 दिनों के भीतर दिखायी देने लगते हैं। हालांकि, पोलियो वायरस से संक्रमित कई लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं और उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं होता है कि वे इस समस्या से प्रभावित हैं। हल्के पोलियो मामलों में, लक्षणों में शामिल हैं:

  • बुखार (Fever)
  • थकान और कमजोरी (Weakness)
  • सिरदर्द (Headache)
  • मतली और उल्टी (Vomit)
  • मांसपेशियों में एंठन (Muscle cramps)

यदि वायरस तंत्रिका तंत्र में फैल जाता है, तो यह बड़ी बीमारी का कारण बन सकता है, जैसे:

और पढ़ें : चिकनगुनिया (Chikungunya) के नई वैक्सीन को रेफ्रिज्रेट करने की आवश्यकता नहीं; रिसर्च

पोलियो का लेट इफेक्ट: पोलियो के जोखिम कारक (Risk factors for polio)

यदि बच्चे को पोलियो के खिलाफ प्रतिरक्षित नहीं किया गया है, यानि की वो पोलियो वैक्सीनेटिड नहीं है, तो उसमें पोलियो वायरस से संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता है। जिन लोगों को विशेष रूप से संक्रमण का खतरा अधिक होता है, उनमें शामिल हैं:

और पढ़ें : World Immunization Day: बच्चों का वैक्सीनेशन कब कराएं, इम्यून सिस्टम को करता है मजबूत

पोलियो का इलाज (Polio treatment)

पोलियो का कोई इलाज नहीं है। यह एक ऐसी समस्या है,जो बच्चे का पूरा जीवन खराब कर सकती है। इसके सहायक उपचार विकल्पों में शामिल हैं:

  • एंटीबायोटिक्स – माध्यमिक संक्रमण के लिए
  • दर्द निवारक दवा
  • सांस लेने में सहायता के लिए पोर्टेबल वेंटिलेटर
  • मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने के लिए दवा
  • व्यायाम
  • मालिश
  • एक पौष्टिक आहार।

और पढ़ें : बच्चे का वैक्सिनेशन, जानें कब और कौन सा वैक्सीन है जरूरी?

पोलियो के लेट इफेक्ट के प्रभाव

पोलियो के लेट इफेक्ट (एलईओपी) एक छत्र शब्द है जिसका उपयोग पोलियोमाइलाइटिस के इतिहास से संबंधित लक्षणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम (PPS) LEoP की एक उप-श्रेणी है और एक निदान योग्य स्नायविक स्थिति है। पोलियो के इतिहास वाला कोई भी व्यक्ति एलईओपी विकसित कर सकता है, हालांकि हर कोई नहीं करता है। पोलियो से गंभीर रूप से लकवाग्रस्त लोग अधिक सामान्यतः प्रभावित होते हैं।

पोलियो के देर से प्रभाव के लक्षणों में शामिल हैं:

  • थकान
  • एनर्जी और मांसपेशियों की सहनशक्ति में कमी
  • दर्द
  • नींद की समस्या
  • सांस लेने, निगलने या बोलने में कठिनाई

और पढ़ें : बेबी केयर के लिए 10 टिप्स जो हर पेरेंट को जानना है जरूरी

पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम का निदान ()

पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम (PPS) LEoP की एक उप-श्रेणी है। यह इस समस्या के निदान के लिए एक योग्य स्थिति मानी जाती है, हालांकि ऐसा कोई परीक्षण नहीं है। पीपीएस पूरी तरह से क्लिनिकल सूचनाओं के आधार पर डाॅक्टर द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसके लिए कोई विशेष लैब या परीक्षण नहीं किया जाता है। किसी व्यक्ति को पीपीएस की समस्या है या नहीं,  है या नहीं, इसका निर्धारण फिजिशियन शारीरिक जांच के बाद और उसके पहले के चिकित्सकीय इतिहास के आधार पर करते हैं। निदान के समय डॉक्टर कुछ बातों का खास ख्याल रखते हैं। पीपीएस का निदान निम्न के आधार पर किया जाता है:

  • दर्द और कमजोरी के नए लक्षण, कम से कम एक साल तक जारी रहना
  • मेडिकल हिस्ट्री – परिवार में पहले किसी को पोलियो के संक्रमण की हिस्ट्री होना।

पोलियो का लेट इफेक्ट: पोलियो के लेट इफेक्ट के कारण (Late effects of polio)

पोलियो के देर से होने वाले प्रभाव पोलियो वायरस के पुन: संक्रमण के कारण नहीं होते हैं, बल्कि इसके और भी कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं। उदाहरण के लिए:

  • मांसपेशियों में थकान और मांसपेशियों के ऊतकों में कमी के कारण दर्द होना।
  • जोड़ों में दिक्कत और तनाव महसूस होना, गठिया और दर्द आदि।
  • कमजोर अंगों के कारण वजन उठाने और फिजिकल एक्टिविटीज में दिक्कत होना।
  • उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया की तुलना में मोटर न्यूरॉन्स के अधिक नुकसान के कारण मांसपेशियों की कमजोरी में वृद्धि।

और पढ़ें : 6 सामान्य लेकिन, खतरनाक शिशु स्वास्थ्य मुद्दे

पोलियो और पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम (Polio and post-polio syndrome) के देर से प्रभाव के लिए उपचार

एलईओपी या पीपीएस के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। लक्षणों को नियंत्रित या सुधारा जा सकता है यदि आप:

  • कठिन फिजिकल एक्टिविटीज और तनाव से बचें।
  • अधिक ठंड से बचें।
  • अपनी फिजिकल एक्टिविटीज को थोड़ा आसान बनाएं, उदाहरण के लिए जहां संभव हो वहां खड़े होने के बजाय बैठ जाएं।
  • सहायता के लिए अपनी सहुलियन अनुसार ऑर्थोस, ब्रेसिज़, वॉकिंग स्टिक और इलेक्ट्रिक स्कॉटर आदि।
  • सुनिश्चित करें कि सभी व्यायाम दर्द रहित हों और अत्यधिक थकान का कारण न बनें।
  • कुछ समस्याओं के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

पोलियो का लेट इफेक्ट क्या होता है, आपने जाना यहां। पोलियों का प्रभाव बच्चों में बाद में भी नजर आ सकता है। इससे बचाव के लिए निधार्रित टीका की सबसे अच्छा उपाय है, जो कि बच्चे के लिए सही समय पर बहुत जरूरी है। इसके अलावा पोलियों के लेट इफेक्ट के बारे में जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

[embed-health-tool-vaccination-tool]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

https://www.cdc.gov/vaccines/vpd/polio/index.html

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3782271/

https://www.mayoclinic.org/drugs-supplements/poliovirus-vaccine-inactivated-injection-route/description/drg-20069860

https://www.sciencedirect.com/topics/medicine-and-dentistry/poliomyelitis-vaccine

http://www.childrensmn.org/educationmaterials/parents/article/13594/your-childs-immunizations-polio-vaccine-ipv/

 

Current Version

13/12/2021

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari

Updated by: Bhawana Awasthi


रेलेटेड पोस्ट

बच्चों के लिए पोलियो वैक्सीन : इस्तेमाल करने से पहले जान लें इससे जुड़ी जानकारी


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Sayali Chaudhari

फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/12/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement