आपने कभी सोचा है कि आपके बच्चे का पिकी ईटर होना पिकी ईटिंग से ज्यादा कुछ और भी हो सकता है। बच्चों का पिकी ईटर होना एक सामान्य परेशानी है। लेकिन, आजकल बच्चे एआरएफआईडी (ARFID) यानि कि अवॉयडेंट रिस्ट्रिक्टिव फूड इनटेक डिसऑर्डर (Avoidant Restrictive Food Intake Disorder, ARFID) से भी ग्रसित पाएं जाते हैं। अधिकांश टॉडलर्स और छोटे बच्चे बचपन के दौरान पिकी ईटिंग की आदतों का अनुभव करते हैं। लेकिन एक स्तर के बाद नॉर्मल पिकी ईटिंग की आदत भी खतरनाक हो सकती है क्योंकि यह एआरएफआईडी में तब्दील हो सकती है, जिसके लिए पेरेंट्स को मेडिकल हेल्प लेनी पड़ सकती है।
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एआरएफआईडी (ARFID) क्या है
अवॉयडेंट रिस्ट्रिक्टिव फूड इनटेक डिसऑर्डर यानि की एआरएफआईडी खाने का डिसऑर्डर है, जिसकी वजह से बच्चों में पोषण या ऊर्जा की कमी हो जाती है। यह पिकी ईटिंग की तरह लग सकता है जैसे कि एआरएफआईडी से पीड़ित और पिकी ईटर्स दोनों के पास बहुत कम खाने के ऑप्शन होते है, जिन्हें ये पसंद करते हैं। एआरएफआईडी और पिकी ईटर्स के पास उनके पसंदीदा खाने की लिस्ट बहुत छोटी होती है। लगभग सारे गुण एक जैसे होने के बाद भी दोनों डिसऑर्डर में कई बड़े अंतर हैं।
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क्यों होती है एआरएफआईडी की समस्या (ARFID Causes)
एआरएफआईडी की समस्या इटिंग डिसऑर्डर से जुड़ा है। एआरएफआईडी का संबंध बॉडी इमेज और वजन घटाने से नहीं है। यह एक प्रकार से चोकिंग इंसीडेंट हो सकता है। वैसे बच्चे जो प्रीमैच्योर जन्म लेते हैं, उनमें इस प्रकार की समस्या हो सकती है। इस समस्या के कारण उन्हें डर सताता है कि खाना उनके मुंह में जाएगा तो वह असुरक्षित होगा। इस बीमारी व समस्या से ग्रसित बच्चों को लगता है कि वो यदि वैसे खास खाद्य पदार्थों का सेवन करेंगे तो वो मर जाएंगे। इसलिए जरूरी है कि बच्चों के इन लक्षणों को भांपते हुए पेरेंट्स को डॉक्टरी सलाह लेकर इसका इलाज कराना चाहिए।
एआरएफआईडी को कैसे करें डायग्नोस (ARFID Diagnosis)
एआरएफआईडी की वजह से बच्चों में खाने की परेशानी होती है (जैसे खाने या भोजन में रुचि न लेना, खाना खाने से परहेज, खाने के नेगेटिव कारणों के बारे में चिंता) जिसके कारण बच्चों में सही पोषण या ऊर्जा की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं। इसको डायग्नोस करने के लिए कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- वजन में कमी (या अपेक्षित वजन बढ़ने में असफल होना)
- पोषण की महत्वपूर्ण कमी।
- एंटरल फीडिंग या ओरल न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट पर निर्भर होना।
- साइकोसोशल फंक्शनिंग में कमी आना
- एआरएफआईडी के कारण खाने की कमी नहीं होती बल्कि कुछ खाने की चीजें बच्चे खाना ही नहीं चाहते
- एनोरेक्सिया नर्वोसा या बुलिमिया नर्वोसा के दौरान एआरएफआईडी की परेशानी नहीं होती और किसी के शरीर के वजन या आकार का बढ़ना या घटना भी इसका कारण नहीं होता
- खाने की गड़बड़ी एक समवर्ती चिकित्सा स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है या किसी अन्य मानसिक विकार से बेहतर नहीं बताई गई है
- एआरएफआईडी को किसी दूसरी स्थिति या परेशानी के साथ नहीं जोड़ा जा सकता इसके कारण और डायग्नोस के तरीके अलग हैं
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एआरएफआईडी के प्रकार (ARFID Type)
- खाने में रुचि की कमी: एआरएफआईडी से ग्रस्त बच्चों को खाने में कम रुचि होती है। इसके अलावा उनका पेट भी जल्दी भर जाता है।
- सेंसरी अवॉयडेंस: सेंसरी अवॉयडेंस के साथ बच्चों को खाने के स्वाद, बनावट, तापमान और खुशबू से परेशानी हो सकती है।
- खाने के निगेटिव परिणाम का डरः खाना खाने से बीमारी, चोकिंग, मतली और एलर्जी का डर भी बच्चों में बना रहता है।
एआरएफआईडी के लक्षण (ARFID Symptoms)
बच्चों में एआरएफआईडी होने की वजह से उनके व्यवहार में काफी बदलाव होता है। साथ ही साइकोलॉजिकल बदलाव भी बच्चों में देखने को मिलते हैं। अगर आपके बच्चे में एआरएफआईडी की परेशानी है, तो आप इन लक्षणों को अपने बच्चों में देख सकते हैंः
- वजन घटना
- कब्ज, पेट दर्द, कोल्ड इनटोलरेंस, सुस्ती होना
- खाने के समय पेट भरा होने की बात करना या पेट में दूसरी परेशानी बताना
- खाने के अमाउंट कम होना
- केवल कुछ टेक्सचर वाला खाना खाने की बात करना
- चोकिंग या उल्टी का डर
- भूख में कमी या खाना पसंद न आना
- पसंदीदा खाने की लिमिटेड रेंज, जो समय के साथ कम होती जाती है (पिकी ईटिंग जो समय के साथ और बढ़ जाए)
- शरीर और इमेज को लेकर कोई चिंता नहीं होना और न ही वजन बढ़ने या घटने का डर
- सब्जियों, प्रोटीन स्रोतों (मांस, सेम, आदि) फलों से परहेज
- खाने की चीजों को छोड़ना और कभी भी उन्हें अपनी डायट में वापस न लाना
- पोषक तत्वों की कमी (आयरन, विटामिन ए और विटामिन सी सबसे आम)
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एआरएफआईडी (ARFID) की वजह से फिजिकल बदलाव
क्योंकि एनोरेक्सिया और एआरएफआईडी दोनों की वजह से पोषण की कमी हो सकती है। दोनों परेशानियों की वजह से शरीर में एक जैसे बदलाव होते हैं:
- पेट में ऐंठन, गेस्ट्रोइंटेस्टाइन की शिकायतें (जैसे कब्ज, एसिडिटी आदि)
- लड़कियों में मासिक धर्म की अनियमितताएं
- ध्यान फोकस करने में परेशानी
- एनीमिया, कम थायरॉयड और हार्मोन के स्तर में बदलाव, लो पोटेशियम, लो ब्लड सेल काउंट, स्लो हार्ट रेट
- चक्कर आना
- बेहोशी
- हर समय ठंड लगना
- नींद की समस्या
- रूखी त्वचा
- ड्राई नाखून
- शरीर पर पतले बालों का होना
- बालों का झड़ना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- घाव जल्दी न भरना
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एआरएफआईडी के जोखिम (ARFID Risk Factors)
- एंग्जायटी
- बच्चों के वजन बढ़नें में कमी आना
- गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल की परेशानी
- कुपोषण (Malnutrition)
- वजन घटना
- बच्चों के विकास में समय लगना
एआरएफआईडी का बचाव कैसे करें (How to Prevent ARFID)
हालांकि, एआरएफआईडी या दूसरी खाने के परेशानियों को रोकने का कोई तरीका नहीं है। लेकिन, आप बच्चे को स्वस्थ खाने के व्यवहार को विकसित करने में मदद के लिए कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैंः
बच्चे के आस-पास खाने से परहेज करने से बचेंः
खान-पान की आदतें बच्चों के भोजन के साथ विकसित होने वाले रिश्तों को प्रभावित कर सकती हैं। एक साथ भोजन करने से आपको अपने बच्चे को एआरएफआईडी के नुकसान के बारे में सिखाने का मौका मिलता है। बच्चों को सही मात्रा में संतुलित आहार खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
बच्चे से बात करेंः
एआरएफआईडी को एक खाने की परेशानी के बजाए एक लाइफस्टाइल ऑप्शन के रूप में देखना। इस तरह की किसी भी परेशानी को ठीक करना और खाने के विकल्पों के जोखिम के बारे में अपने बच्चे से बात करना जरूरी हैं।
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बच्चे को सेल्फ इमेज के बारे में बताएं:
चाहें उसका आकार या साइज कुछ भी हो। सेल्फ इमेज के बारे में अपने बच्चे से बात करें और उन्हें बताएं कि शरीर का आकार अलग-अलग हो सकता है। अपने बच्चे के सामने किसी के भी शरीर की आलोचना करने से बचें।
इन टिप्स को भी अपनाएं
वैसे तो इस प्रकार के इटिंग डिसऑर्डर से बचाव का कोई खास तरीका नहीं है। लेकिन आप कुछ स्ट्रेटेजी को अपनाकर इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं। वहीं बच्चे के डेवलप्मेंट के साथ उसके इटिंग बिहेवियर में सुधार ला सकते हैं। इसके लिए इन बातों पर ध्यान देना होगा, जैसे
- बच्चों के आसपास डायटिंग करने से बचें : फैमिली के सदस्यों का खानपान का असर बच्चों पर पड़ता है। बच्चों के साथ खाना खाकर आप उन्हें बैलेंस डायट के साथ पौष्टिक खाद्य पदार्थों की जानकारी दे सकते हैं। इसलिए परिजनों को साथ में बैठकर खाना खाना चाहिए।
- बच्चों के साथ करें बातचीत : मौजूदा समय में इंटरनेट सहित लाइफस्टाइल व अन्य को देख बच्चे इटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों सही व गलत की जानकारी दें, उन्हें हेल्दी व अनहेल्दी खाद्य पदार्थों के बारे में बताएं।
- हेल्दी बॉडी इमेज के बारे में बताएं : अच्छा खाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें। उन्हें बताए कि अच्छा खाकर वो अच्छा शरीर हासिल कर सकते हैं। बताएं कि हेल्दी खाना खाने से वो आगे चलकर तंदरूस्त रह सकते हैं, जिससे उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
बच्चे के लिए डॉक्टर की मदद लेंः
आपका डॉक्टर बच्चे की एआरएफआईडी की समस्या के शुरुआती संकेतों की पहचान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए बच्चों की रुटिन और मेडिकल हिस्ट्री के दौरान डॉक्टर उनकी खाने की आदतों और संतुष्टि के बारे में सवाल पूछ सकते हैं। डॉक्टर के पास जाने में बच्चे की हाइट और वजन के प्रतिशत और बॉडी मास इंडेक्स के चेक शामिल होने चाहिए, जो आपको और आपके बच्चे के डॉक्टर को किसी भी जरूरी बदलाव के लिए सचेत कर सकें।
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