रोटावायरस (Rotavirus) शिशुओं और बच्चों में फैलने वाला कॉमन वायरस है। रोटावायरस (Rotavirus) से फैलने वाले इंफेक्शन के कारण डायरिया, वॉमिटिंग, पेट में दर्द आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गंदगी के कारण यह वायरस आसानी से बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाता है। पानी के दूषित होने या फिर खाने के दूषित होने के कारण यह वायरस शरीर में पहुंच सकता है। इस वायरस से बचाव के लिए जरूरी है कि सफाई रखी जाए, लेकिन कई बार सफाई होने के बावजूद भी यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है और जानकारी नहीं मिल पाती है। इस वायरस से बचने के लिए बेहतर उपाय यह है कि बच्चों को सही समय पर वैक्सीन लगवाई जाई। रोटावायरस (Rotavirus) से होने वाली डायरिया से बचाव के लिए रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) का इस्तेमाल किया जाता है।
रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए और इस्तेमाल करते समय क्या सावधानियां रखना चाहिए, हम इन सब बातों की जानकारी आपको इस आर्टिकल के माध्यम से देंगे। आइए पहले जानते हैं कि रोटावायरस का संक्रमण कैसे शरीर में फैलाता है।
रोटावायरस (Rotavirus) कैसे फैलता है?
रोटावायरस (Rotavirus) आसानी से स्वस्थ व्यक्ति में फैल सकता है। अगर कोई व्यक्ति टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद हाथ नहीं धोता है या फिर संक्रमित व्यक्ति किसी भी चीज का इस्तेमाल करने के बाद हाथ नहीं धोता है, तो स्वस्थ व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो सकता है। रोटावायरस (Rotavirus) से बचने का आसान तरीका है कि अपने आसपास स्वच्छता रखी जाए और टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ किया जाए। अगर बच्चों को रोटावायरस के लिए वैक्सीन दिया जाता है, तो भी इस वायरस से सुरक्षा प्रदान हो सकती है। इस वायरस का एक्स्पोजर होने के दो दिन बाद संक्रमण के लक्षण सामने आते हैं। वायरस के लक्षणों में मुख्य रूप से डायरिया, वॉमिटिंग, पेट में दर्द होना (Stomach ache) आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
अगर आपको भी यह लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लगातार डायरिया के कारण बहुत कमजोरी हो जाती है और स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है। जानिए डायरिया से बचने के लिए रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) का इस्तेमाल कैसे किया जाता है।
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रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) क्या है?
डाइजेस्टिव ट्रैक्ट इंफेक्शन (Digestive tract infection) हो जाने के कारण डायरिया की समस्या हो जाती है। डायरिया के कारण बॉवेल मूवमेंट (Bowel movement) तेजी से होने लगता है, जिस कारण से लूज स्टूल होते हैं। अगर बीमारी का इलाज करा लिया जाए, तो डायरिया की समस्या से बचा जा सकता है। समय पर टीकाकरण (Vaccination) करवाने पर रोटावायरस (Rotavirus) से बचाव संभव है। रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) का इस्तेमाल बच्चों को रोटावायरस से बचाने के लिए किया जाता है। डेवलपिंग कंट्रीज के मुकाबले डेवलप्ड कंट्री में रोटावायरस इंफेक्शन के बहुत कम केस सामने आते हैं। ऐसा वैक्सिनेशन अधिक होने के कारण है, जबकि डेवलपिंग कंट्रीज में संक्रमित होने वालों की संख्या अधिक है। जानिए इस वैक्सीन की डोज के बारे में।
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रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) की डोज
वैक्सीन का इस्तेमाल कैसे करना है, आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। वैक्सीन के लेबल में दी गई जानकारी को पहले पढ़ें और उसके बाद इस्तेमाल करें। रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) की पहली खुराक बच्चे को 15 सप्ताह की आयु से पहले दी जानी चाहिए। बच्चों को 8 महीने का होने से पहले रोटावायरस वैक्सीन की सभी खुराक मिलनी चाहिए। वैक्सीन की डोज क्या है और बच्चों को कितने समय में इसे देना है, इस बारे में आप डॉक्टर से जानकारी जरूर लें।
रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) के साइड इफेक्ट्स
रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) की खुराक लेने के बाद बच्चों में कुछ साइड इफेक्ट्स या दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं। बच्चों को बुखार आना, चिड़चिड़ापन, खांसी आना या उल्टी होना आदि समस्याएं दिख सकती हैं। अगर वैक्सीन लेने के बाद बच्चे में यह सभी लक्षण नजर आए, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर लक्षण हल्के हैं, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह कुछ दिनों बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं।
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क्या प्रेग्नेंसी या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ली जा सकती है रोटावायरस के लिए वैक्सीन?
प्रेग्नेंसी के दौरान यदि आप रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) लगवाने जा रही हैं, तो आपको डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लेनी चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान आप जो भी दवा लेते हैं या वैक्सीन लेती हैं, उसका असर बच्चे पर भी हो सकता है, इसलिए बिना जानकारी के वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। अगर आप बच्चे को दूध पिला रही हैं यानी ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) करा रही हैं तो भी आपको डॉक्टर को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए। आप जो भी खाते हैं या फिर जो भी दवा लेते हैं, वह दूध के माध्यम से बच्चे के शरीर में पहुंच सकता है इसलिए आपको वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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किडनी या लिवर पेशेंट के लिए क्या सुरक्षित है ये वैक्सीन?
आपको किडनी की समस्या (Kidney problems) हो या फिर लिवर की या फिर आप किसी क्रॉनिक कंडीशन से जूझ रहे हैं, अगर आप रोटावायरस के लिए वैक्सीन लेना चाहते हैं, तो आपको अपनी बीमारी के बारे में डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। बिना जानकारी दिए अगर आप वैक्सीन ले लेते हैं, तो हो सकता है कि आपको किसी समस्या का सामना करना पड़ जाए। वैसे तो ये वैक्सीन लिवर डिजीज (Liver disease) या फिर किडनी की समस्या के दौरान सुरक्षित मानी जाती है लेकिन बिना जानकारी के इसे नहीं लिया जाए तो बेहतर होगा।
रोटास्योर वैक्सीन: रोटावायरस के लिए वैक्सीन लेने के साथ ही इन बातों का रखें ध्यान!
इंफेक्शन से बचाव करने के लिए भले ही आप अपने आस-पास साफ-सफाई रखें, लेकिन बच्चों को घर से बाहर निकलना ही पड़ता है बच्चे स्कूल के साथ ही गार्डन और अन्य स्थानों में भी जाते हैं, तो ऐसे में वायरस से पूर्ण रूप से सुरक्षा प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। अगर बच्चों को रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) दी जाए, तो उन्हें रोटावायरस से पूर्ण रूप से सुरक्षित किया जा सकता है। अगर आपको रोटावायरस के लिए वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं है, तो आप डॉक्टर से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अगर बच्चे को रोटावायरस इंफेक्शन हो गया है, तो उसे अधिक मात्रा में पानी पिलाना चाहिए और साथ ही खाने में तरल पदार्थों का अधिक इस्तेमाल करना चाहिए। 10 दिनों के भीतर बच्चे की तबीयत में सुधार दिखता है। समय-समय पर डॉक्टर से जरूरी परामर्श करें। रोटावायरस बच्चों के साथ ही वयस्क को भी अपना शिकार बना सकता है। बीमारी के लक्षण दिखने पर बिना देरी किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
इस आर्टिकल में हमने आपको रोटास्योर वैक्सीन (Rotasure vaccine) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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