स्कूल जाने से पहले वैक्सिनेशन: 1. डिप्थीरिया (Diphtheria), टिटनेस (Tetanus), काली खांसी (Whooping cough)

डिप्थीरिया, टिटनेस या काली खांसी की समस्या बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infection) के कारण होने वाली बीमारी है। इन सभी बीमारियों बचाये रखने में DTaP वैक्सीन लगाई जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार स्कूल जाने से पहले वैक्सिनेशन (Back-to-School Vaccination) आवश्यक है। इसलिए DTaP वैक्सीन (DTaP Vaccine) जरूर लगवाना चाहिए। ये वैक्सीन बच्चों को बैक्टीरियल इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों से बचाये रखने में सहायक है। अगर ये बीमारियां होती भी है, तो शरीर पर इसका कम से कम प्रभाव पड़ता है।
डोज (Dose): DTaP की 5 डोज है और हर डोज के बाद अगली डोज की जानकारी डॉक्टर पेरेंट्स को देते हैं।
और पढ़ें : बच्चों के लिए विटामिन ए सप्लिमेंट्स लेने के पहले डॉक्टर से कंसल्टेशन है जरूरी
स्कूल जाने से पहले वैक्सिनेशन: 2. पोलियो (Polio [IPV])

स्कूल जाने से पहले वैक्सिनेशन (Back-to-School Vaccination) की लिस्ट में शामिल पोलियो की डोज दरअसल वैक्सीन नहीं, बल्कि ड्रॉप (Drop) है। रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार पोलियो की डोज (Polio drop) लेने से बच्चे को भविष्य में कई गंभीर बीमारियों से बचाये रखने में मदद मिल सकती है। वहीं पोलियो की वजह से पैरालिसिस (Paralysis) के खतरे को भी कम करने में मददगार है ये ड्रॉप्स।
डोज (Dose): पोलियो डोज की शुरुआत शिशु के 2 महीने के होने पर दी जाती है। पहला डोज 2 महीने, दूसरी डोज शिशु के 4 महीने के होने पर, तीसरी डोज 6 से 18 महीने पर और चौथा और आखरी डोज 4 से 6 साल की उम्र में।
स्कूल जाने से पहले वैक्सिनेशन: 3. मीसल्स (Measles), मम्पस (Mumps) रूबेला (Rubella)

मीसल्स, मम्पस एवं रूबेला को मेडिकल टर्म में एमएमआर (MMR) भी कहा जाता है। इन बीमारियों का खतरा बारिश के मौसम में ज्यादा बना रहता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार मीजल्स रूबेला के कारण साल 2015 में सबसे ज्यादा भारतीय बच्चों की मौत हुई थी। इसलिए बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए 4 से 6 वर्ष के बच्चों को MMR वैक्सीन (MMR Vaccine) लगाई जाती है।
डोज (Dose): MMR वैक्सीन की दो डोज बच्चों को दी जाती है। पहला डोज 12 से 15 महीने के बच्चे को और फिर दूसरी और आखरी डोज 4 से 6 साल की उम्र में।
और पढ़ें : स्कूल के बच्चों के लिए हेल्दी हेबिट्स क्यों है जरूरी? जानें किन-किन आदतों को बच्चों को बताना है बेहतर