‘दूध है वंडरफुल, एवेरी सीजन पी सकते हैं रोज ग्लास फुल…’ ऐसा आपने जरूर सुना होगा। लेकिन इसके बिल्कुल उलट ज्यादातर बच्चे दूध पीना पसंद नहीं करते हैं और बढ़ते बच्चों की ये ना पसंद पैरेंट्स के लिए बन जाती है सिरदर्द। डॉक्टर्स के अनुसार नवजात शिशुओं के लिए तो मां का दूध या फॉर्मूला मिल्क का ही ऑप्शन रहता है, लेकिन 12 महीने के बाद बच्चों के सामने खाने-पीने के कई ऑप्शन खुल जाते हैं। हालांकि ये वो वक्त होता है, जब आप अपने बच्चे को सॉलिड फूड देना शुरू करते हैं पर इन बढ़ते बच्चों को दूध पीना उतना ही जरूरी होता है, जितना नवजात के जन्म के बाद मां का दूध। आज इस आर्टिकल में समझेंगे बच्चों को कितना दूध पीना चाहिए ? बच्चों का मिल्क चार्ट (Toddler milk chart) कैसा होना चाहिए? और साथ ही मिल्क चार्ट से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां। लेकिन सबसे पहले दूध क्यों माना जाता है हेल्दी, ये जान लेते हैं।
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दूध हेल्दी ड्रिंक की लिस्ट में क्यों है शामिल?
दूध को हर उम्र की हेल्दी ड्रिंक के तौर पर निम्नलिखित कारणों से माना जाता है।-
- कैलोरी-146 ग्राम
- प्रोटीन-8 ग्राम
- फैट- 8 ग्राम
- कैल्शियम– 28 प्रतिशत
- विटामिन डी- 24 प्रतिशत
- राइबोफ्लेविन- 26 प्रतिशत
- विटामिन बी12- 18 प्रतिशत
- पोटैशियम- 10 प्रतिशत
- फॉस्फोरस- 22 प्रतिशत
- सेलेनियम- 13 प्रतिशत
दूध में मौजूद ये सभी पौष्टिक तत्व सेहत के लिए लाभकारी माने जाते हैं और इसीलिए 1 से 3 साल के बच्चों का मिल्क चार्ट समझना जरूरी हो जाता है।
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1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट कैसा होना चाहिए? (Milk chart for toddler)
1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट नवाजत शिशुओं की तुलना में बेहद अलग होता है। नवजात बच्चों का पेट कुछ ही चम्मच में भर जाता है, जबकि बढ़ते बच्चों को थोड़ी ज्यादा मात्रा में दूध की जरूरत होती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के मुताबिक दूध और पानी बढ़ते बच्चों के लिए सबसे बेस्ट ड्रिंक है। वैसे अगर इन छोटे बच्चों को कोई और पेय पदार्थ दें और अगर उन्हें स्वाद पसंद आ गया, तो वो सिर्फ वही पीना चाहेंगे। लेकिन पैरेंट्स को अपने 1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट ही फॉलो करना चाहिए।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के मुताबिक-
- 12 महीने से 24 महीने यानी 1 साल से 2 साल के शिशुओं को 2 से 3 कप दूध रोजाना पिलाना चाहिए।
- 2 साल से 3 साल तक के बच्चों को दो से ढ़ाई कप दूध देना चाहिए।
ऊपर बताये गए 1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट फॉलो करें। लेकिन अगर आपके पीडियाट्रिक्स ने बच्चे के मिल्क चार्ट में कोई बदलाव किया है, तो उसका जरूर पालन करें।
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1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट फॉलो करना क्यों है जरूरी? (Why to follow toddler’s milk chart?)
बढ़ते बच्चों के लिए मिल्क चार्ट फॉलो (Toddler milk chart) करना इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि दूध में मौजूद कैल्शियम, फैट एवं प्रोटीन बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक विकास के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है। वहीं दूध में मौजूद विटामिन डी बच्चे के हड्डियों को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ-साथ ग्रोथ में भी सहायक होता है। हालांकि अगर आप सोच रहें हैं कि बच्चे के विकास के लिए आवश्यक विटामिन डी की जरूरत सिर्फ दूध से पूरी हो सकती है? तो ऐसा नहीं है। दूध के अलावा विटामिन डी की पूर्ति के लिए सुबह की धूप के अलावा बच्चे को केला, अंडे का योक (पीला हिस्सा) एवं मछली खिलाई जा सकती है।
वैसे अगर आप सोच रहें कि अपने बच्चे को दूध ज्यादा देना शुरू कर दूं या दूध की मात्रा बढ़ा दूं, तो ऐसा नहीं करें। आर्टिकल में आगे समझेंगे बच्चों में दूध संतुलित मात्रा से बढ़ा दिया जाए, तो इसका फायदा या नुकसान होगा।
बच्चों को ज्यादा दूध देना हो सकता है नुकसानदेह?
कहते हैं ना ‘डोज से ओवरडोज नहीं करना चाहिए’। ठीक वैसे ही टॉडलर्स (1 से 3 साल का बच्चा) के लिए दूध हेल्दी माना जाता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा दूध देना उनकी शारीरिक परेशानी को बढ़ाने से कम नहीं है। अगर बच्चों का मिल्क चार्ट फॉलो ना किया जाए और दूध की मात्रा बढ़ा दी जाए, तो निम्नलिखित परेशानी बच्चों में देखी जा सकती है। जैसे:
कब्ज (Constipation)
बच्चे जब जरूरत से ज्यादा दूध पीने लगें, तो उन्हें कब्ज की समस्या हो सकती है, क्योंकि दूध में फाइबर की मात्रा नहीं होती है। नैशनल लायब्रेरी ऑफ मेडिसिन (NIH) में पब्लिश एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रिसर्च के दौरान जब 3 बच्चों को आवश्यकता से ज्यादा दूध पिलाया गया, तो बच्चों में कॉन्स्टिपेशन की समस्या हुई। इन बच्चों को दूध की मात्रा ज्यादा दी गई और खाने की चीजें कम दी गई। इसलिए बच्चों का मिल्क चार्ट जरूर फॉलो करें। इनमें बदलाव तभी करें जब डॉक्टर ने ऐसी कोई सलाह दी हो तब।
मिल्क एनीमिया (Milk Anemia)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार जो बच्चे जरूरत से ज्यादा दूध पीते हैं, उनमें आयरन डिफिशिएंसी का खतरा बढ़ जाता है। एनीमिया की समस्या गंभीर होने पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood transfusion) की भी जरूरत पड़ सकती है।
खाना नहीं खाने की आदत (Poor Eating Habits)
‘खाना नहीं खाना’… इस शब्द से ज्यादातर पैरेंट्स परेशान रहते हैं कि उनका बच्चा ठीक से खाना नहीं खाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक कारण जरूरत से ज्यादा दूध पीना भी हो सकता है। दरअसल दूध ज्यादा पीने की वजह से खाना खाने की इच्छा ना होना, जो बच्चों के बॉडी में अन्य न्यूट्रिशन की कमी को पैदा कर सकते हैं। इसलिए बच्चों का मिल्क चार्ट बिगड़ने पर न्यूट्रिशन की कमी और वेट गेन जैसी परेशानी भी शुरू हो सकती है।
जरूरत से ज्यादा दूध पीने की वजह से ऊपर बताई इन 3 परेशानियों के अलावा और भी परेशानी हो सकती है। इसलिए बच्चों के मिल्क डायट या फूड डायट को पीडियाट्रिक्स से जरूर समझें।
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किस तरह के पेय पदार्थों से बच्चों को दूर रखना चाहिए?
बच्चा जैसे ही ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क को छोड़ता है, वैसे ही माता-पिता के सामने खाने-पीने के कई विकल्प आ जाते हैं। इस आर्टिकल में हम बच्चों के मिल्क चार्ट को समझ रहें, इसलिए यह भी जरूर समझें कि किस तरह के ड्रिंक्स से बच्चों को दूर रखना चाहिए।
- बच्चा जैसे ही ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क को छोड़ता है, वैसे ही माता-पिता के सामने खाने-पीने के कई विकल्प आ जाते हैं। इस आर्टिकल में हम बच्चों के मिल्क चार्ट को समझ रहे हैं, इसलिए यह भी जरूर समझें कि किस तरह के ड्रिंक्स से बच्चों को दूर रखना चाहिए।
- बच्चे को सिर्फ जूस ना पिलाएं। सिर्फ जूस के सेवन की वजह से शरीर में न्यूट्रिशन की कमी के साथ-साथ फाइबर की भी कमी हो सकती है। इसलिए कोशिश करें की ताजे फल अच्छी तरह से मैश कर बच्चे को दें।
- बच्चों के मिल्क चार्ट में फ्लेवर्ड मिल्क को एड ना करें। फ्लेवर्ड मिल्क में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है, जो बच्चों के लिए नुकसानदायक होता है।
- अगर बच्चे को लैक्टोज इन्टॉलरेंस की समस्या है, तो प्लांट मिल्क ना दें। प्लांट मिल्क भी बच्चे की सेहत पर नेगेटिव प्रभाव डालता है। प्लांट मिल्क की जगह सोया मिल्क या आलमंड मिल्क दिया जा सकता है।
- इनदिनों बाजार में टोडलर्स के लिए मिल्क भी आसानी से मिल जाता है। लेकिन टोडलर्स मिल्क में अलग से शुगर एडेड होते हैं, जो बच्चे के लिए नुकसानदायक होता है।
- सोडा एवं स्पोर्ट्स ड्रिंक्स से भी बच्चों को दूर रखें। ऐसे पेय पदार्थों के सेवन से बच्चों में वेट गेन, डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम या डेंटल प्रॉब्लम को दावत देने के लिए काफी हैं।
- कई बार पैरेंट्स या घर के बुजुर्ग बच्चों को चाय पिलाने लगते हैं, जबकि छोटे बच्चों को चाय या कॉफी जैसे पेय पदार्थ नहीं देने चाहिए, क्योंकि इसका नकारत्मक प्रभाव उनके स्लीप पैटर्न पर पड़ता है।
1 से 3 साल तक के बच्चों के लिए ये ड्रिंक्स हानिकारक होते हैं। इसलिए उन्हें गाय के दूध और पानी के अलावा कोई अन्य पेय पदार्थ ना दें।
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डॉक्टर से कब कंसल्ट करना है जरूरी?
निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। जैसे:
- अगर आपके बच्चे को फूड एलर्जी हो या बच्चा लैक्टोज इन्टॉलरेंस हो।
- बच्चा अगर ठीक तरह से डायट फॉलो ना करता हो या न्यूट्रिशन की कमी हो।
- बच्चे का विकास ठीक तरह से ना हो।
इन स्थितियों के अलावा अगर कोई परेशानी बच्चों में नजर आये, तो देर ना करें और डॉक्टर से संपर्क करें।
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1 से 3 साल तक के बच्चों का डेली डायट कैसा होना चाहिए?
छोटे बच्चों का डेली डायट प्लान करना और उसे फॉलो करना, हेल्दी बेबी की निशानी है। इसलिए निम्नलिखित डायट फॉलो करना चाहिए। जैसे:
- ब्रेकफास्ट (Breakfast)- 1/2 ओटमील के साथ 1/4 cup ब्लूबेरी और 1 कप दूध। अब इसमें 1 चम्मच ब्राउन शुगर मिलाकर बच्चे को खिलाएं।
- स्नैक्स (Snacks)- 1 उबला अंडा
- लंच (Lunch)- रोटी एवं हरी सब्जी दें। आप बच्चे को पतला दाल या दाल का पानी भी दे सकती हैं।
- स्नैक्स (Snacks)- 1 से 2 डायजेस्टिव बिस्किट।
- डिनर (Dinner)- सब्जी और रोटी और एक कप दूध।
इन खाने पीने की चीजों को अच्छी तरह से मैश कर बच्चों को खिलाएं। आप चाहें, तो अन्य हेल्दी फूड को भी बच्चों की डायट में शामिल कर सकती हैं। अगर आप अपने 1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट फॉलो करवाते हैं, लेकिन इससे अगर बच्चे को कोई परेशानी महसूस होती है या बच्चे का ग्रोथ ठीक तरह से नहीं हो रहा है या इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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