1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट कैसा होना चाहिए? (Milk chart for toddler)
1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट नवाजत शिशुओं की तुलना में बेहद अलग होता है। नवजात बच्चों का पेट कुछ ही चम्मच में भर जाता है, जबकि बढ़ते बच्चों को थोड़ी ज्यादा मात्रा में दूध की जरूरत होती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के मुताबिक दूध और पानी बढ़ते बच्चों के लिए सबसे बेस्ट ड्रिंक है। वैसे अगर इन छोटे बच्चों को कोई और पेय पदार्थ दें और अगर उन्हें स्वाद पसंद आ गया, तो वो सिर्फ वही पीना चाहेंगे। लेकिन पैरेंट्स को अपने 1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट ही फॉलो करना चाहिए।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के मुताबिक-
- 12 महीने से 24 महीने यानी 1 साल से 2 साल के शिशुओं को 2 से 3 कप दूध रोजाना पिलाना चाहिए।
- 2 साल से 3 साल तक के बच्चों को दो से ढ़ाई कप दूध देना चाहिए।
ऊपर बताये गए 1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट फॉलो करें। लेकिन अगर आपके पीडियाट्रिक्स ने बच्चे के मिल्क चार्ट में कोई बदलाव किया है, तो उसका जरूर पालन करें।
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1 से 3 साल तक के बच्चों का मिल्क चार्ट फॉलो करना क्यों है जरूरी? (Why to follow toddler’s milk chart?)
बढ़ते बच्चों के लिए मिल्क चार्ट फॉलो (Toddler milk chart) करना इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि दूध में मौजूद कैल्शियम, फैट एवं प्रोटीन बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक विकास के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है। वहीं दूध में मौजूद विटामिन डी बच्चे के हड्डियों को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ-साथ ग्रोथ में भी सहायक होता है। हालांकि अगर आप सोच रहें हैं कि बच्चे के विकास के लिए आवश्यक विटामिन डी की जरूरत सिर्फ दूध से पूरी हो सकती है? तो ऐसा नहीं है। दूध के अलावा विटामिन डी की पूर्ति के लिए सुबह की धूप के अलावा बच्चे को केला, अंडे का योक (पीला हिस्सा) एवं मछली खिलाई जा सकती है।
वैसे अगर आप सोच रहें कि अपने बच्चे को दूध ज्यादा देना शुरू कर दूं या दूध की मात्रा बढ़ा दूं, तो ऐसा नहीं करें। आर्टिकल में आगे समझेंगे बच्चों में दूध संतुलित मात्रा से बढ़ा दिया जाए, तो इसका फायदा या नुकसान होगा।
बच्चों को ज्यादा दूध देना हो सकता है नुकसानदेह?
कहते हैं ना ‘डोज से ओवरडोज नहीं करना चाहिए’। ठीक वैसे ही टॉडलर्स (1 से 3 साल का बच्चा) के लिए दूध हेल्दी माना जाता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा दूध देना उनकी शारीरिक परेशानी को बढ़ाने से कम नहीं है। अगर बच्चों का मिल्क चार्ट फॉलो ना किया जाए और दूध की मात्रा बढ़ा दी जाए, तो निम्नलिखित परेशानी बच्चों में देखी जा सकती है। जैसे:
कब्ज (Constipation)
बच्चे जब जरूरत से ज्यादा दूध पीने लगें, तो उन्हें कब्ज की समस्या हो सकती है, क्योंकि दूध में फाइबर की मात्रा नहीं होती है। नैशनल लायब्रेरी ऑफ मेडिसिन (NIH) में पब्लिश एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रिसर्च के दौरान जब 3 बच्चों को आवश्यकता से ज्यादा दूध पिलाया गया, तो बच्चों में कॉन्स्टिपेशन की समस्या हुई। इन बच्चों को दूध की मात्रा ज्यादा दी गई और खाने की चीजें कम दी गई। इसलिए बच्चों का मिल्क चार्ट जरूर फॉलो करें। इनमें बदलाव तभी करें जब डॉक्टर ने ऐसी कोई सलाह दी हो तब।
मिल्क एनीमिया (Milk Anemia)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार जो बच्चे जरूरत से ज्यादा दूध पीते हैं, उनमें आयरन डिफिशिएंसी का खतरा बढ़ जाता है। एनीमिया की समस्या गंभीर होने पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood transfusion) की भी जरूरत पड़ सकती है।