बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) का मतलब स्टैंडर्ड ग्रोथ के पैमाने को न छू पाना होता है। बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) कोई डिजीज या फिर डिसऑर्डर नहीं होता है। ये एक प्रकार की स्थिति होती है, जिसमें बच्चे को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। या तो बच्चे को किसी कारण से पोषण प्राप्त नहीं होता है या फिर वो कुपोषित हो सकते हैं। उम्र के हिसाब से जो बच्चे स्टैंडर्ड वेट से कम होचे हैं, उन बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) कि सिचुएशन को देखा जा सकता है। बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर बच्चे के वजन, ऊंचाई, उम्र और लिंग की तुलना नेशनल एवरेज के अनुसार करता है। जिन बच्चों का वजन आइडियल वेट से कम होता है, वो बच्चे तय मानक या पैमाने में सफल नहीं हो पाते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) कि स्थिति या सिचुएशन के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही अहम बातें भी बताएंगे।
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बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) के कारण
बच्चों में फेलियर से थ्राइव के बारे में पेरेंट्स को जानकरी जरूर होनी चाहिए। बच्चों में थ्राइव मेडिकल प्रॉब्लम या बच्चे के वातावरण के फैक्टर्स के कारण हो सकता है। एक नहीं बल्कि कई मेडिकल कॉज होते हैं, जो बच्चे की ग्रोथ या विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
- डाउन सिंड्रोम जैसे जीन की समस्या के कारण
- अंग की समस्याएं (Organ problems)
- हॉर्मोन की समस्या (Hormone problems)
- ब्रेन या सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान, जिससे बच्चों को दूध पिलाने में कठिनाई हो सकती है
- हार्ट या लंग्स की समस्याएं, जो शरीर में पोषक तत्वों के मूवमेंट को प्रभावित करते हैं।
- एनीमिया या अन्य रक्त विकार
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं (Gastrointestinal problems), जिसके कारण पाचन एंजाइमों की कमी होती है।
- लॉन्ग टर्म इंफेक्शन
- मेटाबॉलिज्म की समस्या
- गर्भावस्था के दौरान समस्याएं या जन्म के समय कम वजन
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बच्चों के आसपास का वातावरण भी बच्चे की विकास की भूमिका में अहम रोल निभाता है। जानिए कौन-से फैक्टर्स बच्चे के विकास में बाधा पैदा कर सकते हैं।
- माता-पिता और बच्चे के बीच इमोशनल बॉन्ड का लॉस
- गरीबी
- पेरेंट्स का बच्चों के लिए उचिक आहार की जरूरतों को न समझना
- संक्रमण, परजीवी या टॉक्सिक पदार्थों के संपर्क में आना
- खाने की खराब आदतें, जैसे कि टेलीविजन के सामने खाना और सही समय पर न खाना
इन कारणों के साथ ही अन्य कई कारण भी शामिल हैं। कई बार कारण का पता नहीं चल पाता है।
बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) के लक्षण क्या हैं?
अगर आपके बच्चे का विकास अचानक से रुक जाता है, तो इसके एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। जिन बच्चों को सही मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है, उनके विकास में बाधा पहुंचती हैं। इसमें केवल शरीर का विकास ही नहीं बल्कि मानसिक विकास भी शामिल होता है। जानिए बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) के दौरान क्या लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।
- वजन बढ़ने में कमी (Lack of weight gain)
- डेवलपमेंट माइलस्टोन में देरी, जैसे लुढ़कना, रेंगना और बात करना
- लर्निंग डिसएबिलिटी (Learning disabilities)
- भावनाओं की कमी, जैसे मुस्कुराना, हंसना, या आंख से संपर्क करना
- डिलेड मोटर डेवलपमेंट (Delayed motor development)
- थकान (Fatigue)
- चिड़चिड़ापन (Irritability)
- किशोरावस्था में प्यूबर्टी का देर से आना
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डॉक्टर को दिखाने की कब पड़ती है जरूरत?
बच्चे का विकास ठीक से हो रहा है या फिर नहीं, इस बात की जानकारी प्रेग्नेंसी के दौरान ही मिल जाती है। जब बच्चे का जन्म हो जाता है, तो उसके बाद नियमित जांच के माध्यम से उसके विकास के बारे में जानकारी मिलती रहती है। समय पर जांच न हो पाने पर बच्चों में बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) सिचुएशन के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। अगर बच्चे में विकास सही से नहीं हो पा रहा है, तो जांच के दौरान ही इसका पता चल जाता है और डॉक्टर उचित उपाय अपनाकर ट्रीटमेंट करते हैं। बच्चों के विकास का पैटर्न स्थिर नहीं हो सकता है। आपको डॉक्टर से बेहतर इस बारे में जानकारी कोई नहीं दे सकता है। बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास में अगर देरी हो रही है, तो इसका कारण डॉक्टर जांच के बाद ही बता सकते हैं।
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बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) का डायग्नोज
बच्चे के विकास में किस प्रकार की बाधा पहुंच रही है, इसे डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। जानिए इन में कौन से टेस्ट शामिल है।
- यूरिन टेस्ट (urine tests)
- एक्स-रे (X-rays)
- ब्लड टेस्ट (blood tests)
- डेवलपमेंट स्क्रीनिंग (Developmental screenings)
आपको इस संबंध में डॉक्टर से अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
बच्चों में फेलियर से थ्राइव का ट्रीटमेंट (Treatment options for failure to thrive?)
बच्चों में फेलियर से थ्राइव सिचुएशन यानी स्थिति को कैसे ट्रीट किया जाना है, इस बारे में बीमारी का कारण पता लगने के बाद ही तय किया जाता है। किस प्रकार के लक्षण दिख रहे हैं, बच्चा किस वातावरण में रह रहा है, पैदा हुई समस्या या बीमारी का कारण क्या है, आदि बातों का पता लगाने के बाद बच्चे का ट्रीटमेंट किया जाता है। पोषण की कमी होने पर बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पोषण दिया जाता है। बच्चे का विकास सामान्य स्तर पर पहुंचने के बाद, उन्हें शारीरिक और मानसिक विकास को सही रखने के लिए मदद की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में फिजकल थेरिपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, डायटीशियन आदि की मदद ली जाती है।
अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो रहा है या फिर आपका बच्चा ठीक से खाना नहीं खाता है या फिर बच्चा आपकी बातों का रिस्पांस नहीं करता है, तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आपको डॉक्टर को बच्चों में दिखने वाले लक्षणों के बारे में बताना चाहिए और साथ ही उनसे ट्रीटमेंट के बारे में भी पूछना चाहिए।
इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों में फेलियर से थ्राइव (Failure to Thrive) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपकोइस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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