हर किसी का भावनाओं को महसूस करने का स्तर अलग-अलग होता है। कोई अपनी भावनाओं पर काबू रखता है और कोई ज्यादा भावुक हो सकता है। चाहें वह एक बच्चा हो या कोई बड़ा हर किसी का परिस्थिति को संभालने का तरीका अलग होता है। किसी भी उम्र में रोना एक ऐसा भाव है जो गुस्सा, डर, तनाव या यहां तक कि खुशी जैसी भावनाओं से अभिभूत होने के लिए एक सामान्य प्रतिक्रिया है। हालांकि, कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में अधिक रोते हैं। आइए जानते हैं भावुक बच्चे (Emotional child) को हैंडल करने के टिप्स (Tips for handling an emotional child) जो आपके और बच्चे के बीच हेल्दी रिलेशन बनाएंगे। इस बात का ध्यान रखें कि ये टिप्स जरूरी नहीं है कि हर बच्चे के लिए उपयोगी हो। अगर आपका बच्चा किसी गंभीर परिस्थिति का सामना कर रहा है तो, चाइल्ड काउंसलर से सलाह लें।
भावनाओं को कमजोरी ना समझें (Tips for handling an emotional child)
भावुक बच्चे (Emotional child) को हैंडल करने के लिए उन्हें यह समझाना बेहद जरूरी है कि वह भावनाओं को कभी भी कमजोरी न समझें। कभी-कभी माता-पिता अत्यधिक भावुक बच्चों से शर्मिंदा होते हैं। हो सकता है माता-पिता अपने बच्चों की इस आदत से भीड़ में झेंपते हो, लेकिन इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। एक पिता क्रिकेट में हारने के बाद अपने बेटे को रोता हुआ देख कर चिढ़ सकता है या एक मां अपनी बेटी को डांस क्लास से बाहर आते हुए रोते हुए देखकर उसको चुप होने का इशारा कर सकती है। लेकिन रोना बुरी बात नहीं है और कुछ बच्चे कम इमोश्नल होते हैं वहीं कुछ बच्चे अत्यधिक भावुक होते हैं। बच्चों में अधिक भावनाएं होना भी ठीक है।
भावुक होने का मतलब ये नहीं होता कि बच्चा कमजोर है हालांकि यह जरुरी है कि बच्चे अपनी भावनाओं को पहचानना और समझना सीखें। भावनात्मक जागरूकता बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मदद कर सकती है, तब भी जब वे उन भावनाओं को गहराई से महसूस करते हैं।
जब कभी आपका बच्चा भावुक हो तो उसे इन कारणों के लिए कुछ भी कहने से बचें। इसके अलावा ऐसा सोचना बंद कर दें उसको भावनात्मक स्तर पर मदद की जरुरत है। आपका इस बात को मानना आपके बच्चे के लिए मायने रखता है कि हर किसी का स्वभाव अलग होता है और आपका बच्चा आपकी तुलना में अधिक भावनात्मक संवेदनशीलता महसूस कर सकता है।
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भावुक बच्चे (Emotional child) को भावनाओं के बारे में सिखाएं
आपके बच्चे के लिए उसकी भावनाओं को पहचानना जरूरी है। उसको उसकी भावनाओं के बारे में बताएं उसे सिखाना शुरू करें। आप अपने बच्चे को बता सकते हैं कि आप कब भावुक होते हैं और भावुक होने पर क्या करते हैं। उनसे अपनी भावनाओं के बारे में बात करने से वे भी आपसे बात करने में संकोच नहीं करेंगे।
आप चाहे तो बच्चों से किताबों में या टीवी शो में कैरेक्टर के बारे में बात करके भावनाओं के बारे में बातचीत भी कर सकते हैं। कभी-कभी अपने बच्चे से इस तरह के सवाल पूछें जैसे आपको क्या लगता है कि यह कैरेक्टर कैसा महसूस कर रहा है? असल जिंदगी में इस तरह के प्रैक्टिकल करने से आपके बच्चे की भावनाओं को काबू करने की क्षमता में सुधार होगा।
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भावनाओं और व्यवहार के बीच का अंतर साफ करें (Tips for handling an emotional child)
बच्चों के लिए सामाजिक तौर पर ठीक से अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सीखना जरुरी है। किसी दुकान के बीच में जोर से चिल्लाते हुए सामान मांगना या स्कूल में गुस्से में अपना सामान फेंकना ठीक नहीं है। अपने बच्चे को बताएं कि वह किसी भी भावना को महसूस कर सकता है, जो वह चाहता है और गुस्सा या डर महसूस करना गलत नहीं है।
लेकिन उसे यह बताएं कि उसके पास विकल्प हैं कि वह उन असहज भावनाओं पर कैसे प्रतिक्रिया करे। इसलिए भले ही उसे गुस्सा आ रहा है उसकी वजह से किसी को मारना ठीक नहीं है। या सिर्फ इसलिए कि वह दुखी महसूस करता है, इसका मतलब यह नही है कि उसका फर्श पर लेट कर रोना सही है। बच्चे को उनकी भावनाओं पर वयक्त करने वाली हर प्रतिक्रिया के बारे में समझाएं।
उसके व्यवहार को अनुशासित करें लेकिन उसकी भावनाओं को नहीं। बच्चे की भावनाओं को कंट्रोल करने के लिए आप अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल कर सकते है। आप उसकी आदतें बदलने के लिए उसे सजा दे सकते है, जैसे क्योंकि बच्चा चिल्ला रहा था तो पूरे दिन के लिए उसे खिलौने नहीं देना या अपने भाई-बहन से लड़ने की वजह से पूरे दिन उसको खेलने का समय नहीं देना।
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भावुक बच्चे (Emotional child) की भावनाओं पर ध्यान दें
कभी-कभी माता-पिता अनजाने में अपने बच्चे की भावनाओं पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन यह बच्चे को गलत संदेश देता है। अपने बच्चे को ये कहना कि, “परेशान होना बंद करो। यह कोई बड़ी बात नहीं है “आपके बच्चे को यह मैसेज देगा कि उसकी भावनाएं गलत हैं। लेकिन ऐसी भावनाएं होना ठीक है भले ही वह दूसरे बच्चों के मुकाबले आपको लगता है थोड़ी ज्यादा हैं।
चाहे आपको लगता है कि वह गुस्सा है, उदास है, निराश है या शर्मिंदा अपने बच्चे से बात करें उससे पूछें कि वह क्या महसूस कर रहा है और उसकी भावनाओं के लिए सहानुभूति दें। ऐसे समय में कुछ मां बाप उल्टा बच्चों पर ही गुस्सा करने लगते हैं। ऐसा गलती आप न करें। अपने बच्चों के इमोशंस का ध्यान रखें।
बच्चों को यह समझने में मदद करें कि भावनाएं समय के साथ बदलती रहती हैं और जिस तरह से बच्चा अभी महसूस कर रहा है वह थोड़ी देर में बदल जाएगा। यह महसूस करते हुए कि उनकी भावनाओं और आंसू कुछ समय के लिए है और यह आते-जाते रहेंगे यह जानकर बच्चे को भावनात्मक पलों के बीच में थोड़ा शांत रहने में मदद मिलती है। शुरुआत में भले ही आपका बच्चा आपकी बात को नहीं समझेगा लेकिन धीरे-धीरे यह बात उसे समझ आने लगेगी। जैसे- जैसे बच्चा बढ़ा होता जाएगा वह भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका भी सीख जाएगा।
ज्यादा भावनात्मक बच्चे का व्यवहार कभी-कभी निराशाजनक हो सकता है। अपने बच्चे को अपनी भावनाओं से निपटने और जरूरी बातें सिखाने के लिए बच्चे को आपके अधिक सर्पोट की जरुरत हो सकती है। इसलिए अपने बच्चे की उस समय जरूरत समझें और उनका उसी अनुसार ध्यान रखें। ऊपर बताए गए सभी टिप्स भावुक बच्चे (Emotional child) की देख-रेख करने में आपकी मदद करेंगे। आपकी केयर का बच्चे के व्यवहार पर काफी असर पड़ता है।
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