ऐसी वजहें हो सकती हैं जो आपको एक स्पेशल चाइल्ड का पैरेंट्स बना सकती हैं। जैसे सामान्य बच्चे होते हैं, वैसे ही स्पेशल चाइल्ड (Special child) भी होते हैं। हालांकि, अनुवांशिक या गर्भावस्था के दौरान किसी तरह की घटना के कारण स्पेशल चाइल्ड हमसे और अन्य सामान्य बच्चों व बड़ों से थोड़ा अलग हो सकते हैं। इसलिए स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (School for special child) देना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। स्पेशल चाइल्ड कई प्रकार के हो सकते हैं। वो सामान्य बच्चों की तरह सभी के साथ ग्रुप में स्कूल नहीं जा सकते हैं। ऐसे में स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (School for special child) की सुविधा का विकल्प दिया जाता है।
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क्या है स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (School for special child) की सुविधा?
अपने आप में सभी बच्चे विशेष होते हैं। सभी बच्चों के पढ़ने-लिखने की क्षमता, सोचने की क्षमता, किसी भी कार्य को करने की शारीरिक या मानसिक शक्ति (Mental and physical power) एक-दूसरे से काफी अलग होती है। इस लिहाज से उनकी आवश्यकताएं भी एक-दूसरे बच्चे से काफी अलग हो सकती हैं। कुछ छात्र दूसरों की तुलना में अलग तरह से सीखते हैं। जिन्हें स्पेशल चाइल्ड कह सकते हैं। स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (Home schooling) की सुविधा इसलिए दी जाती है, ताकि बिना किसी डर या बिना किसी अपमान के वे भी शिक्षा प्राप्त कर सके। स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (School for special child) घर या घर से बाहर किसी स्कूल या किसी गॉर्डन में भी दी जा सकती है। यह बात बच्चे की सहजता और सीखने की क्षमता पर निर्भर कर सकती है। इसके अलावा आजकल स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग की सुविधा के तौर पर ऑनलाइन स्कूलों (Online schooling) की भी सुविधा मिलने लगी है। जहां से माता-पिता खुद अपने स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग सिखा सकते हैं।
स्पेशल चाइल्ड (Special child) कौन होता है?
ऐसे बच्चे जो जन्म से ही किसी तरह की मानसिक समस्या से पीड़ित हो, जिनका कोई उपचार नहीं होता है उन्हें स्पेशल चाइल्ड कहा जाता है। इनके अलावा जन्म से ही अंधेपन का शिकार या अन्य शारीरिक स्थितियों वाले बच्चों को भी हम स्पेशल चाइल्ड (Special child) कहते हैं। हालांकि, जन्म से ही मानसिक और शारीरिक समस्याओं वाले स्पेशल चाइल्ड को अलग-अलग तरह की होम स्कूलिंग दी जाती है।
हम अपने इस आर्टिकल में जन्म से ही किसी तरह की मानसिक समस्याओं से पीड़ित बच्चों के होम स्कूलिंग (Home schooling) के बारे में बात करेंगे।
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किन स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (School for special child) की जरूरत होती है?
ऐसे बच्चें जो डिस्लेक्सिया (Dyslexia), डिस्ग्राफिया, अटेंशन डिफिसिट डिसऑर्डर (ADD) या अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (AHD), ऑटिज्म (Autism), डिप्रेशन (Depression) का शिकार, टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) और बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder) या लर्निंग डिसेबिलिटीज (LD) यानी किसी नई बात या कार्य को सीखने की कठिनाई महसूस करने जैसी समस्यों से मां के गर्भ में ही पीड़ित हो जाते हैं। हालांकि, ऐसे अधिकतर मामलों में यह आनुवांशिक तौर पर पाया जाता है। स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (School for special child) की जरूरत होती है। इस तरह के बच्चों के लिए शैक्षणिक, शारीरिक, सामाजिक, या भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में उन्हें समाज से अलग तरह की होम स्कूलिंग दी जाती है। ताकि वो भी शिक्षित हो सके और खुद को समझ सकें।
स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग के फायदे क्या हैं? (Benefits of special child schooling)
खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं
आमतौर स्पेशल चाइल्ड्स (Special child) के साथ असुरक्षा की भावना देखी जाती है। उनकी स्थिति की वजह से स्कूल के अन्य बच्चे उनके साथ अव्यवहार कर सकते हैं। जिससे बच्चे सामाजिक परिवेश से पूरी तरह से डर सकते हैं। लेकिन अगर ऐसे बच्चों को होम स्कूलिंग (Home schooling) की सुविधा मिलती है, तो वे ऐसी स्थिति से सुरक्षित रहते हैं। होम स्कूलिंग बच्चे को घर पर उसके माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों के द्वारा या स्पेशल चाइल्ड के लिए अलग से बनाए गए स्कूल में भी पढ़ाया जा सकता है। स्पेशल चाइल्ड के स्कूल (Special child school) में इसी तरह के बच्चों को पढ़ाया जाता है जहां पर वो अपने जैसे और भी लोगों को देखकर खुद को सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।
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फ्लेक्सिबिलिटी (Flexibility)
ऐसे बच्चों को होम स्कूलिंग (Home schooling) का एक और सबसे बड़ा फायदा है, वो है फ्लेक्सिबिलिटी। अगर बच्चा घर से ही पढ़ाई कर रहा है, तो उसे समय के लिए खुक को पाबंद नहीं करना पड़ेगा। वो अपनी इच्छानुसार किसी भी सब्जेक्ट को पढ़ सकता है और लंच कर सकता है। इसके अलावा, अगर पढ़ाई के दौरान बच्चे को नींद आती है, तो वह कुछ समय के लिए सो भी सकता है। हालांकि, इस दौरान माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए, होम स्कूलिंग के दौरान भी बच्चे को समय का पाबंद बनाएं। ताकि, वो आने वाले समय में समय की महत्व को समझ सकें।
पीछे रहने का डर नहीं
आमतौर पर देखा जाता है कि, जब भी किसी बच्चे का रिजल्ट आता है तो उसके माता-पिता रिजल्ट की तुलना उसके साथ पढ़ने वाले दूसरों बच्चों के रिजल्ट के साथ भी करते हैं। ऐसे में बच्चों का मनोबल कम हो सकता है। उनके मन में दूसरे बच्चों के लिए गुस्सा और हमेशा अधिक पढ़ाई करने का प्रेशर भी बना रह सकता है। हालांकि, स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (Special child home schooling) के दौरान इन बातों की चिंता नहीं होती है।
पसंदीदा खेल को खेलने (Game) का मौका
आजकल लगभग सभी स्कूलों में शिक्षा के साथ-साथ खेलों को भी काफी महत्व दिया जा रहा है। हालांकि, देखा जाए हर स्कूल में सभी तरह के खेल नहीं होते हैं। स्कूलों में आमतौर पर बच्चों के पास खेल के तौर पर दो या तीन खेलों का ही विकल्प होता है। लेकिन स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (Special child home schooling) के दौरान अपने किसी भी पसंदीदा खेल को खेलने और सीखने का पूरा मौका मिलता है। यहां तक कि वो हफ्ते के हिसाब से अलग-अलग खेलों को भी खेल सकता है।
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अगर मैं अपने बच्चे को होम स्कूलिंग घर पर ही दूं, तो इसके लिए मुझे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
खुद को ट्रेनिंग दें
यह बहुत ही जरुरी है कि अगर आप खुद से ही अपने स्पेशल बच्चे को होम स्कूलिंग (Home schooling) देना चाहती हैं, तो सबसे खुद को शिक्षत करें। इसके लिए आप वीकेंड पर एक्सपर्ट्स द्वारा क्लालेस भी लें सकती हैं और साथ ही इंटरनेट की भी मदद ले सकती हैं। कोई भी सभी विषयों में एक्सपर्ट नहीं होता है। तो अगर आपको लगता है कि आप किसी विषय में अपने स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (Special child home schooling) के दौरान अच्छे से नहीं पढ़ा या समझा सकती हैं, तो इसके लिए परिवार के अन्य सदस्यों या दोस्तों की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा आप खुद भी इस विषय के लिए किसी टीचर से ट्यूशन (Tution) पढ़ सकते हैं।
सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों की मदद लें
स्पेशल चाइल्ड को होम स्कूलिंग (Special child home schooling) कैसे दी जा सकती हैं, इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप सरकारी और प्राइवेट संस्थानों से भी मदद लें सकते हैं। आप चाहें तो घर पर ही अपने बच्चे के लिए किसी एक्सपर्ट को पढ़ाने के लिए बुला सकती हैं या उसे ऑनलाइन कोर्स (Online course) के जरिए भी पढ़ा सकती हैं।
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होम स्कूलिंग के लिए टीचर चुनते समय किन बातों का ध्यान रखें?
अगर आप अपने चाइल्ड को होम स्कूलिंग (Child’s schooling) के लिए किसी टीचर को चुनते हैं, तो इसके लिए आपको कई विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसेः
- टीचर का अनुभव
- टीचर का व्यवहार, टीचर का व्यवहार आपके साथ या आपके बच्चे के साथ कैसा है इस पर भी नजर रखें
- स्पेशल चाइल्ड (Special child) को पढ़ाने के लिए टीचर के नियम कानून और तौर-तरीके
- आपके बच्चे की स्थिति से वो कितना परिचित हैं।
एक बात का ध्यान रखें कि हर किसी के पढ़ाने का तौर-तरीका अलग-अलग हो सकता है। कुछ टीचर बच्चे को परिवार के सदस्यों के सामने पढ़ाने में सहज हो सकते हैं, तो कुछ बच्चों को पढ़ाने के लिए किसी अकेले जगह को भी पसंद कर सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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