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बच्चों की मालिश के लिए तेल चुनते वक्त रखें इन बातों का ख्याल

बच्चों की मालिश के लिए तेल चुनते वक्त रखें इन बातों का ख्याल

नहलाने से पहले बच्चों की मालिश करना अच्छा माना जाता है, क्योंकि इससे शिशु की त्वचा को पोषण मिलता है। लेकिन एक सवाल ये उठता रहता है कि क्या हर मौसम में एक ही मसाज ऑयल से बच्चे की मालिश किये जाना सही है? इसके अलावा पेरेंट्स में इस बात को लेकर अक्सर असमंजस की स्थिति बन जाती है कि शिशु के लिए कौन सा तेल सबसे बेहतर होगा। मालिश के लिए मसाज ऑयल का चयन करना आसान नहीं होता है। बल्कि सही ऑयल का चुनाव और इस्तेमाल करना काफी आवश्यक होता है। नवजात शिशु की त्वचा के लिए माता-पिता समझौता नहीं करते। हर पेरेंट्स चाहते हैं कि शिशु का अच्छा विकास हो।

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बच्चों की मालिश के लिए गर्मियों में नारियल का तेल है बेस्ट

गर्मी के दिनों में नारियल तेल बच्चों की मालिश के लिए बेस्ट ऑप्शन माना जाता है। कोकोनट ऑयल से शिशु की मालिश करने पर उन्हें पर शीतलता का अनुभव होता है। कई जगहों पर तिल का तेल (Sesame Oil) भी पेरेंट्स द्वारा नवजात शिशु की मालिश के लिए लोकप्रिय विकल्प के रूप में चुना जाता है। इसके अलावा शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए ओल और बादाम के तेल का भी इस्तेमाल करना बहुत लाभदायक है। हालांकि, ओल  और बादाम (Almond) के तेल अन्य वनस्पति तेलों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं, ये गर्म या ठंडे दोनों ही मौसम में अच्छी तरह से काम करते हैं।

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सरसों का तेल है खास

सरसों का तेल (Mustard Oil) ठंड के मौसम में बच्चे की मालिश के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है, क्योंकि ये शरीर को गरमाहट प्रदान करता है। उत्तर भारत और पूर्वी भारत के विभिन्न हिस्सों में सरसों के तेल से शिशु की मालिश करने के लिए लहसुन (Garlic) और मेथी बीज (Fenugreek Seeds) के साथ गर्म किया जाता है। लहसुन में एंटीवायरल (Anti Viral) और जीवाणुरोधी (Antibacterial) गुण होते हैं। ऐसा माना जाता है, कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। वहीं मेथी बीज शरीर को आराम देने के लिए जाना जाता है।

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कुछ जगहों पर सरसों के तेल को मसाज से पहले अजवाइन डालकर गर्म किया जाता है। यदि आप इसकी तीखी गंध की वजह से सरसों के तेल का उपयोग करना पसंद नहीं करते हैं, तो आप विकल्प के तौर पर बादाम या जैतून का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।

बच्चों की मालिश के लिए जैतून का तेल

शिशु की मालिश करने के लिए जैतून का तेल भी एक अच्छा ऑप्शन है। इस तेल से शिशु की मालिश करने से उनकी मांसपेशियों को तो आराम मिलता ही है साथी ही ये  बच्चे की स्किन को भी मॉस्चराइज्ड रखने का काम करता है।

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बादाम का तेल

शिशु की मालिश बादाम के तेल से भी की जाती है। बादाम के तेल में काफी मात्रा में विटामिन ई पाया जाता है। विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर के सेल्स को खराब या डैमेज होने से बचता है। एंटीऑक्सीडेंट के तौर पर यह शरीर से हानिकारक तत्वों को निकालने में भी मदद करता है। यह धूम्रपान और प्रदूषण के कारण शरीर में जगह बनाने वाले जेहरीले तत्वों का सफाया करके शरीर को फायदा पहुंचाता है। साथ ही यह बच्चों को आराम देने के साथ उनकी अच्छी नींद के लिए काम करता है।

कैस्टर ऑयल

कैस्टर ऑयल भी शिशु की मालिश के लिए एक बेहतर विकल्प है। लेकिन इसका इस्तेमाल नहाने से पहले ही करना सही रहेगा रूखी-बेजान त्वचा के लिए ये बहुत फायदेमंद है। मालिश के लिए सालों से इस तेल का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

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बच्चों की मालिश करने के क्या फायदें हैं?

अक्सर देखा जाता है कि घर की महिलाएं बच्चों को नहलाने से पहले बच्चों की रगड़-रगड़ के मालिश करती हैं। कई मामलों में यह भी देखा जाता है कि बच्चों की मांसपेशियों की समस्या या फिर शरीर के किसी हिस्से में दर्द होने पर बच्चों को मालिश से ही आराम मिल जाता है। ऐसे ही बच्चों की मालिश के फायदे हैं। बच्चों की नियमित मालिश करने से उनकी थकी हुई मांसपेशियों को राहत मिलती है। यही नहीं इससे उन्हें  कई समस्याओं में राहत मिलने के साथ-साथ अच्छी नींद भी आती है। साथ ही बच्चों को मांसपेशियों के दर्द और थकान में भी आराम मिलता है। इसके अलावा भी मालिश करने के कई फायदे हैं। जैसे बच्चों का ब्लड प्रेशर ठीक बना रहता है। मालिश से बच्चों के शरीर के विकास में भी मदद मिलती है। भारत में सदियों से घर की महिलाएं बच्चों की मालिश करती आई हैं लेकिन आज महिलाएं शिशु की मालिश को लेकर उतनी सजग नहीं दिखती हैं जबकि कई शोधों में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है कि मालिश से बच्चों को कई फायदे होते हैं। लेकिन आज के दौर की मां बच्चे को थोड़ा ही रोता देख घबरा जाती हैं। वही मालिश करते समय बच्चे का रोना स्वभाविक होता है। साथ ही आज कि महिलाएं इस बात से भी घबराती हैं कि मालिश करते समय बच्चे को कुछ न हो जाए। वहीं यह भी समझ लें कि मालिश अगर ठीक ढ़ंग से की जाए, तो इससे कोई खतरा नहीं होता है। भारत के कई हिस्सों में तो आटे और तेल को मिलाकर भी मालिश की जाती है। इससे बच्चे के अनचाहे बाल तो साफ होते ही हैं और साथ ही उनका ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक बना रहता है।

अपने बच्चे की मालिश की शुरुआत कब करें

ऐसा माना जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद पहले सप्ताह से ही उसकी धीरे-धीरे मालिश करनी शुरू कर देनी चाहिए। साथ ही बच्चे के 18 महीने के होने तक इसे जारी रखना चाहिए। साथ ही दिन में दो बार मालिश करने से बच्चों को इसके पूरे फायदे मिलते हैं। ऐसे में एक बार बच्चे की सुबह नहाने से पहले और शाम को सोने से पहले मालिश करनी चाहिए।

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मालिश का सही तरीका

मालिश करने के लिए जमीन पर बैठने के बाद अपने पैर फैला लें। इसके बाद बच्चों को दोनों पैरों के बीच में लिटा लें। इसके बाद जिस भी तेल से बच्चे की मालिश करनी है उस तेल को हाथों में लें और बच्चों के पैरों की ओर से मालिश करते हुए उसकी छाती और हाथों तक की अच्छे से मालिश करें। इसके बाद बच्चे को पेट बल लिटा कर पीछे भी ऐसे ही मालिश करें। सबसे आखिर में बच्चे के चेहरे और सिर की भी मालिश करें।

बच्चों की मालिश का मौसम से कोई खास लेना-देना नहीं होता है। इसे किसी भी सीजन में किया जा सकता है। बस आपको मालिश करने का सही समय ध्यान रखना जरूरी है।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

09/07/2020

Nikhil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे

Updated by: Manjari Khare


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के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

डॉ. अभिषेक कानडे

आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/07/2020

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