सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा एक निश्चित समय पर सारे काम करे। चाहे उसका सोना हो या उसका भोजन करना हो। बचपन से ही अगर बच्चे की रूटीन (Child’s routine) तय की जाए तो बड़े होने पर ये अच्छी आदतें उनमें बनी रहती हैं। इससे बच्चा कभी लेट नहीं होगा। साथ ही अपने निश्चित समय से सारे काम खुद ही करने लगेगा। उम्र के अनुसार पेरेंट्स को अलग-अलग बच्चे की रूटीन (Child’s routine) बनानी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे को समझ में आएगा कि उसके रोज के कामों में किस काम की बढ़ोत्तरी हो रही है। साथ ही उसमें जिम्मेदारी लेने और निभाने का भाव पैदा होगा।
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कैसे सेट करें बच्चे की रूटीन (Child’s routine)?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि बच्चे के हर उम्र के हिसाब से अलग-अलग टाइम टेबल बनाना चाहिए और उसे बच्चे को फॉलो करने के लिए कहना चाहिए।
डेढ़ साल के बच्चे की रूटीन (Child’s routine):
- सुबह 7:30 बजे बच्चे को उठाएं, उसे नित्यकर्म कराएं
- 8:30 बजे बच्चे को नाश्ता कराएं
- 9:00 बजे उसे खेलने दें
- 11:00 बजे उसे लंच कराएं
- 11:30 बजे उसे कुछ पढ़ाएं या सिखाएं
- दोपहर 12:00 बजे सुला दें
- 3:00 बजे उठाएं और खाने के लिए स्नैक्स दें
- 3:30 बजे बच्चे को खेलने दें
- शाम 5:00 बजे बच्चे को पढ़ाएं
- 7:00 बजे बच्चे को डिनर कराएं
- 7:30 बजे बच्चे को ब्रश कराएं
- रात 8:00 बजे बच्चे को सुला दें
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दो साल के बच्चे की रूटीन (Child’s routine):
- सुबह 7:00 बजे बच्चे को उठाएं, उसे नित्यकर्म कराएं
- 8:00 बजे बच्चे को नाश्ता कराएं
- 9:00 बजे उसे अकेले खेलने दें
- 9:30 बजे स्नैक्स दें और उसके साथ खेलें
- 11:00 बजे उसे लंच कराएं
- 11:30 बजे उसे कुछ पढ़ाएं या सिखाएं
- दोपहर 12:00 बजे सुला दें
- 3:00 बजे उठाएं और खाने के लिए स्नैक्स दें
- 3:30 बजे बच्चे को खेलने के लिए पार्क में या बाहर ले जाएं
- शाम 5:00 बजे बच्चे को पढ़ाएं
- 7:00 बजे बच्चे को डिनर कराएं
- 7:30 बजे बच्चे को ब्रश कराएं
- शाम 8:00 बजे बच्चे को सुला दें
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तीन साल के बच्चे की रूटीन (Child’s routine):
- सुबह 7:00 बजे बच्चे को उठाएं, नित्यकर्म कराएं
- 8:00 बजे बच्चे को नाश्ता कराएं
- 9:00 बजे उसे अकेले खेलने दें
- 10:00 बजे स्नैक्स दें और उसके साथ खेलें
- दोपहर 12:00 बजे उसे लंच कराएं
- 1:00 बजे सुला दें
- शाम 4:00 बजे उठाएं और खाने के लिए स्नैक्स दें
- 4:30 बजे बच्चे को खेलने के लिए पार्क में या बाहर ले जाएं
- 6:00 बजे बच्चे को पढ़ाएं
- 7:30 बजे बच्चे को डिनर कराएं, फिर ब्रश कराएं
- रात 8:00 बजे बच्चे को किताबें पढ़ने दें
- 8:30 बजे बच्चे को सुला दें
कुछ सवाल और उनके जवाब
बच्चे को कितने घंटे सोना चाहिए?
दो से तीन साल के बच्चे के लिए लगभग 14 घंटे की नींद जरूरी है। बच्चे को रात में 11 घंटे और दिन में तीन घंटे सोने दें। वहीं, अगर बच्चा एक साल का है तो उसे 14 घंटे से ज्यादा न सोने दें। दिन में तीन घंटे की नींद को बच्चे की रूटीन में जरूर शामिल करें।
बच्चे के सुबह उठने का सही वक्त क्या है?
बच्चे के सुबह सो कर उठने का सही वक्त छह से आठ बजे के बीच है। इसके पहले आप भी अपना सारा काम खत्म कर के बच्चे के लिए समय आराम से निकाल सकती हैं।
बच्चे को अकेले और स्वतंत्र कैसे खेलने दें?
दिन में थोड़ी देर बच्चे के स्वतंत्र रुप से अकेले खेलने देने से उसके अंदर की क्रिएटिविटी सामने आएगी। आप बस धीरे-धीरे बच्चे पर नजर बनाए रखें कि वह अकेले खेलने के दौरान क्या-क्या एक्टिविटी कर रहा है।
बच्चे की रूटीन (Child’s routine) तय करने के साथ उसे सिखाएं अच्छी आदतें
- बच्चे को सुबह उठकर ब्रश करना सिखाएं।
- बच्चे को खाना खाने के पहले और बाद में साबुन से हाथ धोना सिखाएं।
- बिस्तर पर जाने से पहले बच्चे को नाइट सूट पहनना सिखाएं।
- बच्चे को सुबह उठने के बाद गुड मॉर्निंग और रात को सोने से पहले गुड नाइट बोलना सिखाएं।
- बच्चे में किताबें पढ़ने की आदत विकसित करें।
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बच्चे की रूटीन में ‘थैंक्यू’ (Thank You) और ‘सॉरी’ (Sorry) बोलना है जरूरी-
बच्चे को सबसे पहले किसी का आभार जताना सिखाएं। इसके लिए उसे ‘थैंक्यू’ बोलना सिखाएं। साथ ही गलतियों को स्वीकारने की आदत भी डालें। इसके लिए उसे ‘सॉरी’ बोलना सिखाएं।
‘प्लीज’ (Please) के साथ विनम्र बनाएं
बच्चे को बताएं कि अच्छे से बात करने के लिए विनम्र होना जरूरी है। इसके लिए अगर बच्चे को कोई भी चीज चाहिए तो विनम्रता से मांगे और ‘प्लीज’ शब्द का प्रयोग करें।
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बातों के बीच में बोलना है गलत
बच्चे की रूटीन में बच्चे को सिखाएं कि कब उन्हें बोलना है और कब इतंजार करना चाहिए। उन्हें बताएं कि जब दो लोग आपस में बात कर रहे हों तो बीच में बोलना गलत हैं।
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कमरे में आने से पहले अनुमति लेना है बच्चे की रूटीन (Child’s routine) का हिस्सा
घर या स्कूल में कहीं भी किसी कमरे में बिना अनुमति के प्रवेश करना गलत है। इसलिए दरवाजा खुला हो या बंद हो तो कमरे में जाने से पहले जरूर खटखटाएं। बच्चे को सिखाएं कि जब तक कोई अंदर से हां या ना नहीं बोले तब तक अंदर नहीं जाना चाहिए।
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किसी का मजाक उड़ाना ठीक नहीं
किसी को चिढ़ाना या मजाक उड़ाना बहुत ही गंदी आदत है। पैरेंट्स को बच्चों की हर बातों का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें बच्चे को सीखाना चाहिए कि किसी का मजाक बना कर हंसना गलत है। सबका सम्मा करने से वह अच्छा बच्चा कहलाएगा।
खांसते या छींकते वक्त मुंह पर हाथ रखना है जरूरी
खांसना या छींकना एक अनैच्छिक क्रिया है। लेकिन, इसके साथ भी तहजीब जुड़ी है। खांसते या छींकते वक्त मुंह पर हाथ रखने से किसी के सामने शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। साथ में दूसरों को परेशानी भी नहीं होगी। बच्चे की रूटीन में ये आदत जरूर सिखाएं।
नाक में उंगुली न डालें
कुछ बच्चों की आदत होती है कि नाक में उंगली डालते हैं। बच्चे को गुड हैबिट में सिखाएं कि लोगों के सामने ऐसा ना करें। अगर उन्हें कोई समस्या है तो बाथरुम में जा कर अपनी नाक को साफ कर सकते हैं।
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किसी बात को विनम्रता से पूछें
जब घर पर कोई मेहमान आए तो बच्चे को उनसे विनम्रता से पेश आने के लिए कहें। साथ ही उनसे नाश्ता वगैरह विनम्रता से पूछने की गुड हैबिट सिखाएं। इसके अलावा खाना खाने के दौरान कुछ चाहिए तो विनम्रता से मांगे और बाद में धन्यवाद जरूर बोलें।
बच्चे की रूटीन (Child’s routine) में एक नहीं, बल्कि कई अच्छी-अच्छी आदतों को शामिल करें। बच्चे को हमेशा डांटकर ही नहीं समझाएं, क्योंकि बार-बार आपकी या घर के अन्य सदस्यों की डांट बच्चे को चिड़चिड़ा बन सकती है या जिद्दी। इसलिए आप बच्चे को जैसी भी शुरुआती शिक्षा मिलेगी वैसे ही उनका विचार भी होगा।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। बच्चे की रूटीन को लेकर अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने चाइल्ड काउंसर से जरूर पूछ लें।
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