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Mallory-Weiss Syndrome: मैलरी-वाइस सिंड्रोम क्या है?

Mallory-Weiss Syndrome: मैलरी-वाइस सिंड्रोम क्या है?

परिचय

मैलरी-वाइस सिंड्रोम (Mallory-Weiss Syndrome) क्या है?

कभी-कभी किसी भी कारण अगर व्यक्ति को ज्यादा उल्टी आये या लंबे वक्त से उल्टी होने की परेशानी होने पर एसोफेगस फटने लगती है दरअसल एसोफेगस एक तरह का ट्यूब होता है, जो गले से पेट आपस में कनेक्ट करता है। लंबे वक्त से हो रही उल्टी की परेशानी की वजह ट्यूब फटने लगता है। इस स्थिति को मैलरी-वाइस सिंड्रोम (MWS) कहते हैं। वैसे यह परेशानी प्रायः 7 से 10 दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन, कभ-कभी मैलरी-वाइस सिंड्रोम से ब्लीडिंग की भी समस्या शुरू हो सकती यही। अगर समस्या गंभीर हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में सर्जरी की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है।

मैलरी-वाइस सिंड्रोम के ज्यादातर मामले 40 से 60 साल के उम्र में देखने को मिलती है और यह महिला या पुरुष दोनों में होने वाली शारीरिक परेशानी है। एसोफेगस इंफेक्शन की वजह से होने वाली परेशानी है, जिसका इलाज दवा से किया जा सकता है।

  • मैलरी-वाइस सिंड्रोम होने पर जीवनशैली में बदलाव कर और सही डायट फॉलो कर इससे बचा जा सकता है।
  • ओरल हाइजीन का विशेष ख्याल रखकर इस सिंड्रोम से बचा जा सकता है।
  • डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाओं का सेवन कर और ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन कर इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।

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लक्षण

मैलरी-वाइस सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?

मैलरी-वाइस सिंड्रोम होने पर इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-

  • पेट में दर्द होना (एब्डॉमिनल पेन)
  • उल्टी के दौरान ब्लड आना। ऐसी स्थिति को हेमाटेमेसिस (Hematemesis) कहते हैं
  • स्टूल (मल) के रंग में बदलाव आना जैसे काला या स्टूल में ब्लड आना
  • कमजोरी महसूस होना
  • सांस लेने में परेशानी महसूस होना
  • डायरिया की समस्या होना
  • पेट या चेस्ट में दर्द होने की वजह से कभी-कभी बैक में भी दर्द की समस्या हो सकती है

इन लक्षणों के होने पर या महसूस होने पर इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से संपर्क करें।

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार उल्टी के दौरान आने वाले ब्लड का रंग डार्क हो सकते हैं। ब्लड क्लॉट नजर आ सकते हैं या फिर कॉफी के रंग की उल्टी हो सकती है। इन लक्षणों के साथ-साथ अन्य शारीरिक परेशानी या कोई अन्य शारीरिक डिसऑर्डर की समस्या शुरू हो सकती है। जैसे-

जोलिंजर (Zollinger)- एलिसन सिंड्रोम (Ellison syndrome) रेयर सिंड्रोम है, जिस वजह से छोटे ट्यूमर पेट में अत्यधिक एसिड का निर्माण करते हैं। ऐसी स्थिति में पेशेंट को अल्सर की समस्या भी शुरू हो सकती है।

यह ध्यान रखना आवश्यक है की मैलरी-वाइस सिंड्रोम की जानकारी चेकअप कर डॉक्टर आपको बता सकते हैं। इसलिए ऊपर बताये गई परेशानी महसूस होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

कारण

मैलरी-वाइस सिंड्रोम के क्या हैं कारण?

मैलरी-वाइस सिंड्रोम निम्नलिखित कारणों से हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल है

  • बार-बार उल्टी होना
  • तेज खांसी की परेशानी
  • शिशु का जन्म
  • गेस्ट्रो इंटेस्टाइन (GI) से संबंधित परेशानी

ऊपर बताए गए कारणों की वजह से मैलरी-वाइस सिंड्रोम होने का खतरा बना रहता है। इसलिए ऐसी कोई भी परेशानी होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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निदान

मैलरी-वाइस सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?

मैलरी-वाइस सिंड्रोम के लक्षण होने पर डॉक्टर स्टूल टेस्ट और ब्लड टेस्ट करते हैं। इसी दौरान एंडोस्कोपी भी की जाती है। एंडोस्कोपी के दौरान मुंह से एक लचीली पाइप एसोफेगस में डाली जाती है। इस लचीली ट्यूब में कैमरा लगा होता है जिसकी मदद से बीमारी की गंभीरता को समझाना आसान हो जाता है और इससे इलाज भी बेहतर तरह से की जाती है।

मैलरी-वाइस सिंड्रोम होने पर निम्नलिखित टेस्ट किये जाते हैं। जैसे-

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इलाज मैलरी-वाइस सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

मैलरी-वाइस सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

मैलरी-वाइस सिंड्रोम का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जाता है। जैसे-

एंडोस्कोपी थेरिपी- मैलरी-वाइस सिंड्रोम की स्थिति में कभी-कभी ब्लीडिंग नहीं रुकने पर एंडोस्कोपी थेरिपी की जाती है। इस थेरिपी के दौरान इंजेक्शन थेरिपी या स्क्लेरोथेरिपी से ब्लीडिंग को रोका जा सकता है। इंजेक्शन थेरिपी या स्क्लेरोथेरिपी के अलावा कोगुलेशन थेरिपी से वेसल्स में हीट दी जाती है।

सर्जिकल ऑप्शन- एंडोस्कोपी थेरिपी के बावजूद अगर ब्लीडिंग की समस्या नहीं रूकती है, तो लेप्रोस्कोपी सर्जरी की मदद ली जाती है। इस सर्जरी की मदद से ब्लीडिंग को रोकने की कोशिश की जाती है।

दवा- मैलरी-वाइस सिंड्रोम होने पर हेल्थ एक्सपर्ट फेमोटिडीन (पेप्सिड) या लैंसोप्राजोल (प्रीवेसिड) जैस दवाएं देते हैं। इन दवाओं के सेवन से MWS की परेशानी कम हो सकती है।

इन तीन विकल्पों की मदद से मैलरी-वाइस सिंड्रोम का इलाज किया जाता है लेकिन, इलाज के दौरान डॉक्टर जो सलाह देते हैं उसका सही तरह से पालन करना चाहिए। जबतक इलाज करवाने की सलाह दी जाती है उसे जरूर फॉलो करें और अपने मर्जी के अनुसार दवाओं का सेवन न करें और न ही बंद करें।

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घरेलू उपाय

मैलरी-वाइस सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

मैलरी-वाइस सिंड्रोम (MWS) से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं। जैसे-

  • अत्यधिक फैट वाले आहार का सेवन नहीं करना चाइये और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा लेनी चाहिए
  • एक बार खाने की बजाए थोड़ा-थोड़ा थोड़ी देर में थोड़ा-थोड़ा खाना खाएं
  • ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनका डायजेशन आराम से हो सके। डायजेशन की समस्या होने पर खाना खाने में परेशानी हो सकती है
  • अत्यधिक तेल मसाले से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
  • एसिडिक फूड का सेवन नहीं करना चाहिए
  • अगर आपको चॉकलेट, मिंट या गार्लिक का सेवन करते हैं, तो न करें। क्योंकि इनके सेवन से परेशानी बढ़ सकती है
  • कई लोग पेट भरने के बावजूद खाते रहते हैं लेकिन, ऐसा नहीं करना चाहिए
  • चाय या कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। इनके सेवन से एसिडिटी की समस्या हो सकती है
  • मैलरी-वाइस सिंड्रोम की समस्या से बचने के लिए एल्कोहॉल और सोडा जैसे पे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • तंबाकू या सिगरेट का सेवन न करें
  • खाना खाने के बाद वॉक करें। ऐसा करने से खाना अच्छी तरह से डायजेस्ट होता है
  • खाने को अच्छी तरह से चबा कर खाएं
  • आरामदायक कपड़े पहने
  • एस्प्रिन जैसे दवाओं का सेवन न करें
  • नियमित रूप सात से आठ घंटे की नींद लें
  • कब्ज की समस्या से बचें
  • एक दिन में दो से तीन लीटर पानी का सेवन करें और ऐसा रोजाना करें

अगर आप मैलरी-वाइस सिंड्रोम से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

 

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Mallory-Weiss tear/https://medlineplus.gov/ency/article/000269.htm/Accessed on 08/02/2020

Current Version

09/05/2022

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/05/2022

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