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बेबी किक क्यों मारता है? जानिए इसके संकेत

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/08/2021

    बेबी किक क्यों मारता है? जानिए इसके संकेत

    बेबी किक (Baby kick) को सामान्य भाषा में अगर समझा जाए तो गर्भस्थ शिशु का लात मारना। बच्चे का किक मारना स्वस्थ होने की निशानी है। यह ये भी बताता है कि गर्भ में शिशु का विकास सही तरह से हो रहा है। इन नौ महीनों में गर्भवती महिला नए नए एहसासों से गुजरती हैं। ऐसे में जब बच्चा किक मारता है, तो यह एहसास भी अलग होता है। बेबी किक को लेकर महिलाओं के मन में बहुत से प्रश्न होते हैं। बेबी किक कब शुरू होता है या फिर बच्चे की किक कम करना क्या किसी समस्या का संकेत है क्या ? अगर आपके मन में भी बेबी किक (Baby kick) को लेकर प्रश्न हैं तो ये आर्टिकल आप जरूर पढ़ें।

    बेबी किक (Baby kick) क्यों मरता है?

    एक्सपर्ट्स के अनुसार गर्भ में पल रहे शिशु को मूवमेंट की जरूरत होती है और गर्भ संकुचित होने की वजह से बच्चे की मूवमेंट को आसानी से समझा जा सकता हैं। स्वस्थ शिशु की निशानी है बेबी किक (Baby kick)। जर्नल अल्ट्रासाउंड इन आब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी के अनुसार गर्भावस्था के 7वें हफ्ते से ही बच्चा गर्भ में किक मारने की शुरुआत करता है लेकिन, ये प्रायः महसूस नहीं किया जाता है। दरअसल जैसे-जैसे बेबी गर्भ में बढ़ता है वैसे-वैसे बच्चे में मूवमेंट ज्यादा होती है। इन दिनों बेबी किक के साथ-साथ बच्चे की हिचकी, हाथ और पैरों की मूवमेंट, यौन लेना (Yawning) और अंगूठा चूसना भी होता है। इन मूवमेंट के अलावा बच्चे का किक मारना और पंच मारना भी गर्भवती महिला आसानी से महसूस कर सकती हैं। बेबी किक और पंच प्रेग्नेंसी के 16 से 18वें हफ्ते में आसानी से महसूस किया जा सकता है क्योंकि शिशु पहले की अपेक्षा ज्यादा स्ट्रांग हो जाता है।

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    बेबी किक से क्या-क्या समझा जा सकता है?

    बेबी का किक मारना हमेशा एक जैसा ही नहीं होता है। कुछ बच्चे कम समय के लिए किक मारते हैं वहीं कुछ बच्चे अधिक समय के तक किक मारते हैं। गर्भ में बच्चे की हलचल उसके आकार पर भी निर्भर करती है। वैसे तो बच्चा जब गर्भ में हलचल शुरू करता है तो शुरूआती दिनों में इसका एहसास बिल्कुल नहीं होता है। समय बढ़ने के साथ ही मां को बेबी किक (Baby kick) महसूस होने लगती है। कुछ महिलाएं आराम से एक करवट लेटने पर बेबी की किक अधिक महसूस करती हैं। जानिए बेबी के किक से क्या जानकारी मिलती है।

    बेबी किक (Baby kick)

    1. बेबी किक बच्चे के स्वस्थ होने की निशानी है और वह तनाव मुक्त है। इससे यह भी समझा जाता है की बच्चा गर्भ में पूरी तरह से स्वस्थ है।
    2. हर महिला को बेबी किक का अहसास अलग-अलग होता है। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि सभी गर्भवती महिला इसका अनुभव एकसाथ ही करें।
    3. पहली बार बनने वाली मां बेबी किक गर्भावस्था के 25वें हफ्ते में महसूस कर सकती हैं।
    4. बेबी किक को गिनना जरूरी नहीं है लेकिन, एक दिन में कौन-कौन से वक्त बच्चा किक मारता है इसे ध्यान रखना चाहिए। इससे बच्चा कब एक्टिव होता है और कब सो रहा है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि इस परिस्थिति में कभी-कभी गर्भवती महिला सो भी नहीं पाती हैं।
    5. ऐसा माना जाता है कि बच्चा रात के वक्त ज्यादा किक मरता है। दरअसल गर्भवती महिला ऐसा इसलिए महसूस करती हैं क्योंकि दिन की तुलना में रात का वक्त रिलैक्स करने के लिए ज्यादा बेहतर होता है और इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु की एक्टिविटी को आसानी से समझा जा सकता है
    6. कभी-कभी डिलिवरी की डेट (Delivery date) पास आते-आते बेबी किक बढ़ जाती है। कई महिलाएं ऐसा महसूस करती हैं कि उनका बच्चा कहीं ज्यादा एक्टिव या फिर कोई शारीरिक परेशानी तो महसूस नहीं कर रहा है? जबकि ऐसा नहीं है बल्कि ये बेबी के हेल्दी होने की निशानी है।
    7. बेबी किक को खाना खाने के बाद बेहतर तरह से समझा या एहसास किया जा सकता है।इसलिए गर्भावस्था में पौष्टिक आहार का सेवन करना जरूरी है
    8. अगर महिला दूसरी बार गर्भवती बन रहीं हैं, तो बच्चा किक जल्दी महसूस कर सकती हैं। हालांकि बेबी किक तभी मारेगा जब वह स्ट्रॉन्ग होगा।
    9. बनने वाली मां गर्भावस्था के दौरान बेबी किक (Baby kick) को महसूस कर सकती हैं वहीं बनने वाले पिता तीसरी तिमाही में बच्चे की किक को समझ सकते हैं।

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    बेबी किक (Baby kick) को आपके पार्टनर कब महसूस कर पाते हैं?

    बच्चे के किक की खुशी तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब आपके साथ-साथ आपके लाइफपार्टनर और परिवार के सदस्य इसे महसूस करते हैं। सबसे पहले तो बच्चे की मूवमेंट को आपके पार्टनर 20 हफ्ते के बाद समझ सकते हैं। वैसे गर्भावस्था के आखरी महीने में या प्रेग्नेंसी के 36वें हफ्ते (Pregnancy 36th week) से किक मरना ज्यादा कर देता हैं। इस दौरान ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे का वजन बढ़ (Weight gain) जाता है और उसके लिए गर्भ में जगह कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में शिशु को मूवमेंट में थोड़ी परेशानी होती है और वह किक मारने लगता है। वैसे किक मरना हेल्दी बेबी की निशानी होती है। बच्चे के किक से आप अंदाजा लगा सकती हैं की गर्भ में शिशु का विकास ठीक तरह से हो रहा है और वह बिल्कुल स्वस्थ है।

    रिसर्च के अनुसार अगर आप बच्चे के किक को महसूस करना चाहती हैं या अपने पार्टनर को महसूस करवाना चाहती हैं, तो गर्भवती महिला बायीं करवट लेट जायें। इस करवट लेटने से गर्भ में पल रहे शिशु तक ब्लड फ्लो (Blood flow) बढ़ जाता है और उसे ज्यादा एनर्जी मिलने लगती है, जिस कारण वो किक मारने लगता है। वैसे जब बच्चा किक मारता है, तो पेरेंट्स को भी इसका रिप्लाई देना चाहिए। इस दौरान आप अपने बेबी के साथ पेरेंटल बॉन्डिंग बना सकते हैं। इसलिए किक का रिस्पॉन्स देना आपभी शुरू कर दें। जैसे ही आपको महसूस हो कि बेबी ने किक मारा है, तो आप तुरंत अपने पेट को सहलाएं। ध्यान रखें की आप पेट पर ज्यादा दवाब न डालें। अब फिर कुछ देर इंतजार करें क्योंकि हो सकता है कि आपका बेबी फिर से किक मारे।

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    कई बार गर्भवती महिला को बच्चे का किक मारना महसूस नहीं हो पाता है और न ही बच्चे की मूवमेंट समझ आती है। ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला या उनके परिवार के लोगों को घबराना नहीं चाहिए। इस बारे में डॉक्टर से समझना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट अल्ट्रसाउंड की मदद से बच्चे की सेहत की सही जानकारी आपको देंगे। इसलिए परेशान न हों।

    वैसे तो रिसर्च के अनुसार बच्चा के किक को प्रेग्नेंसी के 16वें हफ्ते के बाद आसानी से समझा जा सकता है लेकिन, अगर आप अपने गर्भ में पल रहे लाडले या लाडली की किक महसूस करना या गिनना चाहती हैं तो इसके लिए दोपहर और रात का वक्त हो सकता है और इस वक्त आपको ध्यान रखने की जरूरत होगी। अगर आप इसे महसूस नहीं कर पा रहीं हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें और गर्भ में पल रहे शिशु के हेल्थ की जानकारी लें।

    बेबी किक की काउंटिंग (Baby kick counselling)

    बेबी का किक मारना वाकई बहुत ही सुखद घटना होती है। अक्सर महिलाएं इंतजार करती हैं कि बेबी किक (Baby kick) करें और वो उस पल का आनंद ले सके। वहीं कुछ महिलाओं को इससे घबराहट भी हो सकती है। जब बेबी अचानक से किक मारना बंद कर देता है तो महिलाएं इस बात से चिंतित हो जाती है कि कहीं बेबी को कोई परेशानी तो नहीं है। आप चाहे तो बेबी किक (Baby kick) की काउंटिंग भी कर सकती हैं। ये मुश्किल काम नहीं है। आप फीटल मूवमेंट को रोजाना या फिर आपको जब भी एहसास हो, एक पेपर में समय के अनुसार नोट कर सकते हैं।

    बेबी किक कब करें नोट ?

    फीटल मूवमेंट सुबह के समय हल्का होता है शाम के समय मूवमेंट बढ़ जाता है। जब बेबी का मूवमेंट शुरू हो जाए तो आप एक से लेकर 10 तक काउंट करना शुरू कर दें। अगर बच्चा एक घंटे में 10 से कम या फिर लगभग दस बार घूमता है तो सब कुछ नॉर्मल है। कभी-कभी मूवमेंट ज्यादा भी हो सकता है इसलिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर आपको बच्चे का मूवमेंट कम एहसास हो रहा है या फिर आपको बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा हो तो आप जूस या स्नैक्स ले सकती है। आपको कुछ देर में मूवमेंट का एहसास होगा।

    वैसे तो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को बेबी किक (Baby kick) का एहसास कई बार होता है लेकिन प्रेग्नेंसी के नौंवे महीने में बेबी किक (Baby kick) पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। अगर बच्चे से अचानक से मूवमेंट बंद कर दिया तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। कई बार बेबी का कुछ समय के लिए मूवमेंट बंद होना खतरनाक नहीं होता है लेकिन कई बार ये किसी खतरे की निशानी भी हो सकता है। बेहतर होगा कि डॉक्टर से तुरंत जांच कराएं।

    सेक्स (Sex) के बाद बेबी का मूवमेंट हो सकता है कम

    कई महिलाओं के मन में हमेशा ये सवाल रहता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करना सेफ होता है या फिर नहीं। हम आपको बताते चले कि गर्भावस्था के दौरान सेक्स करने से कोई नुकसान नहीं होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स तभी इग्नोर करना चाहिए जब आपका डॉक्टर इसके लिए मना करें। प्रेग्नेंसी में किसी तरह के कॉम्प्लीकेशन होने डॉक्टर सेक्स के लिए मना कर सकते हैं। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की समस्या नहीं है तो ऐसे में सेक्स किया जा सकता है। अगर आपको ये लग रहा है कि ऐसे में गर्भ में बेबी (Baby kick) को किसी तरह का हार्म पहुंचेगा तो आप गलत है। सेक्स के बाद बेबी के मूवमेंट में कमी आ सकतीहै लेकिन ये घबराने की बात बिल्कुल भी नहीं है। सेक्स के बाद कुछ बेबी का मूवमेंट (Baby movement) धीमा हो सकता है या फिर कुछ बेबी तेजी से मूवमेंट करने लगते हैं। लेकिन ऐसा होना किसी परेशानी का संकेत बिल्कुल भी नहीं है। आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी भी ले सकते हैं।

    अगर आप दो घंटे के बाद बेबी का एहसास नहीं करते हैं तो आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। आपको ये बात भी समझनी चाहिए कि जब बच्चा गर्भ में बड़ा हो जाता है तो उसे मूवमेंट करने में दिक्कत होती है। अगर होने वाली मां बच्चे के मूवमेंट पर ध्यान रखें तो किसी भी परेशानी से बचा जा सकता है।

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    बच्चे के बेहतर विकास के लिए गर्भवती महिला को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इससे गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहा शिशु दोनों स्वस्थ रहेगा।

    अगर आप बेबी किक (Baby kick) या गर्भ में पल रहे शिशु के विकास से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बेबी किक (Baby kick) से जुड़ी जानकारी दी गई है। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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