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मिसकैरिज होने का कारण गर्भावस्था में फाइब्रॉएड तो नहीं?

मिसकैरिज होने का कारण गर्भावस्था में फाइब्रॉएड तो नहीं?

फाइब्रॉएड क्या है?

यूट्रस के पास गांठ बनना फाइब्रॉएड (Fibroids) कहलाता है लेकिन, ये गांठ कैंसरस नहीं होते हैं। ये गांठ मसल्स और फाइबर टिशू के बने होते हैं। फाइब्रॉएड अलग-अलग साइज के हो सकते हैं। फाइब्रॉएड को यूटराइन म्यॉमास (uterine myomas) या लिओमैमॉस (leiomyomas) भी कहा जाता है। कुछ महिलाओं में गर्भावस्था में फाइब्रॉएड मिसकैरिज का कारण बन सकती है।

गर्भावस्था में फाइब्रॉएड 35 वर्ष तक की महिलाओं में 30 प्रतिशत और 50 वर्ष तक की महिलाओं को 20 से 80 प्रतिशत तक होने की संभावना होती है। यह प्रायः 16 से 50 साल की उम्र के बीच होता है। दरअसल इस दौरान एस्ट्रोजन लेवल बढ़ता रहता है। फाइब्रॉएड यूट्रस में विकसित होते हैं और तकरीबन 70 से 80 प्रतिशत महिलाओं में फाइब्रॉएड की समस्या हो जाती है लेकिन, सभी महिलाओं को लक्षण समझ में नहीं और न ही उन्हें इलाज की आवश्यकता पड़ता है।

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गर्भावस्था में फाइब्रॉएड होने की संभावना क्यों है?

महिलाओं में 16 वर्ष की आयु के बाद एस्ट्रोजन लेवल बढ़ता जाता है और प्रेग्नेंसी के दौरान एस्ट्रोजन में और ज्यादा बढ़ जाने की स्थिति में मिसकैरिज होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि कुछ महिलाओं में गर्भावस्था में फाइब्रॉएड का साइज छोटा भी हो सकता है।

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गर्भावस्था में फाइब्रॉएड के क्या-क्या कारण हो सकते हैं?

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार 10 से 30 प्रतिशत महिलाओं में गर्भावस्था में फाइब्रॉएड की समस्या देखी गई है। इसका कारण दर्द माना गया है। गर्भावस्था में फाइब्रॉएड 5 cm से बड़ा ज्यादातर अंत के दो ट्राइमेस्टर में देखा गया है।

गर्भावस्था में फाइब्रॉएड

गर्भावस्था में फाइब्रॉएड होने के कारण क्या-क्या परेशानी हो सकती हैं?

गर्भावस्था में फाइब्रॉएड होने से निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं:

  • गर्भावस्था में फाइब्रॉएड होने के कारण मिसकैरिज की संभावना ज्यादा हो जाती है
  • बड़े फाइब्रॉएड के कारण फीटल ठीक तरह से विकास नहीं कर सकता है
  • फाइब्रॉएड की वजह से प्लेसेंटा यूटेराइन वॉल से अलग हो जाता है, जिस वजह से गर्भ में पल रहे शिशु तक ऑक्सिजन और न्यूट्रिशन नहीं पहुंच पाता है
  • जिन महिलाओं में गर्भावस्था में फाइब्रॉएड होते हैं, उनमें सिजेरियन डिलिवरी की संभावना उन महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती हैं जिनमें गर्भावस्था में फाइब्रॉएड से जुड़ी परेशानी नहीं होती है
  • एब्नॉर्मल शेप होने के कारण वजायना से डिलिवरी की संभावना कम होती है

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गर्भावस्था में फाइब्रॉएड के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं?

  • वजायनल ब्लीडिंग
  • पेट में दर्द
  • पेल्विक पर ज्यादा दबाव पड़ना
  • बार-बार टॉयलेट जाना
  • कब्ज की समस्या

    ऐसी किसी भी स्थिति में डॉक्टर से मिलें और अपनी परेशानी बातएं।

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गर्भावस्था में फाइब्रॉएड का इलाज कैसे किया जाता है?

गर्भावस्था में फाइब्रॉएड का इलाज बेड रेस्ट, आइस पैक और जरूरत पड़ने पर दवा से किया जाता है। परेशानी को समझते हुए डॉक्टर इलाज शुरू कर सकते हैं। कभी-कबि गर्भावस्था में फाइब्रॉएड के बड़े होने या छोटे होने का कारण साफ नहीं होता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं। अल्ट्रासाउंड से ये समझना आसान हो जाता है कि फाइब्रॉएड फीटस के ग्रोथ में कितना नुकसान पहुंचा सकता है।

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कैसे समझें कि आपको फाइब्रॉएड की समस्या हो सकती है?

प्रत्येक 3 महिलओं में से 1 महिला को फाइब्रॉएड की समस्या होती है। इसके लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • महिलाओं को पीरियड्स (मासिकधर्म) के दौरान तेज दर्द महसूस करना, जिसे मेनोरेजिया (menorrhagia) कहते हैं।
  • पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होने के कारण एनीमिया की समस्या हो सकती है।
  • बैक के निचले हिस्से में दर्द और पैर दर्द होना।
  • कब्ज की समस्या होना
  • पेट के निचले हिस्से में परेशानी महसूस होना (ऐसा खासकर बड़े फाइब्रॉएड के कारण हो सकता है)।
  • बार-बार टॉयलेट जाना।
  • इंटरकोर्स के दौरान दर्द महसूस होना जिसे डिसपुरेनिया (dyspareunia) कहते हैं।

फाइब्रॉएड के लिए क्या हैं घरेलू उपचार?

फाइब्रॉएड के लिए निम्नलिखित घरेलू उपचार का अपनाये जा सकते हैं। जैसे-

पानी- फाइब्रॉएड से पीड़ित महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को एक दिन में दो से तीन लीटर पानी का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थ यूरिन के माध्यम से बाहर निकलते हैं, जो शरीर को फिट रखने के साथ-साथ महिलाओं फाइब्रॉएड की समस्या से या इससे होने वाली परेशानी से बचने में मददगार होता है।

लहसुन फाइब्रॉएड के पेशेंट के लिए लहसुन काफी लाभदायक होता है। कच्चे लहसुन का सेवन सुबह खाली पेट (बिना कुछ खाए पिएं) करने से फाइब्रॉएड की परेशानी कम होती हैं। यही नहीं लहसुन का प्रयोग हाई कोलेस्ट्रॉल, दिल का दौरा और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचने में भी उपयोगी होता है। इसलिए नियमित कच्चे लहसुन का सेवन करें।

हल्दी- भारतीय किचेन में मौजूद हल्दी खाने का रंग बेहतर करने के साथ-साथ त्वचा की परेशानी को भी दूर करने के लिए मशहूर है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार  हल्दी का प्रयोग जितना अधिक हो सके करना चाहिए। क्योंकि हल्दी पेट से विषैले तत्वों को बाहर करती है और एंटीबॉयोटिक होने के कारण फाइब्रॉएड की ग्रोथ को कम कर कैंसर बनने से भी रोकने में मददगार होती है। इसलिए हल्दी का सेवन भी रोजाना करना चाहिए।

केस्टर ऑयल- हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार केस्टर ऑयल को अदरक के रस के साथ पीने से फाइब्रॉएड के मरीज को राहत मिलता है। माना जाता है की इसके सेवन फाइब्रॉएड की परेशानी धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।

ब्रोकली ब्रोकली में मौजूद फाइबर शरीर के लिए काफी लाभकारी माना जाता है। ब्रोकोली गांठ के ग्रोथ को कम रोकने में मददगार होता है। ब्रोकली में कई ऐसे बायो- एक्टिव तत्व मौजूद होते हैं जो किसी पुरानी बीमारी के कारण होने वाले सेल्स डेमेज को रोकने में सहायक है। कुछ रिसर्च के अनुसार यह साबित हुआ है कि ब्रोकली खाने से स्तन और गर्भाशय के कैंसर से बचाव भी संभव हो सकता है।

सिट्रस फ्रूट- फाइब्रॉएड के पेशेंट को विटामिन-सी (सिट्रस फ्रूट) युक्त फल जैसे संतरा, कीवी और स्ट्रॉबेरी का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। दरअसल विटामिन-सी युक्त फ्रूट्स शरीर को अंदर से साफ करने में काफी सहायक होते हैं। ऐसे में शरीर के अंदर मौजद विषाक्त बाहर आते हैं और विटामिन-सी शरीर के फाइब्रॉएड नहीं बनने देता है।

इन घरेलू उपाय को गर्भावस्था में फाइब्रॉएड की स्थिति में भी अपनाया जा सकता है लेकिन, इनमें से अगर किसी भी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है, तो इसका सेवन न करें और डॉक्टर को इसकी जानकारी दें।

अगर आप गर्भावस्था में फाइब्रॉएड या प्रेग्नेंसी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What are Fibroids/https://www.uclahealth.org/fibroids/what-are-fibroids/Accessed on 02/02/2020

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Uterine fibroids in pregnancy: prevalence, clinical presentation, associated factors and outcomes at the Limbe and Buea Regional Hospitals, Cameroon: a cross-sectional study/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6293543/Accessed on 22/07/2020

Current Version

22/07/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/07/2020

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