क्या आप गर्भवती हैं और प्रसव के दिन का इंतजार कर रही हैं? डिलिवरी के वक्त कपल और फैमली मेंबर कई बातों का ध्यान रखते हैं। ऐसे में डिलिवरी के वक्त दाई (Doula) की मदद भी जरूर लें। बेबी डिलिवरी के दौरान दाई की अहम भूमिका होती है। डौला (दाई) एक प्रोफेशनल लेबर एसिस्टेंट होती हैं जो गर्भवती महिला को डिलिवरी के दौरान फिजिकल और इमोशनल सपोर्ट (Emotional Support) देती है। जानते हैं कि डौला क्या काम करती है? प्रसव के दौरान दाई रखने के क्या फायदे हैं?
दाई (Doula) कौन होती है?
डौला डिलिवरी के दौरान लेबर पेन, फिजिकल, इमोशनल और गर्भावस्था से जुड़ी जानकारी गर्भवती महिला को देती हैं। जो गर्भवती महिला के लिए बेहद जरूरी है।
दाई (Doula) प्रोफेशनल लेबर एसिस्टेंट होती है। यह 2 अलग-अलग तरह की होती हैं।
1. ऐन्टिपार्टम डौला (Antepartum doulas)
2. पोस्टपार्टम डौला (Postpartum doulas)
1. ऐन्टिपार्टम डौला (Antepartum doulas)
ऐन्टिपार्टम डौला ऐसी गर्भवती महिला के लिए सहायक होती हैं जिन्हें डॉक्टर कंप्लीट बेड रेस्ट या फिर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का डर होता है। ऐन्टिपार्टम डौला गर्भवती महिला को गर्भावस्था से जुड़ी सही जानकारी के साथ-साथ इमोशनल सपोर्ट देती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले तनाव को भी कम करने में मदद करती हैं।
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2. पोस्टपार्टम डौला (Postpartum doulas)
पोस्टपार्टम डौला शिशु के जन्म से ही साथ रहती हैं। पोस्टपार्टम डौला शिशु के देखभाल कैसे की जानी चाहिए और नवजात को स्तनपान कैसे करवाना चाहिए इसकी जानकारी देती हैं। डौला फिजिकल सपोर्ट जैसे साफ-सफाई, खाना बनाना और नई बनी मां को अन्य सहायता के लिए रहती है। पोस्टपार्टम डौला नई मां को पूरी तरह से सहयोग करती है।
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डिलिवरी के वक्त दाई (ऐन्टिपार्टम डौला) से क्या होते हैं फायदे?
डिलिवरी के वक्त दाई (doula) के रहने से निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं। इनमें शामिल हैं-
- डिलिवरी के वक्त दाई के रहने से 50 प्रतिशत तक सिजेरियन डिलिवरी की संभावना कम हो सकती है। लेबर पेन 25 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
- डिलिवरी के दौरान स्पर्श और मालिश से गर्भवती महिला को राहत मिल सकती है।
- बेबी डिलिवरी के दौरान दाई के रहने से इमोशनल सपोर्ट मिलने के साथ-साथ वह गर्भवती महिला को नॉर्मल डिलिवरी के लिए प्रोत्साहित करती है।
- लेबर रूम में गर्भवती महिला की सेहत से जुड़ी जानकारी परिवार के सदस्यों को देती रहती है।
- डिलिवरी के वक्त दाई गर्भवती महिला और डॉक्टर्स के बीच बेहतर तालमेल बैठाने में मददगार होती है।
- शिशु के जन्म से जुड़े नकारत्मक विचारों को नहीं आने देती है।
- अध्ययनों से पता चलता है कि जो महिलाएं डौला की मदद लेती हैं, उनमें लेबर पेन की अवधि कम होती हैं। उन्हें सी-सेक्शन की आवश्यकता कम होती है, मेडिकेशन का इस्तेमाल कम आवश्यक हो जाता है और अधिक सकारात्मक प्रसव का अनुभव होता है।
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डौला डिलिवरी के दौरान और डिलिवरी के बाद भी काफी मददगार होती हैं। महिलाएं जो प्रसव के बाद दाई की सहायता लेती हैं, उन्हें स्तनपान (breastfeeding) कराने में आसानी रहती है। डिलिवरी के बाद पोस्टपार्टम डौला की मदद ली जा सकती है।
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डिलिवरी के वक्त दाई केवल तभी उपयोगी हैं जब आप नॉर्मल डिलिवरी का सोच रही हैं?
डौला की उपस्थिति फायदेमंद हो सकती है, चाहे फिर आप किसी भी प्रकार के जन्म की योजना बना रहे हों, लेकिन ध्यान रखें कि डौला की प्राथमिक भूमिका सुरक्षित और सुखद प्रसव में मदद करना है-जन्म के प्रकार को चुनने में उनकी मदद करना नहीं।
जिन महिलाओं ने सिजेरियन डिलिवरी का फैसला किया है, उनके लिए डौला लेबर पेन और ऑपरेशन प्रॉसेस के बीच में भावनात्मक, सूचनात्मक और शारीरिक सहायता प्रदान करने में मददगार साबित होती है। इससे संभावित दुष्प्रभावों से निपटने में मदद मिलती है इसके अलावा डिलिवरी के वक्त दाई अन्य आवश्यकताओं के साथ भी मदद कर सकती है। इससे कुछ हद तक असुविधा होने की संभावना कम हो जाती है। सिजेरियन का सामना करने वाली मां के लिए, डौला निरंतर सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करने में सहायक होती हैं। अक्सर ऐसी स्थिति गर्भवती महिला को निराश और अकेलापन महसूस होता है। एक डौला पूरे सिजेरियन के दौरान हर समय मां के लिए हाजिर रहती है।
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डौला आपकी डिलिवरी टीम के साथ कैसे काम करती है?
जैसा कि आपको लेबर पेन और प्रसव के दौरान आवश्यक है। वह आपको मेडिकल टीम के साथ संवाद करने में मदद करेगी। एक डौला नर्सिंग या अन्य मेडिकल स्टाफ की जगह नहीं लेती है। वह आपकी जांच नहीं करती है या अन्य नैदानिक कार्य नहीं करती है।
पोस्टपार्टम डौला के क्या हैं फायदे? (Postpartum doula benefits)
पोस्टपार्टम डौला नई बनी मां की हेल्पिंग हेंड की तरह होती हैं। घर में पोस्टपार्टम डौला होने से निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं।
- शिशु को स्तनपान करवाने का सही तरीका बताती है।
- नवजात की मालिश करने का सही तरीका समझाती है।
- घर की साफ-सफाई पर ध्यान देती है।
- अगर सिजेरियन डिलिवरी हुई है तो शिशु की मां की और ज्यादा मददगार होती हैं।
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डौला से करें ये सवाल:
डौला चुनने के लिए याद रखें हमेशा ऐसी डौला को ढूंढना चाहिए जिसके साथ आप सहज महसूस करती हैं। डौला से ये सवाल जरूर पूछें-
- आपने क्या प्रशिक्षण (training) लिया है?
- आप कौन सी सेवाएं मुहैया करवाती हैं?
- आपकी फीस क्या है?
- क्या आप मेरी ड्यू डेट के लिए उपलब्ध हैं?
- चाइल्ड बर्थ के बारे में आपका क्या नजरिया है?
- यदि किसी कारण से आप ड्यू डेट (due date) पर उपलब्ध नहीं होती हैं तो क्या होता है?
डिलिवरी के वक्त दाई महिलाओं को सर्वोत्तम जन्म परिणामों को प्राप्त करने के लिए सशक्त बना सकती है। डॉक्टर्स के अलावा एक डौला द्वारा सहायता प्रदान किए जाने पर प्रसव अधिक सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। इसलिए डिलिवरी के वक्त दाई (Doula) को अपने साथ जरूर रखें। डौला जन्म से पहले, प्रसव के दौरान और बाद में व्यक्तिगत समर्थन के लिए भी जिम्मेदार होती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट डौला अस्पताल में आसानी से मिल जाती हैं लेकिन, डिलिवरी के बाद भी इनकी सहायता लेने से पीछे न हटें।
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