एक बार गर्भपात होने के बाद दोबारा प्रेग्नेंसी प्लानिंग के ख्याल से महिलाएं सहम जाती हैं। पार्टनर और आपके लिए गर्भपात होना किसी सदमे की तरह हो सकता है। मिसकैरिज के बाद प्रेग्नेंसी प्लानिंग करते वक्त कपल्स के मन में कई सवाल आते हैं। दिमाग में दोबारा गर्भपात का डर भी रहता है। इससे जुड़ी हुई चुनौतियां भावनात्मक रूप से परेशान करती हैं। आज हम इस आर्टिकल में गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी के विभिन्न पहलुओं के बारे में आपको बताएंगे।
गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी में चुनौतियां (Challenges in pregnancy after Miscarriage)
क्या होता है गर्भपात का कारण? (What causes miscarriage)
कई मामलों में भ्रूण (fetus) के ठीक तरह से विकसित न होने के चलते गर्भपात हो जाता है। शिशु के गुणसूत्र में विकार होने के चलते करीब 50 प्रतिशत गर्भपात होते हैं। भ्रूण के विभाजन और विकास के वक्त ज्यादातर गुणसूत्र संबंधी परेशानियां पैदा होती हैं।
हालांकि, महिलाओं की बढ़ती उम्र में यह सामान्य है। कुछ मामलों में डायबिटीज (Diabetes) या यूटाइन की दिक्कत से गर्भपात (miscarriage) हो जाता है। हालांकि, अक्सर गर्भपात के कारणों का पता नहीं लग पाता है। करीब आठ से लेकर 20 प्रतिशत कंफर्म प्रेग्नेंसी का अंत गर्भपात होता है। वहीं, इसके कुल आंकड़ों के बारे में अभी भी सही आंकड़े उपलब्ध नही हैं क्योंकि, कुछ महिलाओं को पता ही नहीं होता कि वे प्रेग्नेंट हैं और उससे पहले ही गर्भपात हो जाता है।
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गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी की कितनी संभवाना होती है? (Pregnancy after Miscarriage)
ज्यादातर मामलों में गर्भपात की घटना एक ही बार सामने आती है। एक बार गर्भपात होने के बाद ज्यादातर महिलाओं की हेल्दी प्रेग्नेंसी (Healthy pregnency) होती है। हालांकि, करीब एक प्रतिशत महिलाओं में गर्भपात (miscarriage) दोबारा हो सकता है। वहीं, एक गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी दोबारा हो इसका खतरा करीब 20 प्रतिशत बना रहता है। लगातार दो बार गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी में गर्भपात का खतरा करीब 28 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वहीं, तीसरी या इससे ज्यादा बार गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी होने पर मिसकैरिज का खतरा बढ़कर 43 प्रतिशत हो जाता है।
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बॉडी और माइंड का रिलेक्सेशन (Relaxation of body and mind)
गर्भपात से होकर गुजरना महिला के लिए काफी कठिन होता है। भावनात्मक रूप से इस पीढ़ा से उबर पाना कई बार महिलाओं के लिए मुश्किल होता है। ऐसे में यदि आप दोबारा गर्भधारण करना चाहती हैं तो अपनी बॉडी और दिमाग (Body and mind) को पर्याप्त समय दें। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि गर्भपात के बाद पहले मासिक धर्म (Periods) से लेकर अलगे तीन महीने का गैप देना चाहिए।
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नियमित रूप से जांच कराएं (Get checked regularly)
गर्भधारण करने से पहले नियमित रूप से प्रीनेटल चेकअप (prenatal check up) के लिए जरूर जाएं। इससे डॉक्टर को आपकी बॉडी के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलने में मदद मिलेगी। हेल्दी प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाने के लिए तंबाकू, एल्कोहॉल और दूसरी नशीली दवाइयों का सेवन न करें।
बॉडी को रखें फिट (Keep your body fit)
गर्भपात के बाद दोबारा प्रेग्नेंसी के लिए आपको अपनी बॉडी को हेल्दी रखना है। इस बात का खास ख्याल रहे कि आपका ब्लड प्रेशर और डायबिटीज कंट्रोल में रहें। साथ ही वजन को हेल्दी रेंज के अंदर ही रखना है। इसके लिए आप हल्की-फुल्की एक्सरसाइज कर सकती हैं। किसी भी एक्सरसाइज को करने से पहले आपको एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी है।
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हेल्दी डायट को फॉलो करें (Follow healthy diet)
बॉडी को दोबारा प्रेग्नेंसी के लिए तैयार करने के लिए आपकी बॉडी का हेल्दी होना जरूरी है। गर्भधारण से पहले आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना है। साबुत अनाज, फल और हरी सब्जियां आपके लिए बेहतर विकल्प हैं। दिनचर्या में कैफीन की मात्रा में कटौती करें। यह आपके सेहत के लिए अच्छा रहेगा। कैफीन (caffeine) अक्सर बॉडी में जाकर ब्लड प्रेशर को बढ़ा देती है।
मिसकैरिज के बाद देखभाल कैसे करें? (Self-Care After a Miscarriage)
गर्भपात के बाद दो सप्ताह तक दर्द और ब्लीडिंग (Bleeding) होना मिसकैरिज के लक्षण ही हैं। दर्द और रक्तस्राव की मात्रा हर महिला में अलग-अलग होती है और यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मिसकैरिज का इलाज कैसे किया गया है। आम तौर पर, दो सप्ताह के बाद रक्तस्राव और दर्द कम हो जाते हैं यदि दोनों अभी भी जारी हैं तो संभावित रूप से यह किसी और स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा करता है। यदि दर्द के साथ होने वाले ब्लीडिंग का तापमान भी उच्च है तो आपको वजायना इंफेक्शन यानी योनि संक्रमण भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में आपको शीघ्र डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। गर्भपात के बाद निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे-
- इंफेक्शन (संक्रमण) से बचें (Avoid infection)
- हल्के-फुल्के व्यायाम करें (ight exercises)
- दैनिक गतिविधियों को करते समय सावधानी बरतें (daily activities)
- संतुलित और हेल्दी भोजन करें (Eat a balanced and healthy diet)
- नियमित रूप से चेकअप कराएं। (Get regular checkups)
गर्भपात के बाद कब प्रेग्नेंट हों? (Pregnancy after Miscarriage?)
मिसकैरिज के कम से कम 85% मामलों में बाद में सामान्य गर्भधारण और शिशु जन्म लेते हैं। गर्भपात होने का मतलब यह नहीं है कि अब आप प्रेग्नेंट नहीं हो सकतीं।लगभग 1% -2% महिलाओं में बार-बार मिसकैरिज (तीन या तीन से अधिक) भी होता है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यह एक स्वत: प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Autoimmune response) की वजह से होता है। इसमें आपका शरीर स्वत: प्रतिरक्षा (Autoimmunity) के दौरान आपकी बॉडी अपने ही तत्वों को नहीं पहचान पाता है और उन्हें बाहरी तत्व समझकर नष्ट कर देता है।
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गर्भपात (गर्भस्राव) से बचाव के उपाय (Prevention of miscarriage)
आमतौर पर गर्भपात को नहीं रोका जा सकता है। फिर भी गर्भपात की संभावना कम करने के लिए खुद को प्रेग्नेंसी के लिए समय से पहले तैयार करना जरूरी है। कंसीव करने के लिए अपनी बॉडी के साथ-साथ अपने माइंड को भी तैयार करें। प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले पोषक तत्वों को डायट में शामिल करें। कोशिश करें कि तनाव से दूर रहें।
इस टिप्स को फॉलो करके आप गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं। एक बार डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें। गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी में विशेष दिन रखने की जरुरत होती है साथ ही अपने सारे चेकअप समय-समय पर कराते रहें। आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा इससे विषय से जुड़ा कोई भी सवाल या सुझाव आपके पास है तो आप हमसे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।
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