सर्दी की दोपहर थी, जब सुमन तीन साल के बेटे को अपनी दोस्त के पास कार में सुलाकर कुछ सामान लेने गई थी। कार का एसी बंद था। वापस आकर उसने देखा कि बच्चा उठ गया था लेकिन, बहुत रो रहा था। सुमन की दोस्त भी उसे संभाल नहीं पा रही थी। बेबी का शरीर भी काफी गर्म हो गया था। डॉक्टर के पास ले जाने पर पता चला कि उसे हीट स्ट्रोक हुआ था। जिसे बच्चों को लू लगना (Heat Stroke in kids) भी कहते हैं। अब शायद आप यह सोच रहे हैं होंगे कि सर्दी के मौसम में हीट स्ट्रोक कैसे हो सकता है? दरअसल, हीट स्ट्रोक के बारे में लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ गर्मी के मौसम में ही होता है लेकिन, ऐसा नहीं है। “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में जानते हैं आखिर हीट स्ट्रोक या बच्चों को लू लगना (Heat Stroke in kids) है क्या? बच्चों को लू लगने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर आर. के. ठाकुर ने हैलो स्वास्थ्य से बात करते हुए बताया (आर.के. क्लिनिक, लखनऊ) कि ” गर्मियों के मौसम में बच्चों को लू लगने का खतरा ज्यादा होता है लेकिन, यह किसी भी मौसम में हो सकता है। शिशुओं और बच्चों को लू लगना ज्यादा होता है क्योंकि बच्चे बड़ों की तरह शरीर के तापमान को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।”
और पढ़ेंः बनने वाले हैं पिता तो गर्भ में पल रहे बच्चे से बॉन्डिंग ऐसे बनाएं
हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) क्या है?
बच्चों को लू लगना (Heat Stroke in kids) क्या है यह जानने से पहले यह भी जान लें
- सामान्य तौर पर एक छोटे बच्चे के शरीर का तापमान वयस्क लोगों की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक तेजी से बढ़ता है। अगर किसी बच्चे को गर्म वाहन या गर्माहट वाले स्ठान में छोड़ दिया जाए, तो उस बच्चे का तापमान जल्दी से बढ़ सकता है। इतना ही नहीं कुछ ही मिनटों में अंदर बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।
- जब शरीर का मुख्य तापमान लगभग 104 डिग्री तक पहुंच जाता है तब हीट स्ट्रोक शुरू हो सकता है
- लगभग 107 डिग्री तक का तापमान शरीर के लिए घातक हो सकता है।
और पढ़ेंः अपने 13 महीने के बच्चे की देखभाल के लिए आपको क्या जानने की आवश्यकता है?
कैसे पता चलेगा कि बच्चे को हीट स्ट्रोक (बच्चों को लू लगना) हो गया है?
हीट स्ट्रोक की शुरुआत में शिशु में ये कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं-
- लगभग 105° F (40.5 ° C) तापमान के साथ बुखार होना।
- त्वचा का गर्म और शुष्क होना।
- चक्कर आना, सुस्ती लगना।
- मतली और उल्टी।
- शिशु को बेचैनी और बेहोशी हो सकती है।
- बच्चे का घंटों तक यूरिन पास न होना।
- शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
- बच्चे का बहुत ज्यादा रोना।
- ये लक्षण (बच्चों को लू लगना) अचानक नहीं उभरते हैं लेकिन, एक घंटे या कई घंटों में धीरे-धीरे दिखाई देना शुरू हो सकते हैं। हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है इसलिए इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
और पढ़ेंः बच्चों के लिए फ्लू का टीका क्यों होता है जरूरी औ रखनी चाहिए कौन सी सावधानियां?
शिशुओं में हीट स्ट्रोक (बच्चों को लू लगना) का कारण क्या है?
जब माता-पिता हीट स्ट्रोक (लू लगना) के बारे में सोचते हैं, तो वे गर्मी के बारे में सोचते हैं लेकिन, हीट स्ट्रोक का कारण गर्मियों के अलावा भी हो सकते हैं। ये कारण निम्नलिखित हैं-
बच्चों को लू लगना: कार में शिशु को अकेला छोड़ना
पार्किंग में बच्चे को कार के अंदर (जिसमें एसी न चल रहा हो) छोड़ देने से कार के अंदर का टेम्प्रेचर काफी बढ़ जाता है, जिससे बच्चे को हीट स्ट्रोक हो सकता है। देखा गया है कि कई मामलों में ये एक्सीडेंटल डेथ का भी कारण बन जाता है। दरअसल, बंद कार के अंदर का तापमान बाहर के वातावरण से 20 डिग्री तक ज्यादा बढ़ सकता है। इसके अलावा, एक बच्चे के शरीर का तापमान वयस्क की तुलना में लगभग पांच गुना तेजी से बढ़ता है जिससे शिशु को हीट स्ट्रोक की समस्या जल्दी हो जाती है।
बच्चों को लू लगना: उच्च तापमान और ह्यूमिडिटी (Humidity)
सीधे धूप के संपर्क में आने या उच्च तापमान में रहने से शिशु को हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। वहीं, वातावरण में ज्यादा ह्यूमिडिटी की वजह से पसीना बहुत निकलता है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इस तरह ज्यादा गर्म और ह्यूमिडिटी वाले वातावरण के निरंतर संपर्क से शिशुओं में हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
और पढ़ेंः मोटे बच्चे का जन्म क्या नॉर्मल डिलिवरी में खड़ी करता है परेशानी?
शिशु को हीट स्ट्रोक (Heat Stroke in kids) हो जाने पर क्या करना चाहिए?
यदि शिशु में हीट स्ट्रोक (बच्चों को लू लगना) के शुरुआती लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से संपर्क करें। इसके साथ ही ये उपाय आजमाने की सलाह दी जाती है-
- नवजात शिशु को ठंडी जगह पर लेटाएं और नियमित रूप से स्तनपान कराएं। अगर आप घर पर हैं, तो बच्चे को पहनाए गए सारे कपड़े उतार दें और ठंडी जगह में लेटाएं। लेकिन, अगर घर से बाहर हैं, तो किसी एसी लगे हुए स्थान पर जाएं।
- लू लगने पर बच्चे को किसी भी पालने, कार की सीट, बैग या बेबी कैरियर पर न रहने दें। आमतौर पर ये सिंथेटिक फैब्रिक से बनाए जाते हैं जो बहुत ही गर्मी प्रदान करते हैं।
- हीट स्ट्रोक (लू लगना) होने पर पानी से भीगे कपड़े से बच्चे के शरीर को पोंछकर शरीर का तापमान कम किया जा सकता है।
- डॉक्टर शिशु के शरीर के कुछ-कुछ हिस्सों पर आइस बैग्स रखने की सलाह भी दे सकते हैं।
- हीट स्ट्रोक से डीहाइड्रेशन या शरीर में पानी की कमी का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए शिशु को इससे बचाने के लिए इंट्रावेनस फ्लूइड्स (intravenous fluids) देने की सलाह दी जाती है। इससे शरीर के तापमान को नीचे लाने में भी मदद मिलती है। साथ ही, बच्चे के शरीर को ठंडे पानी से किसी स्पंज या स्पे से गीला करते रहें।
- बच्चे को तरल पदार्थ ज्यादा से ज्यादा दें। आप पानी के साथ ही फलों का जूस भी दे सकते हैं।
बच्चों को लू लगना (Heat Stroke in kids) या हीट स्ट्रोक से कई स्वास्थ्य संबधित परेशानियां हो सकती हैं। हालांकि, इसके कारणों को रोकना और समस्या पर नियंत्रित करना आसान है। फिर भी समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। लू लगने के किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेना सबसे सही रहता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों को लू लगना (Heat Stroke in kids) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंग।
[embed-health-tool-vaccination-tool]