सिजेरियन के बाद नींद आवश्यक है और इसके साथ ही सही स्लीपिंग पुजिशन से शरीर को आराम मिलने के साथ-साथ सर्जरी की जगह पर किसी तरह का दबाव या तनाव न के बराबर पड़ता है। ठीक पुजिशन में सोने से बिस्तर से नीचे उतरना आसान रहता है और नींद भी अच्छी आती है। इससे पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव कम पड़ता है। इस आर्टिकल में हम सिजेरियन के बाद नींद लाने के टिप्स के साथ-साथ सिजेरियन के बाद नींद से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातों को समझेंगे।
सिजेरियन डिलिवरी के बाद सोने में परेशानी क्यों होती है?
प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के बाद हॉर्मोन लेवल में बदलाव के कारण शुरू हुई स्थिति को ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (obstructive sleep apnea) (OSA) कहते हैं। ओएसए के कारण सोने के दौरान सांस लेने में परेशानी महसूस हो सकती है और सी-सेक्शन की स्थिति में नींद न आने की समस्या बढ़ सकती है। ठीक से नींद पूरी न होने की स्थिति में अन्य शारीरिक परेशानी का खतरा शुरू हो जाता है और महिला चिड़चिड़ापन भी महसूस कर सकती हैं।
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सिजेरियन के बाद नींद के लिए कौन-कौन सी पुजिशन ठीक मानी जाती है?
सिजेरियन के बाद नींद के निम्नलिखित पुजिशन में सोना आरामदायक हो सकता है। जैसे-
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पीठ के बल सोना
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एक करवट में सोना
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अपराइट
1. पीठ के बल सोना
सिजेरियन डिलिवरी के बाद शुरुआती दिनों या हफ्ते भर पीठ के बल सोना काफी आरामदायक होता है। पीठ के बल सोने से सर्जरी वाली जगह पर प्रेशर नहीं पड़ता है। आप चाहें तो अपने घुटने के नीचे तकिया भी रख सकती हैं। इससे और ज्यादा आराम महसूस होगा। तकिए की वजह से शरीर के निचले हिस्से पर दवाब कम पड़ेगा। जब इस पुजिशन से उठना हो तो हल्का करवट लें और फिर उठें। ध्यान रखें तेजी से या झटके के साथ न उठें। तेजी से या झटके से उठने की वजह से टाकें वाली जगह पर नुकसान हो सकता है। इसलिए हमेशा आराम से उठने की कोशिश करें। अगर इस दौरान आपको किसी की मदद चाहिए तो मदद लेने से हिचकिचयाय नहीं।
2. करवट लेकर सोना
बेबी डिलिवरी के बाद करवट लेकर सोना काफी आरामदयाक होता है। करवट के सहारे सोने से सर्जरी पर प्रेशर नहीं पड़ता है और बिस्तर से उठने में परेशानी या दर्द भी नहीं होता है। लेफ्ट करवट (बाईं करवट) सोने से शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है। तकिए का प्रयोग एब्डोमेन और हिप्स पर कर सकते हैं। अगर ब्लड प्रेशर से जुड़ी कोई परेशानी हैं तो बाईं करवट सोना या लेटना बेस्ट माना जाता है।
3. सीधी सोएं
शरीर के ऊपरी हिस्से को तकिए के सहारे से ऊपर की ओर करें और फिर सोएं। ऐसा करें से सांस लेने में आसानी होती है। अगर आप ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया की शिकार हैं तो यह पुजिशन अच्छी नींद के लिए सबसे बेस्ट है। आप चाहें तो घुटने के बीच में और हिप्स के नीचे पिलो रख सकती हैं। सिजेरियन के बाद नींद अच्छी आये इसलिए सीधे सोएं।
4. अपराइट
ऊपर बताई गई स्लीपिंग पुजिशन (स्लीपिंग टिप्स) अगर आपके लिए फिट नहीं हो रही है, तो अपराइट पुजिशन ट्राई करें। सिजेरियन के बाद नींद लाने के लिए अपराइट पुजिशन भी अच्छा विकल्प माना जाता है। आप कुर्सी या सोफे पर बैठ जाएं और अपने पास पिलो रखें। ऐसा करने से नींद आएगी और सर्जरी पर दवाब भी नहीं पड़ेगा। इस पुजिशन में आप ब्रेस्टफीडिंग भी आसानी से करवा सकतीं हैं। वैसे कुर्सी या सोफे की बजाय रिक्लाइनर आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प और कंफर्टेबल हो सकता है। डिलिवरी के बाद 2 हफ्ते तक इस पुजिशन में सोना काफी आरामदायक होता है। इसलिए सिजेरियन के बाद नींद के लिए अपराइट पुजिशन का चयन किया जा सकता है।
सिजेरियन डिलिवरी के बाद इन 4 पुजिशन में सोना बॉडी के लिए सही माना जाता है। इस दौरान पेट के बल न सोएं।
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सिजेरियन के बाद नींद आने के टिप्स के साथ किन-किन बातों का ध्यान रखें?
सिजेरियन के बाद नींद आने के टिप्स के साथ-साथ निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखें। जैसे-
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का ही सेवन सही समय और करें। अपनी इच्छा के अनुसार दवा न लें और अपनी इच्छा अनुसार इसका सेवन न करें।
- नींद की दवा न खाएं इससे शिशु की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
- हमेशा बेड पर लेटे न रहें। हमेशा लेते रहना भी आपके लिए शारीरिक परेशानी पैदा का सकता है।
- समतल जगह पर चलने की कोशिश करें। ऐसा करने से ब्लड सर्क्युलेशन ठीक होगा और अच्छी नींद आएगी। बेहतर नींद से आप स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करेंगी।
अगर आप सिजेरियन के बाद नींद या कोई भी इससे जुड़ी किसी तरह की परेशानी महसूस करते हैं या किसी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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सिजेरियन के बाद नींद आने में परेशानी हो सकती है लेकिन, इन दिनों भारत में साल 2005-06 में सिजेरियन डिलिवरी का आंकड़ा मात्र 8.5 प्रतिशत था। वहीं साल 2015-16 में यह आंकड़ा बढ़कर करीब 17.5 प्रतिशत पर पहुंच चुका था। आंकड़ों से यह साफ संकेत मिल रहें है कि भारत में भी सिजेरियन डिलिवरी से शिशु का जन्म ज्यादा होता है। देश के ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 12.9 प्रतिशत से कम था। वहीं सिजेरियन डिलिवरी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एचओ ) ने 10 और 15% का लक्ष्य स्थापित किया है।
भारत के आंकड़े इस सीमा को पार करते हुए नजर आते हैं। यह आंकड़ा नीदरलैंड और फिनलैंड जैसे धनी देशों से भी कहीं ज्यादा है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत के बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सिजेरियन सर्जरी का चलन 10 प्रतिशत से भी कम है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है वहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव। देश के सबसे गरीब तबके में यह आंकड़ा 4.4 प्रतिशत से भी कम है।
वहीं, दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना के आर्थिक रूप से समृद्ध तबके में हर तीसरी डिलिवरी सिजेरियन सर्जरी के जरिए होती है। इनमें यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
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वैसे देखा जाए तो इन दिनों सी-सेक्शन से डिलिवरी सामान्य माना जाता है। कई कपल्स सिजेरियन डिलिवरी प्लान करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखें सिजेरियन डिलिवरी नॉर्मल नहीं बल्कि मेजर सर्जरी के अंतर्गत है। जिसे ठीक होने में कम से कम दो महीने का समय लग जाता है। इसके साथ ही ज्यादातर लोगों को ऐसा भी लगता है कि सिजेरियन डिलिवरी के बाद नॉर्मल डिलिवरी नहीं हो सकती है लेकिन, ऐसा नहीं है। नेशल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार सिजेरियन डिलिवरी के बाद 50 प्रतिशत संभावना नॉर्मल डिलिवरी की भी होती है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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