प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं की बॉडी में अक्सर सूजन (स्वैलिंग) आ जाती है। कई मामलों में यह स्वैलिंग इतनी ज्यादा होती है कि उन्हें चलने- फिरने में दिक्कत होती है। इसके पीछे कुछ कारण होते हैं। आज हम इस आर्टिकल में डिलिवरी के बाद आने वाली सूजन के कारण और इसके इलाज के बारे में बताएंगे।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की बॉडी में वॉटर रिटेंशन (पानी का इक्कट्ठा होना ) होता है। उस समय महिलाओं के शरीर के कुल वजन में पानी का वजन भी शामिल होता है। डिलिवरी के बाद बॉडी में इक्कट्ठा पानी बाहर ना निकलने की वजह से सूजन आ जाती है। डिलिवरी के बाद ज्यादातर मामलों में पैरों, पंजों, टखनो और चेहरे पर सूजन आती है।
अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन के मुताबिक, ‘प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु को सपोर्ट करने के लिए महिलाओं के शरीर के कुल वजन का 50 प्रतिशत हिस्सा ब्लड और फ्लूड (पानी) से बनता है।’ वहीं, कुछ अध्ययनों में यह भी कहा गया है कि इस दौरान महिलाएं पूरी बॉडी में तीन किलो से ज्यादा फ्लूड को रिटेन कर सकती हैं। यह सूजन सिजेरियन और वजायनल दोनों डिलिवरी के बाद आती है।
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प्रेग्नेंसी के बाद बॉडी में सूजन के कारण
इस पर हमने सेंट्रल मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल की कंसल्टेंट ओबस्ट्रेटिक्स गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर गंधाली देवरुखकर से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि, ‘नौ महीने के दौरान शिशु के आकार बदलने के साथ यूटरस का साइज भी बदलता है। इस स्थिति में यह काफी स्ट्रेच हो जाता है। इस दौरान यूटरस के भार का प्रेशर इंटेस्टाइन और स्पाइन कॉर्ड पर पड़ता है।’ उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंसी से पहले यूटरस का आकार मुट्ठी के बराबर होता है लेकिन, प्रेग्नेंसी के दौरान तीन किलो के बच्चे को रखने के लिए यह अपने साइज को बढ़ाता है।
यूटरस को सामान्य साइज में आने के लिए तीन से लेकर छह महीनों का समय लगता है। इस स्थिति में बॉडी में फ्लूड कंपाटमेंट में बदलाव होता है। दूसरी तरफ, महिलाएं शिशु को स्तनपान कराने के लिए अक्सर देर रात तक जागती हैं और ज्यादातर महिलाएं इस दौरान पानी कम पीती हैं। जिसकी वजह से बॉडी वॉटर रिटेंशन (बॉडी में पानी का इक्कट्ठा होना) करती है। इसकी वजह से डिलिवरी के बाद सूजन आ जाती है।
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प्रेग्नेंसी के बाद बॉडी में सूजन का इलाज
डॉक्टर गंधाली के मुताबिक, ‘सूजन को कम करने के लिए महिलाओं को रोजाना कम से कम 10 गिलास पानी पीना चाहिए। इससे बॉडी में पानी की आपूर्ति होगी, जिसकी वजह से बॉडी वॉटर रिटेंशन करना कम करेगी।’ उनके मुताबिक इस दौरान महिलाओं को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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पैरों को ऊंचा करके सोएं
महिलाओं को रात में सोते वक्त अपने पैर ऊंचे रखने चाहिए। इससे उनकी बॉडी वॉटर रिंटेशन को ना करके, जमे हुए पानी को निकालती है। इसके लिए पैरों के नीचे एक तकिया लगा लें। डॉक्टर के अनुसार इससे बॉडी के ब्लड फ्लो में भी सुधार होता है। उन्होंने कहा कि प्रेग्नेंसी से पहले बॉडी में ब्लड फ्लो और प्रेग्नेंसी के दौरान दोनों में अंतर होता है। ऐसी स्थिति में इसे सामान्य अवस्था में आने में कम से कम एक महीने का वक्त लगता है। ब्लड फ्लो के सामान्य होने से सूजन कम हो जाती है।
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गर्म पानी से करें मसाज
बॉडी के निचले हिस्से की सूजन को कम करने से हल्क गर्म पानी (जिससे त्वचा जले ना) से मसाज या सिकाई कर सकते हैं। नमक को पानी में जरूर मिलाएं। यह सूजन को काफी हद तक कम करता है। सूजन के दौरान महिलाओं को किसी भी टैबलेट को खाना जरूरी नहीं है।
डिलिवरी के बाद सूजन को कम करने के अन्य उपाय
हल्की एक्सरसाइज करें
डिलिवरी के बाद बॉडी में सूजन होने पर महिलाएं हल्की एक्सरसाइज कर सकती हैं। एक्सरसाइज करने से महिलाओं की बॉडी में ब्लड और वॉटर सर्क्युलेशन में सुधार आता है। एक्सरसाज से बॉडी में अतिरिक्त पानी इक्कट्ठा नहीं हो पाता।
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ढीले कपड़े पहनें
टाइट कपड़े पहने से बॉडी के कई हिस्सों में फ्लूड सर्क्युलेशन रुक जाता है। इससे बॉडी से अतिरिक्त पानी के बाहर आने में रुकावट आ सकती है और बॉडी पानी को इक्कट्ठा कर सकती है। इस स्थिति में ढीले कपड़े पहनने से वॉटर रिटेंशन कम होता है।
नमक कम खाएं
प्रेग्नेंसी के बाद बॉडी में सोडियम और पानी को संतुलित करने की जरूरत होती है। इस स्थिति में यदि महिलाएं ज्यादा नमक खाती हैं तो उनकी बॉडी में वॉटर रिटेंशन हो सकता है। यदि आप पैकेट वाला फूड खाती हैं तो उसमें लिखित सोडियम की मात्रा को एक बार जरूर चेक कर लें। डिलिवरी के बाद बॉडी में सूजन आना सामान्य बात है। सही इलाज से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। यदि सूजन सामान्य से ज्यादा समय तक रहती है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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