भ्रूण का जेंडर क्या है? इसको लेकर कई लोग कुछ न कुछ अनुमान लगाते हैं। यह अनुमान कुछ लक्षणों पर भी आधारित हो सकता है। हालांकि, बच्चे के लिंग को लेकर ज्यादातर भविष्यवाणियां विज्ञान के बजाय सुनी-सुनाई बातों पर की जाती हैं। प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते पूरा होने पर एक अल्ट्रासाउंड टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट इस संबंध में ज्यादा विश्वसनीय होता है। हमारे देश में बच्चे का लिंग पता करना कानूनन अपराध है। ज्यादातर महिलाएं शिशु के जन्म से पहले ही उसका नाम और उसके कपड़ों के बारे में सोचने लगती हैं। इसकी वजह से उनके लिए शिशु के लिंग को लेकर उत्सुकता बढ़ जाती है। आज हम इस आर्टिकल में ऐसे कुछ वैज्ञानिक सुबूतों के बारे में बात करेंगे, जो बिना किसी टेस्ट के भ्रूण का जेंडर या गर्भ में लड़का है या लड़की, क्या हो सकता है इसका संकेत देते हैं। हालांकि इस विषय में सौ फीसदी जानकारी उपलब्ध नहीं है या यूं कह लें ये एक अनुमान हो सकता है। गर्भ में भ्रूण का लिंग क्या होगा, इसे लेकर कुछ मिथक भी हैं जो हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे।
नोट: भारतीय दंड संहिता के अनुसार जन्म से पूर्व गर्भ में बच्चे के लिंग की जांच करना एक कानूनी अपराध है। आर्टिकल में दी गई जानकारी कुछ मिथक और अध्ययन पर आधारित हैं। इसका मकसद लिंग जांच को प्रोत्साहित करना नहीं है।
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गर्भ में भ्रूण का लिंग : दिख सकते हैं ये लक्षण
जानिए महिला की हार्ट बीट तेज (Heart rate) होना किस बात का है संकेत ?
यदि गर्भ में लड़की का भ्रूण है तो उसकी हार्ट बीट रेट 140 बीट्स प्रति मिनट होती है। गर्भावस्था के दौरान लक्षणों से लिंग की पहचान करने को लेकर 1997 से लेकर 2003 तक एक अध्ययन कराया गया। यह शोध कार्गर जर्नल में प्रकाशित किया गया। इस शोध में 477 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया।
यह अध्ययन प्रेग्नेंसी के शुरुआती 12 हफ्तों पर किया गया। इसमें पाया गया कि गर्भ में लड़का होने पर भ्रूण की हार्ट रेट 154.9 बीट्स प्रति मिनट से तेज भागती है। वहीं, लड़कियों की 151.7 बीट्स प्रति मिनट से थोड़ा कम थी। हालांकि, अध्ययन में यह भी पाया गया कि पहले ट्राइमेस्टर में गर्भ में लड़का हो या लड़की भ्रूण की हार्ट रेट 140 बीट्स प्रति मिनट से ऊपर चलनी चाहिए। प्रेग्नेंसी का प्रॉग्रेस आगे बढ़ने से भ्रूण की हार्ट रेट धीमी होने लगती है। यानी अध्ययन में साफतौर पर ये बात निकलकर नहीं आई कि हार्टबीट का तेज या धीमा होना क्या वाकई लड़की या फिर लड़के के अनुमान के बारे में बताता है।
गर्भ में भ्रूण का लिंग : थकावट (Morning sickness) का एहसास करता है इस ओर संकेत
गर्भ में लड़का होने पर महिलाओं को सुबह उल्टी, उबकाई और थकावट का कम एहसास होता है। इसको लेकर ब्रिटिश मेडकल जर्नल (बीएमजे) में दि लानसेट नाम से एक शोध प्रकाशित किया गया। इसमें बताया गया कि यदि महिला के गर्भ में लड़के का भ्रूण है तो उसे सुबह ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता। हालांकि, इस संबंध में अभी और अध्ययनों की आवश्यकता है। इसके साथ ही यदि आपकी यह पहली प्रेग्नेंसी है तो इसमें इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है कि सुबह आपको ज्यादा परेशानी हो रही है या नहीं। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि गर्भ में भ्रूण के लिंग की जांच करना कानूनी अपराध है। ये खबर कुछ अनुमान और मिथक के आधार पर लिखी गई है।
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क्रेविंग के आधार पर अनुमान (Food cravings)
कुछ लोग क्रेविंग के आधार पर बच्चे के लिंग का अनुमान लगाते हैं। लोगों का मानना है कि गर्भ में लड़के का भ्रूण है तो महिला को नमकीन और चटपता खाने का मन कर सकता है। इसके अलावा लड़की होने पर मीठा खाने का मन कर सकता है। हालांकि, खाने की इच्छा और गर्भ में लिंग के बीच के संबंध को लेकर अभी तक कोई अध्ययन नहीं किया गया है लेकिन, कुछ महिलाओं ने अपने अनुभव के आधार पर इसकी पुष्टि की है। यह क्रेविंग प्रेग्नेंसी के दौरान पोषण की जरूरत में होने वाले बदलाव के चलते भी हो सकती है।
व्यवहार में बदलाव के आधार पर अनुमान
गर्भ में भ्रूण का लिंग आपके व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान आक्रामक स्वभाव और प्रभुत्व करने का व्यवहार गर्भ में लड़के के भ्रूण से जुड़ा होता है। इस स्थिति में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। इसके चलते महिला के व्यवहार में यह परिवर्तन आता है। हालांकि, इसको लेकर अभी पर्याप्त वैज्ञानिक शोध नहीं किए गए हैं। आप इसे मिथक भी मान सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में ज्यादा भूख (Feels more hungry) का एहसास
गर्भ में लड़के का भ्रूण होने पर ज्यादा भूख लगती है। इस बात को अक्सर आपने सुना होगा। अमेरिका के बॉस्टन में स्थित हावर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डिमिट्रिओस ट्रिचोपोलस ने एक अध्ययन किया। यह अध्ययन ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित हुआ। वहीं ये बात भी निकलकर आई कि जिन महिलाओं के गर्भ में लड़की थी, उन्हें कम भूख का एहसास हुआ।
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यह अध्ययन 244 महिलाओं पर किया गया। अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं के गर्भ में लड़का था उन्होंने दूसरी महिलाओं के मुकाबसे 10 प्रतिशत ज्यादा खाना खाया। प्रोफेसर डिमिट्रिओस ट्रिचोपोलस ने कहा, ‘हमारे अध्ययन में इस परिकल्पना की पुष्टि हुई कि गर्भ में लड़के का भ्रूण वाली महिलाओं को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है।’ ये बात सभी पर लागू होती है, ये कह पानी बहुत मुश्किल है।
मूड में बदलाव (Mood changes)
आपने सुना होगा कहते हैं कि यदि गर्भ में लड़का है तो मूड स्विंग्स नहीं होते लेकिन लड़की है तो मूड स्विंग्स होते हैं। यह सिर्फ एक मिथ है। प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स होते हैं लेकिन ये हार्मोन में होने वाले बदलाव के कारण होते हैं न कि गर्भ में पल रहे बच्चे के कारण होते हैं।
प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग फस्ट ट्राइमेस्टर से शुरू हो जाता है। कुछ महिलाओं में ये थर्ड ट्राइमेस्टर तक होता है। इस कारण से महिलाओं का बिहेवियर कुछ चिड़चिड़ा भी हो सकता है। ऐसा न्यूरोट्रांस्मिटर्स में आए बदलाव के कारण होता है। हार्मोन्स न्यूरोट्रांस्मिटर के स्तर को प्रभावित करते हैं जो मूड में बदलाव करता है। वहीं महिलाओं में शॉर्ट टर्म मैमोरी लॉस की समस्या भी हो सकती है जो मूड स्विंग का लक्षण हो सकती है। इसका बच्चे के लिंग से कोई भी संबंध नहीं है। प्रेग्नेंसी के दौरान सभी महिलाएं के मूड में बदलाव हो, ऐसा जरूरी नहीं है। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से भी राय ले सकती हैं।
गर्भ में लड़का होने पर यूरिन का कलर (Urine color)
प्रेग्नेंसी के दौरान यूरिन का कलर बदल जाता है। कहते हैं अगर यूरिन का कलर डार्क यैलो हो जाता है तो गर्भ में लड़का होगा। हालांकि इसे लेकर कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। डार्क यूरिन डिहाइड्रेशन का इशारा हो सकता है जो जी मिचलाना और उल्टी के कारण हो सकता है। यूरिन के रंग में बदलाव खानपान, मेडिकेशन और सप्लीमेंट्स लेने के कारण भी हो सकता है। इसका गर्भ में लड़का या लड़की होने से कोई लेना देना नहीं होता है।
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पैर के पंजों का ठंडा होना (Cold feet)
बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि पैरों के पंजों का ठंडा होना गर्भ में पल रहे शिशु का लड़का होने का इशारा होता है। हालांकि इसे लेकर भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। खराब ब्लड सर्कुलेशन, डायबिटीज रोग और अत्यधिक ठंडे मौसम के कारण प्रेग्नेंसी में पंजे ठंडे होते हैं। ऐसा होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें।
ब्रेस्ट का साइज (Breast Size)
कहते हैं जब गर्भ में लड़का हो तो एक ब्रेस्ट का साइज दूसरे से ज्यादा होता है। प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव होते हैं जिस वजह से ब्लड फ्लो बढ़ता है। इससे ब्रेस्ट टिश्यू में बदलाव होते हैं जो उन्हें बड़ा महसूस कराते हैं। ब्रेस्ट में सूजन आ जाती है क्योंकि ये डिलीवरी के बाद बच्चे के लिए मिल्क सप्लाई के लिए तैयार होती है। हालांकि ब्रेस्ट साइज को लेकर बच्चे के जेंडर से जुड़ी कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से जानकारी ले सकती हैं।
गर्भ में भ्रूण का लिंग : जानिए क्या है पेट के आकार को लेकर मिथक
आपने उपरोक्त जानकारी के अनुसार ये तो अनुमान लगा ही लिया होगा कि प्रेग्नेंसी में ज्यादातर लक्षण लिंग का पता लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है। लेकिन लोग कुछ बातों के आधार पर गर्भ में लड़का या लड़की होने के दावे के बारे में बात करते हैं। अगर इसे मिथक कहा जाए तो ये सही होगा। लोगों के बीच ये मिथक है कि गर्भवती महिला के पेट के आकार को देखकर गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में जानकारी हो सकती है। अगर प्रेग्नेंट महिला का पेट (बेबी बंप) नीचे की ओर लटका हुआ है तो लोग मानते हैं कि गर्भ में लड़का होगा। वहीं जिन प्रेग्नेंट महिलाओं का पेट आगे की ओर निकला दिखता है उन महिलाओं के लड़की होने की संभावना अधिक होती है। आप अगर इस बात पर गौर करें तो शायद आपको भी ये महसूस होगा कि महिलाओं के शरीर की मसल्स या फिर बॉडी का शेप एक जैसा नहीं होता है। यानी हर महिला का बेबी बंप एक जैसा नहीं दिख सकता है। बेबी बंप का आकार लिंग के बारे में जानकारी नहीं दे सकता है।
फीटस का जेंडर : जानिए क्या है बालों की ग्रोथ को लेकर मिथक
फीटस का जेंडर क्या बालों की ग्रोथ पर डिपेंड कर सकता है ? हो सकता है कि आपके मन में भी ये प्रश्न हो। ऐसा मिथ है कि जब प्रेग्नेंसी के दौरान बालों में ज्यादा चमक आ जाती है और साथ ही बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं तो लड़का पैदा होने की संभावना रहती है। वहीं जब बाल झड़ने लगे और साथ ही बालों की चमक भी कम होने लगे तो लड़की पैदा होने की संभावना होती है। आपको बताते चले कि बालों की ग्रोथ हार्मोन पर निर्भर करती है। बालों की ग्रोथ का गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग से कोई लेना-देना नहीं होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉयड की समस्या होने पर भी बाल झड़ सकते हैं। वहीं कई अन्य कारण भी बालों की ग्रोथ को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान बालों में आए परिवर्तन (बाल झड़ना या पतले होना) डिलिवरी के बाद ठीक हो जाते हैं। डिलिवरी के बाद शरीर में कई परिवर्तन आते हैं। ऐसे में आपको इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है कि बालों में आने वाला बदलाव फीटस के जेंडर से जुड़ा हुआ है।
फीटस का जेंडर : जानिए क्या है स्किन में होने वाले बदलाव को लेकर मिथक
आपको बताते चले कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग को लेकर लोगों में बहुत से मिथक हैं। ऐसा ही एक मिथक है प्रेग्नेंसी के दौरान स्किन में आने वाले बदलाव को लेकर। ऐसा मिथक है कि लड़का होने पर महिला के चेहरे में रैशेज और पिंपल की समस्या कम हो जाती है। वहीं गर्भ में लड़की होने पर रैशेज या पिंपल बढ़ जाते हैं। अब तो आप खुद ही पढ़ कर समझ गए होंगे कि इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है। चेहरे पर ग्लो अच्छी डायट लेने और पूरी नींद लेने से आता है वहीं कई बार हार्मोनल चेंजेस के कारण पिंपल रैशेज की समस्या बढ़ जाती है। इन बातों का फीटस के जेंडर से कोई लेना-देना नहीं है।
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वैसे, गर्भ में पल रहा शिशु चाहे लड़का हो या लड़की, एक समान है। किसी भी आधार पर लड़के या लड़की में किया गया भेद दंडनीय अपराध है, जिसके लिए व्यक्ति को भारी सजा भुगतनी पड़ सकती है। हमें लड़का या लड़की दोनों को ही समाज में बराबर सुविधाएं, भागीदारी और अधिकार देना चाहिए, जो कि हमारा संविधान भी देता है।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। बच्चे के लिंग की जानकारी करना कानूनन अपराध है। यहां आपको उन बिंदुओं के बारे में बताया गया है जो अक्सर लोग एक-दूसरे से शेयर करते हैं या फिर अधिकतर लोग मानते हैं। कुछ बातों में स्टडी भी की गई है लेकिन इस विषय में अभी ज्यादा अध्ययन की जरूरत है। प्रेग्नेंसी के दौरान यदि आपको किसी भी तरह की समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से मिले। प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें। प्रेग्नेंसी के दौरान सभी महिलाओं का एक्सपीरिंस अलग हो सकता है इसलिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। किसी भ्रम में रहने की बजाय डॉक्टर से जानकारी लें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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