गर्भावस्था मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों का लिए विशेष ख्याल रखा जाता है। हर मां की सिर्फ यही ख्वाहिश होती है कि गर्भ में पल रहा उनका शिशु स्वस्थ हो, लेकिन तमाम एहतियात बरतने के बाद भी कभी-कभी कोई समस्या आ जाती है तो गर्भवती महिला समेत परिवार के अन्य सदस्य परेशान हो जाते हैं। गर्भावस्था में तुलसी के प्रयोग से मां और शिशु को कैसे स्वस्थ रखा जा सकता है आज हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में हम आपको यह बता रहे हैं।
तुलसी एक ऐसा पौधा है जो आपको कहीं भी आराम से मिल जाएगा। इसकी पूजा भी होती है। यह आस्था और औषधि दोनों रूप में जानी जाती है। गर्भवती महिलाएं इसका सेवन कैसे करें और इससे उन्हें और गर्भ में पल रहे बच्चे (भ्रूण) को क्या-क्या फायदे होते हैं आइए जानते हैं।
तुलसी क्या है?
तुलसी कई औषधीय गुणों से भरपूर एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है। इसको अंग्रेजी में बेसिल (basil) भी कहते हैं। इसकी हरी सुगंधित पत्तियां सूप, सलाद, चाय और कई अन्य व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं। इसके साथ ही तुलसी अत्यधिक पौष्टिक भी होती है और इसमें कई तरह के प्रोटीन, विटामिन, फाइबर, खनिज और अन्य आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं।
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गर्भावस्था में तुलसी के सेवन से होने वाले फायदे
गर्भावस्था में तुलसी खाने के न इन निम्नलिखित स्वास्थ्य-लाभ हो सकते हैं-
इंफेक्शन का डर होगा कम
तुलसी कई तरह के विटामिनों का एक समृद्ध स्रोत है, जैसे कि विटामिन ई, विटामिन सी, राइबोफ्लेविन, नियासिन और कई अन्य विटामिन। इसके अलावा यह मिनरल्स (जैसे कि जस्ता, फास्फोरस, मैग्नीशियम, तांबा, मैंगनीज और पोटेशियम) से भी भरपूर है। तुलसी में मौजूद महत्वपूर्ण विटामिन और खनिज, कई तरह के संक्रमणों से बचाव करने के साथ ही आपकी इम्युनिटी (immunity) को भी मजबूत करते हैं। गर्भावस्था में तुलसी का सेवन अजन्मे शिशु के अच्छे स्वास्थ्य और विकास को सुनिश्चित करता है।
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ब्लड क्लॉटिंग होगी कंट्रोल
तुलसी के पत्तों में पाया जाने वाला विटामिन के खून के थक्कों को नियंत्रित करने में मददगार होता है। विटामिन K (vitamin K) रक्त के थक्के जमने में मदद करता है और खून की कमी की संभावना को कम करता है। प्रतिदिन प्रेग्नेंट महिला तुलसी के दो तीन पत्तों का सेवन सही तरीके से करे तो गर्भवती महिला के शरीर में खून की कमी नहीं होगी।
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थकान या कमजोरी नहीं होगी
इस दौरान महिलाएं कमजोरी या थका हुआ महसूस करती हैं। ऐसे में सुबह-सुबह खली पेट इसकी पत्तियां खाने से आप एनर्जेटिक फील करेंगी। गर्भावस्था के दौरान चक्कर आने की वजह से महिलाएं परेशान रहती हैं। ऐसे में इसके सेवन से चक्कर आना धीरे-धीरे ठीक हो सकता है। इसमें एंटीबैक्टेरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण मौजूद होने की वजह से ये गर्भवती महिला के लिए बहुत फायदेमंद है।
एनीमिया की समस्या नहीं होगी
महिलाओं में अक्सर गर्भावस्था के दौरान शरीर में खून की कमी होने लगती है लेकिन, अगर इसके कुछ पत्तों का सेवन नियम से किया जाए तो एनीमिया की समस्या नहीं होगी। रिसर्च के अनुसार, तुलसी आयरन का बेहतरीन स्रोत है। आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ावा देने में मदद करता है और गर्भावस्था के दौरान लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की संख्या में भी बढोतरी होती है। ऐसे में गर्भावस्था में तुलसी का नियमित सेवन एनीमिया से बचाता है। साथ ही गर्भवती महिला को होने वाली थकान को भी कुछ कम करता है।
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भ्रूण विकास में मददगार
गर्भावस्था में तुलसी का सेवन गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे है शिशु के विकास के लिए भी लाभदायक है। तुलसी में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो भ्रूण के सही विकास को सुनिश्चित करता है। इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी से दिल, आंख, फेफड़ों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विकास को भी बढ़ावा मिलता है।
बच्चे की ग्रोथ अच्छी होगी
इसमें मौजूद विटामिन-ए गर्भ में पल रहे भ्रूण (बच्चे) को संक्रमण से दूर रखने के साथ-साथ बेहतर विकास में भी मदद करेगा। इसमें मौजूद मैग्नीशियम गर्भ में पल रहे शिशु की हड्डियों को भी मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
तुलसी में मौजूद है पर्याप्त विटामिन
तुलसी के छोटे से पत्ते में पर्याप्त विटामिन मौजूद रहता है। इसके नियमित सेवन करने से गर्भवती महिला को विटामिन की कमी होने की आशंका कम हो जाती है।
मस्तिष्क के लिए तुलसी है गुणकारी
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला द्वारा इसके नियमित सेवन से गर्भ में पल रहे भ्रूण (बच्चे) के मस्तिष्क के विकास अच्छा होता है।
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गर्भवती महिला रहती हैं तनाव मुक्त
तुलसी में मौजूद मैग्नीज तनाव (stress) को कम करता है।
गर्भावस्था में तुलसी खाने के साइड इफेक्ट्स
भले ही गर्भवती होने पर तुलसी खाने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, फिर भी इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के अधिक सेवन से तुलसी के नुकसान भी हो सकते हैं। जैसे-
कुछ स्वास्थ्य समस्याएं
तुलसी में मौजूद यूजेनॉल (एक तरह का ऑयल) स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके ज्यादा मात्रा में या अत्यधिक इस्तेमाल से दिल की धड़कन का बढ़ना, गले और मुंह में जलन, चक्कर आना, यूरिन में ब्लड जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। इसलिए, गर्भावस्था में तुलसी का सेवन सोच-समझकर डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव
गर्भावस्था में तुलसी के अधिक सेवन से रक्त शर्करा के स्तर को कम करने वाले गंभीर हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। नतीजतन, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन आदि लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
ध्यान दें इस पर भी
गर्भावस्था में तुलसी का उपयोग करना सुरक्षित है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी रहता है कि बेसिल का सेवन उचित मात्रा में ही किया जाए। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से पहले जड़ी बूटी को अच्छे तरीके से धोना चाहिए क्योंकि तुलसी में हानिकारक परजीवी और बैक्टीरिया हो सकते हैं जो खाद्य-जनित संक्रमणों और बीमारियों को जन्म दे सकते हैं, जैसे कि लिस्टेरियोसिस और टॉक्सोप्लाज्मोसिस।
इन फायदों के अलावा तुलसी स्किन प्रॉब्लम्स को ठीक करने में भी उपयोग की जाती है। चेहरे पर हो रही कोई भी समस्या जैसे पिम्पल आदि को ठीक करने में तुलसी के पत्ते का पेस्ट लगाने से आराम मिलता है। एक्स्पर्ट्स की मानें तो तुलसी में मौजूद विटामिन और मिनरल गर्भावस्था में कई तरह से फ़ायदे पहुंचते हैं लेकिन, अगर आपको लगे की इसके सेवन से कोई परेशानी हो रही है तो इसका सेवन रोक दें और डॉक्टर से सलाह लेकर ही गर्भावस्था में तुलसी का प्रयोग करें। उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। अगर आपका कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में आप हमसे पूछ सकते हैं।
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