इनफर्टिलिटी की समस्या महिला और पुरुष दोनों को हो सकती है। दोनों में कुछ ऐसी स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं होती हैं, जो फर्टिलिटी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। कुछ मामलों में महिला और पुरुष इन समस्याओं से अंजान होते हैं। इनफर्टिलिटी के मामले में इससे जुड़े हुए कारणों की जानकारी होना आवश्यक है। बिना इसके कारणों पता लगाए फर्टिलिटी की समस्या का इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में हम स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ ऐसी ही समस्याओं के बारे में बताएंगे, जो फर्टिलिटी को प्रभावित करती हैं।
इनफर्टिलिटी की समस्या के कारण: (Infertility Causes)
निम्न समस्याएं इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती हैं। अगर आप इनमें से किसी समस्या से ग्रसित हैं तो डॉक्टर की सलाह लें। वे आपकी हेल्थ कंडिशन के हिसाब से ट्रीटमेंट सजेस्ट करेंगे और आपकी समस्या का समाधान करेंगे।
इनफर्टिलिटी की समस्या 1: एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis)
महिलाओं में एंडोमेट्रिओसिस होने पर उनकी पेल्विक केविटी पर असर पड़ता है। गर्भाशय की आंतरिक लाइनिंग पर एंडोमेट्रिओसि विकसित होता है। कई मामलों में यह बच्चेदानी के बाहर विकसित हो जाता है। इसकी वजह से आपको मासिक धर्म की ब्लीडिंग और इनफर्टिलिटी होती है। बाहर विकसित हुए एंडोमेट्रिओसिस के यह टुकड़े वजायनल ब्लीडिंग से बाहर नहीं निकलते। पेल्विक केविटी के अंदर इक्कट्ठा होने के बजाय यह बाहर ही एकत्रित रहते हैं।
कई मामलों में यह ओवरी के ऊपर के एक परत बना लेते हैं या फैलोपियन ट्यूब के सिरे को ब्लॉक कर देते हैं। इससे एग्स और स्पर्म फैलोपियन ट्यूब के अंदर फर्टिलाइजेशन के लिए एक दूसरे के संपर्क में नहीं आ पाते। कुछ मामलों में इन टुकड़ों को सर्जरी के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है। एंडोमेट्रिओसिस के कारण कई बार महिलाओं को लगातार दर्द का सामना भी करना पड़ता है। यह पेट के निचले हिस्से में हो सकता है। हालांकि, इससे पैदा होने वाली असहजता को दवाइयों के जरिए तो कम किया जा सकता है लेकिन, फर्टिलिटी में सुधार करना थोड़ा मुश्किल होता है।
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इनफर्टिलिटी की समस्या 2: रिप्रोडक्टिव ट्रैक में संक्रमण (Infection in reproductive track)
महिला और पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या का सबसे बड़ा कारण सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (sexually transmitted diseases) हो सकती हैं। आम भाषा में इसे एसटीडी के नाम से जाना जाता है। क्लायमेडिया और गोनेरिया एक प्रकार के एसटीडी हैं। एसटीडी से संक्रमित कई महिलाओं में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। यदि इसका इलाज ना किया जाए तो यह फैलोपियन ट्यूब में स्कार पैदा करके या उसे क्षति पहुंचा सकते हैं। पुरुषों में एसटीडी से इजेक्युलेटरी डक्ट्स या दूसरे रिप्रोडक्टिव अंगों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे इनफर्टिलिटी होती है।
इनफर्टिलिटी की समस्या (Infertility problem) 3: फाइब्रॉइड (बच्चेदानी में गांठ)
बच्चेदानी में गांठ होने पर यह फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक कर सकती है। कुछ मामलों में गांठ का आकार बढ़ने से फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो जाती है। यह ब्लॉकेज फैलोपियन के गर्भाशय से जुड़ने वाली जगह पर हो सकता है।
हालांकि, ज्यादातर गांठ छोटी होती हैं, जिनका कोई लक्षण नजर नहीं आता। बॉडी में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने से यह गांठ बढ़ सकती है। इन हार्मोन का स्तर नीचे गिरने पर यह गांठ सिकुड़ जाती है। यूटरस की लाइनिंग में गांठ होने से पीरियड्स के दौरान आपको हैवी ब्लीडिंग या इसमें अनियमित्ता आ सकती है।
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पीरियड्स के दिनों में बच्चेदानी में बड़ी गांठ होने की वजह से आपको दर्द, दबाव या पेल्विक के हिस्से में भारीपन का अहसास हो सकता है। फाइब्रॉइड एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जो सीधे ही आपकी फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचा सकती है।
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इनफर्टिलिटी की समस्या 4: पेल्विक इनफ्लेमेट्री डीजज (Pelvic inflammatory disease)
पेल्विक इनफ्लमेट्री डिजीज में पेट के ऊपरी रिप्रोडक्टिव सिस्टम, जिसमें फैलोपियन ट्यूब्स, यूटरस और ओवरी आते हैं, में संक्रमण हो सकता है, जिसे पीआईडी के नाम से जाना जाता है। इसका सबसे प्रमुख कारण है एसटीडी लेकिन, मिसकैरिज, पेट की सर्जरी, डिलिवरी या इंट्रायूट्राइन डिवाइस (आईयूडी) का इस्तेमाल करने से यह संक्रमण हो सकता है।
पीआईडी का एक मामला करीब 15 प्रतिशित इनफर्टिलिटी से जुड़ा हुआ होता है। दूसरी बार पीआईडी होने पर यह इनफर्टिलिटी की समस्या के जोखिम को करीब 30 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। तीन या इससे अधिक बार पीआईडी होने पर इनफर्टिलिटी के जोखिम को 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
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इनफर्टिलिटी की समस्या (Infertility problem) 5: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
पीसीओएस में ज्यादातर महिलाओं की बॉडी में ल्युटेनिजाइंग हार्मोन (एलएच) का स्तर कम हो जाता है। इनफर्टिलिटी की समस्या होने का यह भी एक बड़ा कारण है। की वजह से ऑव्युलेशन होता है। पीसीओएस में फॉलिकल्स स्टुमिलेटिंग हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। यह हार्मोन पुरुषों के टेस्टीज और महिलाओं की ओवरी के कार्यों को पूरा करने के लिए जरूरी होता है।
पीसीओएस में महिलाओं की बॉडी में एस्ट्रोजन का स्तर कम और एंड्रोजेन का ज्यादा हो जाता है। हार्मोन के इस असंतुलन से महिलाओं के मासिक धर्म में अनियमित्ता आ जाती है। इससे या तो ऑव्युलेशन नहीं होता है या वो कभी कभी होता है। इस स्थिति में महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कतें आती हैं।
इनफर्टिलिटी की समस्या 6: प्रोलेक्टिन (Prolactin) अधिक होना
पिट्यूटरी ग्रंथि से अधिक मात्रा में पैदा होने वाला प्रोलेक्टिन (हाइपरप्रोलेक्टिनमिया) बॉडी में एस्ट्रोजन के प्रॉडक्शन को कम कर देता है। जो इनफर्टिलिटी की समस्या का कारण बनता है। आमतौर पर पिट्यूटरी ग्रंथि से संबंधित समस्या किसी अन्य बीमारी के इलाज में ली जाने वाली दवाइयों से भी हो सकती है।
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इनफर्टिलिटी की समस्या 7: हाइपरथाइरॉयडिज्म (Hyperthyroidism)
थकावट और वजन का बढ़ना आपके लिए आम बात हो सकती है लेकिन, कुछ मामलों में यह हाइपरथाइरॉयडिज्म के लक्षण होते हैं। यह लक्षण उस स्थिति में सामने आते हैं, जब आपकी बॉडी पर्याप्त मात्रा में थाइरॉयड ट्रिइओडोथाइरॉइन (टी3) और थाइरॉक्सिन (टी4) से हार्मोन नहीं बना पाती है।
इससे थकावट और वजन बढ़ सकता है। हाइपरथाइरॉयडिज्म हार्मोन के सिग्नल्स में भी हस्तक्षेप करता है, जो ओवरी को एग रिलीज करने संकेत देते हैं। इससे आपको इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।
इनफर्टिलिटी की समस्या होना इन दिनों आम है। अंतः में हम यही कहेंगे कि यदि आपको भी कोई ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जो फर्टिलिटी को प्रभावित कर रही है तो आपको तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई बार ये समस्याएं हमें साधारण लग सकती हैं लेकिन, यह फर्टिलिटी के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। उचित समय पर इनकी रोकथाम करना जरूरी है। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी ट्रीटमेंट शुरू ना करें और ना ही किसी प्रकार की दवा का सेवन करें।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में उन बातों के बारे में बताया गया है जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। यदि आप इनफर्टिलिटी की समस्या से जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।
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