टेंशन…घबराहट…हिचकिचाहट ये तीन ऐसे शब्द हैं, जो आपके दुश्मन हैं, लेकिन अगर किसी बीमारी के कारण आप टेंशन (Tension), घबराहट (Nervousness) और हिचकिचाहट महसूस कर रहें हैं, तो यह आपकी सबसे बड़ी गलती है। अब कई बार जाने अनजाने में ऐसी कई बीमारियां शरीर में घर कर लेती हैं और इसका हमें पता भी नहीं चलता। वैसे बुखार या बॉडी पेन की चर्चा और डॉक्टर से कंसल्टेशन तो हम कर लेते हैं, लेकिन अगर बात सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD’s) से हो, तो सिर्फ ब्राउसिंग नेटवर्क (गूगल) तक ही बात सीमित रह जाती है। हालांकि मैं ऐसा नहीं कह रही कि किसी भी बीमारियों के बारे में पढ़ना या उससे जुड़ी जानकारी हासिल करना गलत है। आप जानकारी हासिल करें, लेकिन डॉक्टर से भी कंसल्टेशन जरूरी है। अब इतनी बातें मैंने सिर्फ इसलिए कि क्योंकि आर्टिकल में सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD’s) यानि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (Human Papillomavirus [HPV]) और HPV के प्रकार (Types of HPV) के बारे में जरूरी जानकारी आपसे शेयर करेंगे, लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (Human Papillomavirus [HPV]) क्या है?
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HPV (ह्यूमन पेपीलोमा वायरस) क्या है?
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (Sexually Transmitted Disease [STD’s]) की लिस्ट में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) सबसे आम परेशानी मानी जाती है। दरअसल ह्यूमन पेपीलोमा वायरस से इन्फेक्टेड वयक्ति (महिला या पुरुष) के संपर्क में आने से होता है। इंफेक्शन की वजह से शरीर के कुछ खास हिस्से जैसे हाथ (Hand), पैर (Feet) और प्राइवेट ऑर्गेन (Genital Organ) में मस्से बनने लगते हैं। HPV संक्रमण (HPV Infection) इंटरकोर्स के कारण एक त्वचा से दूसरे व्यक्ति की त्वचा में फैलने लगता है। इसके अलावा प्राइवेट ऑर्गेन के संपर्क में आने से इंफेक्शन (Infection) का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस बीमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। थोड़ी सी सावधानी और समझदारी से इस बीमारी को मात दी जा सकती है। इसलिए HPV के प्रकार (Types of HPV) को समझने की कोशिश करते हैं और फिर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) इंफेक्शन का बचाव क्या है, यह भी समझेंगे।
HPV के प्रकार एक हैं या कई? (Types of HPV)
रिसर्च रिपोर्ट्स की मानें, तो 100 से भी ज्यादा HPV के प्रकार (Types of HPV) हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सामान्य सी परेशानी गंभीर भी हो जाती है और कैंसर का भी रूप ले सकती है। महिलाओं में HPV की वजह से सर्वाइकल कैंसर का खतरा अत्यधिक होता है। यहां नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार सामान्य HPV के प्रकार (Types of HPV) के बारे में जानेंगे।
सामान्य रूप से HPV के प्रकार 2 हैं, जो इस तरह हैं-
- एचपीवी 6 और एचपीवी 11 (HPV 6 and HPV 11)
- एचपीवी 16 एचपीवी 18 (HPV 16 and HPV 18)
1.एचपीवी 6 और एचपीवी 11 (HPV 6 and HPV 11)
HPV के प्रकार में सबसे पहले जान लेते हैं एचपीवी 6 और एचपीवी 11 (HPV 6 and HPV 11) के बारे में। HPV 6 और HPV 11 सबसे सामान्य वायरस है। नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के रिसर्च के मुताबिक 90 प्रतिशत लोग जेनाइटल वार्ट्स (Genital Warts) की समस्या से पीड़ित रहते हैं। HPV 6 और HPV 11 की वजह से महिलाओं के सर्विक्स (Cervix) में भी बदलाव देखा जाता है। अगर HPV 6 और HPV 11 से कोई भी व्यक्ति संक्रमित है, तो जेनाइटल वार्ट्स (Genital Warts) का आकार फूलगोभी की तरह नजर आता है। ऐसा दरअसल तब होता है जब HPV से इन्फेक्टेड वयक्ति के संपर्क आया जाए। तकरीबन एक हफ्ते से 1 महीने तक यह परेशानी बनी रह सकती है। HPV के प्रकार खासकर एचपीवी 6 और एचपीवी 11 (HPV 6 and HPV 11) से कैसे बचा जा सकता है, यह जानना बेहद जरूरी है।
कैसे बचें एचपीवी 6 और एचपीवी 11 (HPV 6 and HPV 11) से?
ह्यूमन पेपीलोमा वायरस से बचने के लिए डॉक्टर पेशेंट्स को पॉडोफिलॉक्स (Podofilox), पोडोफिलिन (Podophyllin), इमिक्विमोड (Imiquimod) और ट्राइक्लोरोएसिटिक एसिड (Trichloroacetic acid) जैसे दवाएं भी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। वहीं एचवीपी वैक्सीन (HPV vaccine) की मदद से भी एचपीवी 6 और एचपीवी 11 (HPV 6 and HPV 11) से बचा जा सकता है। HPV दवाओं की मदद से पेशेंट की इम्यून पावर (Immune Power) को स्ट्रॉन्ग करने में मदद मिलती है और अन्य सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STI) का खतरा भी कम होता है।
नोट: ऊपर बताई गई दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से ना करें और डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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2. एचपीवी 16 और एचपीवी 18 (HPV 16 and HPV 18)
HPV के प्रकार में शामिल HPV 16 सबसे सामान्य, लेकिन खतरनाक माना जाता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 70 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancers) का कारण एचपीवी 16 एचपीवी और 18 होता है।
कैसे बचें एचपीवी 16 एचपीवी 18 (HPV 16 and HPV 18) से?
एचपीवी 16 और एचपीवी 18 का इलाज एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) से किया जाता है।
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इन HPV के प्रकार (Types of HPV) को समझने के साथ-साथ इससे बचाव कैसे संभव है?
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) से बचने के लिए कुछ खास टिप्स जरूर फॉलो करें। जैसे:
- 9 से 14 साल के एज ग्रुप के बच्चों को वैक्सीन लगवाएं। इन्हें वैक्सीन की 2 डोज दी जाती है और डोज में 6 से 12 महीने का गैप रखा जाता है।
- 15 वर्ष से ज्यादा उम्र होने पर 6-6 महीने के गैप पर वैक्सीन की 3 डोज दी जाती है।
- 27 से 45 वर्ष के लोगों ने अगर पहले HPV वैक्सीन नहीं लिया है, तो उन्हें गार्डासिल 9 (Gardasil 9) की शॉट दी जाती है।
नोट: HPV के प्रकार (Types of HPV) और HPV वैक्सीन की डोज भी हर उम्र के लोगों के लिए अलग-अलग होती हैं। इसलिए वैक्सिनेशन के पहले डॉक्टर से कंसल्ट करें और फिर वैक्सीन लें। ऐसा करने से आप किसी भी साइड एफ्फेट्स से बच सकते हैं।
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HPV वैक्सीन से जुड़ी खास जानकारी
- HPV वालेन्ट वैक्सीन (HPV bivalent vaccine) HPV 16 and 18 से बचाव के लिए दी जाती है।
- HPV क्वाड्रीवॉलेंट वैक्सीन (HPV quadrivalent vaccine) HPV के प्रकार में शामिल 6, 11, 16 और 18 से बचाव के लिए दी जाती है।
- HPV 9 वॉलेट वैक्सीन (HPV 9-valent vaccine) HPV के प्रकार में शामिल 6, 11, 16, 18, 31, 33, 45, 52 और 58 से बचाव के लिए दी जाती है।
टीकाकरण से HPV के प्रकार और HPV वैक्सीन से जुड़ी इन 3 बातों को अवश्य ध्यान रखें।
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HPV वैक्सीन किन लोगों को नहीं लेना चाहिए?
एचपीवी वैक्सीन गर्भवती महिलाओं (Pregnant lady) या ऐसे लोगों को नहीं लेना चाहिए जो मामूली या गंभीर रूप से बीमार हों। डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री या अगर आप किसी भी तरह के एलर्जी के शिकार हैं, तो इसकी जानकारी अवश्य दें। इसके अलावा अगर आपको वैक्सीन के पहले डोज से कोई परेशानी या एलर्जी (Allergy) की समस्या हुई है, तो हेल्थ एक्सपर्ट को जरूर बताएं।
अगर कोई व्यक्ति पहले वैक्सिनेशन के पहले से इन्फेक्टेड है, तो क्या टीका से इलाज संभव है?
अगर आप पहले से या आपको पहले कभी ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (HPV) हो चूका है, तो टिका आपके लिए इलाज में कारगर नहीं माना जाता है। हालांकि रिसर्च के अनुसार अगर आप बाद में भी (HPV इंफेक्शन होने के बाद) वैक्सिनेशन करवाते हैं, तो इससे दूसरे सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD’s) का खतरा टल सकता है। इसलिए डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को देखते हुए वैक्सिनेशन की सलाह दे सकते हैं।
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HPV से बचने के लिए क्या हैं टिप्स? (Tips for HPV)
HPV (ह्यूमन पेपीलोमा वायरस) से बचाव के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो किये जा सकते हैं। जैसे:
- इन्फेक्टेड व्यक्ति से फिजिकल कॉन्टैक्ट में रहें।
- एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध ना बनायें।
- इंटरकोर्स के दौरान हमेशा कॉन्डोम (Condom) का इस्तेमाल करें।
इन 3 बातों को ध्यान में रखकर ह्यूमन पेपीलोमा वायरस के साथ-साथ अन्य सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (Sexually Transmitted Disease) से बचा जा सकता है।
HPV वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं? (Side effects of HPV Vaccine)
HPV वैक्सिनेशन के बाद प्रायः इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, सूजन एवं उस एरिया में स्किन का लाल होना सामान्य है। अगर ये परेशानी ज्यादा दिनों तक बनी रहे या कोई अन्य शारीरिक परेशानियां समझ आये, तो देर ना करें और डॉक्टर से संपर्क करें।
नोट: रिसर्च के अनुसार अगर वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति की उम्र 18 साल से कम है, तो बिना डॉक्टर के सलाह लिए वैक्सीन नहीं लेना चाहिए।
अगर आप ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV), HPV के बचाव या HPV के प्रकार (Types of HPV) से जुड़ी किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। ध्यान रखें किसी भी बीमारी का इलाज नेगेटिव सोच, तनाव, घबराहट या शर्माने से नहीं किया जा सकता है। इसलिए किसी भी बीमारी या शारीरिक परेशानी होने पर अपने करीबी और डॉक्टर से बात करें और स्वस्थ्य रहें।
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