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ऐल्कलाइन डायट (Alkaline diet) क्या है? फॉलो करने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj


Sushmita Rajpurohit द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/04/2021

    ऐल्कलाइन डायट (Alkaline diet) क्या है? फॉलो करने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान

    ऐल्कलाइन डायट के पीछे का सिद्धांत खाने के तरीके को ठीक कर पीएच संतुलित करना है। इसके अंतर्गत मांस, डेयरी प्रोडक्ट, मिठाई, कैफीन,अल्कोहल,आर्टिफिशियल और प्रोजन प्रोडक्ट्स से परहेज और ताजा फल और सब्जियों तथा नट्स और बीजों का अधिक सेवन आता है। बात यहीं खत्म नहीं होती। ऐल्कलाइन डायट के भी कुछ फायदे और कमियां हैं। इसे एसिड ऐल्कलाइन डायट भी कहते हैं।  इस डायट के फायदे और कमियों पर बात करने से पहले हमें पीएच और इसकी कार्यप्रणाली को समझना होगा।   

    पीएच और इससे जुड़े तथ्य

    • पीएच किसी पदार्थ में अम्ल या क्षार के स्तर को मापने वाली इकाई होती है। शरीर में सात से कम मूल्य अम्ल का व सात से ऊपर मूल्य क्षार (एल्काई) का संकेत देता है। गौरतलब है कि खुद क्षार एक ऐसा रसायन है जो अम्ल के साथ अभिक्रिया करने पर लवण बनाता है। क्षार का पीएच मान सात से अधिक होता है।
    • शरीर में अधिकांश रोगों की शुरुआत अम्ल और क्षार के असंतुलन से होती है। यदि इसको संतुलित कर लिया जाए तो रोग खत्म हो सकते हैं। 
    • इंसान के शरीर में लगभग 80 प्रतिशत क्षार तथा 20 प्रतिशत अम्ल होता है। जब यह रेशियों बिगड़ जाता है तो रोग शरीर को घेरने लगते हैं। इस अनुपात को सही रख कर शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। 
    • अधिकतर खाद्य पदार्थों जैसे, नींबू, संतरा पत्तेदार सब्जियां, नारियल,अंकुरित अनाज, खजूर,अंजीर व कुछ मेवा आदि में क्षार पाया जाता है।
    • अंडे, मांस, पनीर, मक्खन, पका हुआ भोजन, चीनी व इससे बने पदार्थ, कॉफी का सेवन , चाय, मैंदा, नमक, चॉकलेट, तंबाकू, सोड़ा, वेजिटेबल ऑइल, एल्कोहॉल का सेवन , तेल से बनी चीजें आदि में अम्ल अधिक होता है।  
    • जैसे- जैसे हम अम्लीय भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करने लगते हैं सेहत के लिए परेशानियां भी बढ़ती चली जातीं हैं। 

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    खाने में शामिल कर सकते हैं ये फूड

    अगर आपको डॉक्टर ने डायट में ऐल्कलाइन फूड को शामिल करने को कहा है तो आपको अपनी डायट में कुछ बदलाव करने होंगे। हम आपको यहां कुछ फूड के बारे में बताने जा रहे हैं तो नेचर से ऐल्कलाइन होते हैं।

    एल्केलाइन फूड के रूप में पत्तेदार सब्जियां

    ज्यादातर ग्रीन लीव्स में ऐल्कलाइन इफेक्ट होता है। यही कारण है हरे पत्तेदार सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है। एक बात का ध्यान रखें कि हरी पत्तेदार सब्जियों को हमेशा अच्छी तरह से साफ करने के बाद ही खाएं। हरी पत्तेदार सब्जियों में असेंशियल मिनिरल्स पाएं जाते है। आपको खाने में पालक,केल, लेट्यूस, अजवाइन और सरसों का साग शामिल करना चाहिए। एक बात का ध्यान रखें कि अधिक मात्रा में इन सब्जियों का सेवन न करें वरना शरीर में साइड इफेक्ट भी दिख सकते हैं।

    सी वीड और सी- सॉल्ट का सेवन

    आप ऐल्कलाइन डायट में सी वीड और सी-सॉल्ट का सेवन कर सकते हैं। समुद्री शैवाल या समुद्री सब्जियों में अन्य सब्जियों के मुकाबले 10-12 गुना अधिक खनिज पदार्थ होते हैं। समुद्री फूड को अधिक ऐल्कलाइन फूड माना जाता है। आप समुद्री वेजीटेबल्स जैसे कि  आप खाने में समुद्री नमक का इस्तेमाल जरूर करें। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप आहार विशेषज्ञ से भी जानकारी ले सकते हैं। सी वीड में प्रचुर मात्रा में आयोडीन पाया जाता है। थायरॉयड फंक्शन के लिए सी वीड का सेवन लाभकारी होता है। साथ ही सीव वीड विटामिन और मिनिरल्स का अच्छा सोर्स है।

    एसिड ऐल्कलाइन डायट : खाने में शामिल करें रूट वेजीटेबल्स

    शकरकंद, कमल की जड़, बीट और गाजर आदि सब्जियां क्षार का अच्छा सोर्स हैं। अगर इन सभी को हल्का सा रोस्त किया जाए और फिर कुछ मसाला मिलाया जाए तो इनका स्वाद बहुत अच्छा हो जाता है। अगर इन्हें अधिक पका दिया जाए तो ये अपनी पौष्टिकता खो सकती हैं। अगर आप खाने में इन्हें शामिल कर रहे हैं तो ज्यादा न पकाएं। गाजर को सलाद के रूप में भी खाया जा सकता है। रूट वेजीस का सूप बनाकर या फिर सलाद बनाकर सेवन किया जा सकता है। अगर आपको किसी रूट वेजीस से समस्या है तो बेहतर होगा कि आप उसका सेवन न करें।

    एसिड ऐल्कलाइन डायट : सीजनल फ्रूट्स का करें सेवन

    आप ऐल्कलाइन डायट में मौसमी फलों को शामिल कर सकते हैं। मौसमी फल या सीजनल फ्रूट्स स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। सीजनल फ्रूट्स में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं जो शरीर में विभिन्न कार्यों की देखभाल करते हैं। आप फ्रूट्स में कीवी, अन्नानास, तरबूज, अंगूर, सेब, एप्रीकॉट्स आदि को शामिल कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि इन फलों के अलावा आप अन्य फलों का सेवन नहीं कर सकते है। दिए गए फलों में ऐल्कलाइन प्रॉपर्टी होती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

    एसिड ऐल्कलाइन डायट : नट्स को डायट में करें शामिल

    नट्स का सेवन करने से पेट भरने का एहसास जल्दी होता है। क्या आपको पता है कि नट्स में गुड फैट के साथ ही ऐल्कलाइन इफेक्ट भी होता है। अगर आपको डॉक्टर ने ऐल्कलाइन डायट लेने की सलाह दी है तो आप मॉर्निंग में नट्स को खाने में शामिल कर सकते हैं। कुछ नट्स जैसे कि काजू, चेस्टनट्स, बादाम को अपनी डायट में जरूर शामिल करें। अगर आपको किसी प्रकार के नट्स से एलर्जी है तो उसे अपनी डायट में शामिल करने से परहेज करें।

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    ऐल्कलाइन डायट के लाभ

    • ऐल्कलाइन डायट का सारा उदृदेश्य शरीर के पीएच स्तर के संतुलन को कायम रखना होता है।
    • हमारा शरीर अम्लीय हो जाने पर बीमारियों का घर बन जाता है और रोग ऐसे में शरीर को घेर लते हैं।
    • विशेषज्ञ भी इस खुराक की सिफारिश करते हैं क्योंकि इसे नियमित रूप से लेना आसान होता है। 
    • कोशिकाओं को सुचारू रूप से काम करने योग्य बनने के लिए शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर कर इसे डीटॉक्स करना बेहद जरूरी होता है, और ऐल्कलाइन डायट ऐसा करने में कारगर होती है।
    • इसके अलावा ऐल्कलाइन डायट जबड़ों को यथा स्थान सुदृढ़ बनाए रखने में सहायक होती है और दर्द के एहसास को घटाती है।
    • यह डायट वृद्धावस्था की रफ्तार को भी कम करती है। यह खाने के पाचन में भी मददगार होती है। कुल मिलाकर आपको एक स्वस्थ और छरहरी काया देने में ऐल्कलाइन डायट बड़े काम की है। 

    किसी पदार्थ में अम्ल या क्षार के स्तर को मापने की इकाई को पीएच कहा जाता है,और ऐल्कलाइन डाइट अर्थात क्षारीय भोजन से हमारे शरीर का पीएच प्रभावित होता है। पीएच का संतुलन और असंतुलन शरीर पर क्रमशः अच्छा और बुरा प्रभाव डालता है। इसलिए इसका संतुलन में रहना बेहद जरूरी है। इसी तरह ऐल्कलाइन डायट का हमारे शरीर पर भी अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसको अच्छी तरह से जानने समझने के बाद ही फॉलो करना चाहिए।

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    एसिड ऐल्कलाइन डायट: कब्ज की समस्या से मिल सकती है राहत

    ऐल्कलाइन डायट में मुख्य रूप से सब्जियों और फलों को जोड़ा जाता है। सब्जियों और फलों में प्रचुर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते है। जिन लोगों को कब्ज की समस्या रहती है, उनके लिए फाइबर युक्त आहार लाभदायक होता है। कब्ज की समस्या मुख्य रूप से उन लोगों को होती है, जिनके खाने में फाइबर की कमी होती है। फाइबर की कमी के कारण कब्ज के साथ ही अन्य समस्याएं भी हो सकती है। कब्ज की समस्या में व्यक्ति को दो से तीन दिनों तक स्टूल पास नहीं होता है। साथ ही स्टूल हार्ड होता है जो कि समस्या पैदा करता है। जो लोग कम पानी पीते हैं, उन्हें भी कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर ये कहा जाए कि व्यक्ति का डायजेस्टिव सिस्टम खाने को सही तरह से डायजेस्ट नहीं कर पाता है और उसे कॉन्स्टिपेशन की समस्या हो जाती है। अगर आप ऐल्कलाइन डायट लेगें तो आपकी इस तरह की समस्या से राहत मिल सकती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

    अम्लियता और कैंसर का संबंध

    ऐल्कलाइन डायट और कैंसर के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ चुकी हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर का रोग अम्लीय वातावरण (acidic environment ) में बढ़ता है। जबकि ऐल्कलाइन डायट की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि इस बारे में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं। कैंसर नॉर्मल बॉडी टिशू ( ऐल्कलाइन वातावरण 7.4) में ग्रो करता है। जबकि ऐसा पाया गया है कि ट्यूमर अम्लीय वातावरण में तेजी से बढ़ता है। ट्यूमर खुद ही अम्लियता को बढ़ाने का काम करता है। यानी ऐल्कलाइन डायट से कैंसर का कोई संबंध नहीं है लेकिन कुछ विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं।

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    ऐल्कलाइन डायट की कमियां

    • ऐल्कलाइन डायट के बारे में रिसर्च सीमित ही हैं। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऐल्कलाइन डायट को पूरी तरह से अनावश्यक बताते हैं, क्योंकि हमारा शरीर स्वतः ही स्वाभाविक रूप से पीएच संतुलन बनाए रखने के लिए बना होता है। 
    • अगर बात ऐल्कलाइन डायट की मदद से मोटापा कम करने की हो तो इसके साथ एक और शंका है कि हो सकता है कि आप ऐल्कलाइन डायट के साथ वजन कम कर ही ना पाएं।
    • आप ऐसे कई लोगों को देख सकते हैं जो शाकाहारी हैं और स्वच्छ आहार आपनाने के बाद भी वजन कम नहीं कर पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर वे ऐल्कलाइन डायट के साथ अति कर देते हैं।
    • वजन कम करने के लिए केवल खराब भोजन बंद करना व बेहतर आहार लेना काफी नहीं होता है। इसके लिए आपको अपने शरीर की आवश्यकताओं के हिसाब से खाने की जरूरत होती है, ना ही कम और ना ही ज्यादा। भूखा रहकर वजन कम नहीं किया जा सकता है।

    वेजीटेरियन डायट, नॉन वेजीटेरियन डायट के साथ क्रैब डायट का चलन भी बढ़ चुका है। क्रैब डायट का चलन विदेशों में अधिक होता है। भारत में भी क्रैब डायट का चलन बढ़ चुका है। क्रैब डायट से जहां एक ओर शरीर को फायदा पहुंचता है, वहीं दूसरी ओर क्रैब डायट कुछ लोगों के लिए समस्या भी खड़ी कर सकती है। अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से क्रैब डायट से शरीर को पहुंचने वाले फायदे के बारे में जानते हैं।

    क्रैब डायट के फायदे

    क्रैब डायट में लॉन्ग चेन ओमेगा-3 फैटी एसिड

    • विटामिन और मिनरल रिच क्रैब मीट में फैट की कमी होती है। साथ ही इसमे लॉन्ग चेन ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेड एसिड भी पाया जाता है। क्रैब डायट से शरीर को बहुत फायदा पहुंचता है।
    • क्रैब डायट लेने से हार्ट डिजीज से प्रोटक्शन होता है और साथ ही ब्रेन डेवलपमेंट के लिए भी इनसेक्ट प्रोटीन डायट फायदेमंद होती है। रिचर्स में ये बात भी सामने आई है कि ओमेगा-3 एग्रेसिव बिहेवियर से बचाने का काम करता है।
    • क्रैब डायट में पाए जाने वाला ओमेगा-3 आम नहीं होता है, इसकी लॉन्ग चेन हेल्थ के लिए बेनीफीशियल होती है। ये शरीर में जल्दी से अब्जॉर्व हो जाती है। ओमेगा-3 की शॉर्ट चेन वेजीटेब्ल्स और ऑयल में पाई जाती है। इसे लॉन्ग चेन में बदलने में समय लगता है।
    • 100 ग्राम क्रैब से यूके की एक तिहाई जनता को ओमेगा-3 प्राप्त होता है।
    •  क्रैब डायट  में न्यूट्रिशनल वैल्यू अधिक होती है। विटामिन-बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, अल्फा लिनोलेनिक एसिड और ओमेगा -3 फैटी एसिड की अधिकता के कारण ये खाने युक्त डायट है।
    • क्रैब डायट ईकोफ्रेंडली होती हैं। इनसेक्ट का फूड कन्वर्जन हाई होता है, इसलिए इन्हें पालने में भी दिक्कत नहीं होती है।

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    खानपान बदल सकता है यूरिन का पीएच लेवल

    आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि खानपान एक स्वस्थ्य व्यक्ति के ब्लड के पीएच लेवल को प्रभावित नहीं करता है बल्कि व्यक्ति के यूरिन को प्रभावित कर सकता है। बॉडी कई प्रकार से बॉडी का पीएच लेवल रेगुलेट करती है। हो सकता है कि खानपान से ब्लड का थोड़ा सा पीएच लेवस कम या फिर ज्यादा हो जाए, वरना ऐसा कम ही होता है। आप क्या खा रहे हैं, इसका आपके यूरिन के पीएच पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप एसिड युक्त अधिक आहार खाते हैं तो मेटाबॉलिक वेस्ट के रूप में एसिड यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। इसी कारण से यूरिन का पीएएच चेंज हो जाता है। यूरिन का पीएच खानपान के साथ ही अन्य फैक्टर के कारण भी चेंज हो सकता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर से जरूर लें।

    एल्केलाइन फूड का प्लान करने से पहले आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। आप खाने में फ्राई फूड को शामिल न करें। आप खाने में फाई के स्थान पर बेक फूड को शामिल कर सकते हैं। साथ ही फूड में उबला हुआ खाना भी शामिल कर सकते हैं। आप चाहे तो सब्जियों को उबाल कर भी खा सकते हैं। हरी सब्जियों को उबाल कर भी खा सकते हैं। सब्जियों और फलों का जूस लेना लाभदायक रहेगा।

    हम उम्मीद करते हैं कि ऐल्कलाइन डायट और क्रेब डायट पर आधारित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। इन दोनों डायट के अपने फायदे हैं। आप अपनी जरूरत के हिसाब से इसे फॉलो कर सकते हैं, लेकिन इसे अपनाने से पहले डॉक्टर से बात करना सही होगा। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर या डायटीशियन से बात करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।

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    Sushmita Rajpurohit द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/04/2021

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