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बोन ग्राफ्टिंग क्या है और क्यों किया जाता है, जानिए इसकी प्रक्रिया

बोन ग्राफ्टिंग क्या है और क्यों किया जाता है, जानिए इसकी प्रक्रिया

बोन ग्राफ्टिंग (अस्थि निरोपण) एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसका प्रयोग हड्डियों, दांतो और जोड़ों की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसे बोन टिश्यू का प्रत्यारोपण भी कहा जा सकता है। जानिए बोन ग्राफ्टिंग के उद्देश्य, प्रक्रिया या जोखिमों के बारे में विस्तार से।

क्या है बोन ग्राफ्टिंग (Bone grafting)?

बोन ग्राफ्टिंग सर्जरी हड्डियों, दांतो और जोड़ों को ठीक करने में लाभदायक है। अगर हड्डी टूट गई हो या उसमें कोई की कोई परेशानी महसूस हो रही है, तो बोन ग्राफ्टिंग से शरीर के उस हिस्से को ठीक किया जा सकता है, जहां आपको परेशानी महसूस होती है। बोन ग्राफ्टिंग प्रोसेस के दौरान जिस बोन यानि जिस हड्डी प्रयोग में लाई जाती है वो रोगी की या किसी अन्य डोनर का इस्तेमाल किया जाता है। डॉक्टर कई स्थितियों में बोन ग्राफ्टिंग की सलाह देते हैं अगर हड्डी टूट गई हो, इंफेक्शन हुआ हो या स्पाइनल फ्यूजन जैसी परेशानी हो। 

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बोन ग्राफ्टिंग का उद्देश्य क्या है? 

बोन ग्राफ्टिंग विभिन्न प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाओं में की जाती है। व्यक्ति को इन परिस्थितियों में बोन ग्राफ्टिंग की आवश्यकता पड़ सकती है। जैसे:  

  • अगर बोन फॉर्मेशन ठीक तरह नहीं होने की स्थिति में 
  • हड्डी टूटने पर 
  • हड्डी टूटने के बाद ठीक नहीं होने पर
  • हड्डियों में समस्याएं जैसे:-
  1. इंफेक्शन की समस्या 
  2. ऑस्टोनेक्रोसिस (osteonecrosis) की समस्या 
  3. ट्रॉमा 
  4. चोट लगने पर 
  5. बिनाइन ट्यूमर और सिस्ट्स
  6. जन्म संबंधी असमान्यताएं
  7. स्पाइनल फ्यूजन या अन्य फ्यूजनस
  8. जोड़ों संबंधी समस्याएं

कई बार हड्डियों से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। जैसे फ्रैक्चर होने के बाद ठीक नहीं होना। इसके कई कारण हो सकते हैं। जो इस तरह से हैं:

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बोन ग्राफ्टिंग के प्रकार

बोन ग्राफ्टिंग के दो प्रकार हैं: 

1. एलोग्राफ्ट

एलोग्राफ्ट प्रक्रिया में हड्डी डेढ़ बॉडी से ली जाती है, जिसे साफ कर टिशू बैंक में स्टोर किया जाता है। एलोग्राफ्ट का प्रयोग आमतौर पर कूल्हे, घुटने या किसी अन्य लंबी हड्डी के पुनर्निर्माण के लिए किया जाता है। लंबी हड्डियों में बाजुएं और टांगे भी शामिल हैं। इसका फायदा यह है कि इसमें कोई अतिरिक्त सर्जरी नहीं की जाती। यही नहीं इसमें इंफेक्शन  की संभावना भी कम होती है। 

2. ऑटोग्राफ्ट

ऑटोग्राफ्ट में शरीर के अंदर से ही हड्डी ली जाती है, जैसे कूल्हे, पेल्विस या कलाई आदि। चोट की गंभीरता को देखते हुए ऑटोग्राफ्ट की जाती है।   

बोन ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया से पहले क्या है? 

  • इस सर्जरी को करने के लिए सबसे पहले आपके डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक जांच करेंगे। 
  • अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं या किसी तरह की दवाओं का सेवन करते हैं, तो इसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें।
  • सर्जरी से पहले खाने-पीने की चीजों का सेवन ना करें है।  

इन पॉइंट्स को ध्यान में रखें और डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।

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बोन ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है?

सबसे पहले डॉक्टर इस बात का निर्णय लेंगे कि पेशेंट्स के लिए कौन-सी बोन ग्राफ्टिंग सर्जरी ठीक है। पेशेंट को एनेस्थीसिया दिया जाता है। पेशेंट के बेहोश होने के बाद जिस एरिया की ग्राफ्टिंग करेंगे वहां की सर्जरी शुरू करेंगे। सर्जरी के दौरान आवश्यकता अनुसार पिन, प्लेट, स्क्रू, वायर या केबल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के बाद स्टीच की जाती है। 

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बोन ग्राफ्टिंग के बाद की प्रक्रिया क्या है? 

  • बोन ग्राफ्टिंग के बाद आप कब तक पूरी तरह से स्वस्थ होंगे। यह बात कई चीजों पर निर्भर करती है जैसे ग्राफ्ट का आकार आदि। हालांकि, इसे ठीक होने में अधिकतर दो महीनों से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है। इस दौरान आपको अधिक शारीरिक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए और अपने भी सर्जन की हर सलाह को मानना चाहिए।
  • सर्जरी से बाद बर्फ लगाएं और अपने हाथ या पैर को ऊपर उठाएं। यह बहुत आवश्यक है। ऐसा करने से सूजन नहीं होती। सूजन से दर्द होती है और खून के थक्के भी बन सकते हैं।
  • स्वस्थ होते हुए आपको अपने सर्जन की सलाह के अनुसार थोड़ा व्यायाम करना चाहिए। लेकिन, ध्यान रहे कि इससे आपकी सर्जरी प्रभावित न हो। इससे आप का वजन भी नहीं बढ़ेगा।
  • अपने खान-पान का भी ध्यान रखें। संतुलित और स्वस्थ खाएं। इससे भी जल्दी ठीक होने में आपको मदद मिलेगी।
  • इस सर्जरी के बाद आप जो सबसे पहली चीज आपको करनी चाहिए वो है धूम्रपान न करना। इससे आपको जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलेगी। धूम्रपान की वजह से आपको ठीक होने में समय लग सकता है।

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बोन ग्राफ्ट के जोखिम

हर सर्जिकल प्रक्रिया में ब्लीडिंग, इंफेक्शन या एनेस्थीसिया से होने वाली समस्याएं शामिल होती है।  ऐसे ही बोन ग्राफ्ट में भी कुछ जोखिम होते हैं। जैसे:

  • दर्द
  • सूजन
  • बोन ग्राफ्ट
  • नर्व इंजरी
  • जलन
  • ग्राफ्ट का पुन: अवशोषण

बोन ग्राफ्ट सर्जरी के बाद समय-समय पर अपने डॉक्टर से मिले, ताकि वो यह जान पाए कि आप सही से स्वस्थ हो रहे हैं या नहीं। अगर इसके बाद आपको कोई भी समस्या हो तब भी डॉक्टर से मिलना न भूलें। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आप बोन ग्राफ्ट सर्जरी से जुड़ी अन्य कोई जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।

 

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

https://www.medicalnewstoday.com/articles/322344.php  Accessed October 21, 2019

https://www.healthline.com/health/bone-graft Accessed October 21, 2019

https://medlineplus.gov/ency/article/002963.htm Accessed October 21, 2019

https://www.hopkinsmedicine.org/health/treatment-tests-and-therapies/bone-grafting Accessed October 21, 2019

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3722694/ Accessed October 21, 2019

Current Version

04/11/2020

Anu sharma द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/11/2020

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