ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों एडमंड रोल्स और सियारा मैककेबे ने 2007 में यह समझने की कोशिश में कि क्या सभी लोगों को चॉकलेट की क्रेविंग होती है। क्या चॉकलेट लवर्स और नॉन-चॉकलेट लवर्स के ब्रेन रिस्पांस के बीच में कुछ अंतर होता है? उन्होंने मस्तिष्क के तीन प्रमुख क्षेत्रों में ऑर्कोफ्रॉस्ट्रल कॉर्टेक्स (orbitofrontal cortex), वेंट्रल स्ट्रिएटम (the ventral striatum) और प्रीजेनुअल सिंगुलेट कॉर्टेक्स (pregenual cingulate cortex) के बीच में महत्वपूर्ण अंतर पाया। पिछली स्टडीज बताती हैं कि मस्तिष्क ये हिस्से एडिक्टिव बिहेवियर (addictive behavior) के लिए जाने जाते हैं जैसे ड्रग लेना, शराब पीना और गैंबलिंग में शामिल होना आदि। दिलचस्प बात यह है कि रोल्स और मैककेबे पाया कि सब्जेक्ट के मुंह के सामने चॉकलेट रखने से भी चॉकलेट की क्रेविंग को दूर किया जा सकता है।
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चॉकलेट क्यों पसंद आती है : वजह बैक्टीरिया तो नहीं
वहीं, कुछ वैज्ञानिकों ने एक और स्टडी रिपोर्ट में बताया है कि कुछ लोगों को चॉकलेट क्यों पसंद आती है और कुछ लोगों को क्यों नहीं। अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के जर्नल ऑफ प्रोटीन रिसर्च में एक नए अध्ययन में पाया गया है कि चॉकलेट के लिए क्रेविंग पेट से होती है। दरअसल, चॉकलेट के लिए क्रेविंग पेट में रहने वाले बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों (microscopic organisms) की वजह से होती है।
हर किसी के पेट में बैक्टीरिया होते हैं। बीमारियों का कारण बनने वाले बैड बैक्टीरिया के उलट भोजन को पचाने में मदद करने के लिए गुड बैक्टीरिया भी होते हैं। स्विटजरलैंड के नेस्ले रिसर्च सेंटर में चॉकलेट पर स्टडी करने वाले वैज्ञानिक डॉ. सुनील कोचर ने 11 चॉकलेट क्रेवर्स और 11 नॉन-चॉकलेट लवर्स के पेट में पनपने वाले बैक्टीरिया का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि चॉकलेट क्रेवर्स के पेट में बैक्टीरिया उन लोगों की तुलना में अलग थे, जो चॉकलेट को कोई खास पसंद नहीं करते थे। डॉ कोचर के अनुसार ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि चॉकलेट क्रेवर्स के पेट में मौजूद बैक्टीरिया चॉकलेट के स्वाद को बढ़ाने वाले केमिकल्स को रिलीज करके चॉकलेट क्रेविंग को बढ़ा सकते हैं।
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चॉकलेट क्यों पसंद आती है क्योंकि यह हमें खुश रखती है
मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में स्वाइनबर्न प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर ह्यूमन फार्माकोलॉजी, ने एक अध्ययन किया जिसमें पाया गया कि चॉकलेट में मौजूद कुछ कंपोनेंट्स मूड में सुधार करके अन्य ब्रेन पैटर्न में बदलाव लाते हैं। इसमें ट्रिप्टोफैन (tryptophan) होने की संभावना है, जो चॉकलेट में पाया जाने वाला एक एमिनो एसिड है। यह दिमाग को सेरोटोनिन (एक न्यूरोट्रांसमीटर) बनाने में मदद करता है जो हमें खुश और संतुष्ट महसूस कराता है।