मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी (एमएनटी) एक प्रक्रिया है, जिसके तहत विभिन्न प्रकार की हेल्थ कंडिशन में कुछ न्यूट्रिशन प्रोसेस को अपनाकर चिकित्सी स्थितियों और उपचार में मदद मिलती है। मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी को सबसे पहले 1994 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पोषण आहार विशेषज्ञ (RDN) और अन्य क्रेडेंशियल फूड एंड न्यूट्रिशन प्रोफेशनल्स ने इंट्रोड्यूस किया था। मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी को किसी भी अस्पताल में अपनाया जा सकता है। मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी को आउट पेशेंट क्लीनिक या टेलीहेल्थ के रूप में भी अपनाया जा सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि कैसे मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी काम करती है।
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मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी (Medical Nutrition Therapy) को ऐसे समझें
मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी या एमएनटी एक तरह का मैनेजमेंट है, जिसके तहत डॉक्टर्स की देखरेख में पेशेंट को खास तरह का न्यूट्रिशन दिया जाता है। इसे न्यूट्रिशन बेस्ड ट्रीटमेंट भी कह सकते हैं। ये काम रजिस्टर्ड डायटीशियन करते हैं। मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की मदद से किसी खास तरह की हेल्थ कंडिशन में डायट के बारे में जानकारी दी जाती है। ऐसा करने से हेल्थ कंडिशन के कॉम्प्लिकेशन को कम करने में मदद मिलती है।
डायट से पहले रिसर्च (Research about Diet)
रजिस्टर्ड डायटीशियन न्यूट्रिशनिस्ट (आरएनडी) ही तय करता है कि पेशेंट को किस तरह की डायट देना सही रहेगा। आरएनडी सबसे पहले न्यूट्रिशनल डायग्नोज करते हैं। इसके बाद हेल्थ कंडीशन के अकॉर्डिंग डायट को बेहतर तरीके से मैनज किया जाता है। साथ ही आरएनडी उस व्यक्ति की जांच के साथ ही समस-समय पर मेडिकेशन चेंज भी कर सकते हैं।
एमएनटी का प्रयोग विभिन्न प्रकार के पेशेंट में किया जा सकता है। कुछ पेशेंट जो मोटापे की समस्या से परेशान हैं, कोई घाव हो गया या फिर व्यक्ति जल गया हो आदि। कुछ गंभीर मामलों जैसे कि कैंसर के लिए भी एमएनटी का यूज किया जा सकता है। आरएनडी मालन्यूट्रिशन को रोकने के लिए ट्यूब या इंट्रावेनस फीडिंग रिकमेंड कर सकता है। एमएनटी कई मामलों में अलग हो सकती है। इसकी जानकारी आरडीएन से ही मिल सकती है कि किस प्रकार के एमएनटी का प्रयोग किया जाना है।
मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी से दूर भगाएं ये बीमारियां
डायबिटीज की समस्या (Diabetes condition)
डायबिटीज की कंडिशन में ब्लड शुगर लेवल बहुत हाय हो जाता है। इस कारण से टाइप 1 (जब पेंक्रियाज कम इंसुलिन प्रोड्यूज करता है) या टाइप 2 (जब बॉडी इंसुलिन का सही से यूज नहीं कर पाती है) डायबिटीज हो जाता है। डायबिटीज के कारण नर्व और विजन डैमेज के चांसेज रहते हैं। इसी के साथ ही स्ट्रोक, किडनी डिजीज, हार्ट डिसीज या गम इंफेक्शन का भी खतरा रहता है। रिसर्च से ये बात सामने आई है कि एमएनटी की मदद से डायबिटीज कंट्रोल किया जा सकता है।
डायबिटीज पर ऐसा असर
मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की मदद से कुछ डायबिटीज के मार्कर को कम किया जा सकता है, जैसे कि हीमोग्लोबिन A1c (HbA1c)। ये लॉन्ग टर्म ब्लड शुगर कंट्रोल इंडिकेटर होता है। ये थेरिपी जेस्टेशनल डायबिटीज को कंट्रोल करने में भी मदद करती है। आरडीएन की मदद से कार्ब काउंटिंग और प्रोटीन को कंट्रोल करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। अदर न्यूट्रिशन को देखते हुए कार्ब ब्लड शुगर को अधिक प्रभावित करता है।
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कैंसर की समस्या में (Cancer)
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एब्नॉर्मल सेल्स अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं। यह आपके शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। ब्लड, बोन या शरीर के अन्य अंगों में कैंसर की समस्या हो सकती है। कैंसर में कीमोथेरिपी का यूज किया जाता है, जिससे शरीर में अच्छी कोशिकाएं भी प्रभावित हो जाती हैं। साथ ही कैंसर की दवाओं के कारण भी शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रेडिएशन के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लाइनिंग प्रभावित होती है और साथ ही खाने में समस्या और पाचन में भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में पेशेंट को कुपोषण का खतरा रहता है। आरडीएन हाई कैलोरी वाले न्यूट्रिशनल शेक, प्रोटीन रिच फूड की सलाह देते हैं, जो कि पचने में भी आसान होता है। गंभीर मामलों में आरडीएन ट्यूब या आईवी फीडिंग के लिए भी सजेस्ट कर सकता है।
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हार्ट संबंधित समस्याओं में (Heart Related diseases)
हार्ट में विभिन्न प्रकार कि समस्याएं हो सकती हैं। कुछ कंडिशन के कारण भी हार्ट में बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे की हाय ब्लड प्रेशर के कारण दिल की धड़कन बढ़ जाना। दिल का दौरा पड़ना, स्ट्रोक या हार्ट फेल की समस्या। इन समस्याओं के कारण व्यक्ति की मौंत भी हो सकती है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एमएनटी हार्ट डिसीज के जोखिम को कम करने में मदद करता है। डायटीशियन आपको लो सेचुरेटेड फैट फूड, कोलेस्ट्रॉल, सोडियम और इंफ्लामेट्री फूड को न खाने की सलाह दे सकता है। साथ ही खाने में अधिक फल और सब्जियों को शामिल करने के लिए भी कह सकता है। मोटापे के कारण भी हार्ट डिसीज अधिक होने की संभावना रहती है, ऐसे में जीवनशैली में बदलाव लाने की सलाह भी दी जा सकती है।
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डायजेस्टिव कंडीशन में (Digestive condition)
अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन रोग, सीलिएक रोग के साथ ही इंटेस्टाइनल सर्जरी आदि डायजेस्टिव कंडिशन में खानपान का बहुत इफेक्ट पड़ता है। अगर ऐसे में सही पोषण न लिया जाए तो व्यक्ति की हालत बहुत खराब हो सकती है। इसी के साथ ही कोलन में सूजन भी आ सकती है। ऐसे में डायटीशियन डायट में उन फूड को एड करने का काम करता है, जिनका पाचन आसानी से हो जाए। साथ ही उन फूड को अलग कर दिया जाता है जो पेट में समस्या पैदा कर सकते हैं।
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किडनी की डिसीज में (Kidney diseases)
अगर किडनी की डिसीज का सही तरह से ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है तो शरीर में ब्लड सही तरह से फिल्टर नहीं होगा। ऐसे में शरीर में कैल्शियम और पोटेशियम का लेवल भी अधिक हो जाएगा। लो आयरन लेवल के कारण और हड्डियों की खराब हालत समस्या पैदा करने लगेगी। ऐसे में किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन व्यक्तियों को किडनी की समस्या है, उन्हें मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की अधिक अवश्यकता हो सकती है। खाने में प्रोटीन, पोटेशियम, फास्फोरस और सोडियम की मात्रा को कंट्रोल करना जरूरी हो जाता है। ये बात डायटीशियन अच्छी तरह से बता सकता है कि खाने में क्या शामिल करना चाहिए और क्या नहीं।
अगर आपको भी किसी हेल्थ कंडिशन के लिए मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की जरूरत है तो बेहतर होगा कि इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
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