अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन रोग, सीलिएक रोग के साथ ही इंटेस्टाइनल सर्जरी आदि डायजेस्टिव कंडिशन में खानपान का बहुत इफेक्ट पड़ता है। अगर ऐसे में सही पोषण न लिया जाए तो व्यक्ति की हालत बहुत खराब हो सकती है। इसी के साथ ही कोलन में सूजन भी आ सकती है। ऐसे में डायटीशियन डायट में उन फूड को एड करने का काम करता है, जिनका पाचन आसानी से हो जाए। साथ ही उन फूड को अलग कर दिया जाता है जो पेट में समस्या पैदा कर सकते हैं।
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किडनी की डिसीज में (Kidney diseases)
अगर किडनी की डिसीज का सही तरह से ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है तो शरीर में ब्लड सही तरह से फिल्टर नहीं होगा। ऐसे में शरीर में कैल्शियम और पोटेशियम का लेवल भी अधिक हो जाएगा। लो आयरन लेवल के कारण और हड्डियों की खराब हालत समस्या पैदा करने लगेगी। ऐसे में किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन व्यक्तियों को किडनी की समस्या है, उन्हें मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की अधिक अवश्यकता हो सकती है। खाने में प्रोटीन, पोटेशियम, फास्फोरस और सोडियम की मात्रा को कंट्रोल करना जरूरी हो जाता है। ये बात डायटीशियन अच्छी तरह से बता सकता है कि खाने में क्या शामिल करना चाहिए और क्या नहीं।
अगर आपको भी किसी हेल्थ कंडिशन के लिए मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की जरूरत है तो बेहतर होगा कि इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।