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दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानें कौन सी जड़ी-बूटी है असरदार

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानें कौन सी जड़ी-बूटी है असरदार

परिचय

दांत में दर्द (Toothache) आजकल सबसे आम समस्या हो गई है। दांत दर्द बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को परेशान कर के रखा है। जब दांत दर्द शुरू होता है को चेहरा, कान और सिर सब दर्द होने लगता है। ऐसे में दांत दर्द से पीड़ित व्यक्ति बेचैन हो जाता है और तड़पने लगता है। अगर आप आयुर्वेद में भरोसा करते हैं तो विश्वास मानिए दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज आपके दांत के दर्द को ठीक कर देता है। इस आर्टिकल में आप दांत दर्द के इलाज के बारे में सभी पहलुओं को जानेंगे।

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दांत दर्द (Toothache) क्या है?

दांत दर्द को अंग्रेजी में टूथएक भी कहते हैं। अक्सर देखा गया है कि दांतों में सड़न के कारण दांत दर्द और मसूड़ों में दर्द होने की समस्या होती है। खानपान के कारण और दांतों का खास ख्याल ना रखने के कारण ही दांत दर्द की समस्या होती है। जिससे दांतों में सड़न पैदा हो जाती है और दांत में दर्द होने लगता है। दांत दर्द किसी भी समय और किसी भी उम्र में हो सकता है। दांत दर्द से पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा परेशान रहती हैं। 

आयुर्वेद में दांत दर्द क्या है?

आयुर्वेद में दांत दर्द को दंत रोग कहते हैं। आयुर्वेद में दंत रोग को चार भागों में बांटा गया है :

खलिवर्द्धन या अक्ल दाढ़

18 साल से 21 साल तक की उम्र में पीछे के दांत उगते हैं, ऐसे में दांतों में तेज दर्द होता है। इसे आयुर्वेद में खलिवर्द्धन कहते हैं।

दंत हर्ष या दांतों में सेंसटिविटी

इस समस्या में दांत सेंसटिव हो जाते हैं, ठंडा-गर्म कुछ भी खाने या पीने पर दांद में लगता है और झनझनाहट के साथ दर्द महसूस होता है।

कृमि दंत या दांतों में कीड़े लगना

दांतों में कीड़े लगने को ही आयुर्वेद में कृमिदंत कहते हैं। इससे दांतों के बीच में कैविटी हो जाती है। जिस कारण से दांतों में ज्यादा दर्द, सूजन आदि हो जाता है।

दंत शर्करा या प्लाक

दांतों और मसूड़ों के बीच में प्लाक बनने लगते हैं, जो जब ज्यादा हो जाता है तो दांतों में तेज दर्द होता है। 

कई बार दांतों में दर्द दांत की जड़ों में समस्या के कारण भी होते हैं। आयुर्वेद में दांत की जड़ों से होने वाली समस्या को आयुर्वेद में दंत मूल रोग कहते हैं, जो निम्न प्रकार के होते हैं :

दंतवेष्ट या पायरिया

दंतवेष्ट में दांतों की जड़ से खून और पस या मवाद निकलने लगता है। इसके साथ ही मुंह से बदबू भी आती है।

दंतपुप्पुटक या मसूड़ों पर फोड़ा होना

दांत की जड़ों के पास मसूड़ों पर फोड़ा होना आयुर्वेद में दंतपुप्पुटक कहलाता है। मसूड़ों में सूजन के कारण दांतों में दर्द शुरू हो जाता है।

शौषिर या जिंजिवाइटिस

जिंजिवाइटिस को आयुर्वेद में शौषिर कहते हैं। इसमें मसूड़ों में सूजन और दर्द होता है। जिस कारण से दांतों में ढीलापन हो जाता है।

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लक्षण

दांत दर्द के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Toothache)

दांत दर्द के निम्न लक्षण हो सकते हैं : 

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कारण

दांत दर्द होने के कारण क्या हैं? (Cause of Toothache)

अक्सर दांतों में सड़न होने के कारण दांतों में दर्द होता है। मुंह में मौजूद बैक्टीरिया स्टार्च और शुगर के कारण फैलने लगते हैं। ये बैक्टीरिया दांतों में बनने वाले प्लाक में चिपक जाते हैं। फिर बैक्टीरिया दांतों में एसिड बनाने लगते हैं, जिससे दांतों के बीच में सड़न यानी कि कैविटी हो जाती है। दांत दर्द होने के अन्य कारण भी हो सकते हैं: 

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इलाज

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? (Ayurvedic treatment for Toothache)

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी, जड़ी-बूटी और औषधियों की मदद से किया जाता है :

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी या कर्म के द्वारा

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज निम्न कर्म के द्वारा की जाती है :

कवल कर्म

कवल कर्म में जड़ी-बूटियों और औषधियों से गागल या गरारे कराए जाते हैं। दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करते समय जड़ी-बूटियों के लिक्विड या तेल मरीज को गरारे करने के लिए दिया जाता है। कवल कर्म में त्रिफला, खदिरा, अर्जुन की छाल आदि जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। 

गण्डूष कर्म या ऑयल पुलिंग

ऑयल पुलिंग को आयुर्वेद में गण्डूष कहते हैं। इस कर्म में छोटी कदम की छाल, अरंडी की जड़, तिल का तेल, बृहती और कंटकारी को बराबर मात्रा में मिला लिया जाता है। फिर इसे मुंह में दातों पर डाला जाता है। इसे कुछ देर तक मुंह में ही लेना होता है। इसके बाद थूंक देना होता है। गण्डूष का इस्तेमाल दांत में कीड़े लगने पर किया जाता है। 

अभ्यंग कर्म या दांतों की मालिश करना

अभ्यंग एक आयुर्वेदिक कर्म है, जो दर्द से राहत दिलाने के लिए किया जाता है। मंजिष्ठा और शहद का इस्तेमाल कर के दांत दर्द वाली स्थान पर हल्के हाथों से मालिश की जाती है। इसके अलावा शुद्ध लाख से दांतों की मालिश करने पर भी राहत मिलती है। अभ्यंग कर्म आप खुद से कर सकते हैं, लेकिन बिना डॉक्टर के परामर्श के बिना ना करें।

लेपन कर्म

लेपन कर्म में जड़ी-बूटियों और औषधियों का पेस्ट बना कर दांतों में प्रभावित स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। वच, लहसुन, तुलसी को अच्छे से पीस कर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसके बाद दांद दर्द वाले स्थान पर 15 मिनट के लिए लगा लें। फिर गुनगुने पानी से कुल्ला कर के थूंक दें। इसके अलावा अरंडी के टहनी की दातुन भी करने से दांद दर्द में आराम मिलता है। 

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दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी-बूटियों के द्वारा

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी-बूटियों के द्वारा की जाती है :

लौंग 

दांत दर्द होने पर लौंग का जिक्र सबसे पहले होता है। लौंग का तेल दांत दर्द में सबसे बेहतर दवा मानी जाती है। लौंग के तेल से रूई को भींगा कर कैविटी वाले स्थान पर लगाने से दर्द दूर होता है और दांत के कीड़े खत्म होते हैं।

चित्रक

चित्रक की छाल और फूल का उपयोग दर्द निवारक के रूप में किया जाता है। इसके लिए आपको छाल को पीस कर दांत दर्द वाले स्थान पर लगा सकते हैं। इससे आपको आराम मिलेगा।

नीम

नीम एक एंटीबैक्टीरियल जड़ी-बूटी है। दांत दर्द के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को नीम मार सकता है। इसलिए आयुर्वेद में नीम को दातुन के रूप में करने के लिए कहा जाता है। इससे मसूड़ों को मजबूती मिलती है और दांत भी मजबूत होते हैं। 

तुलसी

तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो किसी भी प्रकार के इंफेक्शन को कम करती है। इसलिए दांद दर्द होने पर तुलसी के पत्ते को चबा कर दांत दर्द वाले स्थान पर कुछ देर रखने से दांत दर्द में राहत मिलती है। 

हींग

हींग में कृमिनाशक या कीड़े मारने के गुण होते हैं। इसके लिए आपको हींग को एक या दो बूंद पानी में मिला कर दांत दर्द वाले स्थान पर लगाएं। इससे दांत के कीड़े मारे जाते हैं। 

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दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज औषधियों के द्वारा

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज निम्न औषधियों के द्वारा की जाती है :

दशन संस्कार चूर्ण

बाजार में दांतों के दर्द के लिए एक पाउडर पाया जाता है, जिसे दशन संस्कार चूर्ण कहते हैं। इसमें सोंठ, हरड़, कपूर, काली मिर्च और लौंग आदि का पाउडर बना मिश्रण होता है। इसे मंजन की तरह दांतों पर करने से दांत दर्द और मसूड़े के फोड़े में आराम मिलता है।

खदिरादि वटी

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए डॉक्टर खदिरादि वटी दे सकते हैं। ये टैबलेट के रूप में पाया जाता है और मसूड़ों से खून और दांतों के दर्द को कम करने के लिए इसका सेवन किया जाता है। इसमें बबूल, खदिरा, गेरू, मुलेठी, जायफल, लौंग, कपूर, त्रिफला आदि मिला होता है। इसे गुनगुने पानी के साथ गरारे करने के लिए भी डॉक्टर सलाह देते हैं।

साइड इफेक्ट

दांत दर्द (Toothache) का आयुर्वेदिक इलाज करने वाली औषधियों से कोई साइड इफेक्ट हो सकता है?

  • अगर महिला गर्भवती है या बच्चे को स्तनपान करा रही है तो दांत का आयुर्वेदिक इलाज में प्रयुक्त होने वाली औषधियों के सेवन से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले लेनी चाहिए। 
  • अगर आप किसी अन्य रोग की दवा का सेवन कर रहे हैं तो भी दांत दर्द की औषधि की शुरुआत करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है।
  • अगर आप कफ से पीड़ित हैं तो अभ्यंग कर्म ना करें। यही सलाह पांच साल से कम बच्चों के लिए भी दी जाती है कि उनके लिए अभ्यंग कर्म नहीं है।
  • लौंग की वजह से सेक्स ड्राइव बढ़ सकती है, ऐसे में इसका सेवन डॉक्टर के परामर्श पर ही करें। 
  • जो लोग योगा और मेडिटेशन करते हैं, वे लोग हींग का सेवन ना करें तो अच्छा है।

जीवनशैली

आयुर्वेद के अनुसार आहार और जीवन शैली में बदलाव

आयुर्वेद के अनुसार दांत दर्द के लिए डायट और लाइफ स्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है। हेल्दी लाइफ स्टाइल और हेल्दी खाने के लिए : 

क्या करें?

  • जौ, मूंगदाल, मेथी, कुलथी आदि का सेवन करें।
  • हरी सब्जियां और रंग बिरंगी सब्जियां खाएं, जैसे- पालक, करेला, मूली आदि।
  • पान के पत्ते और घी का सेवन करें।
  • दांतों में फंसे खाने के टुकड़े को डेंटल फ्लॉस की से साफ कर लें। 
  • अपने मुंह को गर्म पानी के साथ धुलें।
  • दांतों पर कूल कंप्रेस की मदद से आप दांत दर्द से राहत मिलती है।
  • गर्म पानी में टी बैग डिप कर के दांत दर्द वाली जगह पर रखकर सिकाई करें।

क्या ना करें?

दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज आप ऊपर बताए गए तरीकों से कर सकते हैं। लेकिन आपको ध्यान देना होगा कि आयुर्वेदिक औषधियां और इलाज खुद से करने से भी सकारात्मक प्रभाव नहीं आ सकते हैं। इसलिए आप जब भी दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में सोचें तो डॉक्टर का परामर्श जरूर ले लें। उम्मीद करते हैं कि आपके लिए दांत दर्द का आयुर्वेदिक इलाज की जानकारी बहुत मददगार साबित होगी।

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डिस्क्लेमर

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Role of Triphala in dentistry https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4033874/ Accessed on 26/6/2020

Current Version

20/05/2021

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

डॉ. पूजा दाफळ

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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2021

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