पायरिया (Pyorrhoea) के कारण क्या हैं?
जब प्रारंभिक समय में मसूड़ों के सूजन और संक्रमण का इलाज नहीं होता है तब यह पायरिया का रूप ले लेता है। दांत और दातों को सहारा देने वाली हड्डियों में इंफेक्शन, मसूड़ों (Gingiva) से फैलता है। पायरिया से ग्रस्त व्यक्ति के मसूड़े और हड्डियां अपने आप को दांतों से दूर खींचने लगते है, जिससे दांत और मसूड़ों के बीच खाली जगह (पॉकेट) बन जाती है। बाद में इस पॉकेट में प्लैक या टार्टर (दांत का मैल) भरने लगता है। नरम ऊतकों में सूजन आ जाने के कारण प्लैक पॉकेट में ही फंस जाता है। लगातार हो रही सूजन और लालिमा धीरे-धीरे दांत के चारों तरफ ऊतकों और हड्डियों को क्षतिग्रस्त करने लगती है।
रिस्क फैक्टर
कुछ कारणों की वजह से पायरिया का जोखिम बढ़ सकता है जैसे-
धूम्रपान करना
मसूड़ों की बीमारी के लिए धूम्रपान को सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक माना जाता है। तंबाकू के इस्तेमाल से मसूड़ों की बीमारी होती है। दरअसल, धूम्रपान और तंबाकू मुंह में हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाते हैं। धूम्रपान न करने वाले लोगों के मुकाबले धूम्रपान करने वाले लोगों में ट्रीटमेंट का प्रभाव देरी से होता है।
आनुवंशिकता (Heredity)
कई बार सब कुछ ठीक तरीके से करते रहने के बाद भी मसूड़ों की बीमारी हो जाती है। आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा मसूड़ों की समस्याओं से ग्रस्त है और ये ओरल हेल्थ समस्याएं उन्हें आनुवंशिकता में मिली हैं।
दवाएं
डॉक्टर द्वारा लिखी गई और ओवर द काउंटर (OTC), अवसादरोधी (Antidepressants) दवाएं, एंटीहिस्टामिन (Antihistamines) जैसी तमाम दवाओं में ऐसे तत्व होते हैं, जो मुंह में लार बनने की क्रिया को धीमा करते हैं। लार दांतों को साफ रखने में मदद करती है, जिससे बैक्टीरिया की वृद्धि में रोकथाम होती है। इसलिए, लार की मात्रा कम होने से प्लैक और दांत में मैल जमा होने लगता हैं।
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डायबिटीज
ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जो मसूड़ों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक मधुमेह है। डायबिटीज होने की वजह से शरीर में कई तरह के और संक्रमण होने की संभावनाओं में बढोतरी होती है। इनमें मसूड़ों का इंफेक्शन भी शामिल है। मसूड़ों में सूजन और पायरिया ये दोनों इंन्सुलिन इस्तेमाल करने की क्षमता को बिगाड़ देते हैं, जिससे शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
पोषण में कमी
यदि आहार में विटामिन बी और सी, कैल्शियम आदि पोषक तत्व न हों, तो यह स्थिति मसूड़ों के रोगों को बढ़ावा दे सकती है। कैल्शियम बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह हड्डियों को मजबूत रखता है इनमें दांतों को सहारा प्रदान करने वाली हड्डियां भी शामिल हैं। विटामिन सी संयोजी ऊतकों की मजबूती को बनाए रखने में मदद करता है।
हार्मोन में बदलाव
गर्भावस्था, मेनोपॉज और यहां तक कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले हार्मोन में बदलाव मसूड़ों को पायरिया होने के प्रति अतिसंवेदनशील बना देते हैं। इससे पायरिया की संभावना बढ़ जाती है।