उम्र बढ़ने के साथ-साथ मस्तिष्क में कई परिवर्तन आने लगते हैं। परिणाम स्वरूप कई वरिष्ठों को पहले सुनाई न देना, फिर आंखों की रोशनी कम होना जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। बढ़ती उम्र के साथ शरीर कि गति धीमी होने लगती है और हमारी यादें भी अस्पष्ट होने लगती हैं। ब्रेन-स्कैन तकनीक से पता चलता है कि वृद्धावस्था में मस्तिष्क कितना सिकुड़ता है। यही सिकुड़न मेंटल प्रोसेसिंग की गिरावट का कारण बनती है। जबकि उम्र बढ़ना सामान्य प्रक्रिया है। इससे उत्पन्न समस्याओं के लिए आप सरल एंटी-एजिंग मस्तिष्क व्यायाम यानी वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग जैसे खेल और गतिविधियों को अपना सकते हैं।
वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग कैसे की जाए?
व्यायाम मस्तिष्क और शरीर के लिए अच्छा है। एक अच्छी कसरत हृदय कि गति बढ़ाकर वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग को प्रभावित करती है, जो मस्तिष्क को अतिरिक्त ऑक्सिजन पंप करती है। यह नए सेल कनेक्शन के विकास को बढ़ावा देकर मस्तिष्क की प्लास्टिसिटी को भी उत्तेजित करती है। चेयर एक्सरसाइज से भी शरीर और दिमाग को भी एक्टिव रखा जा सकता है।
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संगीत
संगीत एक शक्तिशाली माध्यम है जो हमारी मनोदशा को प्रभावित कर सकता है और खुशी या उदासी की भावनाओं को प्रेरित कर सकता है। पसंदीदा गानों को चलाएं जो दिन के समय के साथ समन्वय करता है। इस माध्यम से मन को शांति और मनोरंजन मिल सकता है। वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए संगीत सुनना लाभकारी साबित हो सकता है।
वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए बनाएं खाना
किसी घरेलू नुस्खे को आजमाना और इसी माध्यम से भोजन बनाना ब्रेन स्ट्रेचिंग को उत्तेजित कर सकता है। कई लोगो का मानना है कि भोजन बनाना एक थेरिपी कि तरह है जिससे अच्छा महसूस होता है। तो मस्तिष्क को कार्यरत रखने के लिए यह गतिविधि भी कर सकते हैं।
शौक
शौक सिर्फ समय गुजारने का जरिया नहीं है। आपके शौक ब्रेन स्ट्रेचिंग को सक्रिय कर सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। यह आपको मानसिक रूप सतर्क रखने में मदद करता है। शौक में किसी भी काम का समावेश हो सकता है, जैसे बागवानी, लकड़ी का काम, घर की सजावट या फोटोग्राफी आदि। इसलिए वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग का मूल मंत्र आपका कोई भी पसंदीदा काम हो सकता है।
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पेंटिंग भी हो सकता है वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग का तरीका
पेटिंग आपके रचनात्मक रस को बढ़ाने और आपके ब्रेन स्ट्रेचिंग सक्रीय करने का एक आसान तरीका है। सीनियर्स पानी के रंगों, चाक पेस्टल या ऐक्रेलिक पेंट्स से इसको आजमा सकते हैं। पेटिंग को भी एक थेरिपी कि तरह देखा जाता है।
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पालतू जानवर पालना
पालतू जानवर तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं और अकेले वरिष्ठ लोगों के लिए आराम और खुशी का कारन बन सकते हैं। उन्हें ब्लड प्रेशर कम करने और दिल की स्थिति को सुधारने के लिए भी जाना जाता है। यदि आपके पास स्वयं का पालतू जानवर नहीं है, तो एक स्थानीय पेट शॉप्स से एक पालतू जानवर घर लाने का विचार करें। इसलिए वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के तौर पर आप इस विकल्प को भी अपना सकते हैं।
पढ़ना
पढ़ने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता और कनेक्टिविटी में सुधार होता है। किताब पढ़ना या टेप पर सुनना भी ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए एक कसरत है और इससे अन्य शांत लाभ भी प्रदान होते हैं। यदि कोई वृद्ध पढ़ नहीं सकते हैं, तो परिवार के किसी सदस्य या मित्र को मदद ले सकते हैं।
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वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए खेंले खेल
जैसे कि हम जानते हैं, खेल आपके मस्तिष्क के साथ-साथ आपके शरीर के लिए भी काफी मददगार होता है। पोकर जैसे क्लासिक कार्ड गेम अधिकांश वरिष्ठों को परिचित होंगे और यह गेम्स दिमाग को मेहनत करने के लिए मजबूर करते हैं।
लेखन की मदद से वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग करें
कुछ वरिष्ठ अनुभव और वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए व्यायाम के तौर पर लेखन करते हैं। लेखन विचारों, स्मृति और समझ को बढ़ाता है। कविता लेखन या किसी भी प्रकार का लेखन मस्तिष्क के लिए एक तरह का व्यायाम है।
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, ऐसे अवसरों को खोजना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जो मस्तिष्क को उत्तेजित और चुनौती देने में मदद करते हैं। ऊपर दी गई गतिविधियां मस्तिष्क को उत्तेजित करके, आप कॉग्नेटिव हानि से लड़ने और मन को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा वृध्दावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए आप अपने आहार को भी बेहतर बना सकते हैं, जो आपके दिमाग को फ्रेश बनाए रखने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। इसके लिए आप कुछ खास खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
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वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए क्या खाएं?
ओट्स
ओट्स (Oats) बेहद पौष्टिक और पेट भरने वाली डिश होती है। बढ़ती उम्र में ब्रेन स्ट्रेचिंग के लिए आप ओट्स को अपने नाश्ते में शामिल कर सकते हैं। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ ब्रेन के हेल्थ के लिए भी बेहतर होता है। इसमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होने से यह शरीर और ब्रेन को ऊर्जा भी देता है। आप हर दिन अपने आहार में ओट्स को नए-नए स्वाद के साथ शामिल कर सकते हैं, ताकि आपको इससे बोरियत भी न हो। आप इसे दूध या पानी के साथ पकाएं, इसमें चीनी या मसाला भी मिला सकते हैं।
अखरोट
अखरोट (Walnuts) को एक ब्रेन फूड के तौर पर माना जाता है। यही नहीं इसका बनावट भी हमारे ब्रेन के ढाचें जैसा ही होता है। ये आपके मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। अखरोट में ओमेगा -3 फैटी एसिड, फाइबर और विटामिन ई की भरपूर मात्रा होती है। यह चबाने में भी काफी नरम होता है। तो अगर आपको दांतों से जुड़ी कोई समस्या है, तो भी इसे खाने में आपको किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो सकती है। आप सुबह और शाम के समय दो से तीन अखरोट चबा कर खा सकते हैं। साथ ही, आप इसे दूध में भी मिलाकर खा सकते हैं। या चाहें, तो आप इसे मैंगों शेक के साथ भी पी सकते हैं।
बादाम
बादाम (Almonds) में विटामिन-ई की मात्रा सबसे अधिक होती है। विटामिन-ई के एंटीऑक्सीडेंट गुण ब्रेन के कार्य करने की क्षमता में सुधार करते हैं और याददाश्त को तेज करने में मदद करते हैं। आप हर रात सोने से पहले पांच से छह बादाम साफ पानी में भिगो सकते हैं और सुबह सोकर उठने के बाद आप इसे चबाकर खा सकते हैं।
एक्सरसाइज हो सकता है बेहतर विकल्प, जानें कितना करें व्यायाम
बुढ़ापे में भी रिजनिंग स्किल्स को बढ़ाे के लिए, दिमाग तेज गति से काम करें इसलिए लिए उन्हें एक्सरसाइज की आवश्यकता पड़ती है। करीब छह महीनों में कम से कम 52 घंटे व्यायाम जरूर करना चाहिए। बुजुर्ग चाहें तो लो इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज को दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। इसमें वाकिंग के काफी लाभ है। नियमित तौर पर इसे लाइफ में शामिल कर बुजुर्ग चाहें तो स्ठ्रेंथ बढ़ा सकते हैं।
दिमाग के लिए है काफी लाभकारी
एक्सरसाइज हमारे दिमाग के लिए काफी लाभकारी होता है। हाल में हुए शोध के अनुसार जो व्यक्ति नियमित तौर पर रनिंग करेत हैं उनकी यादाश्त ज्यादा बेहतर रहती है, वहीं वो लोग तनावमुक्त जीवन यापन कर पातचे हैं। बता दें कि शोध से यह भी पता चला है कि नियमित एक्सरसाइज करने से दिमाग को शिथिल होने से बचा सकते हैं। वैसे बुजुर्ग जो महीने में चार सप्ताह लगातार एक्सरसाइज करते हैं वो दूसरों की तुलना में ज्यादा फिट रहते हैं।
बुजुर्गों के दिमाग पर असर डालती है एक्सरसाइज
गोमस-ओसमैन और उनकी टीम ने करीब 98 शोध किए, जिसमें 11 हजार बुजुर्गों ने हिस्सा लिया। शोध में 73 साल तक के बुजुर्ग शामिल थे, इनमें करीब 59 फीसदी बुजुर्ग हेल्दी थे। इसके अलावा इन बुजुर्गों में करीब 26 फीसदी में एमसीआई के लक्षण थे, 15 फीसदी में पूरी तरह से डिमनेशिया डेवलप कर चुका था। टेस्ट के तहत इन बुजुर्गों को एक्सरसाइज के तहत वाकिंग कराया जाता था। कुछ एक्सरसाइज में इन्हें एरोबिक एक्सरसाइज, जैसे बाइकिंग व डांसिंग कराया जाता था। इससे इनकी स्ट्रेंथ में इजाफा देखने को मिला। इन तमाम एक्सरसाइज को कराने से इनके दिमाग में विकास देखने को मिला। शोध से पता चला कि यदि छह महीनों तक कोई बुजुर्ग 52 घंटे एक्सरसाइज करता है तो उससे उसकी प्रोसेसिंग स्पीड में इजाफा होता है, ऐसे में उसका दिमाग ज्यादा ताकतवर होने के साथ वो काम को आसानी से अंजाम दे पाता है। वैसे व्यक्ति जो हेल्थी थे या फिर जिन्हें एमसीआई की बीमारी थी दोनों में ही वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग के फायदे देखने को मिले।
हमेशा लें एक्सपर्ट की सलाह
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर वृद्धावस्था में ब्रेन स्ट्रेचिंग या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। बुजुर्गावस्था में संभव है कि कई प्रकार की बीमारी आपको हो, ऐसे में उचित यही होगा कि हेल्थ ट्रेनर, एक्सपर्ट के दिशा निर्देश में एक्सरसाइज कर आप ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।
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