backup og meta

महिलाओं में इंसोम्निया : प्री-मेनोपॉज, मेनोपॉज और पोस्ट मेनोपॉज से नींद कैसे होती है प्रभावित?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

    महिलाओं में इंसोम्निया : प्री-मेनोपॉज, मेनोपॉज और पोस्ट मेनोपॉज से नींद कैसे होती है प्रभावित?

    आजकल नींद न आने की समस्या से हर दूसरा व्यक्ति पीड़ित है। इस समस्या से लोग इतने परेशान हैं कि कुछ तो नींद की गोलियों तक का भी सेवन करते हैं। फिलहाल यहां हम महिलाओं में इंसोम्निया के बारे में बात करेंगे। नेशनल स्लीप फाउंडेशन (NSF) की मानें तो “महिलाओं में इंसोम्निया पुरुषों की तुलना में ज्यादा देखने को मिलता है। पीरियड्स, गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान सभी महिलाओं को नींद की समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर में होने वाले ये बायोलॉजिकल बदलाव कभी-कभी नींद को बाधित करते हैं लेकिन, फिर नींद की ये खराब आदतें एक पैटर्न बना लेती हैं।’ क्रोनिक इंसोम्निया की समस्या से दैनिक कार्य करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

    “हैलो स्वास्थ्य’ ने महिलाओं में इंसोम्निया के संबंध में डॉक्टर अरुण कुमार सिंह (चरक हॉस्पिटल, लखनऊ) से भी बात की। उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि “कार्डियोवस्क्युलर बीमारी (Cardiovascular disease) को रोकने में मदद के लिए महिलाओं को नींद की गड़बड़ी के लिए स्क्रीन करना समझदारी हो सकती है। यही कारण है कि कई महिलाओं में इंसोम्निया की समस्या देखी जाती है।’ महिलाओं में इंसोम्निया न केवल कार्डियोवस्क्युलर हेल्‍थ को, बल्कि ब्‍लड प्रेशर को भी प्रभावित करता है। कई बार तो अनिद्रा की समस्‍या उम्र बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है।” हालांकि, महिलाओं में नींद की समस्या के कई कारण होते हैं लेकिन, हार्मोनल बदलाव के दौरान अनिद्रा की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। 

    महिलाओं में इंसोम्निया का कारण है हॉर्मोनल परिवर्तन (Hormonal changes)

    हार्मोन में बदलाव के कारण ज्यादातर महिलाओं में इंसोम्निया की समस्‍या देखने को मिलती है। पेरिमेनोपॉज (perimenopause) यानी मेनोपॉज के पहले पीरियड्स का अनियमित होना और मेनोपॉज (menopause) में पीरियड्स बंद होने के दौरान, महिला के अंडाशय से एस्ट्रोजेन (estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone), हॉर्मोन के उत्पादन में कमी आने लगती है। दरअसल, ये दोनों हॉर्मोन्स नींद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार होते हैं। हार्मोन का यह परिवर्तन कभी-कभी अनिद्रा की समस्या पैदा करता है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से आप आस पास के ऐसे वातावरण और अन्य कारकों के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं जो नींद को बाधित करते हैं।

    और पढ़ें : मेनोपॉज और हृदय रोग : बढ़ती उम्र के साथ संभालें अपने दिल को

    हॉट फ्लैशेस (Hot flashes)

    हॉट फ्लैशेस मेनोपॉज और पेरिमेनोपॉज का एक सामान्य लक्षण है जिसमें महिलाओं को अत्यंत पसीना आने के साथ ही उनकी दिल की धड़कन तेज हो जाती है। रात के समय ये लक्षण आपकी नींद में डालते हैं। इससे एक बार जागने के बाद दोबारा नींद आने में परेशानी आ सकती है। 

    मेनोपॉज (Menopause) के बाद नींद की समस्या

    रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज महिलाओं के शारीरिक में कई परिवर्तन लाती है। लगभग 20% महिलाएं इस समय के दौरान नींद की समस्या के साथ अवसाद का भी अनुभव करती हैं। हालांकि, हार्मोनल परिवर्तन ही सिर्फ इसका एकमात्र कारण नहीं हो सकता है। तनाव भरी लाइफस्टाइल भी इसका एक कारण हो सकता है। मेनोपॉज से पहले महिलाओं की तुलना में जिन महिलाओं को मेनोपॉज हो रहा है उनमें स्लीप एपनिया होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक होती है। 

    और पढ़ें : Menopause : मेनोपॉज क्या है? जानिए इसके कारण ,लक्षण और इलाज

    पीरियड्स (Periods) के दौरान नींद की समस्या 

    पीरियड्स के दौरान भी कई महिलाएं नींद की समस्याओं से जूझती हैं। ऐसा विशेष रूप से उन महिलाओं में होता है जिन्हें प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर premenstrual dysphoric disorder (PMDD) होता है। यह एक गंभीर प्रकार का प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) है।

    महिलाओं में इंसोम्निया के उपाय क्या हैं? (Remedies for Insomnia)

    अगर आपको पेरिमेनोपॉज के लक्षण (जैसे-अनिद्रा, नींद में व्यवधान,पसीना) दिख रहे हैं, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके साथ ही आपको अपनी नींद की आदतें भी सुधारनी चाहिए। अच्छी नींद के लिए नीचे बताए गए टिप्स फॉलो करें-

  • कमरे का तापमान : अपने कमरे के तापमान को कम रखें क्योंकि हॉट फ्लैशेस से गर्मी लग सकती है। ऐसा करने से आपको बेहतर महसूस होगा और आप अच्छी नींद ले पाएंगी। 
  • शांत माहौल : अपने कमरे को शांत और सुरक्षित बनाएं। शांति का माहौल आपके दिमाग को भी शांत रखेगा, जिससे आपको अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
  • मसालेदार भोजन : मसालेदार भोजन और गरम आहार का सेवन कम करें। मसालेदार भोजन उत्तेजना पैदा करते हैं, जिससे नींद न आने की समस्या हो सकती है।
  • आरामदायक कपड़े : सोते समय हल्के और आरमदायक कपड़े पहनें। आप जितना आरामदायक कपड़े पहनेंगी उतनी अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
  • हल्का भोजन : सोने से पहले हल्का भोजन करें व शराब, सिगरेट व कॉफी जैसे पदार्थो से पूरी तरह दूरी रखें। ये चीजें नींद न आने की समस्या को बढ़ाती हैं।
  • साफ सुथरी जगह : सोने की जगह को साफ और अच्छा रखने से भी नींद अच्छी आती है। साफ सुथरी जगह पर आपको अच्छी नींद आएगी।
  • व्यायाम पर ध्यान दें : रिलैक्सेशन एक्सरसाइजेज (Relaxation exercises) जैसे ध्यान (meditation) और योग पर ध्यान दें। योगा और एक्सरसाइज दिमाग से तनाव दूर करने में मदद करते हैं, जिससे आपको अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
  • नींद न आना या नींद का बार-बार टूटना या गहरी नींद की कमी आदि अनिद्रा के लक्षण हैं। ठीक से नहीं सोने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और ब्रेन संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। कई महिलाओं में डिप्रेशन की वजह से भी इंसोम्निया होता है। मेडिटेशन, योग की मदद से इसका इलाज किया जा सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर या मनोचिकित्सक से भी सलाह लें। अनिद्रा के लिए मेडिकल और गैर-चिकित्सा उपचार दोनों ही विकल्प मौजूद हैं।

    उम्मीद है आपको महिलाओं में इंसोम्निया से संबंधित इस आर्टिकल में आपको जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। इस आर्टिकल में हमने आपको महिलाओं में इंसोम्निया होने के कारण से लेकर इसे दूर करने के उपाय तक भी बताए हैं। अगर आपको इससे संबंधित किसी अन्य सवाल का जवाब चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। आप अपने सवाल हमसे हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपको सभी सवालों से जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे, साथ ही आपको एक्सपर्ट टिप्स भी देंगे। तो अगर आपको भी नींद की समस्या है, तो ऊपर बताए गए तरीके अपनाएं, ताकि आप बेहतर नींद ले सकें। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें, ताकि कोई भी नींद की समस्या से पीड़ित हो, तो इस आर्टिकल में दी गई जानकारियों से वो अपनी समस्या का हल कर सके।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

    डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


    Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement