हर रोज सुबह सड़कों पर चलते, लोकल ट्रेन के धक्के खाते और मेट्रो में सीट के लिए लड़ते लोग दिख जाते हैं। यह लोग हर सुबह ऑफिस पहुंचने के लिए मेहनत करते हैं। लेकिन, असली जंग ऑफिस पहुंचने के बाद शुरू होती है। हर रोज घंटों ऑफिस में काम करने के बाद ज्यादातर लोग खुद को बेहद थका हुआ महसूस करते हैं। हम में से लगभग हर किसी के साथ ये होता है कि हम एक समय के बाद खुद को मानसिक रुप से थका हुआ और इमोशनली एग्जॉस्टेड महसूस करते हैं। घंटों बैठकर काम करने का नतीजा ये होता है कि न हम सेहत का ख्याल रख पाते है और न ही दिमागी तौर पर शांत रह पाते हैं। इसी मानसिक थकान को तकनीकी भाषा में ‘बर्नआउट सिंड्रोम’ कहते हैं और ये हम नहीं कह रहे हैं, यह डब्लूएचओ (WHO) कहता है। जी हां, मानसिक थकान यानि ‘बर्नआउट सिंड्रोम’ इतना खतरनाक साबित हो सकता है कि आप बहुत अधिक बीमार हो सकते हैं।
WHO के मुताबिक बर्नआउट एक सिंड्रोम है, जो ऑफिस में काम के गंभीर तनाव के कारण पैदा होता है। काम का ज्यादा प्रेशर और घंटों तक काम करने की वजह से यह परेशानी आजकल काम करने वाले लोगों के बीच बहुत सामान्य है। इस तनाव को कम करने के लिए लगभग हर कोई एक चाय और सिगरेट का ब्रेक लेता है और यह ब्रेक कब आपकी आदत में बदल जाता है पता भी नहीं चलता। शुरुआत में 2-4 सिगरेट से यह आदत दिन की 10-12 सिगरेट में बदल जाती है और देखते ही देखते लोगों को इसका एडिक्शन हो जाता है।
और पढ़ें- डायरी लिखने से स्ट्रेस कम होने के साथ बढ़ती है क्रिएटिविटी
क्या है बर्नआउट सिंड्रोम?
डब्लूएचओ के मुताबिक बर्नआउट सिंड्रोम “क्रोनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस से पैदा होने वाला एक सिंड्रोम है, जिसको मैनेज करना मुश्किल होता है।’ ऑर्गनाइजेशन ने इसे तीन आयामों में बांटा है:
1) ऊर्जा की कमी या थकावट महसूस होना
2) अपनी नौकरी में रुचि कम होते जाना या नौकरी से संबंधित नकारात्मकता भावनाएं
3) प्रोफेशनल कामों में कमी आना, जिसका अर्थ है हर बार जब आप अपनी डेडलाइन और काम के बारे में सोचते हैं, तो दीवार पर अपना सिर मारने का मन करना।
बर्नआउट सिंड्रोम के कारक क्या हो सकते हैं?
एक तनावपूर्ण जीवन शैली लोगों पर काफी प्रेशर बना सकती है। जिसके कारण उनका खुद का कार्य उनपर शारीरिक और मानसिक तौर पर दबाव महसूस करा सकता है। इसके असल कारकों की पहचान नहीं की गई है, लेकिन संभावित तौर पर माना जाता है कि काम का प्रेशर, सहकर्मियों के साथ संघर्ष, कार्य स्थल पर मिलने वाली चुनौतियों का एहसास इसका मुख्य कारण हो सकते हैं।
बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षण इस प्रकार हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- शरीर और दिमाग हमेशा थका हुआ महसूस करता है
- ऐसा महसूस होना कि किसी ने आपके शरीर की सारी ऊर्जा निकाल ली हो
- काम पर फोकस कम होना इसका एक प्रमुख लक्षण है
- काम करते समय निगेटिव महसूस करना
- काम करने की क्षमता कम होने का मतलब है कि बर्नआउट आप पर हावी हो रहा
- भूख का कम होना और काम को लेकर चिंता में नींद ना आना भी इसका एक लक्षण है
- बात-बात पर चिढ़ना या झुंझलाना भी इसका एक लक्षण हैं
और पढ़ें- कैसे स्ट्रेस लेना बन सकता है इनफर्टिलिटी की वजह?
[mc4wp_form id=’183492″]
कैसे बचें बर्नआउट सिंड्रोम से?
बर्नआउट सिंड्रोम से बचाव करने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं, जैसेः
अपने विकल्पों के बारे में सोचें
ऑफिस में किसी के साथ अपने काम की चिंता पर चर्चा करें। हो सकता है कि आप जिन चीजों को लेकर परेशान हैं, उसे कम करने के लिए कुछ रास्ता निकल जाए। लक्ष्य निर्धारित करने का प्रयास करें कि क्या तुरंत करना है या इसके लिए इंतजार किया जा सकता है।
सर्पोट ले सकते हैं
आप चाहें, तो ऑफिस सहकर्मियों, दोस्तों और अपने परिवार वालों से बात करें, इनका सहयोग आपको परेशानी का सामना करने में मदद कर सकता है। अगर आपके ऑफिस में एम्पलोय हेल्प डेस्क है, तो इससे संबंधित सेवाओं का लाभ उठाएं।
रिलेक्सिंग एक्टिविटी करें
ऐसी एक्टिविटीज में खुद को एनरोल करें, जो तनाव से निपटने में मदद कर सकती हैं जैसे योग, मेडिटेशन और स्वीमिंग।
थोड़ी एक्सरसाइज करें
नियमित शारीरिक गतिविधि आपको तनाव से बेहतर तरीके से निपटने में मदद कर सकती है। यह आपके दिमाग को कुछ समय के लिए काम से दूर कर और रिफ्रेश कर सकता है।
नींद लें
अच्छी नींद बहुत सी समस्याओं का समाधान है और आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है।
और पढ़ें- चिंता और तनाव को करना है दूर तो कुछ अच्छा खाएं
अगर बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षणों को देरी से पहचाने के क्या परिणाम हो सकते हैं?
कोशिश करें कि आप बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षणों की पहचान समय रहते ही कर लें। नहीं तो यह भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का भी कारण बन सकता है, जैसेः
- बहुत अधिक तनाव लेना
- हमेशा थकान महसूस करना
- अनिद्रा की समस्या होना
- हमेशा दुःखी रहना
- बहत जल्दी क्रोध आना
- स्वाभाव का चिड़चिड़ा होना
- शराब की आदत लगना
- दिल की बीमारी होना
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होना
- डायबिटीज टाइप 2
- इम्यूनिटी घटना जिसके कारण आपका शरीर बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बर्नआउट सिंड्रोम को ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ के साथ इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (ICD-11) में जोड़ा है। यह घोषणा जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा में की गई थी। इस आयोजन में WHO के 194 सदस्य देश हैल्थ हैंडबुक के 11 वें संशोधन के लिए 20 से 28 मई तक एक साथ आए थे।
क्या चिकित्सीय तौर पर बर्नआउट सिंड्रोम का उपचार किया जा सकता है?
चिकित्सीय तौर पर आपके बर्नआउट सिंड्रोम का उपचार करने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट पहले इसके लक्षणों का निदान कर सकते हैं। इसके लक्षणों का निदान करने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाने की सलाह दे सकते हैंः
और पढ़ें- 4-7-8 ब्रीदिंग तकनीक, तनाव और चिंता दूर करेंगी ये एक्सरसाइज
सेल्फ असेसमेंट
बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षणों की पहचान करने के लिए डॉक्टर आपसे निजी तौर पर कुछ सवाल-जवाब कर सकते हैं। यह सवाल-जबाव किसी एक्सपर्ट की देखरेख में ही किए जाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान एक्सपर्ट द्वारा आपके लिए तैयार किए गए कुछ सवाल पूछे जा सकते हैं। जिसके जवाबों के आधार पर वे आपके लक्षणों को पहचानने की कोशिश करते हैं। इस प्रश्नावली को मेडिकल भाषा में “मस्लाच बर्नआउट इन्वेंटरी’ (एमबीआई) कहा जाता है, जो विभिन्न पेशेवर समूहों के लिए भी उपलब्ध है। हालांकि, यह प्रश्नावली मूल रूप से रिसर्च के उद्देश्यों के लिए विकसित की गई थी, डॉक्टरों द्वारा उपयोग के लिए नहीं। लेकिन, उपचार के लिहाज से अब डॉक्टर्स भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस प्रश्नावली के तौर पर डॉक्टर्स यह भी पता करने की कोशिश करते हैं कि आप में दिखाई देने वाले लक्षणों की असल वजह क्या हो सकती है।
अगर आपके लक्षणों में बर्नआउट सिंड्रोम का निदान किया जाता है, तो डॉक्टर आपको साइकोथेरिपी की सलाह दे सकते हैं। साथ ही, आपके स्ट्रेस लेवल को कम करने के लिए वे आपको उचित दवाओं के सेवन की भी सलाह दे सकते हैं।
हालांकि, आपको अपने बर्नआउट के लक्षणों का निदान और उपचार कराने से पहले अपने डॉक्टर से भी संपर्क करना चाहिए। क्योंकि, सामान्य तौर पर, कुछ तरह की मानसिक स्थितियों के कारण भी आप थकान महसूस कर सकते हैं। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
कैसे समझें बर्नआउट सिंड्रोम और डिप्रेशन के लक्षणों में फर्क?
यहां पर कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो बर्नआउट सिंड्रोम और डिप्रेशन के दौरान भी देखें जा सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- अत्यधिक थकावट महसूस करना
- उत्साह में कमी महसूस करना
- कार्य करने का प्रदर्शन प्रभावित होना।
यहां कुछ लक्षण हैं, जो विशेष तौर पर बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षणों को दर्शा सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः
- आत्म सम्मान में कमी महसूस करना
- खुद को हारा और बेकार हुआ समझना
- मन में आत्मघाती विचार आना, जैसे आत्महत्या के बारे में सोचना
अगर आपको निम्न से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।