राज्य के किन-किन जिलों में अब तक इस वायरस के लक्षण देखे जा चुके हैं, इसके बारे में भी राज्य के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया ने रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, उनके इलाज के लिए सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी भी जानकारी उन्होंने मांगी है।
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कोंगो वायरस का ट्रांसमिशन कैसे होता है?
डबल्यूएचओ (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक कोंगों वायरस जूं और जानवरों से मनुष्य को और फिर मनुष्य से मनुष्य में फैलता है। इसी की वजह से कोंगो (CCHF) बुखार फैलता है। इस बुखार से मौत होने की संभावना 10 से 40 प्रतिशत के बीच रहती है। कोंगो वायरस का ट्रांसमिशन संक्रमित जानवरों के ब्लड, टिशू के संपर्क में आने से हो सकता है। ट्रांसमिशन की संभावना उन लोगों में ज्यादा बढ़ जाती है, जो लोग पशुपालन करते हैं। साथ ही बूचड़खाने में (slaughter) में काम करने वाले लोगों में भी इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। जब ये बीमारी किसी व्यक्ति को हो जाती है तो फिर अन्य व्यक्ति को भी संक्रमित व्यक्ति से खतरा रहता है। ब्लड के साथ कॉन्टैक्ट या फिर बॉडी फ्लूड के साथ कॉन्टैक्ट होने पर ये संक्रमण फैलना शुरू हो जाता है। कई बार स्टेरिलाइजेशन प्रॉपर न होने पर भी इस संक्रमण के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
CCHF वायरस संक्रमण : गुजरात और राजस्थान में क्या हुआ?
गुजरात और राजस्थान में कई लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। गंभीर स्थिति को देखते हुए गुजरात सरकार ने 20 अगस्त को ही खून के 58 सैम्पल्स NIV में भेजे थे जिनमें से आठ सैम्पल्स में कोंगो वायरस पाया गया था। इनमें से कुछ की मौत हो चुकी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी (National Institute of Virology) ने इस बात की पुष्टि की है। वही जोधपुर से भी इस वायरस के फैलने की खबरें सामने आईं।
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