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Congo Virus (कोंगो वायरस) : राजस्थान और गुजरात में बढ़ा मौत का आंकड़ा

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Suniti Tripathy द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/08/2020

    Congo Virus (कोंगो वायरस) : राजस्थान और गुजरात में बढ़ा मौत का आंकड़ा

    बारिश की वजह से पहले ही मलेरिया और डेंगू जैसे बीमारियां देश में पैर पसारे हुई हैं वहीं अब एक नई बीमारी ने देश के दो राज्यों में कोहराम मचा दिया है। गुजरात और राजस्थान में कोंगो वायरस (Congo Virus) के फैलने की पुष्टि हुई है। इसकी वजह से अबतक तीन जानें जा चुकी हैं। कोंगो वायरस एक तरह का खतरनाक बुखार है, जो संक्रमित जूं के काटने या संक्रमित जानवर के खून के संपर्क में आने से फैलता है। अगर आप इस बीमारी के बारे में नहीं जानते हैं तो इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर क्या होता है कोंगो वायरस और इस बीमारी के बचाव के तरीके क्या हैं।

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    सरकार भी हुई गंभीर

    कोंगो वायरस जिस तेजी से राज्य में फैल रहा है उसे लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग भी गंभीर हो गया है। आयोग ने गुरुवार को एम्स, जोधपुर और एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर से क्रीमिया कोंगो हैमरेजिक फीवर (CCHF) से जुड़ी रिपोर्ट मांगी है, जिसके लिए आयोग ने उन्हें 23 सिंतबर का समय दिया है। रिपोर्ट में कॉलेज के अधिकारियों को राज्य में हुई मौतों की सारी जानकारी देनी होगी।

    राज्य के किन-किन जिलों में अब तक इस वायरस के लक्षण देखे जा चुके हैं, इसके बारे में भी राज्य के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया ने रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, उनके इलाज के लिए सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी भी जानकारी उन्होंने मांगी है।

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    कोंगो वायरस का ट्रांसमिशन कैसे होता है?

    डबल्यूएचओ (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक कोंगों वायरस जूं और जानवरों से मनुष्य को और फिर मनुष्य से मनुष्य में फैलता है। इसी की वजह से कोंगो (CCHF) बुखार फैलता है। इस बुखार से मौत होने की संभावना 10 से 40 प्रतिशत के बीच रहती है। कोंगो वायरस का ट्रांसमिशन संक्रमित जानवरों के ब्लड, टिशू के संपर्क में आने से हो सकता है। ट्रांसमिशन की संभावना उन लोगों में ज्यादा बढ़ जाती है, जो लोग पशुपालन करते हैं। साथ ही बूचड़खाने में (slaughter) में काम करने वाले लोगों में भी इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। जब ये बीमारी किसी व्यक्ति को हो जाती है तो फिर अन्य व्यक्ति को भी संक्रमित व्यक्ति से खतरा रहता है। ब्लड के साथ कॉन्टैक्ट या फिर बॉडी फ्लूड के साथ कॉन्टैक्ट होने पर ये संक्रमण फैलना शुरू हो जाता है। कई बार स्टेरिलाइजेशन प्रॉपर न होने पर भी इस संक्रमण के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

    CCHF वायरस संक्रमण : गुजरात और राजस्थान में क्या हुआ?

    गुजरात और राजस्थान में कई लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। गंभीर स्थिति को देखते हुए गुजरात सरकार ने 20 अगस्त को ही खून के 58 सैम्पल्स NIV में भेजे थे जिनमें से आठ सैम्पल्स में कोंगो वायरस पाया गया था। इनमें से कुछ की मौत हो चुकी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी (National Institute of Virology) ने इस बात की पुष्टि की है। वही जोधपुर से भी इस वायरस के फैलने की खबरें सामने आईं।

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    माता-पिता से बच्चों को फैल सकती है ये बीमारी?

    रिपोर्ट्स से पता चला है कि ये बीमारी माता-पिता से बच्चों में भी फैल सकती है। इसके साथ ही छोटे जानवरों और जूं की वजह से यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है।

    राजस्थान में एक पिता में कोंगो वायरस होने की वजह से बच्चों में भी संक्रमण फैल गया। संक्रमण का पता चलते ही बच्चों को अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनमें तेज बुखार और सिर दर्द के लक्षण पाए गए। हालांकि, डॉक्टर्स की सूझबूझ की वजह से बच्चों की हालत में सुधार आ गया है और अब स्थिति ठीक है। जोधपुर में एक्सपर्ट्स की टीम ने तुरंत आसपास के क्षेत्र की जांच शुरू कर दी है। ताकि इस बीमारी को और अधिक फैलने से रोका जा सके। ये एक कॉन्टेजियस बीमारी है इसलिए इसकी सभी जगहों पर जांच करना जरूरी है वरना इससे बहुत सारी जानें जा सकती हैं।

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    CCHF वायरस संक्रमण :  कोंगो वायरस का संक्रमण होने पर दिखने वाले लक्षण

    कोंगो वायरस का संक्रमण अधिकतम 13 दिन तक रहता है। अगर कोई व्यक्ति इस वायरस के कारण संक्रमित हुआ है तो उसे निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।

  • मांसपेशियों में दर्द
  • चक्कर आना
  • पीठ में दर्द
  • आंखों में दर्द
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
  • गले में खराश
  • मतली व उल्टी का एहसास
  • डायरिया की समस्या
  • एब्डॉमिनल पेन
  • हार्ट रेट बढ़ जाना
  • उपरोक्त लक्षण दिखने पर अगर व्यक्ति का सही समय पर इलाज करवा लिया जाता है तो बीमारी कुछ दिनों बाद ठीक हो सकती है। वहीं कोंगो वायरस के संक्रमण को अगर इग्नोर कर दिया जाए तो व्यक्ति की हालत गंभीर भी हो सकती है। आप कोंगो वायरस के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं।

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    क्या है कोंगो वायरस के संक्रमण का इलाज ?

    डॉक्टर्स बताते हैं कि अबतक इसका कोई सटीक इलाज सामने नहीं आया है। हालांकि, स्थिति नियंत्रित रखने के लिए कई मरीजों में रिबैवरिन (ribavirin) वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है। आप डॉक्टर से जांच कराएं और जो दवा आपको डॉक्टर दें, उसका समय पर सेवन करें।

    कोंगो वायरस के संक्रमण का निदान

    CCHF वायरस संक्रमण को डायग्नोज विभिन्न प्रकार की प्रयोगशालाओं में टेस्ट के जरिए किया जाता है।

    • एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट, एलिसा (enzyme-linked immunosorbent assay, ELISA)
    • एंटीजन डिटेक्शन (antigen detection)
    • सीरम न्यूट्रिलाइजेशन (serum neutralization)
    • रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पोलीमरेज चेन रिएक्शन ( reverse transcriptase polymerase chain reaction,RT-PCR)
    • वायरस आइसोलेशन बाई सेल कल्चर (virus isolation by cell culture)

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    CCHF वायरस संक्रमण :   क्या हैं बचाव के तरीके ?

    • शरीर को ढ़कने वाले कपड़े पहनें।
    • संक्रमण से प्रभावित जगह पर होने पर हलके रंग के कपड़े पहनें जिससे टिक्स को आसानी पहचाना।
    • त्वचा पर रेपेलेंट इस्तमाल करें।
    • अपने कपड़ों पर टिक्स न होने दें।
    • घर पर नॉनवेज खाना खाते समय या पकाते समय खास ख्याल रखें।
    • संक्रमित जगह और संक्रमित मरीज के पास होने पर ग्लव्स जरूर पहनें।
    • अगर आपके घर में संक्रमित व्यक्ति है तो बेहतर होगा कि आप उसकी देखभाल के समय बहुत सावधानी रखें।
    • अगर आप पशुपालन कर रहे हैं तो इस संक्रमण से बचने के लिए आपको हाथों में ग्लव्स के साथ ही अतिरिक्त सावधानी की भी जरूरत पड़ेगी।
    • जानवरों को छूने के बाद हाथों की सफाई अच्छे से करें।
    • घर पर आने पर हाथों की सफाई के साथ ही कपड़ों को भी साफ करें।

    उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको लगता है कि आपको बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द की शिकायत है तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। आप अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज पर प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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