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कैंसर से किसी मरीज के दिमाग पर क्या गुजरती है?
कैंसर की वजह से जितनी पीड़ा और तनाव शरीर पर पड़ता है, उससे कहीं ज्यादा प्रेशर दिमाग पर असंतुलित भावनाओं से पड़ता है। कैंसर का ट्रीटमेंट उसकी स्टेज के आधार पर होता है, जिसमें कई हफ्तों से महीने तक लग सकते हैं। इस दौरान मरीजों को डर, उदासी, चिंता, गुस्सा और असहजता के कई भावों से रोजाना दो-चार होना पड़ता है। इसके अलावा कैंसर के इलाज के दौरान आपको अपनी अच्छी सेहत, दिखावट में स्थाई या अस्थाई नकारात्मक बदलाव, शारीरिक ताकत, पैसा, आजादी खो जाने का भी दुख रहता है। तो आइए, जानते हैं कि किसी कैंसर के मरीज को ट्रीटमेंट के दौरान किन-किन भावनाओं से गुजरना पड़ता है और उसके दिमाग पर क्या-क्या गुजरती है।
युवराज सिंह को कैंसर- शॉक
युवराज सिंह को कैंसर का पता लगने के बाद शॉक लग गया था, मतलब वह यह समझ ही नहीं पा रहे थे कि उन्हें ये बीमारी कैसे हो गई। कैंसर का पता चलने पर सबसे पहले व्यक्ति को शॉक की भावना आती है। जिसकी वजह से व्यक्ति एकदम सुन्न हो जाता है और उसे कोई भाव महसूस नहीं होता है। इस बीमारी को स्वीकार करने में लोगों को समय लगता है। लेकिन, कुछ लोग शॉक के बावजूद इस बीमारी को स्वीकार नहीं कर पाते, जिससे कैंसर के इलाज में मुश्किले आती हैं और कैंसर की बीमारी से लड़ने के लिए पर्याप्त इच्छाशक्ति नहीं कर पाते।
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डर और चिंता
युवराज सिंह को कैंसर के दौरान जैसा महसूस होता था, वैसे किसी भी मरीज को महसूस होता है। बेशक पिछले कई दशकों में कैंसर के इलाज में काफी तरक्की हुई है। लेकिन आज भी कैंसर का नाम सुनते ही लोग बुरी तरह डर जाते हैं। ये डर उन्हें कैंसर के ट्रीटमेंट, साइड इफेक्ट्स, टेस्ट रिजल्ट और कैंसर का उनकी जिंदगी पर प्रभाव से संबंधित हो सकता है। इसी डर से उन्हें अपनी जिंदगी के लिए चिंता पैदा होती है। दरअसल, चिंता या स्ट्रेस लेने पर शरीर में एड्रेनालाईन उत्पादित होता है, जो हार्ट बीट को तेज कर देता है और ब्लड प्रेशर को हाई कर देता है। इसके साथ ही आपकी सांसे तेज होने लगती हैं और हाथों में पसीना आने लगता है व मुंह सूखने लगता है। दरअसल, खतरे भांपने के बाद शरीर यह नेचुरल रिएक्शन देता है, जिससे लोग किसी अचानक आए खतरे के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं। कुछ लोगों में यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है, जबकि कुछ लोगों में यह चलती रहती है और एंजायटी का कारण बनती है। जिससे उनमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा आने की दिक्कतें होने लगती हैं।
पैनिक अटैक
कुछ लोगों में एंजायटी की वजह से पैनिक अटैक की समस्या उत्पन्न हो जाती है। यह किसी भी स्थिति की वजह से बढ़ सकती है, जैसे किसी टेस्ट को करवाते हुए या फिर किसी मेडिकल प्रोसिजर के मध्य में। इस मानसिक समस्या में व्यक्ति को सांस की दिक्कतें, तेज हृदय गति, चक्कर आना, पसीना आना, शरीर में कंपन महसूस होना, छाती में दर्द आदि के लक्षण दिखने लगते हैं। यह समस्या आमतौर पर कुछ देर बाद या वह स्थिति गुजरने जाने के बाद सामान्य होने लगती है, लेकिन कुछ लोगों में पैनिक अटैक रुक नहीं पाता और हार्ट अटैक जैसी समस्या का खतरा पैदा कर सकता है। इससे बचने के लिए आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं।