रिसर्च के अनुसार 15 प्रतिशत बच्चे एब्डॉमिनल माइग्रेन से पीड़ित होते हैं। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में यह बीमारी ज्यादा होती है। एब्डॉमिनल माइग्रेन (Abdominal Migraine) की समस्या सिर्फ 2 प्रतिशत वयस्कों में देखी जाती है। बच्चों में पहली बार यह बीमारी 2 से 10 साल की उम्र के बीच होती है। वैसे बच्चे जो एब्डॉमिनल माइग्रेन की चपेट में आ जाते हैं, उनमें बड़े होने के बाद उन्हें सिरदर्द का माइग्रेन होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। एक स्टडी के अनुसार 90 प्रतिशत बच्चों को यह बीमारी अपने भाई-बहन या माता-पिता से मिलती है। इसलिए इसे जेनेटिकल भी माना जाता है। इस आर्टिकल में समझेंगे एब्डॉमिनल माइग्रेन से जुड़ी पूरी जानकारी।
- एब्डॉमिनल माइग्रेन क्या है?
- एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण क्या हैं?
- एब्डॉमिनल माइग्रेन के कारण क्या हैं?
- एब्डॉमिनल माइग्रेन का निदान कैसे किया जाता है?
- एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज कैसे किया जाता है?
- एब्डॉमिनल माइग्रेन की तकलीफ को दूर करने के लिए क्या हैं घरेलू उपाय?
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एब्डॉमिनल माइग्रेन क्या है? (What is Abdominal Migraine?)
एब्डॉमिनल माइग्रेन बच्चों में होने वाली एक आम बीमारी है। यह माइग्रेन सिरदर्द से अलग होता है और इस बीमारी के कारण बच्चों के पेट में दर्द होता है। इससे बच्चों को बेचैनी, मितली, पेट में ऐंठन और उल्टी की समस्या होती है। एब्डॉमिनल माइग्रेन (Abdominal Migraine) की समस्या 7 से 10 साल के बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ जाती है, तो यह बच्चों के लिए गंभीर स्थिति बन सकती है। लेकिन एब्डॉमिनल माइग्रेन के शुरुआती लक्षणों को समझा जाए, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
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एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Abdominal Migraine)
पेट और पूरे शरीर में दर्द होना एब्डॉमिनल माइग्रेन का मुख्य लक्षण है। इससे मरीज को काफी बेचैनी होती है और वह सुस्त रहता है। समय के साथ ही एब्डॉमिनल माइग्रेन के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
- उल्टी होना या जी मिचलाना
- कमजोरी महसूस होना
- थकान महसूस होना
- भूख नहीं लगना
- शरीर पीला पड़ना
- आंखों के नीचे काले घेरे होना
कभी-कभी कुछ बच्चों में इसके कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और ये लक्षण कभी गंभीर तो कभी कम भी हो सकते हैं। एब्डॉमिनल माइग्रेन का अटैक अचानक आता है जो एक घंटे से लेकर तीन दिन तक रहता है। अटैक आने के बाद भी बच्चा स्वस्थ रहता है और कोई विशेष लक्षण सामने नहीं आता है। दरअसल इस बीमारी के लक्षण बच्चों के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों जैसे ही होते हैं। जिसके कारण कभी-कभी यह पता करना मुश्किल होता है कि बच्चे को कौन सी बीमारी है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
- अपच
- पाचन तंत्र कमजोर होना
- मूड बदलना
- पेट में भारीपन महसूस होना
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एब्डॉमिनल माइग्रेन के कारण क्या हैं? (Cause of Abdominal Migraine)
एब्डॉमिनल माइग्रेन का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। यह बीमारी शरीर में दो यौगिकों हिस्टामिन और सेरोटोनिन के स्तर में परिवर्तन के कारण होती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ज्यादा तनाव और चिंता भी इसके कारण हो सकते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे चॉकलेट, मोनोसोडियम ग्लूटामेट युक्त चाइनीज फूड, नाइट्राइट युक्त प्रोसेस्ड मीट ज्यादा खाते हैं, तो एब्डॉमिनल माइग्रेन होने की संभावना ज्यादा रहती है।
एब्डॉमिनल माइग्रेन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Abdominal Migraine)
एब्डॉमिनल माइग्रेन के उपचार के लिए डॉक्टर टेस्ट से पहले पेरेंट्स से बात करते हैं। बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री समझना चाहते हैं। इसलिए निम्नलिखित बातें पूछ सकते हैं। जैसे:
1. यदि बच्चे को अंतिम 1 से 72 घंटों के बीच कम से कम पांच बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का अटैक आया हो।
2. कम से कम दो लक्षण सामने आए हों जैसे भूख न लगना, उल्टी और शरीर पीला पड़ जाना।
3. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या या किडनी की बीमारी ना होना।
इसके बाद डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। जैसे:
- गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स (Gastroesophageal Reflux Disease), क्रोहन डिजीज, आईबीएस (IBS) और आंत में रुकावट का पता लगाने के लिए मरीज को अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है।
- पेप्टिक अल्सर, किडनी और पित्ताशय की बीमारी जानने के लिए एंडोस्कोपी करायी जाती है।
- एब्डॉमिनल माइग्रेन का निदान होने के बाद इस बीमारी का उचित इलाज शुरू किया जाता है।
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एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज कैसे होता है? (Treatment for Abdominal Migraine)
एब्डॉमिनल माइग्रेन के इलाज के लिए बच्चों को आमतौर पर वही दवाएं दी जाती है, जो माइग्रेन के सिरदर्द के लिए दी जाती हैं। पेट के माइग्रेन के लिए तीन तरह की मेडिकेशन की जाती है, जो इस प्रकार हैं:
- पेट के दर्द को कम करने के लिए इबुप्रोफेन (Ibuprofen) या एसिटामिनोफेन (Acetaminofen) दवाएं दी जाती हैं।
- ट्रिप्टेन माइग्रेन ड्रग्स जैसे सुमाट्रिप्टान (Sumantrite) और गीलेमट्रेपैन (Gelemtrepain) आदि दवाएं माइग्रेन का अटैक आने के तुरंत बाद छह साल तक के बच्चों को दी जाती हैं। यह दवा एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षणों को कम करती है।
- मस्तिष्क में केमिकल को ब्लॉक करने के लिए उल्टी रोकने की दवा दी जाती है।
- साइप्रोहेप्टाडिन (Cyproheptadine)
- प्रोप्रानोलोल (Propranolol)
इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि बच्चा पर्याप्त नींद ले और नियमित दिन में कई बार तरल पदार्खाथ और भोजन ले। यदि बच्चे को उल्टी होती है तो उसे अतिरिक्त फ्लुइड दें ताकि डिहाइड्रेशन ना हो।
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एब्डॉमिनल माइग्रेन की तकलीफ को दूर करने के लिएक्या क्या हैं घरेलू उपाय? (Home remedies for Abdominal Migraine)
अगर बच्चे को एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत रहती है, तो आपके डॉक्टर कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, चाय, कॉफी और चॉकलेट से परहेज करने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही बच्चे को पर्याप्त एक्सरसाइज करने के लिए भी कहा जा सकता है। फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर डायट लेने से इस तकलीफ से बचा जा सकता है। इसलिए बच्चे के डायट में ये आहार जरूर शामिल करें।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
डॉक्टर को कब कंसल्ट करना चाहिए?
निम्नलिखित परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करने में देरी ना करें। अगर-
- बच्चे को उल्टी हो रहा हो
- अत्यधिक कमजोरी महसूस होना
- बच्चे का हमेशा थका हुआ महसूस करना
- भूख नहीं लगना
- शरीर पीला पड़ना
- आंखों के नीचे काले घेरे होना
अगर बच्चे की ऐसी स्थिति हो रही है, तो डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।
अगर आप एब्डॉमिनल माइग्रेन (Abdominal Migraine) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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