वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) एक डिवाइस है जिसका उपयोग पेल्विक एग्जामिनेशन (Pelvic examination) के दौरान किया जाता है। बतख की चोंच जैसे शेप वाली यह डिवाइस मेटल या प्लास्टिक की बनी होती है। पेल्विक एग्जामिनेशन के समय इस डिवाइस को वजायना में इंसर्ट करके ओपन किया जाता है। डॉक्टर्स वजायनल स्पैकुलम का उपयोग वजायनल वॉल को ओपन करने के लिए करते हैं। वजायनल स्पैकुलम कई साइज में उपलब्ध होता है। साइज का चयन उम्र और वजायना की चौड़ाई के आधार किया जाता है। जरूरी होने पर डॉक्टर इस टेस्ट के दौरान ही कुछ सेल्स को पेप स्मीयर टेस्ट (Pap smear test) के लिए कलेक्ट करते हैं। इस डिवाइस की मदद से डॉक्टर्स वजायना और सर्विक्स (Cervix) के अंदर आसानी से देख पाते हैं। वजायनल स्पैकुलम के बिना पेल्विक एग्जाम उचित प्रकार से नहीं किया जा सकता।
पेल्विक एग्जाम (Pelvic Exam) क्यों किया जाता है?
पेल्विक एग्जाम रिप्रोडक्टिव सिस्टम की हेल्थ के बारे में पता करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह किसी प्रकार की कंडिशन या प्रॉब्लम के लक्षणों का पता लगाने में भी मददगार है। पेल्विक एग्जाम अक्सर ब्रेस्ट, एब्डोमिनल या बैक एग्जाम के साथ किया जाता है। वहीं कई बार सिर्फ इस एग्जाम को ही कराने की जरूरत भी पड़ सकती है। प्रेग्नेंसी प्लानिंग और प्रेग्नेंसी के दौरान इस एग्जाम को कई बार किया जा सकता है। साथ ही पेल्विक एरिया में दर्द होने पर भी यह एग्जाम परफॉर्म किया जाता है। पेल्विक एग्जाम कुछ मिनटों में ही संपन्न हो जाता है।
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पेल्विक एग्जाम की प्रक्रिया (Pelvic Exam Process)
क्लिनिक या हॉस्पिटल में पहुंचने के बाद पेल्विक एग्जामिनेशन (Pelvic examination) के पहले डॉक्टर अंडरगारमेंट्स निकालने के लिए कहते हैं और आपकी लोअर बॉडी को एक शीट से कवर कर देते हैं। इसके बाद जरूरत होने पर वे वजायना के बाहर की तरफ किसी प्रकार की सूजन, स्वेलिंग तो नहीं देखेंगे।
- इसके बाद वे स्पैकुलम का यूज करके इंटरनल एग्जामिनेशन करेंगे।
- इस दौरान वजायना (Vagina) और सर्विक्स (Cervix) की जांच की जाएगी।
- स्पैकुलम को वजायना के अंदर इंसर्ट करने से पहले इस पर लुब्रिकेंट (Lubricant) का उपयोग किया जाता है।
यूटेरस या ओवरीज में किसी प्रकार की असमानता होने पर उसका निरीक्षण बाहरी एग्जामिनेशन से नहीं किया जा सकता है। इसलिए इंटरनल पेल्विक एग्जामिनेशन जरूरी होता है। कई बार डॉक्टर्स एक हाथ पर ग्लोव पहनकर और उस पर लुब्रिकेंट लगाकर अपनी फिंगर्स भी वजायना के अंदर डालते हैं और दूसरे हाथ का उपयोग लोअर एब्डोमेन को प्रेस करने के लिए करते हैं। जिससे पेल्विक एरिया में होने वाली किसी प्रकार की ग्रोथ या टेंडरनेस (Tenderness) का पता चलता है।
इस प्रकार पेल्विक एग्जाम की प्रक्रिया संपन्न होती है। पेल्विक एग्जाम पेनफुल नहीं होता। हालांकि इस दौरान थोड़ी अहसजता जरूर होती है। महिलाओं के लिए जरूरी है कि पेल्विक एग्जाम से पहले वजायनल हायजीन को मेंटेन करें। चाहे तो प्यूबिक हेयर्स को ट्रिम या क्लीन कर लें।
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पेल्विक एग्जाम (Pelvic Examination) के दौरान निम्न ऑर्गन्स की जांच की जाती है।
- वल्वा (Vulva) (एक्टर्नल जेनिटल ऑर्गन्स)
- यूटेरस (Uterus) (गर्भाशय)
- सर्विक्स (Cervix) (यूटेरस की तरफ खुलने वाली जगह)
- फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian tubes) (ऑर्गन जो एग्स को प्रोड्यूस करते हैं)
- ब्लैडर (Bladder) (सेक हो यूरिन को होल्ड करके रखता है)
- रेक्टम (Rectum) (चैम्बर जो कोलन से एनस से कनेक्टेड होता है)
वजायनल स्पैकुलम का उपयोग (Uses of vaginal speculum)
वजायनल स्पैकुलम का उपयोग पेल्विक एग्जाम अलावा निम्न प्रॉसीजर में भी किया जाता है।
पेप टेस्ट या पेप स्मीयर्स (Pap Tests or Pap Smears)
पेप स्मीयर टेस्ट सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए रिकमंड किया जाता है। अक्सर डॉक्टर इसे एनुअल टेस्ट में रिकमंड करते हैं। हालांकि इस टेस्ट की जरूरत 21 साल से कम उम्र की महिलाओं को नहीं होती है। अगर किसी महिला की उम्र 30 साल है और उसने नॉर्मल तीन पेप टेस्ट करवा लिए हैं तो वह डॉक्टर से 5 साल में एक बार इस टेस्ट को करवाने के बारे में पूछ सकती है। पेप स्मीयर टेस्ट में अगर सर्विक्स में किसी प्रकार के असामान्य बदलाव नजर आते हैं तो कोलपोस्कॉपी (Colposcopy) किया जाता है। यह भी एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है जिसमें डॉक्टर सर्विक्स को और पास से देखते हैं।
पेप स्मीयर टेस्ट का प्रॉसेस (Pap Smear Process) भी पेल्विक एग्जाम की तरह ही होता है। बस इसमें डॉक्टर लुब्रिकेटेड वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) इंसर्ट करके एक ब्रश या स्बैव का उपयोग करके सर्विक्स से सैंम्पल सेल कलेक्ट कर लेते हैं। यह प्रॉसेस जेंटली की जाती है। कई महिलाओं को इस दौरान किसी प्रकार का सेंसेशन नहीं होता वहीं कुछ माइल्ड डिसकंफर्ट हो सकता है। सैम्पल लेने के बाद वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) को बाहर निकाल लिया जाता है।
इस दौरान मसल्स को जितना हो सके उतना रिलैक्स रखने की कोशिश की जानी चाहिए। इसके लिए डीप ब्रीदिंग करना सही होगा। यह वजायनल मसल्स को रिलैक्स रखने में मददगार हेागी और एग्जाम में डिसकंफर्ट नहीं होगा। डिसकंफर्ट टेंस्ड मसल्स के कारण होता है।
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वजायनल हिस्टेरेक्टॉमी (Vaginal Hysterectomies)
वजायनल हिस्टेरेक्टॉमी में भी वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) का उपयोग किया जाता है। बता दें कि हिस्टेरेक्टॉमी को कई तरह से परफॉर्म किया जाता है। वजायनल हिस्टेरेक्टॉमी में यूटेरस और सर्विक्स को पेट के बजाय योनि के माध्यम से हटा दिया जाता है।
डायलेशन एवं क्यूरेटेज (Dilation & Curettage (D&C)
इस प्रॉसेस में भी वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) का उपयोग होता है। प्रॉसेस के दौरान सर्विक्स डायलेटेड होता है। टिशूज को यूटेरस के इनर लाइनिंग से हटा दिया जाता है। गर्भपात के अलावा डीएनसी का उपयोग फायब्रॉइड्स या इंफेक्टेड टिशूज को हटाने के लिए भी किया जाता है।
आईयूआई (Intrauterine Insemination (IUI)
इंट्रायूटेराइन इंसेमिनेशन के दौरान भी वजायनल स्पैकुलम का यूज होता है। यह एक ऐसी प्रॉसेस है जिसमें स्पर्म को यूटेरस में प्लेस कर दिया जाता है ताकि एग के फर्टिलाइज होने की संभावना को बढ़ाया जा सके।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)
इस प्रॉसेस में भी वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) की मदद ली जाती है। यह एक असिस्टिव रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी है जिसमें भ्रूण को यूटेरस में प्लेस किया जाता है।
इंट्रायूटेराइन डिवाइस प्लेसमेंट (Intrauterine Device (IUD) Placement)
इंट्रायूटेराइन डिवाइस प्लेसमेंट की प्रक्रिया में टी शेप डिवाइस को यूटेरस के अंदर इंसर्ट किया जाता है ताकि प्रेग्नेंसी को रोका जा सके। इस प्रॉसेस में भी वजायनल स्पैकुलम का उपयोग होता है। आईयूडी बर्थ कंट्रोल का लॉन्ग टर्म मेथड है।
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वजायनल स्पैकुलम उपयोग के कुछ रिस्क हैं क्या? (Vaginal speculum risk)
वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) उपयोग रिस्क न के बराबर होंगे अगर स्पैकुलम स्टेराइल (sterile) होगा। बस इसके उपयोग से थोड़ा बहुत डिसकंफर्ट हो सकता है। अगर आपको इस दौरान दर्द होता है तो डॉक्टर छोटे स्पैकुलम का यूज कर सकता है।
वजायनल स्क्रीनिंग (Vaginal screening) क्यों जरूरी है?
जिन महिलाओं में कोई संकेत या लक्षण नहीं होते उनमें वजायनल या वल्वर कैंसर का परीक्षण करने का कोई इससे सरल और विश्वसनीय तरीका नहीं है। स्क्रीनिंग उसे कहते हैं जब लक्षण दिखाई देने से पहले किसी बीमारी का पता लगाने के लिए किसी प्रकार टेस्ट किया जाता है। कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट तब प्रभावी होते हैं जब वे बीमारी का जल्दी पता लगा लेते हैं, जिससे अधिक प्रभावी उपचार हो सकता है।
वहीं डायग्नोस्टिक टेस्ट का उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति किसी बीमारी के लक्षण होते हैं। इन टेस्ट का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि लक्षणों का कारण क्या है। डायग्नोस्टिक टेस्ट का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की जांच के लिए भी किया जा सकता है जिसे कैंसर होने का रिस्क है।
निम्न बातों का ध्यान हमेशा रखें
- अपने शरीर पर ध्यान दें।
- यदि आप अपने शरीर में कोई भी परिवर्तन देखते हैं जो आपके लिए सामान्य नहीं है और जो वल्वर या योनि कैंसर (Vaginal cancer) का संकेत हो सकता है, तो अपने डॉक्टर से उनके बारे में बात करें और संभावित कारणों के बारे में पूछें।
- चेकअप के लिए नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाएं। पेल्विक एरिया में किसी प्रकार का दर्द या सूजन होने पर डॉक्टर से जांच कराएं। जरूरी नहीं कि यह कैंसर का ही संकेत हो, लेकिन समय पर जांच होने पर ट्रीटमेंट अच्छा काम करता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको वजायनल स्पैकुलम (Vaginal speculum) और वजायनल स्क्रीनिंग से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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