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कैसे होता है कुपोषण का इलाज, जानें बीमारी से जुड़े लक्षण और बचाव

कैसे होता है कुपोषण का इलाज, जानें बीमारी से जुड़े लक्षण और बचाव

पौष्टिक भोजन हर किसी के लिए जरूरी होता है, यदि नियमित आहार का सेवन न करें और पौष्टिक खाद्य पदार्थ का सेवन न करें तो उसके कारण कई प्रकार की बीमारी हो सकती है, जिसमें सबसे पहला नाम कुपोषण का आता है। बच्चों से लेकर बड़ों में यह बीमारी देखने को मिलती है। कुपोषण का इलाज या फिर वैसे किसी का इलाज जिसमें न्यूट्रीशन की कमी इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को इस कारण कुपोषण की बीमारी हुई है। उसके बाद ही कुपोषण को रोकने के उपाय तलाशे जाते हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को घर पर ही रहकर डायटिशियन या फिर किसी हेल्थ केयर एक्सपर्ट से सलाह लेकर उसे अपनाने की सलाह दी जाती है। अमूमन ज्यादातर मामलों में एक्सपर्ट की राय के अनुसार खानपान पर ध्यान देकर बीमारी से निजात पाया जा सकता है, लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टरी सलाह की जरूरत पड़ सकती है।

कुपोषण का इलाज करने के दौरान एक्सपर्ट की राय के अनुसार ही भोजन को खाना व उसे छोड़ना चाहिए। यदि आप इन तरीकों को नहीं अपना पाते तो ऐसे में आपको मेडिकल गाइडलाइन को अपनानी चाहिए।

बच्चों में एक्यूट मालन्यूट्रिशन का इलाज करने के लिए डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन

डब्ल्यूएचओ ने कुपोषण से विश्वभर में पीड़ित करीब 20 मीलियन बच्चों के इलाज के लिए खास गाइडलाइन जारी की है। बच्चे के शरीर में तरल के कारण फूला हुआ सूजन जैसा दिखता है तो इसके द्वारा इलाज किया जाता है। ऐसा उस स्थिति में होता है जब नवजात को एनर्जी युक्त, प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रीएंट्स उसे खाद्य पदार्थों के जरिए नहीं मिलते हैं। ऐसा अन्य शारिरिक समस्याओं जैसे रिकरेंट इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए एक्सपर्ट हाथ की गोलाई को नापकर करते हैं। यदि हाथ की गोलाई 115 एमएम से कम है, या बच्चे का वजन और हाइट उसके तय उम्र के हिसाब से कम होता है तो उस स्थिति में कुपोषण का इलाज कराना काफी अहम हो जाता है। बता दें कि कुपोषण से ग्रसित बच्चे सामान्य की तुलना में पतले दिखाई देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिंदा रहने के लिए वो शरीर के फैट और मसल्स का इस्तेमाल करते हैं, इसके पीछे वजह यह है कि उन्हें खाद्य सामग्री के द्वारा पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।

सप्लीमेंट और खानपान में बदलाव

कुपोषण का इलाज करने के लिए डायटिशियन आपको खानपान में बदलाव करने की नसीहत देती हैं इससे बीमारी से बचा जा सकता है। कुपोषण रोकने के उपाय की बात करते हुए डायटिशियन आपको पौष्टिक आहार की लिस्ट तैयार कर देंगे, जिससे आपको यह पता चलेगा कि आपको क्या और कब खाना है वहीं कितनी मात्रा में सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होगा।

कुपोषण का इलाज करने के लिए डायटिशियन के सुझाव :

  • स्वस्थ रहने के लिए बैलेंस डायट पर जोर
  • वैसे खाद्य पदार्थ जिनमें अतिरिक्ट न्यूट्रीएंट्स हो
  • ऐसे ड्रिंक का सेवन करें जिनमें काफी मात्रा में कैलोरी हो
  • घर में ही सुपरमार्केट से जो चाहे मंगा सकें

बावजूद इसके यह तमाम निर्देश कुपोषण का इलाज करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक्सपर्ट आपको सप्लीमेंट के साथ अतिरिक्त न्यूट्रीएंट्स लेने की सलाह दे सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप कुपोषण रोकने के उपाय को तलाशने के लिए हमेशा किसी एक्सपर्ट की ही मदद लें। नहीं तो आपकी सेहत को खतरा हो सकता है।

बच्चों में कुपोषण के बारे में लखनऊ डफरिन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यदि एक बार आपने कुपोषण का इलाज के लिए डायट प्लान शुरू कर दिया तो उस स्थिति में समय-समय पर डायटिशिन के संपर्क में बनें रहें, ताकि अपने शरीर में न्यूट्रिएंट्स की मात्रा को बढ़ाया जा सके। एक्सपर्ट यदि समय समय पर आपके खानपान के कारण शरीर पर होने वाले इफेक्ट पर ध्यान देगा तो उस स्थिति में कुपोषण का निवारण जल्द से जल्द कर सकते हैं। इाके अलावा ऑक्यूपेशन थेरेपी के तहत कुपोषण का निवारण संभव है। व्यक्ति की दिनचर्या को ध्यान देकर बीमारी का इलाज करना चाहिए।

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ट्यूब के जरिए पौष्टिक आहार पहुंचाना

वैसी स्थिति में जब कोई व्यक्ति खाना खाने में असमर्थ हो वहीं शारिरिक रूप से पूरी तरह कमजोर हो उस स्थिति में कुपोषण का इलाज करने के लिए ट्यूब के जरिए शरीर में पौष्टिक आहार पहुंचाया जाता है। इसे फीडिंग ट्यूब भी कहा जाता है। स्वैलोविंग डिस्फेजिया (swallowing (dysphagia) की बीमारी होने पर कुपोषण का निवारण इसी प्रकार किया जाता है। वहीं ऐसा कर भी किया जाता है इलाज:

  • नाक के जरिए ट्यूब लगाकर (नेसोगेस्ट्रिक ट्यूब – nasogastric tube) सीधे पेट में डाला जाता है, वहीं इसके जरिए कुपोषण का निवारण किया जाता है।
  • पेट के ऊपरी सतह को काटकर ट्यूब को सीधे स्टमक में पहुंचा दिया जाता है, इसे परक्यूटेनियस एंडोस्कोपिक गैस्ट्रोनॉमी (percutaneous endoscopic gastrostomy) कहा जाता है।
  • वहीं न्यूट्रीशन युक्त तरल को सीधे नसों के जरिए खून की मदद से शरीर में पहुंचाया जाता है। जिसे पेरेंटेरल न्यूट्रीशन भी कहा जाता है।

सामान्य तौर पर इस प्रकार की ट्रीटमेंट अस्पतालों में की जाती है, लेकिन यदि मरीज ठीक रहा तो उसका इलाज इस प्रकार से घर पर ही किया जाता है।

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कुपोषण से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा प्यार और सपोर्ट की जरूरत

वैसे तो हर बीमारी व्यक्ति को एक्सट्रा केयर और सपोर्ट की जरूरत होती है, वहीं परिवार वालों के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है कि उन्हें सपोर्ट दिया जाए। ऐसे में कुपोषण का निवारण तभी संभव है जब बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल के साथ उसे सपोर्ट किया जाए। ताकि वो इस बीमारी से जल्द से जल्द निजात पा सके। इसलिए जरूरी तथ्यों पर एक नजर :

  • कुपोषण का इलाज तभी संभव है यदि कोई खुद से खाना बनाने में असमर्थ है तो उसके परिवार या फिर परिचय के लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि उसके घर पर जाकर खाना बना दें, घर तक खाना पहुंचा दें।
  • ऑक्यूपेशन थेरेपी के तहत कुपोषण का निवारण संभव है। व्यक्ति की दिनचर्या को ध्यान देकर बीमारी का इलाज करना चाहिए।
  • कुपोषण से पीड़ित व्यक्ति के घर पर मील ऑन व्हील्स के सहारे यदि खाना पहुंचाया जाए तो कुपोषण का निवारण संभव है। ऐसा कर कुपोषण का इलाज किया जा सकता है।
  • एक्सपर्ट की मदद लेकर क्या खाना है और कितनी मात्रा में खाना है इन बातों पर ध्यान देकर बीमारी में सुधार किया जा सकता है।

बेहद ही खतरनाक बीमारी है कुपोषण

कुपोषण का इलाज न किया गया तो उसके कारण मौत हो सकती है। बता दें कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में आधे से ज्यादा की मौत सिर्फ कुपोषण के कारण हो जाती है। कुछ इंफेक्शन के कारण यह बीमारी होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। बता दें कि 2019 तक विश्वभर में 21.3 फीसदी बच्चे कुपोषण की बीमारी से पीड़ित थे। जहां औसतन पांच बच्चों में एक इस बीमारी से पीड़ित पाया गया। वहीं 2000 और 2019 के आंकों की बात करें तो 2000 में जहां विश्वभर में 32.4 फीसदी बच्चे बीमारी से पीड़ित थे वहीं 2019 के आते आते 21.3 फीसदी बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं 199.5 मीलियन बच्चों से घटकर 144 मीलियन पर यह आंकड़ा पहुंच गया, इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज भी विश्वभर में कुपोषण बड़ी चुनौती है। वहीं साउथ एशिया में रहने वाले पांच बच्चों में से दो बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हैं।

वहीं ओवरवेट की बात करें तो 2019 में मीडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका में सबसे ज्यादाबच्चे ओवरवेट से ग्रसित पाए गए। इनमें करीब 11 फीसदी बच्चों में मोटापा देखा गया। वहीं सबसे कम यदि कहीं ओवरवेट की समस्या देखने को मिली तो वह साउथ एशिया है, जहां सिर्फ 2.5 फीसदी बच्चों में ही ओवरवेट की समस्या देखने को मिली।

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बच्चों में कुपोषण का इलाज

बच्चों में कुपोषण का इलाज तभी किया जाता है जब कोई बच्चा लंबे समय में शारिरिक बीमारी से जूझ रहा हो, इस कारण पौष्टिक आहार न मिलने के कारण शारिरिक रूप से कमजोर हो गया हो, तभी इलाज किया जाता है। ट्रीटमेंट या कुपोषण रोकने के उपाय में इनको किया जाता है शामिल, देंखें :

  • खानपान में बदलाव कर जैसे खाने में हाई एनर्जी और न्यूट्रीएंट्स युक्त पौष्टिक आहार का सेवन कर
  • वैसे परिवार जो पौष्टिक आहार का सेवन नहीं कर पा रहे हैं वैसे बच्चों के परिवार को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराकर
  • कुपोषण से पीड़ित बच्चे को बेहतर डॉक्टरी सेवाएं उपलब्ध कराकर
  • विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट देकर
  • वैसे खाद्य पदार्थ जिनमें हाई एनर्जी और न्यूट्रीएंट्स शामिल हो उसका ज्यादा से ज्यादा सेवन कर कुपोषण का इलाज किया जा सकता है।

माना जाता है कि बीमारी से बच्चों में कुपोषण का इलाज करने के लिए उन्हें अच्छे खानपान के साथ देखभाल की भी जरूरत होती है। वहीं उन्हें एकाएक सामान्य डायट नहीं दी जाती, बल्कि अस्पताल में कुछ दिनों तक इलाज करने के बाद ही उन्हें अच्छी डायट दी जाती है। एक बार जब वो बीमारी से ठीक हो जाते हैं तो वो खुद ब खुद ही अच्छे से खाने का सेवन करने लगते हैं। स्थिति में सुधार आने के बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर घर पर ही पौष्टिक भोजन करने की सलाह दी जाती है। वहीं यह जरूरी है कि बीमारी का इलाज करने के लिए बीमारी से पीड़ित बच्चे को समय समय पर डॉक्टरी सलाह उपलब्ध कराई जाए। ताकि यह पता किया जा सके कि इलाज अच्छे से हो रहा है या नहीं, यदि कमी दिखती है तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है। वहीं वैसे बच्चे जिनमें किसी प्रकार का कोई असर नहीं दिखता है तो उन्हें बीमारी से संबंधित एक्सपर्ट की सलाह लेने को कहा जाता है।

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कुपोषण के होने के रिस्क फैक्टर पर एक नजर

यूनाइटेड नेशन चिल्ड्रेन्स फंड के अनुसार कुपोषण के रिस्क फैक्टर को बताया गया है। इसमें बेसिक और वैसे कारणों को बताया गया है जिसकी वजह से यह बीमारी होती है। वहीं यह तत्थ यह भी बताते हैं कि आखिर क्यों बच्चों को कुपोषण की बीमारी होती है। बच्चों में कुपोषण की बीमारी होने का कारण जहां पारिवारिक के साथ पर्यावरण, आर्थिक तंगी सहित अन्य हैं, जानें यहां :

  • नियमित मात्रा में पौष्टिक आहार न मिलने के कारण
  • अनियमित स्तनपान के कारण पौष्टिक आहार न मिलने से
  • सही तरह से भ्रूण विकसित न हो पाने की स्थिति में
  • अच्छे से साफ सफाई न रखने के कारण
  • शिशु को पालने को लेकर मां-पिता को अधिक जानकारी का न होना
  • फैमिली साइज बड़ी होने की स्थिति में
  • सही से वैक्सीनेशन न देने के कारण
  • गरीबी
  • अर्थव्यवस्था, राजनीतिक सहित प्राकृतिक कारणों के वजह से

इन तमाम वजहों से कोई भी बच्चा कुपोषण से ग्रसित हो सकता है वहीं समय पर कुपोषण का इलाज न किया जाए तो उसकी मौत हो सकती है। भारत में हुए शोध से यह भी पता चला है कि शिशु को पौष्टिक आहार दिए जाने के साथ उसे स्वच्छ पानी, साफ सफाई और हाईजीन भी मेनटेन करना चाहिए। नहीं तो यह बीमारी हो सकती है।

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Malnutrition/ https://data.unicef.org/topic/nutrition/malnutrition/ Accessed 12 May 2020

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WHO issues new guidance for treating children with severe acute malnutrition/ https://www.who.int/mediacentre/news/notes/2013/severe-acute-malnutrition-20131127/en/ Accessed 12 May 2020

Management of Severe and Moderate Acute Malnutrition in Children/ https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK361900/ Accessed 12 May 2020

 

Current Version

30/07/2021

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Niharika Jaiswal


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/07/2021

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