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फूल या घास के संपर्क में आने पर नाक बहने लगे, तो आपको हो सकती है ग्रास एलर्जी!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/05/2021

    फूल या घास के संपर्क में आने पर नाक बहने लगे, तो आपको हो सकती है ग्रास एलर्जी!

    एलर्जी कई तरह की हो सकती है। किसी व्यक्ति को किसी खास खाद्य पदार्थ से, तो किसी को धूल-मिट्टी और परफ्यूम की महक तो किसी को पेड़-पौधों से निकलने वाले पराग कणों (pollens) से भी एलर्जी होती है, जिसे ग्रास एलर्जी (Grass Allergies) या पराग कणों (pollens) से एलर्जी कहा जाता है। क्या मॉर्निंग वॉक के लिए गार्डन में जाने पर वहां पेड़-पौधों या कटी घास के संपर्क में आने पर आपकी नाक बहने लगती है या आंखों में खुजली होती है? तो समझ लीजिए की यह ग्रास एलर्जी (Grass Allergies) के कारण है। ऐसा बहुत से लोगों के साथ होता है। दरअसल, एलर्जी की वजह है पराण कणों में पाया जाने वाला प्रोटीन। पराग कणों (pollens) से एलर्जी के लक्षण और उपचार क्या है जानिए इस आर्टिकल में।

    ग्रास एलर्जी क्या है? (What is grass allergy)

    आप यदि किसी भी चीज के प्रति अतिसंवेदनशील है तो उसके संपर्क में आने या सांस के जरिए उसे अंदर लेने पर आपको एलर्जिक रिएक्शन (allergic reaction) हो सकता है। ग्रास एलर्जी (Grass Allergies) तब होती है जब किसी खास तरह के घास से निकलने वाले पराग कण सांस के जरिए आपके शरीर में प्रवेश करते हैं और इम्यून सिस्टम (immune system) उस पर हमला करता है। यदि आपको पराग कणों से एलर्जी का संदेह है, लेकिन इसका निदान नहीं हुआ है तो डॉक्टर इसका पता लगाने के लिए स्किन टेस्ट करेगा जिससे एलर्जी के कारणों का पता चलता है। एलर्जी की गंभीरता के आधार पर एलर्जेन (एलर्जी पैदा करने वाले तत्व) शरीर में अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

    पराग कणों के प्रोटीन से होती है समस्या

    पराग कण पेड़-पौधों से निकलते हैं जो ग्रास एलर्जी के लिए जिम्मेदार है इसलिए इसे पराग कणों से एलर्जी भी कहते हैं। दरअसल, पराग (pollen) में एक तरह का प्रोटीन होता है है। जिन लोगों को पराग से एलर्जी की समस्या है उनका इम्यूनस सिस्टम (Immune system) कुछ खास तरह पराग की प्रोटीन को खतरा समझने लगता है। इसलिए जब  सांस के जरिए ये पराग शरीर में पुंहचते हैं तो इम्यून सिस्टम इनसे लड़ने के लिए हिस्टामाइन (Histamine) नामक पदार्थ रिलीज करता है। हिस्टामाइन के रिलीज के कारण खून की नलियां फैल जाती हैं और उनमें से  बीमारियों से लड़ने वाली कोशिकाओं से भरा द्रव्य बहकर बाहर चला जाता है और इम्यूनिटी (Immunity) कमजोर हो जाती है। आमतौर पर, जब शरीर पर चोट लगी होती है या इंफेक्शन (Infection)  होता है, तो ये कोशिकाएं शरीर की उस जगह पर पहुंच जाती हैं और नुकसान पहुंचानेवाले तत्वों को खत्म कर देती हैं। लेकिन जिन लोगों को एलर्जी (Allergy)  होती है, पराग शरीर में जाते ही इम्यून सिस्टम उसे खतरा समझकर रिएक्ट करता है नतीजतन नाक बहने लगती है और उसमें खुजली होने लगती है, टिशू में सूजन आ जाती है और आंखों से भी पानी आने लगता है।

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    ग्रास एलर्जी के लक्षण (Grass Allergies symptoms)

    ग्रास एलर्जी या पराग कणों से एलर्जी (pollen allergy) के लक्षण तुंरत या एलर्जेन (allergen) के संपर्क में आने के कुछ समय बाद विकसित हो सकते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल है-

    • नाक बहना या नाक बंद होना (runny or stuffy nose)
    • गले, मुंह, त्वचा या आखों में खुजली (itchy throat, mouth, skin, or eyes)
    • आंखों में सूजन (puffy eyes)
    • थकान (fatigue)
    • सिरदर्द और साइनस का दबाव (headache or sinus pressure)
    • छींक आना (sneezing)
    • आंख से पानी आना (teary eyes)
    • हाइव्स (hives)
    • खांसी (coughing)

    यदि आपको सांस लेने में मामूली परेशानी है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें, लेकिन सांस लेने में यदि बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है तो तुरंत अस्पताल जाने या मेडिकल देखभाल की जरूरत है।

    आमतौर पर होने वाली ग्रास एलर्जी (Common grass allergies)

    Grass Allergies - ग्रास एलर्जी

    आपको किसी एक तरह की घास या कई तरह की घास से एलर्जी हो सकती है। ऐसे में एलर्जी से बचाव के लिए आपको इस बात की पहचाने करने की जरूरत है कि किस तरह की घास एलर्जी का कारण है। आमतौर पर पराग कणों से एलर्जी इन घासों से हो सकती है-

    • जॉनसनग्रास (Johnson grass)
    • राई ग्रास (ryegrass)
    • बरमूडा ग्रास (Bermuda grass)
    • स्वीट वर्नल ग्रास (sweet vernal grass)
    • केटंकी ब्लू ग्रास (Kentucky blue grass)
    • टिमोथी ग्रास (timothy grass)
    • ऑर्चर्ड ग्रास (orchard grass)

    ग्रास एलर्जी के कारण (Grass Allergies causes)

    ग्रास एलर्जी या पराग कणों से होने वाली एलर्जी अमेरिकी में होने वाली सबसे आम एलर्जी है। ऐसे में विशेषज्ञ इससे बचाव के लिए एलर्जेन यानी एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों से दूर रहने की सलाह देते हैं। ग्रास एलर्जी (Grass allergies) के लक्षण अक्सर बारिश के दिनों, जब बादल घिरे होते हैं या जब हवा नहीं होती है, तो कम दिखते हैं। जबकि गर्म, शुष्क मौसम और जब हवा अधिक होती है तो पराग कण (pollen) ज्यादा फैलते हैं और किसी के एलर्जी के लक्षण (allergy symptoms) बढ़ सकते हैं।

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    कब जाएं डॉक्टर के पास?

    यदि किसी व्यक्ति को इस बात पर संदेह है कि उसे ग्रास एलर्जी है तो डॉक्टर कुछ टेस्ट करके इसका पता लगाता है। घास या पराग कणों से होने वाली एलर्जी का पता लगाने के लिए डॉक्टर आमतौर पर दो टेस्ट करते हैं।

    स्किन प्रिक टेस्ट (Skin prick test)- इसमें स्किन में थोड़ा सा छेद करके एलर्जेन के तरल रूप को त्वचा में डाला जाता है। यदि व्यक्ति तो उस विशेष तत्व से एलर्जी होगी तो 15 मिनट के अंदर ही उस जगह की त्वचा पर खुजली, लाल गांठ हो जाएगी।

    खास IgE ब्लड टेस्ट (Specific IgE blood test)- इस टेस्ट में डॉक्टर आपका ब्लड सैंपल लैब में भेजता है जहां टेक्नीशियन संदेहजनक एलर्जेन (suspected allergen) के प्रति शरीर द्वारा तैयार किए गए एंटीबॉडी (antibodies) की जांच करता है।

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    ग्रास एलर्जी का उपचार (Grass allergies treatment)

    Grass Allergies - ग्रास एलर्जी

    ग्रास एलर्जी के लक्षणों को ट्रिगर करने वाले बहुत से एलर्जेन (allergens) एयरबोर्न (airborne) यानी हवा में होते हैं, इसलिए कोई व्यक्ति हमेशा इनसे बचाव नहीं कर सकता है। जिन लोगों को ग्रास एलर्जी (Grass allergies) है वह पराग कणों की संख्या पर ध्यान दे सकते हैं और जिन दिनों में इनकी संख्या अधिक हो उसके लिए तैयार कर सकते हैं। पराग कणों से होने वाली एलर्जी से पूरी तरह बचा नहीं जा सकता, लेकिन कोई व्यक्ति इसके लक्षणों को जरूर कम कर सकता है। इसके लिए निम्न तरीके अपनाए जा सकते हैं-

    दवाएं (Medications)

    जिन लोगों को ग्रास एलर्जी (Grass allergies) की समस्या है कई तरह की उपलब्ध दवाओं में से कोई दवा ले सकते हैं। यह दवाएं ओवर द काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन पर मिलती हैं। इन दवाओं में शामिल हैं-

    एंटीहिस्टामाइन (Antihistamines)- ये छींक (sneezing), आंखों में खुजली (itchy eyes) और दूसरे लक्षणों से राहत दिलाने में मददगार है।

    डिकंजेस्टेंट नेजल स्प्रे (Decongestant nasal sprays)- ये स्प्रे बंद नाक से राहत दिलाते हैं, लेकिन उनका नियमित इस्तेमाल समस्या बढ़ा सकता है। इसलिए इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें।

    कॉर्टिकोस्टेरॉयड नेजल स्प्रे (Corticosteroid nasal sprays)-  नाक में जलन (nasal inflammation) की समस्या से राहत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

    स्लाइन नेजल स्प्रे (Saline nasal sprays)- नाक की नली के ड्राय होने या नाक में गाढ़ा बलगम जमा होने जैसी समस्या से राहत दिलाने के लिए इस स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है।

    एलर्जी के निदान के बाद व्यक्ति को मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है, लेकिन ओवर द काउंटर दवाओं से यदि उन्हें राहत नहीं मिलती है तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर स्थिति का मुयाअना करके लक्षणों को कम करने के लिए उपचार प्लान बनाएगा।

    इन्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)

    लॉन्ग टर्म ट्रीटमेंट (long-term treatment ) है तो एलर्जिक रिएक्शन (allergic reactions) की गंभीरता को कम करने या इससे बचाने में मददगार है। ग्रास एलर्जी के लिए यह दो तरह की होती है-

    एलर्जी शॉट (Allergy shots)-  इसमें व्यक्ति को एलर्जी का इंजेक्शन दिया जाता है जिसकी डोज समय के साथ बढ़ाई जाती है। यह इंजेक्शन ट्रेन्ड मेडिकल प्रोफेशनल्स की निगरानी में ही लगाया जाता है।

    एलर्जी टैबलेट (Allergy tablets)- इसमें व्यक्ति को टैबलेट दिया जाता है। एलर्जेन युक्त टैबलेट को जीभ के नीचे रखने के लिए दिया जाता है और फिर निगलने के लिए। व्यक्ति घर पर भी इसे ले सकता है।

    इन्यूनोथेरेपी एलर्जी लिए कितनी फायदेमंद होगा इस बारे में डॉक्टर सलाह देते हैं। एलर्जी होने पर व्यक्ति को मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। निम्न लक्षण एनाफ्लेक्सिस (anaphylaxis) के हैं, जो एक मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है-

    • गले और मुंह में सूजन (swelling of the throat and mouth)
    • सांस लेने में परेशानी (difficulty breathing)
    • चक्कर आना (lightheadedness)
    • उलझन (confusion)
    • त्वचा या होठों का नीला होना (blue skin or lips)
    • गिरना और होश खो देना (collapsing and losing consciousness)

    ऐसा कोई भी लक्षण दिखने के बाद तुरंत अस्पताल जाने की जरूरत है।

    ग्रास एलर्जी से बचाव के तरीके (Preventing grass allergy)

    हालांकि आप पराग कणों से होने वाली एलर्जी से पूरी तरह बच नहीं सकते, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इसके खतरे को कम जरूर किया जा सकता है। रखें इन बातों का ध्यान-

    • जब वातावरण में पराग कणों की संख्या अधिक हो और हवा भी ज्यादा चल रही हो तो उस मौसम में घर के अंदर ही रहें।
    • जब वातावरण में पराग कणों (pollen) की संख्या अधिक हो तो बाहरी गतिविधियों (outdoor activities) को सीमित करें यानी ज्यादा बाहर न निकलें।
    • पराग कणों (pollen) की संख्या अधिक होने पर खिड़कियां बंद रखें।
    • ऐसा एयरकंडिशनर (air conditioner) इस्तेमाल करें जिसमें पराण कणों को घर के अंदर आने से रोकने वाला स्पेशलिस्ट फिल्टर (specialist filter) हो।
    • जब पराग कणों (pollen) की संख्या अधिक हो, बाहर कपड़े सुखाने से बचें
    • एलर्जी ट्रिगर के संपर्क में आने से पहले एंटीहिस्टामाइन (antihistamines) लेना ताकि शरीर हिस्टामाइन (histamine) रिलीज के प्रभाव को पहले ही रोक सके।
    • घास से निकलने वाले पराग कणों की मात्रा सीमित रखने के लिए अपना बगीचा छोटा ही रखें।
    • यदि बाहर जाना बहुत जरूरी हो तो सनग्लासेस (sunglasses) और हैट (hat) लगाकर जाएं ताकि आंखें और बाल एलर्जेन के संपर्क में न आए
    • यदि आप छुट्टियां मनाने जाना चाहते हैं तो समुद्र किनारे जाएं, क्योंकि वह समुद्री हवा (sea breeze) पराग कणों को हवा में उड़ने नहीं देती। वैसे जहां तक संभव हो पराग कण जब अधिक हो उस मौसम में घूमने से परहेज करें।
    • बाहर से आने के बाद नहाएं और आंखों को पानी से अच्छी तरह से धोएं।

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    इस संबंध में हुए कई अध्ययन बताते हैं कि यदि पैरेंट्स को ग्रास एलर्जी है तो बच्चे को भी यह एलर्जी हो सकती है, लेकिन जरूरी नहीं कि उन्हें एक ही तरह के पराग से एलर्जी हो। किसी को प्रदूषण की वजह से भी पराग कणों से एलर्जी हो सकती है। इस एलर्जी से पूरी तरह बचाव तो संभव नहीं है, लेकिन कुछ एहतियात बरतकर आप ग्रास एलर्जी (grass allergy) के जोखिम को कम कर सकते हैं। सबसे ज्यादा जरूरी है कि बगीचे में घास को बड़ा न होने दें, उनकी कटाई करते या करवाते रहें और पराग के संपर्क में आने से बचें।

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