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इंट्रावेसिकल कीमोथेरिपी में कैसे किया जाता है दवा का उपयोग? जानिए पूरी प्रक्रिया

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    इंट्रावेसिकल कीमोथेरिपी में कैसे किया जाता है दवा का उपयोग? जानिए पूरी प्रक्रिया

    ब्लैडर की कीमोथेरिपी को इंट्रावेसिकल कीमोथेरिपी (Intravesical chemotherapy) भी कहा जाता है। कीमोथेरिपी इलाज का एक प्रकार है जिसमें पावरफुल एंटी कैंसर दवाओं (Cytotoxic) का उपयोग ब्लैडर कैंसर के उपचार में किया जाता है। इस इलाज का उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को मारना और स्वस्थ कोशिकाओं को कम से कम नुकसान पहुंचाना होता है। कीमोथेरिपी (Chemotherapy) दवाओं को टैबलेट के रूप में दिया जाता है या इंजेक्शन के रूप में वेन्स मे इंजेक्ट किया जाता है, लेकिन ब्लैडर की कीमोथेरिपी में दवाओं को कैथर की मदद से सीधे ब्लैडर में डाला जाता है। यह एक पतली और लचीली ट्यूब होती है जिसे यूरेथ्रा (Urethra) के जरिए इंसर्ट किया जाता है। इस प्रॉसेस का उपयोग नॉन मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर के उपचार में होता है, जब कैंसर अर्ली स्टेज में होता है। ब्लैडर कैंसर की आखिरी स्टेज पर यह थेरिपी इतनी प्रभावी नहीं है।

    ब्लैडर कैंसर क्या है? (Bladder Cancer)

    ब्लैडर की कीमोथेरिपी/Intravesical chemotherapy

    ब्लैडर कैंसर कॉमन टाइप का कैंसर है जिसमें ब्लैडर की कोशिकाओं से शुरू होता है। ब्लैडर मस्कुलर ऑर्गन है जो लोअर एब्डोमिन में स्थित होता है और यूरिन को स्टोर करता है। ब्लैडर कैंसर ब्लैडर के अंदर की कोशिकाओं में होते हैं। जिन्हें यूरोथेलियल सेल्स कहा जाता है। ये कोशिकाएं किडनी और यूटेरस में भी पाई जाती हैं। यूरोथेलियल कैंसर किडनी और यूटेरस में भी हो सकता है। ज्यादातर ब्लैडर कैंसर अर्ली स्टेज में ही डायग्नोस हो जाते हैं जब कैंसर का उपचार संभव होता है, लेकिन अर्ली स्टेज ब्लैडर कैंसर सक्सेसफुल ट्रीटमेंट के बाद भी वापस आ सकते हैं।

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    ब्लैडर कैंसर के लक्षण (Bladder cancer signs symptoms)

    ब्लैडर कैंसर के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं।

    अगर यूरिन के रंग में असामान्य बदलाव है या इसमें ब्लड आ रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करें। ये लक्षण किसी और हेल्थ कंडिशन के भी हो सकते हैं इसलिए घबराएं नहीं। सही समय पर डायग्नोस किए जाने पर कैंसर का इलाज आसान हो जाता है और सर्वाइवल रेट भी बढ़ जाता है।

    कब की जाती है ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Intravesical chemotherapy)

    ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Bladder chemotherapy) का उपयोग निम्न कंडिशन में किया जाता है।

    नॉन मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर के इलाज में (Treatment of non-invasive bladder cancer)

    ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Intravesical chemotherapy) नॉन मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर का खतरा होने पर की जाती है। ये कैंसर ब्लैडर की लाइनिंग में होते हैं। इन्हें नॉन इनवेसिव स्टेज 0 या मिनमल इनवेसिव स्टेज 1 ब्लैडर कैंसर कहा जाता है। ये ब्लैडर में गहराई तक नहीं फैले होते हैं और ना ही शरीर के दूसरे हिस्से में। ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Bladder chemotherapy) का उपयोग कैंसर की शुरुआती स्टेज में किया जाता है। क्योंकि इस तरीके से दवाओं का उपयोग करने वे ब्लैडर के अंदर की लाइनिंग की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकती हैं। इंट्रावेसिकल कीमोथेरिपी में दवाओं का दूसरी कोशिकाओं पर असर ना के बराबर होता है। इसका मतलब है ब्लैडर की कीमोथेरिपी में इंट्रावेसिकल थेरिपी का उपयोग ब्लैडर की लाइनिंग के बाहर और ब्लैडर की वॉल के अंदर गहराई में बढ़ रही कैंसर कोशिकाओं पर यह कारगर नहीं है। ब्लैडर में डाली जाने वाली दवाएं किडनी, यूटेरस और यूरेथ्रा या शरीर के अन्य हिस्सों में फैली कैंसर कोशिकाओं तक नहीं पहुंच सकतीं। इसलिए ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Bladder chemotherapy) का उपयोग केवल नॉन इनवेसिव कैंसर के इलाज में ही किया जा सकता है।

    लो रिस्क नॉन इनवेसिव ब्लैडर कैंसर धीरे-धीरे ग्रो करते हैं। इनके उपचार के लिए टीयूआबीटी के बाद इंट्रोवेसिकल कीमो का एक डोज दिया जा सकता है। ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Intravesical chemotherapy) कैंसर को वापस आने से रोकने में भी मदद करती है। यह ट्रीटमेंट ब्लैडर के बाहर की लाइनिंग या बॉडी के किसी दूसरे पार्ट में फैली कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचने में सक्षम नहीं होती। इसलिए यह मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर (Muscle-invasive bladder cancer) के लिए सुटेबल नहीं है।

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    ब्लैडर की कीमोथेरिपी/Intravesical chemotherapy

    ट्रांसयूरेथ्रल रिसेक्शन ऑफ ब्लैडर के बाद (Transurethral resection of bladder tumor) (TURBT)

    इंट्रावेसिकल थेरेपी का इस्तेमाल आमतौर पर ब्लैडर ट्यूमर (TURBT) के ट्रांसयूरेथ्रल रिसेक्शन (यह एक सर्जिकल प्रोसीजर होता है जिसका उपयोग ब्लैडर कैंसर का पता लगाने के लिए या कैंसरस टिशूज को हटाने के लिए किया जाता है) के बाद किया जाता है। यह अक्सर TURBT प्रक्रिया के 24 घंटों के भीतर किया जाता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसे 6 घंटे के भीतर किया जाना चाहिए। प्रक्रिया का उद्देश्य किसी भी कैंसर कोशिकाओं को मारना है जो मूत्राशय में बची रह गई हो।

    हायर स्टेज कैंसर के इलाज में (Higher stage cancer)

    इंट्रावेसिकल कीमोथेरेपी (ब्लैडर की कीमोथेरिपी) की एक खुराक TURBT के 24 घंटों के भीतर दी जाती है, लेकिन अन्य प्रकार के उपचार आमतौर पर स्टेज II से IV (2 से 4) ब्लैडर कैंसर के लिए अगले चरण में होते हैं क्योंकि वे मूत्राशय की दीवार की परत से आगे फैल चुके होते हैं। स्टेज IV मूत्राशय के कैंसर का इलाज शायद ही कभी इंट्रावेसिकल थेरेपी से किया जाता है।

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    कैंसर वापस आने का रिस्क होने पर (Risk of cancer coming back)

    जिन मरीजों में कैंसर वापस आने का रिस्क मीडियम होता है उनमें भी ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Bladder chemotherapy) एक हफ्ते से छ: हफ्ते तक की जाती है। कीमीथेरिपी सॉल्यूशन ब्लैडर में दो घंटे से ज्यादा समय के लिए रहता है। इसके बाद उसे कैथर के जरिए सुखा दिया जाता है। इस दौरान मरीज से हर 15 मिनट में पॉजिशन बदलने के लिए कहा जा सकता है ताकि सॉल्यूशन पूरे ब्लैडर से अच्छी तरह निकल जाए। ब्लैडर की कीमोथेरिपी के दौरान डॉक्टर कॉन्ट्रासेप्शन (Contraception) का उपयोग करने के लिए कह सकते हैं। ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Intravesical chemotherapy) तभी की जाती है जब इंट्रावेसिकल इम्यूनोथेरिपी काम नहीं करती। यह कभी-कभी एक वर्ष से अधिक समय के लिए उपयोग की जाती है।

    कई बार कीमोथेरिपी सॉल्यूशन को गर्म भी किया जाता है। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि इससे दवा बेहतर काम करती है और उसे कैंसर कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद मिलती है। जब कीमो को गर्म किया जाता है तो इसे हायपरथर्मिक इंट्रावेसिकल थेरिपी (Hyperthermic intravesical therapy) कहा जाता है। मिटोमायसिन (Mitomycin) ड्रग का उपयोग अक्सर ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Bladder chemotherapy) के दौरान किया जाता है।

    ब्लैडर की कीमोथिरपी के साइड इफेक्ट्स क्या हैं? (Side effects of intravesical chemotherapy)

    चूंकि ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Intravesical chemotherapy) में ड्रग का उपयोग डायरेक्टली ब्लैडर में किया जाता है तो इसके कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं। इसका मुख्य साइड इफेक्ट्स ब्लैडर इंफ्लामेशन है। जिसे सिस्टिटिस (cystitis) भी कहते हैं। इसकी वजह से बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना और यूरिन पास करते वक्त जलन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अधिक मात्रा में पानी पीना इस दौरान जरूरी होता है। यूरिन में ब्लड भी आ सकता है। इसके साथ ही ब्लैडर में जलन और खुजली का एहसास भी हो सकता है। इसके अलावा इसकी वजह से कीमोथेरिपी ट्रीटमेंट के दौरान होने वाले नॉर्मल साइड इफेक्ट्स नहीं होते। साइड इफेक्ट्स के बारे में डॉक्टर से बात करें वे इसके लिए भी ट्रीटमेंट प्रदान कर सकते हैं।

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    स्मोकिंग से ब्लैडर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है क्योंकि इससे हानिकारक कैमिकल्स यूरिन में स्टोर होते हैं। ये कैमिकल ब्लैडर की लाइनिंग को डैमेज कर सकते हैं। जिससे ब्लैडर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए ब्लैडर कैंसर से बचने के लिए स्मोकिंग छोड़ दें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Chemotherapy of bladder) और ब्लैडर कैंसर से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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