कई बार कीमोथेरिपी सॉल्यूशन को गर्म भी किया जाता है। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि इससे दवा बेहतर काम करती है और उसे कैंसर कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद मिलती है। जब कीमो को गर्म किया जाता है तो इसे हायपरथर्मिक इंट्रावेसिकल थेरिपी (Hyperthermic intravesical therapy) कहा जाता है। मिटोमायसिन (Mitomycin) ड्रग का उपयोग अक्सर ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Bladder chemotherapy) के दौरान किया जाता है।
ब्लैडर की कीमोथिरपी के साइड इफेक्ट्स क्या हैं? (Side effects of intravesical chemotherapy)
चूंकि ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Intravesical chemotherapy) में ड्रग का उपयोग डायरेक्टली ब्लैडर में किया जाता है तो इसके कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं। इसका मुख्य साइड इफेक्ट्स ब्लैडर इंफ्लामेशन है। जिसे सिस्टिटिस (cystitis) भी कहते हैं। इसकी वजह से बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना और यूरिन पास करते वक्त जलन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अधिक मात्रा में पानी पीना इस दौरान जरूरी होता है। यूरिन में ब्लड भी आ सकता है। इसके साथ ही ब्लैडर में जलन और खुजली का एहसास भी हो सकता है। इसके अलावा इसकी वजह से कीमोथेरिपी ट्रीटमेंट के दौरान होने वाले नॉर्मल साइड इफेक्ट्स नहीं होते। साइड इफेक्ट्स के बारे में डॉक्टर से बात करें वे इसके लिए भी ट्रीटमेंट प्रदान कर सकते हैं।
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स्मोकिंग से ब्लैडर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है क्योंकि इससे हानिकारक कैमिकल्स यूरिन में स्टोर होते हैं। ये कैमिकल ब्लैडर की लाइनिंग को डैमेज कर सकते हैं। जिससे ब्लैडर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए ब्लैडर कैंसर से बचने के लिए स्मोकिंग छोड़ दें।
उम्मीद करते हैं कि आपको ब्लैडर की कीमोथेरिपी (Chemotherapy of bladder) और ब्लैडर कैंसर से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।