बीमारी की गंभीरता ट्यूमर ग्रेड यह इंडिकेशन्स कि कैंसर बहुत अधिक फैल चुका है ग्रेडिंग सिस्टम डिफरेंस, कैंसर के प्रकार पर निर्भर करते हैं। सामान्य तौर पर, सेल्स को इस आधार पर स्कोर किया जाता है कि वे माइक्रोस्कोप के नीचे कितनी असामान्य दिखाई देते हैं। जैसे ग्रेड 1 ट्यूमर (Grade 1 tumer) आमतौर पर सामान्य दिखाई देता है। जबकि, ग्रेड 4 ट्यूमर (Grade 4 tumer) अधिक अब्नॉर्मलिटीज रिफ्लेक्सट करता है। जितना अधिक सेल्स दिखाई देता है, ग्रेड उतनी ही अधिक होता है। अब जानिए अन्य सैंपलिंग टेक्निक्स के बारे में।
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अन्य सैंपलिंग टेक्निक्स कौन-कौन सी हैं?
हिस्टोपैथोलॉजी (Histopathology) के साथ ही, पैथोलॉजिस्ट (Pathologist) टिश्यू में कैंसर की प्रजेंस के बारे में जानने के लिए अन्य टेक्निक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह टेक्निक्स इस प्रकार हैं:
मॉलिक्यूलर टेक्निक्स (Molecular Techniques)
मॉलिक्यूलर टेक्निक्स, मॉलिक्यूलर लेवल पर सेल्स और टिश्यूज को एनालाइज करने की एबिलिटी को बताती है, जो प्रोटीन, रिसेप्टर्स और जीन के स्तर पर होती है। पैथोलॉजिस्ट्स (Pathologists) कैंसर का निदान कर सकते हैं जैसे ल्यूकेमिया (Leukemia)। इसमें कई अन्य टेक्निक्स के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे:
- साइटोकेमिस्ट्री (Cytochemistry): इस तकनीक का इस्तेमाल यह देखने के लिए किया जाता है कि सैंपल सेल्स कुछ खास स्टैंस कैसे लेते हैं।
- इम्यूनोफेनोटाइप (Immunophenotype): यह तकनीक यूनिक सरफेस प्रोटीन्स के लिए इस्तेमाल की जाती है।
- कैरियोटाइप (Karyotype): इस तकनीक को क्रोमोसोमल चेंजेज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- मॉर्फोलॉजी (Morphology): यह तकनीक इस चीज के बारे में जानने के लिए इस्तेमाल की जाती है कि सेल्स कैसे दिखाई देते हैं।
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इम्युनोहिस्टोकैमिस्ट्री (Immunohistochemistry)
अक्सर लिम्फोमा और अन्य कैंसरस में डॉक्टर इम्युनोहिस्टोकैमिस्ट्री (Immunohistochemistry) का इस्तेमाल करते हैं ,ताकि उन्हें ट्यूमर टाइप, प्रोग्नोसिस और ट्रीटमेंट के बारे में पता चल सके। प्रोग्नोसिस (Prognosis) डिजीज से सर्वाइवल या रिकवरी के एस्टिमेशन या प्रीडिक्शन को कहा जाता है। जैसे अगर CD23 और CD5 कैंसर सेल्स में होते हैं, तो यह इस धारणा को सपोर्ट कर सकता है कि यह क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया या स्मॉल लिम्फोसाइटिक लिंफोमा (Small Lymphocytic Lymphoma) है।
क्रोमोसोमल स्टडीज (Chromosomal Studies)
पैथोलॉजिस्ट (Pathologist) जीन रिअरेंजमेंट्स और क्रोमोसोम्स में खास बदलावों को देखने के लिए मॉलिक्यूलर और क्रोमोसोमल स्टडीज कर सकते हैं। कई बार इन्सर्ट किए या हटाए गए जीन प्रोग्नोसिस से संबंधित होते हैं। कैंसर टिश्यू सैंपल में मौजूद जेनेटिक चेंजेज हेरेडिटरी या अक्वायर्ड हो सकते हैं।

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यह तो थी हिस्टोपैथोलॉजी (Histopathology) के बारे में जानकारी। यह तो आप समझ ही गए होंगे कि हिस्टोपैथोलॉजी (Histopathology) में डिजीज की स्थिति में टिश्यू की जांच की जाती है। पैथोलॉजिस्ट्स (Pathologist) इस टेस्ट को लेबोरेटरी में करते हैं। वो माइक्रोस्कोप के नीचे इन टिश्यूज को एक्सामिन करते हैं और उसके बाद उसकी रिपोर्ट बनाते हैं। इस रिपोर्ट में टिश्यू की डिस्क्रिप्शन, डायग्नोसिस और प्रोग्नोसिस शामिल है। सेल्स के आकार और संरचना को इवैल्युएट करने के अलावा, पैथोलॉजिस्ट (Pathologist), कैंसर का आकलन और निदान करने के लिए अन्य तकनीकों का भी उपयोग कर सकते हैं।
हिस्टोपैथोलॉजी (Histopathology) रिपोर्ट्स कन्फ्यूजिंग हो सकती हैं। ऐसे में, डॉक्टर की सलाह से पहले हमें किसी भी नतीजे तक नहीं पहुंचना चाहिए। आपकी रिपोर्ट्स में टिश्यू सैम्पल्स के बारे में कुछ खास इंफॉर्मेशन होगी। यह डिटेल्स डॉक्टर को भविष्य में रोगी के उपचार के लिए काम आ सकती हैं। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।